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इस्रो का मिशन हुआ फैल, जानिए आखिर क्या थी वजह! – Isro’s GSLV F-10 Mission Fails!

लगातार 14 सफल मिशनों के बाद ISRO को मिली ये पहली असफलता, आखिर क्या सिखलाती है!

हार और जीत किसी भी अंतरिक्ष मिशन के दो पहलू होते हैं। कभी हमें किसी मिशन में अभूतपूर्व सफलता मिलती है, तो कभी ऐसी असफलता जिसे भुलाना लगभग असंभव सा हो जाता है। परंतु फिर बात वो है कि, बिना प्रयास करे इस दुनिया में कुछ भी नहीं मिलता हैं। कोई भी सफल व्यक्ति या किसी सफल काम के पीछे कई सारे असफल प्रयास छुपे रहते हैं और इस बात का एक उदाहरण हमें निकट भूत काल में देखने को मिलते हैं। इस्रो (gslv f-10 mission fails) का जीएसएलवी मिशन आज नाकाम रहा है और दुनिया में इसको लेकर काफी चर्चाएँ चल रहीं हैं।

इस्रो का जीएसएलवी एफ-10 मिशन हुआ नाकाम! - GSLV F-10 Mission Fails.
इस्रो का कमांड सेंटर | Credit: Oplindia.

इसरो (gslv f-10 mission fails) का ये मिशन इस्रो तथा भारत के लिए एक बहुत बड़ी जीत हो सकती थी, अगर ये मिशन सफल होता तो। परंतु किसी कारण के लिए ये मिशन इसकी प्रारंभिक अवस्था में ही नाकाम हो गया। खैर हम आज के इस लेख में इसी नाकाम मिशन के बारे में जानेंगे, क्योंकि वही इंसान ही सफल होता हैं जो कि अपने द्वारा की गई गलती को पहचान कर उसे सुधारे। इसलिए आज का लेख आप सभी के लिए खास और जरूरी होने वाला है।

क्योंकि इसमें हम इस मिशन से जुड़ी छोटी-छोटी बातों को जानने का प्रयास करेंगे और देखेंगे कि आखिर कहाँ हमारी गलत हुई है या हो सकता है जिसकी वजह से ये मिशन असफल हुआ है।

2021 में इसरो का पहला लाँच मिशन हुआ फैल! – ISRO’S GSLV F-10 Mission Fails! :-

वैसे तो इसरो ने कई सारे मिशनों को पहले ही सफलता से अंजाम दे चुका है, परंतु साल 2021 अब तक इसरो के लिए कुछ खास नहीं रहा हैं। इस्रो का जीएसएलवी एफ-10 मिशन (gslv f-10 mission fails) फेल हो चुका है। अगस्त 12, 2021 को ही ये मिशन लाँचिग के समय असफल हो गया। इसरो के इस मिशन के अनुसार भारत पृथ्वी के ऊपर सर्वेक्षण के लिए एक सैटेलाइट को भेज रहा था, परंतु ठीक लाँचिग के तुरंत बाद ही ये मिशन ठप हो गया। हालांकि! अभी तक इसके बारे में और भी जानकारी आना बाकी है।

इस्रो का जीएसएलवी एफ-10 मिशन हुआ नाकाम! - GSLV F-10 Mission Fails.
आखिर क्यों हुआ ये मिशन असफल? | Credit: The Wire.

भारत के श्रीहरीकोटा  में मौजूद “सतीश धवन स्पेस सेंटर” से अगस्त 12, 2021 को ठीक 5:43 a.m में इस मिशन को शुरू किया गया था। बता दूँ कि, ये समय रॉकेट का लिफ्ट-ऑफ टाइम तथा। वैसे खास बात ये हैं कि 2017 से भारत का ये पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन हैं जो कि लिफ्ट-ऑफ के दौरान ही नाकाम हो गया। इस्रो के वैज्ञानिकों के मुताबिक 12 मंज़िला इमारत जितना ऊंचा इस्रो का जीएसएलवी (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) रॉकेट पहले तो ठीक-ठाक काम कर रहा था।

परंतु जब लौंचिंग का तीसरा चरण आया, तब ये रॉकेट अचानाक ही बंद हो गया। बता दूँ कि, लौंचिंग का ये तीसरा चरण रॉकेट का क्रायोजेनिक इग्निशन स्टैज” हैं। ये स्टैज रॉकेट को अपने निर्धारित रास्ते में रख कर अंतरिक्ष कि और ले जाता हैं। जब भी ये स्टैज सही तरीके से एक्टिवेट नहीं हो पाता हैं, तब पूरा लौंचिंग मिशन ही नाकाम हो जाता हैं। जैसा कि आज भारत के साथ हुआ भी हैं। हालांकि! मूल लौंचिंग टाइम से ये दुर्घटना 6 मिनट के बाद ही क्यों न हुआ हो।

आखिर कैसे हुआ ये मिशन नाकाम! :-

इसरो (gslv f-10 mission fails) की और से कहा गया है कि, ये मिशन अपने पहले दो चरणों में काफी ज्यादा अच्छे तरीके से सफल हुआ था। हालांकि! मिशन का तीसरा चरण यानी, क्रायोजेनिक अपर स्टैज” पूर्ण तरीके से नाकाम रहा, जिससे इसका असर पूरा मिशन पर ही पड़ने लगा। इस्रो के ऑफीसियल ट्विटर अकाउंट से लोगों को बताया गया हैं की, ये दुर्घटना महज एक टेक्निकल एरर ही था। इसके अलावा इस्रो के इन ट्विट्स से ये भी पता लगता हैं कि, इस्रो जिस तरह से इस मिशन को अंजाम देना चाहता था वो उस तरीके से इस मिशन को अंजाम नहीं दे पाया हैं।

इस्रो का जीएसएलवी एफ-10 मिशन हुआ नाकाम! - GSLV F-10 Mission Fails.
क्रायोजेनिक इंजन की तस्वीर | Credit: Wikimedia.

मित्रों! एक दुख की बात ये भी है कि, असफल लाँचिग के दौरान भारत ने अपने सेटैलाइट “EOS-03” को खो दिया है। हालांकि! ऐसा होना लाज़मी ही है, क्योंकि अकसर नाकाम लाँचिग के समय रॉकेट में लगा Pay-Load आमतौर पर क्षतिग्रस्त ही हो जाता है
। बता दूँ की, ध्वस्त हुआ सैटेलाइट इस्रो के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण था। ये अपने तरह में एक खास सैटेलाइट था जो की कई खास कामों को अंजाम देने वाला था। इस सैटेलाइट के जरिये इस्रो पृथ्वी को और बेहतर ढंग से विश्लेषित कर के समझने वाला था।

इसके अलावा ये सैटेलाइट अपने 10 साल के जीवन काल में भारत की रियल टाइम तस्वीरों को खींचने के साथ ही साथ, देश पर आने वाले प्राकृतिक आपदायों के बारे में भी सूचित करने वाला था। इस्रो के द्वारा ये भी बताया गया हैं की, इस सैटेलाइट के जरिये देश के कृषि और जंगल के रख-रखाव के क्षेत्र में काफी ज्यादा विकास देखने को मिल सकता था। जो की शायद इस मिशन के असफलता के  साथ ही खत्म हो गया।

अंतरिक्ष मिशन होते हैं काफी ज्यादा कठिन! :-

अगर आपको लगता हैं की, इतने सारे विद्वान वैज्ञानिकों के द्वारा बना इस्रो (gslv f-10 mission fails) का मिशन कमांड कभी असफल नहीं सकता तो; आपको बता दूँ की इससे पहले भी इस्रो कई बार असफल रहा हैं। हालांकि! मेरा बिलकुल भी ये मतलब नहीं हैं कि, इस्रो हमेशा ही नाकाम रहा हैं। आप लोगों को बता दूँ कि, दुनिया के सबसे सफल अंतरिक्ष संस्थाओं में इस्रो का नाम आता हैं। कम लागत में बड़े-बड़े मिशनों को पहले ही अटैम्प्ट में इस्रो ने सफल बनाया हैं। उदाहरण के लिए आप मंगलयान” के मिशन को ही देख सकते हैं।

Parts of Isro's Rocket.
इस्रो के रॉकेट का मुख्य पार्ट्स | Credit: Research Gate.

खैर वर्तमान में मिला ये नाकाम मिशन इस्रो का एक बहुत ही बड़ा रिकॉर्ड को तोड़ दिया हैं। इससे पहले इस्रो ने लगातार 14 बार सफलता के साथ जीएसएलवी रॉकेट को अंतरिक्ष में छोड़ने में सफल हुआ था। जी हाँ! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना कुल 14 बार। इससे पहले 2017 में इस्रो का पोलर सैटेलाइट लौंचिंग व्हीकल” नाकाम हुआ था। उस समय ये छोटा रॉकेट भारत के लिए नैविगेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले एक सैटेलाइट को लेकर लौंच हुआ था। परंतु, दुख कि बात ये हैं कि; ये मिशन अपने प्रारंभिक अवस्था में ही नाकाम हो गया था।

2017 में मिली नाकामी, इस्रो के लिए एक बहुत बड़ी हार थी। क्योंकि, उस तरह कि नाकामी इस्रो को बीते 20 सालों में एक बार भी नहीं मिली थी। हालांकि! साल 2020 भारत के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक तरह से बुनियादी ढाँचे का काम किया। पिछले साल कई सारे मिशनों को ट्रायल बैसिस पर आजमाया गया था और कई सारे लौंचिंग प्रैक्टिसेस भी किए गए थे।

निष्कर्ष – Conclusion :-

साल 2020 में भारत ने “EOS-01” सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लौंच किया था। काफी लोगों को ये पता नहीं होगा कि, ये वही सैटेलाइट हैं जिसने भारत को देश के अंदर कोरोना से लढने के लिए काफी ज्यादा ताकत दिया था। नवंबर के महीने में भारत ने इस सैटेलाइट को पृथ्वी के लोवर ओर्बिट में रख दिया था। हालांकि! ऐसे ही कई सारे मिशनों को अंजाम देने में इस्रो अभी सोच रहा हैं। ये मिशन जो आज नाकाम (gslv f-10 mission fails) हो चुका हैं, इसे इस्रो मार्च के महीने में ही शुरू करने वाला था।

Photo of ESO-03 Satellite.
ईओएस-03 सैटेलाइट जैसे सैटेलाइट की फोटो | Credit: Wikipedia.

परंतु महामारी ने इस मिशन को रोके रखा। खैर आने वाले समय में यानी 2021 के अंत तक इस्रो इस तरह के कई और मिशनों को अंजाम देगा। वैसे हमें शायद अगला मिशन सितंबर में देखने को मिल सकता था, परंतु इस मिशन के नाकामी के कारण अभी आने वाले मिशन भी स्थगित हैं। बता दूँ कि, इस्रो के कुल पाँच मिशन अभी आने बाकी हैं।

खैर जो भी हो परंतु व्यक्तिगत रूप से मुझे ऐसा लगता हैं कि, ये हार जो आज हमें मिली हैं आने वाले समय में यही हार हमारे लिए एक सबक बन कर सफलता कि कारण बनेगा। इस्रो के वैज्ञानिकों को हमें प्रोत्साहन देना चाहिए, क्योंकि हमारे लिए ही वे लोग दिन-रात काम कर रहें हैं। ताकि भारत कि भलाई हो, आपकी भलाई हो!


Source :- www.space.com.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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