हमारा ब्रह्मांड हमारे सोच से ही परे है। परे इसलिए कि, न तो कभी हम इसके आगे सोच पाएंगे और न ही कभी जा पाएंगे। इन्सानों के लिए ब्रह्मांड की परिभाषा हर वक़्त बदलती रहती है। क्योंकि ब्रह्मांड और आकाशगंगाएँ (Seeing New Birth of Galaxies) के अंदर अनंत घटनाओं के घटित होने की संभावना होती है और इसके ऊपर कई वैज्ञानिकों के अलग-अलग राय भी रहीं हैं। इसलिए जब भी बात ब्रह्मांड की आती है, तब हमारे मन में काफी ख़याल आने लगते हैं और हम इनके ऊपर विचार-विमर्श भी करने लगते हैं। हालांकि! इससे पहले भी हमने आप लोगों को ब्रह्मांड के बारे में कई सारे बातों को बता कर रखा है।
परंतु आज के लेख का विषय ही कुछ अलग है। अलग इसलिए कि, ये आप लोगों की आकाशगंगाओं (Seeing New Birth of Galaxies) के देखना का नजरिया ही बदल कर रख देगा। मित्रों! आज के लेख का विषय बहुत ही ज्यादा खास और रोचक होने वाला है और आप लोगों से अनुरोध है कि, इसे हो सके तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करिएगा। ताकि ये जानकारी कई सारे लोगों तक पहुँच सके। वैसे एक बात ये भी है कि, आकाशगंगाओं के बारे में नयी-नयी बातों को जानना बहुत सारे लोगों को पसंद हैं।
तो, इसी बात पर लेख को आरंभ करते हैं और मूल विषय के ऊपर प्रकाश डालते हैं। और देखते हैं कि, आखिर ये खास विषय है क्या?इसके अलावा आपको इस लेख से काफी कुछ बातों को जानने का मौका मिलेगा और यकीन मानिए आपको एक अलग ही रोमांच की अनुभूति भी मिलेगी, ताकि आपकी रुचि विज्ञान और अन्तरिक्ष के ऊपर और भी ज्यादा बढ़ जाएँ।
विषय - सूची
वैज्ञानिकों ने पहली बार देखी आकाशगंगाओं की उत्पत्ति! – Seeing New Birth of Galaxies! :-
कुछ नए रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिकों को लगता है कि, उन्होंने पहली बार किसी नए गैलक्सी (Seeing New Birth of Galaxies) के उत्पत्ति को देख लिया है। सूत्रों के अनुसार वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब टेलिस्कोप के जरिये हमारे ज्ञात ब्रह्मांड के कुछ बहुत ही पुराने आकाशगंगाओं की उत्पत्ति को घटित होते हुए डिटेक्ट कर लिया हैं। और आप लोगों को बता दूँ कि, इस तरह कि घटना ये इतिहास में पहली बार हो रहा हैं, जब इनसानों ने किसी आकाशगंगा की उत्पत्ति को देख लिया हो।
हालांकि! आकाशगंगाओं की बातें तो सब करते हैं। परंतु इनके जन्म लेने की बात जब भी किसी के मुंह पर आती है, तब एक अनोखी सी संशय सबके मन में आती ही आती है। इसलिए कहा जाता है कि, आकाशगंगाएँ हमारे लिए एक पहेली की तरह ही होती हैं। क्योंकि कब-क्या-कैसे इनके बारे में जानने को हमें मिल जाए, ये तो शायद भगवान ही जानते हैं। वैसे एक बात ये भी है कि, आकाशगंगाओं की उत्पत्ति को ले कर अलग-अलग वैज्ञानिकों के अलग-अलग राय हैं और एक दूसरे काफी भिन्न भी हैं।
कोई कहता है कि, आकाशगंगाएँ बिग-बैंग से बने हुए हैं, तो कोई कहता है कि, ये पूर्व से मौजूद अपने पूर्वज व विशाल कॉस्मिक मटिरियल से बने हुए हैं। खैर वर्तमान में हुए खोज से ये पता चला है कि, ब्रह्मांड में प्रारंभिक अवस्था में जन्में 3 आकाशगंगाओं की उत्पत्ति बहुत ही खास ढंग से हुआ है। जो कि, हम लेख के आगे आने वाले भागों में चर्चा करेंगे। वैसे आप लोगों को इसके बारे में क्या लगता है, कमेंट करके जरूर बताइएगा।
आखिर कैसे हुई इन आकाशगंगाओं की उत्पत्ति! :-
अब लोगों के मन में ये सवाल जरूर आ रहीं होगी कि, आखिर इन आकाशगंगाओं (Seeing New Birth of Galaxies) की उत्पत्ति कैसे हुई होगी? तो, मित्रों! आप लोगों को बता दूँ की, 3 नवजात आकाशगंगाएँ बिग-बैंग के घटित होने के 40 से 60 करोड़ साल बाद जन्म लेते हुए नजर आए हैं। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, ये आकाशगंगाएँ हाइड्रोजन और हीलियम के बादलों से बनते हुए नजर आए हैं और ये एक बहुत ही अद्भुत घटना है। क्योंकि इससे पहले न तो इसे कभी सुना व देखा था।
वैसे वैज्ञानिकों के अनुसार इस खोज से हमें एक बहुत ही अद्भुत जानकारी मिलने वाला है। उनके हिसाब से इससे ब्रह्मांड की एक बहुत ही बड़ी पहेली सुलझ जाएगी। खैर अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को बता दूँ कि, ये पहेली “Reionization” की है। यहाँ एक खास बात ये है कि, री-आयोनाइजेशन ब्रह्मांड का वो दौर था जब ब्रह्मांड के प्रारंभिक सितारे और आकाशगंगाएँ पहली बार अन्तरिक्ष में चमकने लगे थे। सरल में कहूँ तो, ये दौर था सितारों के जन्म लेने का।
मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, इसी दौरान ब्रह्मांड में सितारों की चमक अपने चरम सीमा पर थी। देखने में ये नवजात सितारे काले घने ब्रह्मांड में किसी द्वीप समान नजर आते थे। इसके अलावा आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, इसी समय में ही हमारे आकाशगंगाओं की उत्पत्ति होने लगे थे। इसलिए हमारे लिए ये समय काफी ज्यादा खास है। और इसके बारे में अधिक जानना हमारे लिए जरूरी भी है।
आकाशगंगाओं से जुड़ी कुछ अनजान बातें! :-
वैज्ञानिकों के अनुसार आकाशगंगाओं (Seeing New Birth of Galaxies) की एक गज़ब बात ये भी है कि, इनके आविर्भाव के कारणों को हम आज भी नहीं जानते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार JWST के जरिये वैज्ञानिकों ने 12 नए आकाशगंगाओं को अपने डिटेक्टशन रेडार के अंदर रखा हुआ है। ताकि इनके ऊपर वैज्ञानिकों की हमेशा नजर रह पाएगी। वैसे ये आकाशगंगाएँ बिग-बैंग के तुरंत बाद बनने वाले आकाशगंगाओं में से हैं।
क्योंकि सारे के सारे आकाशगंगाएँ बिग-बैंग के 60 करोड़ साल बाद ही बने हुए हैं। कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, उस समय हमारा ब्रह्मांड अपने वर्तमान के आयु का मात्र 3% हिस्सा ही था। इसलिए आप सोच ही सकते हैं कि, उस समय हमारा ब्रह्मांड कितना नया रहा होगा। इसके अलावा गौर करने वाली बात ये भी है कि, ब्रह्मांड कि बनावट और इसकी संरचना उस समय काफी ज्यादा अलग रहा होगा। क्योंकि उस समय की परीस्थितियाँ आज से काफी ज्यादा अलग रहीं होंगी।
वैसे यहाँ एक खास बात ये भी है कि, वैज्ञानिक मूलतः उन आकाशगंगाओं के बारे में खोजबीन करते हैं जो काफी ज्यादा रेडिएशन उत्सर्जित करती हैं। क्योंकि ये रेडिएशन आमतौर पर कॉस्मिक बादलों के द्वारा सोखा जाता है और इनके अब्सॉर्ब करने की क्षमता के आधार पर शोधकर्ताओं को आकाशगंगाओं के बारे में काफी कुछ जानकारी मिल जाती है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
आकाशगंगाओं (Seeing New Birth of Galaxies) के बारे में एक रोचक बात ये भी है कि, वो जिस वेवलेंथ की रोशनी को उत्सर्जित करते हैं, उसके आधार पर वैज्ञानिक उनके उत्पत्ति को ले कर कई सारे अनुमान लगा सकते हैं। क्योंकि इसी से ही उन्हें आकाशगंगा के अंदरूनी संरचना के बारे में काफी कुछ जानने का मौका मिलता हैं। इसके अलावा वैज्ञानिकों का ये भी मानना हैं कि, ज़्यादातर आकाशगंगाओं से निकलने वाली रोशनी के किरण हाइड्रोजन गैस से बने बादलों के द्वारा अब्सॉर्ब हो जाते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का ये भी मानना हैं कि, ज़्यादातर नवजात आकाशगंगाएँ और सितारे इन्हीं न्यूट्रल हाइड्रोजन गैस के बादलों से ही बनते हैं। क्रमागत ठंडे होने के बाद ये सघन हो कर नए-नए सितारों को जन्म देते हैं और बाद में बड़े-बड़े सितारों के गुच्छों को। मित्रों! अगर हम ब्रह्मांड के बनने के प्रक्रिया को सरल रूप में समझने का प्रयास करें तो, आप लोगों को सबसे पहले इन्हीं हाइड्रोजन से बने हुए बादलों के ऊपर ही ध्यान आएगा। क्योंकि इन्हीं से ही हमारे आकाशगंगाओं की उत्पत्ति हुई हैं।
प्रारंभिक अवस्था में सितारों का बनना न बल्कि आकाशगंगाओं के लिए, परंतु पूरे ब्रह्मांड के लिए बहुत ही जरूरी था। क्योंकि इससे ब्रह्मांड को काले घने अंधरे से छुटकारा मिलने वाला था और हमारे आज के विसिवल यूनिवर्स को अपना अस्तित्व। यूं तो, बहुत ही थियरिस ब्रह्मांड के ऊपर आयीं; परंतु ये जो सितारों के बनने की थियरि हैं। ये सबसे ज्यादा अलग और आकर्षक हैं।
Source :- www.livescience.com