सौर-मंडल यानि सूर्य का वो घेरा जहां करोड़ों पिंड उसके लगातार चक्कर लगाते हैं, यहां आठ विशाल ग्रहों के साथ पांच बौने यानि ड्वार्फ़ प्लैनेट (Dwarf Planets) भी हैं, तो करोड़ों ऐसे छोटे-छोटे ऐस्टरोयड (Asteroids) हैं जो बस किसी से भी टकराने के लिए तैयार रहते हैं। यहां ड्वार्फ़ प्लैनेट्स से लेकर कामेट्स (Comets) और कुछ ऐसे ऐस्टोरयेड (Asteroids) हैं जो अरबों सालों से सौर-मंडल में भटक रहे हैं, इन्ही में से एक ऐसा ग्रह भी है जो पिछले 16 सालों से नासा, ESA और हर स्पेस साइंटिस्ट से लिए बहुत बड़ा रहस्य बना हुआ है (Sedna Planet In Hindi) , ये ऐसा ग्रह है जो 11 हजार सालों में सूर्य की एक परिक्रमा करता है, और इसकी जो दूरी है वो सन और प्लूटो की दूरी से भी कई गुना ज्यादा है, ये बौना ग्रह इतना दूर है कि इस पर हम फिलहाल अपने समय में किसी भी तरह कोई स्पेस प्रोब भी नही भेज सकते हैं।
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आखिर कौन सा ग्रह है ये?
सोलर सिस्टम में सबसे दूर और सबसे रहस्मयी पिंड जो एक ग्रह होने के साथ-साथ पिछले 16 सालों से सभी वैज्ञानिकों के होश उड़ा रहा है, एक तरफ प्लूटो पर लाइट को जाने में 5 घंटे लगते हैं तो इस औबजेक्ट पर उसे कमसेकम 5 दिनों का टाइम लग जाता है। तो आखिर ये कौन सा ऐसा औबजेक्ट है, जो हमारे सोलर सिस्टम में अरबों सालों से घूम रहा है पर उसे खोजा केवल 16 साल पहले गया है, आखिर क्यों ये इतना दूर है और क्यों इसे सूर्य की एक परिक्रमा करने में 11 हजार साल लगते हैं, और क्या होगा जब हम यहां पर जाने की कोशिश करेंगे और यहां से सूर्य और धरती कैसी दिखेगी ये सब जानने के लिए चलिए मेरे साथ, एक बार फिर युनिवर्ष की सैर पर जहां हम जायेंगे अपने सोलर सिस्टम की उस जगह पर जहां हमारा हवल टेलीस्कोप भी देखना बंद कर देता है।
साल 2003 ऐस्ट्रोनोमर माइक ब्राउन और उनकी टीम ने जब एक सर्वे जिसमें सोलर सिस्टम में घूम रहे दूर के औबजेक्टस का पता लगाना था उसमें हिस्सा लिया और टेलीस्कोप (Telescope) से जब सोलर सिस्टम (Solar System) पर नजर डाली तो उन्हें एक बहुत छोटा सा चमकता हुआ एक डॉट दिखाई दिया, जो बहुत चमकीला नजर आने के साथ-साथ काफी दूर भी था, उन्होंने हर एक घंटे के गैप के साथ तीन फोटो लिये जिसमें उन्हें ये पता लगाना था क्या ये औबजेक्ट एक दम आसमान में स्टेसनरी (Stationary) यानि रुका हुआ है या फिर ये कुछ मूवमेंट भी कर रहा है, जब गौर से ये Pictures देखे गये तो पता चला कि ये औबजेक्ट बहुत स्लो स्पीड से परिक्रमा (Orbit) कर रहा था। पर सटीक से कह पाना काफी मुश्किल था आखिर ये क्या है, आप खुद इस पिक्चर को देखकर समझ सकते हैं कि इसे कैप्चर कितना कितना मुश्किल रहा होगा। माइक ने जैसे ही इस औबजेक्ट को देखा तो उन्होंने इसे सेडना (Mysterious Sedna Planet In Hindi) नाम दे दिया।
कितनी दूर है ये ग्रह?
सेडना जिसे अब वैज्ञानिक 90377 Sedna नाम से जानते हैं वास्तव में एक ड्वार्फ़ प्लैनेट यानि बौना ग्रह है जो कि सूर्य की इस तरह परिक्रमा करता है कि ये कभी उसके एकदम नज़दीक आ जाता है तो कभी उससे इतना दूर चला जाता है कि फिर उसे वापिस सूर्य के नज़दीक आने में 10 से 11 हजार साल लगते हैं, इसकी इस विचित्र परिक्रमा यानि ओबरबिट को हाई-ली इलीप्टिकल औरबिट कहा जाता है, जिसमें एक ग्रह कभी अपने तारे के एकदम पास होता है तो कभी उससे बहुत बहुत दूर चला जाता है।
सोलर सिस्टम में प्लूटो का भाई कहा जाने वाला सेडना (Mysterious Sedna Planet In Hindi) जब सूर्य के पास होता है तो उसकी दूरी हमसे 76 Astronomical Unit है यानि कि पृथ्वी और सूर्य की जो दूरी है उससे 76 गुना दूर, जो कि करीब 11 Billion Km बनती है, ये इतना दूर है कि इस दूरी को अगर वायेजर की 17 किमी पर सेकेंड की रफ्तार से तय किया जाये तो करीब 21 साल का समय आपको सेडना तक पहुँचने में ही लग जायेगा, पर ये तो कुछ भी नहीं है जब सेडना ओरबिट करते समय सूर्य से बहुत दूर होता है तो उसकी दूरी सूर्य से करीब 937 Astronomical Unit होती है यानि की करीब 140 अरब किलोमीटर दूर, अगर इस पर कोई वायेजर जैसा प्रोब अब भेजा जाये तो उसे यहां पहुँचने में ही कमसेकम 260 साल लग जायेंगे।.
साल 13,019 में फिर से दिखेगा सेडना
सोचिए सोलर सिस्टम में ही एक ऐसी चीज़ मौदूज है जहां जाने में अभी भी हमें 250 सालों से ज्यादा का समय लगता है, है ना कमाल… फिलहाल ये छोटा सा ग्रह अभी हमारे सूर्य के पास से ही उसकी परिक्रमा करते हुए करीब 93 Astronomical Unit की दूरी से जा रहा है, जिसे अपने लास्ट प्वाइंट पर पहुँचने में अभी भी 11 हजार साल लगने वाले हैं। जब पिछली बार सेडना हमारे करीब था तब उस समय पृथ्वी पर मौसम के बदलाव के कारण बहुत ठंड थी और हमारे पूर्वज उस समय पारंपरिक तरीकों से अपना जीवन जिया करते थे, अगली बार जब सेडना (Mysterious Sedna Planet In Hindi) हमारे नज़दीक आयेगा और हम उसकी सटीक पिक्चर ले पायेंगे तो वो उस समय हमारी पृथ्वी पर साल 13,019 चल रहा होगा यानि करीब 11 हजार साल भविष्य में उस समय शायद हमारी मानव सभ्यता टाइप-2 सिविलिजाइजेशन बनने के लिए अपना पहला कदम रख चुकी होगी।
आइये चलते हैं इस ग्रह कि ओर
सेडना का सफर अभी खत्म नहीं हुआ है, अभी आप और मैं एंटीमैटर इंजन से चलने वाले एक हाइपोथेटिकल स्पेसशिप में बैठकर इस छोटे से औबजेक्ट पर जाने वाले हैं और वहां जाकर के देखेंगे कि वहां से हमारा सूर्य, पृथ्वी और दूसरे ग्रह कैसे दिखाई देगें, और तब हमारे साथ क्या होगा जब हम इसकी सतह पर पहली बार लैंड करेंगे। हमारी ये यात्रा बहुत ग़जब होने वाली है इसलिए अब सीट बेल्ट पहन कर चलिए सेडना की ओर….
जैसे ही हम पृथ्वी से इस छोटे से ग्रह की ओर चलेंगे तो हमें सबसे पहले मंगल ग्रह और हजारों ऐस्टोरोयेड के घेरे को पार करके बृहस्पति (Jupiter) जैसे विशाल ग्रहों के चाँदो के बीच से होकर के शनि ग्रह (Saturn) की रिंग्स और उसके 82 चंद्रमाओं देखते हुए हम यूरेनस (Uranus) और एकदम नीले ग्रह नेप्युचन (Neptune) से होते हुए गुजरेंगे, नेप्युचन पर हमारा यान उसकी परिक्रमा करके ग्रेविटेशनल सिंल्गसोट (Gravitational Slingshot) के जरिए यान की स्पीड और बढ़ा लेगा, जिससे हमारी स्पीड बहुत बढ़ जायेगी।
अब हम बहुत तेज स्पीड से सेडना की बढ़ेगी और ट्रांस नेप्युचन औबजेक्ट (Trans Neptunian Objects) यानि नेप्युचन ग्रह के बाद के औबजेक्ट्स को धीरे-धीरे पार करते रहेंगे, जिसमें हम सबसे पहले प्लूटो से होकर गुजरेंगे, प्लूटो से गुजरने वक्त हमारा सामना होगा काइपर बेल्ट (Kuiper belt) से जिसमें अरबों-खरबों छोटे कोमेट्स और ऐस्टोरोयेड मौजूद हैं, ये बेल्ट बहुत विशाल है जिसे पार करने में हमें काफी समय लगने वाला है, प्लूटो को पार करने के बाद हम जायेंगे प्लूटो के ही भाई ऐरिस की ओर जो प्लूटो से 55 Astronomical Unit दूर है, और हमारी अर्थ से 95 Astronomical Unit प्लूटो से ऐरिस (Eris) तक पहुँचने में हमें फिर कई सालों का टाइम लगेगा पर हमारा एंटी-मैटर इंजन से बना स्पेसशिप बहुत कम समय में ही यहां पहुँच जायेगा, ऐरिस के चाँद को देखते हुए हम आगे बढ़ेगें सेडना की ओर जो कि अब ऐरिस से भी बहुत बहुत दूर है।
कैसा है सेडना का वातावरण
सेडना (Mysterious Sedna Planet In Hindi) की ओर जाते समय हमारे स्पेसशिप को कई हजारों कामेट्स और ऐस्टोरोयेड का सामना करना पड़ेगा पर हम जैसे ही सेडना की ओर बढ़ेगें हमें एक लाल रंग का छोटा सा ग्रह दिखने लगेगा, ये ग्रह इतना लाल होगा जैसा कि हमारा मंगल ग्रह दिखाई देता है, करीब 1 हजार किलोमीटर चौड़ा ये छोटा ग्रह और कहें तो ड्वार्फ़ प्लैनेट हमें काफी दूर से दिखाई देने लगेगा, जिससे हम फिर इसकी ओर और आसानी से बढ़ सकेंगे और लैंडिंग की कोशिश करेंगे, जैसे ही मैं और आप इस छोटे से प्लैनेट और कहें तो प्लैनेटोइड पर लैंड करेंगे तो आपको एक खतरनाक सच्चाई का सामना करना होगा, दरअसल सेडना इतना ठंडा ड्वार्फ़ प्लैनेट है कि यहां पर आपकी हीलियम और हाइड्रोजन को छोड़कर सभी गैसें जमकर सोलिंड बनने लगेंगे।
– 240 डिग्री सेल्सियम का तापमान यहां पर आपको तुरंत जमा सकता है, सभी तरह की केमिकल रियेक्शन यहां रूक जायेंगे और कभी भी आप कोई भी रियेक्शन इसके खुले वातावरण में नहीं कर पाओगे… घनघोर अंधेरे और पृथ्वी से 20 गुना कम ग्रैविटी के होने के नाते आप इस छोटे से प्लैनेट पर बहुत हल्का महसूस करोगे, आप यहां चलते वक्त ऐसा लगेगा जैसे आप उड़ से रहे हो। पर सबसे डरावनी जो बात यहां पर आपको महसूस होगी वो होगी घनघोर अंधेरा, सूर्य से बहुत- बहुत दूर होने के कारण आपको यहां कुछ नहीं दिखाई देगा, किसी भी तरह की कोई भी रोशनी आपको यहां नहीं मिलेगी और जीवन का नामो-निशान तो बहुत दूर की बात है। सेडना पर खड़े होकर आपको अपना सूर्य केवल एक छोटे से तारे जैसा दिखाई देगा, जो बहुत तेज चमक रहा होगा, वैज्ञानिकों की गणना बताती है कि सेडना से हमारा सूर्य हमारे चाँद से 100 गुना ब्राइट दिखेगा जो कि पृथ्वी से हमें 4 लाख गुना ब्राइट दिखता है, सेडना से पृथ्वी को आँखो से देख-पाना नामुमकिन है केवल एक शक्तिशाली टेलीस्कोप से ही आप यहां से पृथ्वी को देख सकते हो।
सेडना के आगे भी है हमारा सौर-मंडल
भले ही सेडना हमारे सौर मंडल का सबसे दूर खोजा गया एक प्लैनेट हो पर ये भी हमारे सोलर सिस्टम की अंतिम सीमा में नहीं आता है, सेडना के अलावा भी अरबों ऐसे पिंड और छोटे-छोटे प्लैनेट हो सकते हैं जो सूर्य का चक्कर लगाते हो, सेडना सोलर सिस्टम के जिस हिस्से में आता है उसे वैज्ञानिक इनर और्ट क्लाउड कहते हैं, यानि की ये और्ट क्लाउड के अंदरूनी घेरे के अंदर आता है, जो कि काइपर बेल्ट के बाद हमारे सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा भाग है।
Oort Cloud In Hindi
और्ट क्लाउड दो हिस्सो में बाटा गया है इनर ओर्ट क्लाउड और आउटर और्ट क्लाउड, जहां इनर और्ट क्लाउड की सीमा लगभग 2000 हजार ऐस्ट्रोनोमिकल युनिट पर शुरू हो जाती है और 20 हजार ऐस्ट्रोनोमिकल युनिट तक रहती है तो वही इसके बाहरी हिस्से के बारे में वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि ये घेरा जिसमें 1 किलोमीटर से बड़े खरबों पत्थर और बर्फ के कामेट्स हैं, शायद 20 हाजर से लेकर के 50 हजार ऐस्ट्रोनोमिकल युनिट से लेकर तक हो सकता है, ये इतना बड़ा घेरा है इसके अंतिम छोर पर हमारे वायेजर 1 Probe को पहुँचने में ही 13 हजार साल लग जायेंगे।
फिलहाल तो ये घेरा थ्योरी में ही अस्तित्व रखता है क्योंकि सूर्य की कम रोशनी और ओबजेक्टस का कम साइज होने के कारण इसे टेलीस्कोप से देख पाना लगभग असंभव ही है, वैज्ञानिक केवल यहां से आने वाले कोमेट्स के जरिए ही इसका केवल एक अनुमान लगाते हैं क्योंकि इन कोमेट्स को पृथ्वी पर आने में कई हजार साल लगते हैं, जिससे पता चलता है कि ये कोमेट्स शायद किसी विशाल घेरे में रहते हों जो हमारे सूर्य से बहुत -बहुत दूर है।
सेडना (Sedna Planet In Hindi) और और्ट क्लाउड (Oort Cloud in Hindi) की दुनिया बहुत ही रोमांचक और हैरान कर देने वाली है, जैसे-जैसे टेलीस्कोप और बड़े और पावरफुल बनते जायेंगे तब हम अपने सोलर सिस्टम के इस हिस्से को भी आसानी से देख सकेंगे, मुझे उस दिन का बहुत इंतजार है जब जेम्स बेव टेलीस्कोप चंद्रमा से भी आगे 12 लाख किलोमीटर दूर रहकर हमारे ब्रह्मांड को खोजेगा और ऐसे राज बतायेगा जो हमारे सोचने समझने की सीमा को ही बदल देंगे।