इस समय वायेजर 1 और वायेजर 2 ये दोनों अंतरिक्ष यान मानवों द्वारा ब्रह्मांड में भेजे गये सबसे दूर गये यान हैं, पृथ्वी से 24 अरब किमी दूर ये यान आज इतने आगे हैं कि लाइट को इन तक पहुँचने में 22 घंटे लगते हैं। प्रकाश की गति से आप 1 सेकेंड में पृथ्वी की सात परिक्रमा कर सकते हैं, तो सोचो ये यान कितने दूर हैं कि इनतक पहुँचने में ही लाइट को भी 1 दिन के बराबर समय लगता है। पर वायेजर 1 और 2 ही अबतक के सबसे दूर भेजे गये स्पेस प्रोब है ऐसा नहीं है,नासा इनसे भी पहले कई स्पेस प्रोब भेज चुका है जो इतनी ही दूरी पर आज भी ब्रह्मांड (Pioneer 10 In Hindi) में भटक रहे हैं , तो आइये जानते हैं कि ये सभी अंतरिक्ष यान कौन से हैं और नासा ने इन्हें कब लाँच किया था और आज ये पृथ्वी से कितनी दूर हैं।
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पायोनियर 10 (Pioneer 10) 1972 में लाँच
साल 1972 में नासा ने पायोनियर 10 (Pioneer 10) नाम का स्पेस प्रोब लाँच किया था। इसका काम सौर-मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति(Jupiter) की बेहद पास से इमेजेस (Images) लेने का था। ये विश्व का पहला ऐसा स्पेसक्राफ्ट था जिसने मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच में आने वाले उल्कापिंड के घेरे एस्टेरॉयड बेल्ट (Asteroid Belt) को पार किया।
पृथ्वी से लाँच होते ही इसने 11 घंटो में ही चांद को भी पार कर लिया उसके बाद मंगल ग्रह और उल्कापिंड घेरे को पार करने के बाद जूपिटर से 25 लाख किमी की दूरी पर पायोनियर 10 (Pioneer 10 In Hindi) ने ग्रह की इमेजेस लेने शुरू करदीं, और करीब 500 से ज्यादा इमेजेस उसने नासा को पृथ्वी पर भेंजी, लाँच होने के 21 महीने के बाद पायोनियर 10 जूपिटर से केवल 1 लाख 32 हजार किलोमीटर दूर था।
पायोनियर 10 (Pioneer 10 In Hindi) बृहस्पति के बेहद पास से गुजरा था, यहां से इस ग्रह की इमेज लेने का बाद उसने इसके कई चंद्रामाओं का भी अन्वेषण किया। ये पहला यान था जो बृहस्पति के सबसे करीब था। उस समय वैज्ञानिक इस प्रोब पर जूपिटर की भयानक रेडियेशन के पड़ने वाले प्रभाब को देखकर हैरान रह गये थे।
पृथ्वी के आइन रेडिएशन से भी 10 हजार गुना ज्यादा रेडियेशन ये स्पेस प्रोब झेल रहा था। इसके कारण कई बार इसके इंस्ट्रुमेंट फाल्स कमांड जनरेट कर रहे थे, जबरदस्त रेडियेशन के कारण पायोनिय़र 10 जूीपिटर के चंद्रमा IO की इमेज के साथ-साथ जूपिटर की भी बेहद करीब की तस्वीरों को खो देता है।
कई चंद्रमाओं और ग्रहों का अन्वेषण (Exploration)
हालांकि बृहस्पति से थोडा दूर जाते ही ये गेनीमिड और यूरोपा की इमेज लेने में कामयाब रहता है। इसकी पावरफुल ग्रेविटी से ये स्पेसक्राफ्ट अपनी स्पीड और बढ़ा लेता है, और तीन साल के अंदर ही 1976 में ये शनि ग्रह की ओरबिट को पार करने में कामयाब रहता है।
उसके बाद ये साल 1983 और अपने लाँच होने के 11 साल बाद ये नेप्युचन ग्रह को भी क्रास कर लेता है, इस समय ये इंसानों द्वारा बनाया गया पहला औबजेक्ट होता है जो सोलर सिस्टम के सभी विशाल ग्रहों को पार करकर डीप स्पेस में चला गया हो।
इसके बाद 14 सालों तक लगातार काम करते हुए नासा पायोनियर 10 मिशन को खत्म कर देता है। सूर्य से 10 अरब किमी दूर होने के कारण इसके सिग्नल डीप स्पेस नेटवर्क को बेहद कम ही मिल पाते हैं। पर पायोनीर 10 में अब भी जान होती है, साल 2003 में ये स्पेस प्रोब अपना अंतिम सिग्नल नासा को देकर हमेशा के लिए अनंत ब्रह्मांड की ओर निकल जाता है।
कहां है पायोनियर 10 ?
इस समय ये स्पेसप्रोब 12 किमी प्रति सेकेंड की गति पर इंटरस्टैलर स्पेस में यात्रा कर रहा है। ये वायेजर 1 के बाद दूसरा सबसे दूर मौजूद स्पेसप्रोब है। वायेजर 2 से ये आज भी 30 करोड़ किमी दूर है, पर दो साल बाद वायेजर 2 इसे पीछे कर देगा। अगर इसके इंटरस्टैलर ट्रैवल की बात की जाये तो ये स्पेसप्रोब जिस रास्ते पर है, तो इसे अपने सबसे नजदीकी स्टार पर जाने में अभी 20 लाख साल लगगें। पृथ्वी से 68 प्रकाश वर्ष दूर Aldebaran star पर ही इस स्पेसप्रोब की नई मंजिल है।
पायोनियर 10 के बाद नासा ने पायोनियर 11 को भी जूपिटर की ऐक्सपलोरेशन के लिए भेजा था, इस प्रोब ने भी इस ग्रह की कई इमेजेस लीं ये पायोनियर 10 से भी बृहस्पति ग्रह के और नजदीक जाकर के उसके लाल विशालकाय तूफान की इमेज लेने में कामयाब रहा।
पायोनियर 11 इन इमेजेस ने पहली बार वैज्ञानिकों को बृहस्पति, शनि और उनके चंद्रमाओं को सामने देखने का मौका दिया। साल 1995 में अपने मिशन के 21 वे साल में इस प्रोब का संपर्क नासा से टूट गया पर ये अभी भी इसी सौरमंडल का हिस्सा है और अब इंटरस्टैलर स्पेस में जा चुका है।
कहां है पायोनियर 11 ?
इस समय ये पृथ्वी से 17 अरब किमी दूर है और लगातार 11 किमी प्रति सेकेंड की स्पीड से हमसे दूर हो रहा है। अगर इसकी प्रक्षेपवक्र (trajectory) को देखें तो ये स्कूटम तारामंडल (Scutum constellation) की ओर बढ़ रहा है।
जहां ये पृथ्वी से 104 प्रकाश वर्ष दूर एक K-Type तारे के बेदह पास से होके गुजरेगा। इसे इस तारे तक पहुँचने में अभी 9 लाख 28 हजार साल लगने वाले हैं, पायोनीर 11 इन 9 लाख सालों बाद ही किसी स्टार के बहुत करीब होगा और उम्मीद है कि तभी कोई एडवांस सिविलाईजेशन इसे डिटेक्ट भी कर सके, पर इसके चांस बेहद बेहद कम हैं। पायोनियर 10 (Pioneer 10 In Hindi) और पायोनियर 11 और वायेजर 1 और वायेजर 2 40 साल पहले लाँच किये थे, इसलिए ये अभी हमसे बेहद दूर हैं।
पर इन सभी स्पेस प्रोब्स के अलाबा भी एक ऐसा प्रोब है जिसे केवल 15 साल पहले ही लाँच किया है और ये अपनी स्पीड से पायोनीर 11 और 10 को पीछे करने का भी दम रखता है।
न्यू होराइजन प्रोब – New Horizons Probe
पृथ्वी से इस समय 7 अरब किमी दूर न्यू होराइजन प्रोब साल 2006 में प्लूटो के मिसन के लिए भेजा गया था। इसने पहली बार प्लूटो की हाई क्ववालिटी इमेजेस लेकर वैज्ञानिकों को हारन कर दिया था। प्लूटो जिसे पहले ग्रह माना जाता था, अब एक ड्वार्फ प्लैनेट है, अपनी अजीब ओरबिट और पृथ्वी के चांद से भी छोटे होने के कारण इसे इस कैटेगरी में रखा गया है।
न्यू होराइजन को प्लूटो तक पहुँचने में 9 साल लगे, यहां पहुँचकर इस प्रोब ने प्लूटो और उसके एकमात्र चंद्रमा केरोन की सतह का मैप बनाया और उनके वातावरण को ऐनेलाइज किया। इस समय ये प्रोब सौरमंजडल के काइपर बेल्ट को पार कर रहा है।
पृथ्वी से 51 AU दूर और कहें तो 760 करोड़ किमी दूर ये प्रोब लगातार 14 किमी पर सेकेंड की स्पीड से इंटरस्टैलर स्पेस की ओर जा रहा है, वैज्ञानिक मानते हैं कि इस स्पीड से ये प्रोब साल 2038 में सूर्य के हीलियोस्फेर को पार करके इंटरस्टैलर स्पेस में पहुँच जायेगा।
भविष्य !
भविष्य में न्यु होराइजन प्रोब पायोनियर 10 (Pioneer 10 In Hindi) और 11 को पीछे छोड दे पर ये वायेजर 2 और वायेजर 1 को कभी भी पीछे नहीं कर पायेगा। कई प्लैनेट्स के द्वारा ग्रेविटेशनल स्लिंगसोट के कारण वायेजर प्रोब्स इस समय सबसे तेज इंटरस्टैलर प्रोब्स बन चुके हैं। इसिलए इन्हें फिलहाल कोई भी स्पेस प्रोब पीछे नहीं कर सकता है।
अगर भविष्य में कोई स्पेस ऐजेंसी इनसे भी ज्यादा तेज गति का स्पेस प्रोब बनाती है तो वो शायज इनसे भी आगे जाकर के मानव सभ्याता का संदेश पूरी आकाशगंगा में सुना सकता है। पर ये कब होगा कोई नहीं जानता है।
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