एक समय था जब हमारे सौर-मंडल में 9 ग्रह मौजूद थे। मैंने भी अपनी स्कूली जिंदगी में इतने ही ग्रहों के बारे में पढ़ा था। इन सभी ग्रहों की संरचना, कितने दिनों में ये ग्रह सूर्य के चारों तरफ चक्कर काट लेते हैं, इनके आकार और जलवायु के विषय में भी हम लोग स्कूल के भौतिक विज्ञान की पुस्तक में पढ़ते थे। परंतु एक ऐसा भी दिन आया, जब वैज्ञानिकों ने सौर-मंडल से जुड़ी एक बहुत ही बड़ी घोषणा कर डाली। वर्ष 2006 में उन्होंने कहा कि, प्लूटो (Pluto’s atmosphere is disappearing) अब सौर-मंडल के ग्रहों का हिस्सा नहीं है।
यकीन मानिए ये घोषणा पूरे अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में एक बहुत ही बड़ी घोषणा थी। साल 2006 में जब “International Astronomical Union” ने प्लूटो को (Pluto’s atmosphere is disappearing) सौर-मंडल से बाहर निकाल दिया तो, सदियों से कहीं जा रही प्लूटो कि कहानी अचानक से थम गई। समय मानो जैसे एक दम से बदल ही गया, लोगों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि, प्लूटो के बारे में उन्होंने जो पढ़ा था; क्या वो सब सच था या झूठ।
खैर एक जमाने में सबका प्यारा-दुलारा प्लूटो आज एक अजनबी सा बन गया है। और इसके बारे में में आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात भी करने जा रहा हूँ। जो कि शायद आपको कहीं और इतने बारीकी से पढ़ने को भी नहीं मिलेगा। तो, चलिए अब लेख को शुरू करते हुए इस विषय के ऊपर प्रकाश डालते हैं।
प्लूटो खो रहा है अपना वायुमंडल! – Pluto’s Atmosphere Is Disappearing! :-
सूर्य के चारों तरफ सौर-मंडल के बाकी ग्रहों कि तरह प्लूटो (Pluto’s atmosphere is disappearing) भी अपना ओर्बिट बनाता है। परंतु प्लूटो के बारे में खास बात ये हे कि, इसकी जो ओर्बिट है ये बहुत ही अंडाकार है। इसकी कारण हर 248 वर्षों में प्लूटो 20 वर्षों के लिए नेपच्यून के मुक़ाबले भी सूर्य के बहुत ही पास आ जाता है। आखिरी बार ये घटना साल 1979 से साल 1999 में देखी गई थी। मित्रों! उस वक़्त प्लूटो को विश्लेषण करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक स्पेसक्राफ्ट भी भेजा था।
2015 में जब प्लूटो के पास से ही “New Horizon” गुजरा, तब वैज्ञानिकों को पता लगा कि, प्लूटो का वायुमंडल बहुत ही तेजी से सघन(dense) हो रहा है। उनके हिसाब से हर 10 वर्षों में प्लूटो का वायुमंडल दो-गुने रफ्तार से सघन होता जा रहा है। फिर से बता दूँ कि, ये बात साल 2015 में वैज्ञानिकों को पता चलr। परंतु, ठीक इसके 3 वर्षों के बाद यानी साल 2018 में एक बहुत ही बड़ी घटना घटी, जिसने हर एक वैज्ञानिक को हैरान ही कर डाला।
2018 में पता चला कि, प्लूटो का वायुमंडल धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। कहने का तात्पर्य ये हैं कि, प्लूटो का वायुमंडल एक दिन पूरे तरीके लुप्त ही हो जाएगा। जो कि, एक बहुत ही चौंका देने वाली बात है। तीन साल पहले जहां हम प्लूटो के सघन होते हुए वायुमंडल कि बात कर रहें थे, वहाँ अब हम इसके लुप्त होने कि बात कर रहें हैं। बात हजम ही नहीं हो रही है।
वैज्ञानिकों का क्या कहना है! :-
वैज्ञानिकों ने प्लूटो के (Pluto’s atmosphere is disappearing) गायब होते हुए वायुमंडल के बारे में दुनिया को अक्टूबर 4, साल 2021 में बताया है। उन्होंने कहा कि, प्लूटो का वायुमंडल अब खत्म होने वाला है। उनके द्वारा किए गए नए शोध इस बात कि पुष्टि भी करते हैं। उनके हिसाब से प्लूटो के काफी अंडाकार ओर्बिट के कारण ये जल्द ही सूर्य से काफी दूर जाने वाला है। जिसके कारण प्लूटो का तापमान काफी तेजी से कम हो जाएगा। इससे इसका वायुमंडल अचानक से जम कर सतह के पास ढह जाएगा। मित्रों! बता दूँ कि, जब प्लूटो सूर्य से दूर चला जाएगा तब इसके सतह का तापमान -232 डिग्री सेल्सियस से भी काफी नीचे होगा।
तो आप खुद स्सोचिए कि, इतने कम तापमान में प्लूटो का वायुमंडल कैसे अपने अस्तित्व में रह सकता है। वैज्ञानिकों के हिसाब से साल 2015 से ही प्लूटो का वायुमंडल धीरे-धीरे बिखर रहा है। क्योंकि, इससे पहले प्लूटो का वायुमंडल काफी तेजी से सघन हो रहा था। प्लूटो कि खोज साल 1988 में हुई थी और तभी से ही हम लोगों ने इसे हमारे सौर-मंडल के 9 वें ग्रह के हिसाब से मानते आ रहे थे। हालांकि! साल 2006 में इसे ड्वार्फ प्लैनेट के तौर पर घोषित कर दिया गया। प्लूटो के खोज के दौरान उन्हें इसके पतले वायुमंडल के बारे में पता चला था।
प्लूटो के वायुमंडल को किया जा रहा हैl गहन विश्लेषण! :-
बहरहाल वैज्ञानिक फिर से एक बार प्लूटो (Pluto’s atmosphere is disappearing) के वायुमंडसल को विश्लेषण करने के लिए तैयार हो गए हैं। उन्होंने सुदूर इलाकों में मौजूद सितारों से आने वाले प्रकाश के किरणों को प्लूटो के वायुमंडल के साथ जोड़ कर इसके सघनता के बारे में पता लगाएंगे। वैज्ञानिकों के हिसाब से प्लूटो के वातावरण के कारण सुदूर इलाकों से आने वाले प्रकाश की किरणें 2 मिनट के लिए धुंधले हो जाएंगे। इससे वैज्ञानिकों को एक लाइट कर्व देखने को मिलेगा।
इसी लाइट कर्व के जारिए ही वैज्ञानिक प्लूटो के वायुमंडल के सघनता के बारे में पता लगाएंगे। खैर लाइट कर्व को विश्लेषित करते-करते इसकी मिरर इमैज के बारे में भी पता लगाएंगे। क्योंकि ये एक “W” आकार का आकृति भी बनाता है। वैसे वैज्ञानिकों की भाषा में इसे “Central Flash” कहते हैं। मित्रों! ये फ्लैश सिर्फ उन्हीं लोगों को दिखाई देता है, जो इसके सेंटर ऑफ लाइन में मौजूद रहेंगे। खैर ये घटना सिर्फ तभी संभव हैं, जब सुदूर सितारों से आने वाले प्रकाश की किरणें प्लूटो के वायुमंडल के कारण “अपवर्तित” या मुड़ने जाती हैं।
अपवर्तन (Refraction) है मुख्य कारण! :-
अपवर्तन के कारण ये प्रकाश की किरणें मूड कर प्लूटो के “सेंटर ऑफ शैडो” की और आ जाती हैं। वैसे इस फ्लैश को देख कर वैज्ञानिकों को ये यकीन हो जाता है की, वो प्लूटो के वायुमंडल का विश्लेषण सही जगह से कर रहें हैं। ये सारी बातें सुनने में बहुत ही ज्यादा जटिल लग रही होंगी, परंतु जब आप प्लूटो जैसे बहुत ही छोटे खगोलीय पिंड को देख रहें हैं, तो ये बातें काफी ज्यादा मायने रखती हैं।
जब प्लूटो के पीछे मौजूद सितारों से आने वाले प्रकाश के किरणें इसके वायुमंडल के कारण धुंधली हो जाती थी। तब वैज्ञानिकों को लगा कि, इसका वायुमंडल वाकई में हैं। साल 2015 में वैज्ञानिकों को पहली बार प्लूटो के वायुमंडल को करीब से परखने का मौका मिला था। क्योंकि, इससे पहले प्लूटो के वायुमंडल के इतने पास से हो कर कोई भी स्पेस-क्राफ्ट नहीं गुजरा था। खैर प्लूटो के वायुमंडल को अच्छे से परखा जा रहा हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
प्लूटो (Pluto’s atmosphere is disappearing) की सतह काफी ठंडी बर्फ से भरा हुई है। वैसे इसके वायुमंडल का ज़्यादातर हिस्सा नाइट्रोजन से भरा हुआ है, जो कि बर्फ से आने वाले वैपर प्रेसर से ही संतुलित रहता है। खैर जब प्लूटो सूर्य के पास आता होगा, तब इसके ऊपर जमे बर्फ पिघल कर वायुमंडल में चले आते होंगे। इसलिए इसका वायुमंडल पहले से ज्यादा फुला हुआ और बड़ा दिख रहा होगा।
वैसे अब जब प्लूटो सूर्य से दूर जा रहा है, तब प्लूटो की सतह के ऊपर फिर से बर्फ जमने लगी है, जो की इसके वायुमंडल में फिर से घटौती का कारण बनेगा। खैर एक खास बात ये है की, प्लूटो की सतह इतने तेजी से ठंडा नहीं हो रहा है। थर्मल इनर्सिया के कारण, अभी भी इसकी बर्फ के अंदर गर्मी बाकी है। ये ही वजह हे की, आज भी कुछ मात्रा में वायुमंडल प्लूटो में बचा हुआ है।
परंतु वैज्ञानिकों को लगता है कि, अभी ये ऊष्मा धीरे-धीरे ठंडी हो रही है, जिससे प्लूटो पर वायुमंडल धीरे-धीरे खत्म होने लगा है।
Source :- Southwest Research Institute