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देश में दिखा कोरोना वायरस (Coronavirus) का पहला मामला, सरकार ने दी होम्योपैथी की सलाह

क्या इस सलाह से हम अपनी रक्षा कर सकते हैं?

हर रोज कोरोना वायरस (Coronavirus) के नये मामले दिखते जा रहे हैं, कई देशों में अब ये फैल चुका है और अब ताजा मामला हमारे देश में भी देखने को मिला है,  भले ही दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी रोकथाम के लिए एक  टीके को खोज रहे हैं तो भारतीय सरकार ने फिलहाल इससे बचने के लिए  होम्योपैथी (Homeopathy)  की सलाह दी है।

भारतीय  स्वास्थ्य मंत्रालय ने   29 जनवरी को  पुष्टि की  कि वुहान विश्वविद्यालय (Wuhan University) में पढ़ने वाला एक छात्र, जो अभी केरल लौटा है,  परीक्षण में उसे इस वायरस (Coronavirus) से संक्रमित पाया गया है,  इस युवक को अस्पताल के एक अलग वार्ड में रखा गया है। इसके अलाबा 800 और लोग इस समय सरकार के द्वारा निरक्षित किये जा रहे हैं जिसमें से 10 लोगों को अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में  शिफ्त किया गया है। 

30 जनवरी को, सरकार   ने  “भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी” पर आधारित  एक एडवाइजरी जारी की , ताकि घातक संक्रमण को रोकने के लिए निवारक कदम के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

बचने के विशेष उपाय

इसके अलाबा विश्वल स्वास्थ संगठन और अमेरिकी  रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) ने भी इससे बचने के कई विशेष उपाय बताये हैं, जिसमें से अपने हाथों को 20  सेकेंड तक सफाई से धोने से लेकर के अपने चेहरे को छूने की कोशिश न करें, और खांसी होने पर अपना मुंह ढंक लें, ये सभी सलाहें इस वायरस से बचने के लिए बहुत मददगार हैं।  इसके अलावा अगर आप चाहें तो Arsenicum album30  की एक खुराक तीन दिनों तक ले सकते हैं।

आर्सेनिकम एल्बम 30 एक बहुत पतला घोल है जो आर्सेनिक ट्राईऑक्साइड की मात्रा का पता लगाता है – कभी-कभी ल्यूकेमिया के रोगियों का इलाज किया जाता है क्योंकि यह कैंसर कोशिकाओं की मृत्यु का कारण बनता है – इसे अक्सर होम्योपैथी में भी उपयोग किया जाता है।

होम्योपैथी एक प्रकार का छद्म विज्ञान है जिसे अक्सर पूरक दवा के रूप में पेश किया जाता है, ये इस विचार पर आधारित है कि रोग को  मारने के लिए उसी रोग के लक्षणों को पैदा करके मारो,   इसके दो मुख्य सिद्धांत हैं: एक पदार्थ जो विशेष लक्षणों का कारण बनता है, उन लक्षणों को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, और यह विश्वास कि कोई पदार्थ जितना अधिक पतला होता है, उन लक्षणों का इलाज करने की उसकी शक्ति उतनी ही अधिक होती है।

हालांकि ये अपने आप में खतरनाक नहीं माना जाता है , पर इसमें दवा को इतना पतला किया जाता है कि वो इतनी घुल जाती है कि फिर उसमें उस दवा के ठोस त्तव रह नहीं जाते  जिस वजह से इसका असर बहुत कम और कई बार ना के बराबर रहता है, ये तब और घातक हो सकता है जब  किसी रोगी को किसी रोग से लड़ने के लिए एक विशेष दवाई की आवश्यकता हो और उसे  इस तरह उपचार किया जाये जिसमें समय और स्वास्थ के जाने का खतरा बना रहे।

होम्योपैथी की प्रभावशीलता

होम्योपैथी की प्रभावशीलता की कई समीक्षाओं के बावजूद, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि इसका शरीर पर कोई प्रभाव पड़ता है, यही कारण है कि यूके की  राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा  जैसीं कई आधिकारिक स्वास्थ्य निकाय इसे समर्थन करने से इनकार करते हैं।

आर्सेनिकम एल्बम 30 के मामले में, यह आमतौर पर 10 24   भागों  में 1 तक  पतला होता है, यह प्रति दस लाख बिलियन ( या ट्रिलियन ट्रिलियन ) पानी के अणुओं में एक अणु के बराबर है, जाहिर इस मात्रा से आप मर नहीं सकते पर कमसेकम ये दवा किसी खतरनाक वायरस को तो मार ही सकती है। 

नए 2019-nCoV वायरस (Coronavirus) का खतरा बहुत वास्तविक है। 170 मौतों के साथ 21 देशों में अब तक 7,783 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, विश्व भर में ये फैल सकता है इसलिए अब इस पर गहराई से काम हो रहा है, वहीं ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने  चीन के बाहर पहली बार  लैब में 2019-nCoV स्ट्रेन  को सफलतापूर्वक  बना डाला  है , जिससे दुनियाभर के वैज्ञानिक इसका एक प्रभावशाली टीका बनाने के लिए एकदम तैयार हो चुके हैं।

तबतक आप इस वायरस (Coronavirus) से बचने के लिए अपने उपाय करते रहें और खासकर सर्दी होने या जुकाम होने पर मास्क जरूर पहनें, लोगों से संपर्क थोड़ी दूर से करें और वायरस प्रभावित इलाकों में जाने से बचें, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, किसी की बातों  में ना आयें और बिना किसी सलाह के कोई भी इलाज ना करें।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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