बचपन से ही विज्ञान के बारे में जानना हर किसी को पसंद होता है। इसलिए हमारे स्कूल के अंदर विज्ञान से जुड़े कई सारे विषय रहते हैं। मूलतः हमारी दुनिया विज्ञान के कुछ मूलभूत सिद्धांतों के ऊपर काम करता हैं और इन मूलभूत बातों के बारे में जानना एक अनिवार्य विषय ही बन जाता है। बचपन से ही हमें पदार्थ (plasma 4th state of matter) और उनके गुणों के बारे में काफी कुछ बताया गया है। भौतिक विज्ञान में पदार्थ के गुणों के बारे में शायद हर किसी ने जाना होगा। परंतु इस विषय में अब एक बहुत ही बड़ी ट्विस्ट आ गई है।
तो, पदार्थ (plasma 4th state of matter) के गुणों में आने वाली ये ट्विस्ट क्या हैं? जरा ठहरिए! इतनी जल्दी भी क्या हैं। मित्रों! हमने अपने छात्र जीवन से ही पदार्थ के अवस्थाओं के बारे में जाना हैं। हमारे गुरुजी स्कूल में हमें बताते हैं कि, पदार्थ के मूल रूप से तीन अवस्थाएं होती हैं और ये तीन अवस्थाएं ठोस (सॉलिड), तरल (लीक्विड) और गैस हैं। अब आपको लगेगा कि, पदार्थ के अवस्थाओं के बारे में अब कौन सी नई बात आ गई। तो मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, पदार्थ के अवस्थाओं से जुड़ी एक बहुत ही बड़ी बात सामने आयी हैं।
मित्रों! इसी विषय के बारे में आप लोगों को विस्तार से बताने के लिए हमने इस लेख को प्रकाशित किया हैं। तो आशा करता हूँ कि, आप हमारे इस लेख में अंत तक जुड़े रहेंगे।
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पदार्थ के इस चौथे अवस्था के बारे में आपने शायद नहीं जाना होगा! – Plasma 4th State Of Matter
लेख के इस भाग को हम प्लाज़्मा (plasma 4th state of matter) क्या हैं, उससे शुरू करेंगे। ज़्यादातर लोगों को लगता हैं कि, प्लाज़्मा एक तरह कि गैस है जो कि गैस के श्रेणी में आने वाला पदार्थ है। परंतु आप लोगों को बता दूँ कि, ये बात बिलकुल भी सच नहीं हैं। प्लाज़्मा और गैस कभी भी एक समान नहीं हो सकते हैं। क्योंकि इन दोनों ही पदार्थों (पदार्थ के अवस्था) का गुण बहुत ही ज्यादा अलग हैं। ये दोनों ही बहुत ही अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। तो फिर सवाल उठता हैं कि, आखिर ये दोनों ही पदार्थ के अवस्थाएं एक-दूसरे से कैसे अलग हैं?
मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, गैस की तरह प्लाज़्मा का भी कोई सटीक आकार और घनत्व नहीं होता है। परंतु हैरानी कि बात ये है कि, प्लाज़्मा सॉलिड और लीक्विड से कम सघन होते हैं। तो आप कह सकते हैं कि, प्लाज़्मा गैस, लीक्विड और सॉलिड किसी भी अवस्था में फिट नहीं बैठ रहा है। इसलिए इसे एक पदार्थ की अलग ही अवस्था के तौर पर माना गया है। वैसे साधारण गैसों से विपरीत प्लाज़्मा कई सारे परमाणु से बना हुआ होता है, जिसके अंदर इलेक्ट्रॉन नहीं होते है।
वैसे इलेक्ट्रॉन का न होना, प्लाज़्मा के अंदर सकारात्मक चार्ज को बढ़ावा देता है। यही कारण है कि, प्लाज़्मा के अंदर न्यूक्लियस के पास हमेशा पॉज़िटिव चार्ज रहता है। वैसे हम इसे आयन (Ions) कहते हैं, जो कि प्लाज़्मा के अंदर बिना किसी रोक टोक के घूमते रहते हैं।
प्लाज़्मा के कुछ अनोखे गुण!
मित्रों! लेख के इस भाग में हम प्लाज़्मा (plasma 4th state of matter) के कुछ अनोखे गुणों के बारे में जानेंगे। तो इसे जरा गौर से पढ़िएगा। आपको पहली नजर में लगेगा कि, गैस और प्लाज़्मा के अंदर काफी समानताएं है, परंतु ऐसा नहीं हैं। गैस और प्लाज़्मा के बीच काफी सारे असमानताएं हैं। इसलिए तो ये दोनों ही अलग-अलग हैं। गैस मूल रूप से न्यूट्रल अनु और परमाणु से बना हुआ होता है। जो कि इस बात को पुष्टि करता है कि, गैस के अंदर इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन कि संख्या बराबर है। इसलिए गैस के अंदर चार्ज न्यूट्रल रहता है।
परंतु अगर हम प्लाज़्मा कि और देखें तो, ये एक चार्ज़्ड पदार्थ का रूप है। जहां पर आप हमेशा ही प्लाज़्मा को सकारात्मक चार्ज से लैस पाएंगे। हालांकि! इसमें भी कुछ अपवाद है। प्लाज़्मा के अंदर कई बार आप नैगेटिव चार्ज को भी देख सकते है। जो कि इस बात को दर्शाता है कि, अगर प्लाज़्मा इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करता है तो वो नैगेटिवली चार्ज़्ड हो जाएगा और अगर ये इलेक्ट्रॉन को त्याग देता है तो वो पॉजिटिव चार्जड हो जाएगा। इसलिए आप कई बार प्लाज़्मा को अलग-अलग चार्ज में देख भी सकते हैं।
वैसे प्लाज़्मा के चार्ज में होने वाले बदलाव को “Ionization” कहते हैं। मित्रों! अब आप सोच रहें होंगे कि, पदार्थ की ये अवस्था दूसरे अवस्थाओं से आखिर कैसे अलग हैं! तो मैं आप लोगों को बता दूँ कि, पदार्थ की इसी अवस्था से ब्रह्मांड के ज़्यादातर नक्षत्र बने हुए हैं। इसके अलावा पूरे ब्रह्मांड में आप पदार्थ को इसी अवस्था में देखेंगे। इसलिए पदार्थ का ये अवस्था बाकी अवस्थाओं से काफी ज्यादा खास हैं। वैसे आपको पदार्थ के इस अवस्था के बारे में क्या लगता हैं, कमेंट करके जरूर ही बताइएगा।
प्लाज़्मा के अंदर मौजूद चार्ज़्ड पार्टिकल्स का रहस्य! :-
प्लाज़्मा (plasma 4th state of matter) के अंदर मौजूद चार्ज़्ड पार्टिकल बहुत सारे चीजों को हमारे लिए उलझन में डाल देता है, जिसके बारे में अभी हम बातें करेंगे। प्लाज़्मा के अंदर चार्ज होने के कारण इसमें आप मैग्नेटिक फील्ड और इलेक्ट्रोस्टेटिक (Electrostatic Force) फोर्स को देख सकते हैं। ये दोनों ही बल प्लाज़्मा को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं। गैस से विपरीत प्लाज़्मा बिजली को अपने अंदर से प्रवाहित कर सकती हैं। गैस में बता दूँ कि, बिजली प्रवाहित नहीं हो सकती हैं। इसलिए प्लाज़्मा के अंदर आप मैग्नेटिक फील्ड में बदलाव देख सकते हैं।
इसके अलावा अगर आप गैस में मौजूद कणों को देखें तो, आपको पता चलेगा कि, इसका हर एक कण एक समान ही ढंग से रियेक्ट करता है। तो, अगर आप किसी डिब्बे के अंदर गैस को ठंडा कर देते हैं तब गैस में मौजूद कण एक ही स्पीड पर सफर करेंगे। मित्रों! औसतन हर एक गैस का कण एक-दूसरे पर निर्भर रहता हैं। क्योंकि, आपस में होने वाले टक्करों से ही ये कण एक-दूसरे को ऊर्जा ट्रांसफर कर पाते हैं। इसलिए हर एक एक ही तरह बर्ताव करता हैं। इसलिए आप इन कणों को बिलीयर्ड में इस्तेमाल होने वाले बॉल्स के साथ भी तुलना कर सकते हैं।
क्योंकि, बिलीयर्ड में गेंद एक-दूसरे से टकरा कर ही ऊर्जा को ट्रांसफर करते हैं। जिससे सभी गेंदें अपने जगह से दूर जा पाते हैं। परंतु, प्लाज़्मा के क्षेत्र में ऐसा नहीं हैं। प्लाज़्मा के जरिये पैदा होने वाला मैग्नेटिक फील्ड प्लासमा के अंदर मौजूद कणों के लिए इतना ज्यादा थ्रस्ट पैदा करता हैं की, प्लाज़्मा के कण स्वतः एक से दूसरी जगह सफर कर लेते हैं। इसके अलावा प्लाज़्मा ज्यादा सघन न होने के कारण इसके कण आपस में नहीं टकराते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! आज के इस लेख में हमने प्लाज़्मा (plasma 4th state of matter) के बारे में कई सारे बातों को जाना। परंतु, क्या आप जानते हैं प्लाज़्मा केवल अंतरिक्ष में ही महत्वपूर्ण किरदार नहीं अदा करता; बल्कि ये हमारे रोजमर्रा के जीवन में भी काफी जरूरी है। हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले बत्ती (Fluorescent Light Bulb) में इस्तेमाल होता हैं। मित्रों! इन बत्तियों में एक गैस ऐसा होता हैं जो की प्लाज़्मा के अवस्था में चला जाता है। जब -अत्यधिक-हाइ वोल्टेज के कारण ये गैस प्लाज़्मा में बदल जाता है, तब इसके अंदर बिजली प्रवाहित होने लगती है।
वैसे गैस में मौजूद इलेक्ट्रॉन जब प्लाज़्मा के हाइयर एनर्जी लेवल से लोवर एनर्जी में आते हैं, तब ये फोटोन के कणों को पैदा करते हैं। दोस्तों! आप लोगों को बता दूँ की, ये फोटोन के कण ही रोशनी के तौर पर बिजली के बत्ती से आपको निकलता हुआ नजर आता हैं। वैसे प्लाज़्मा का इस्तेमाल “प्लाज़्मा TV” में भी होता है। जिसके काम करने का ढंग बिजली के बत्ती/बल्ब (Fluorescent Light Bulb) के जैसा ही है।
Source:- www.livescience.com.