चाँद के बाद अगर किसी खगोलीय पिंड के ऊपर इंसानों ने बहुत ही ज्यादा गहन शोध किया है, तो वह है मंगल (Mars Facts In Hindi)। चाँद के ऊपर 1969 में लैंड करने के बाद इंसानों ने अब मंगल के ऊपर अपना कदम थमाने की कोशिश में हैं। वैसे पृथ्वी के बाद मंगल ही एक ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन पनपने की कई आसार नजर आते हैं। नहीं तो पूरे सौर-मंडल में अन्य किसी जगह जीवन के पनपने की विचार भर से ही डर लगता हैं। मंगल की आकार और इसका वायुमंडल लगभग पृथ्वी के भांति ही हैं।
वैसे दोस्तों! मंगल के (mars facts and details in hindi) बारे में मैंने इससे पहले ज्यादा कुछ चर्चा नहीं किया हैं, तो आज इसी कमी को पूरा करने के लिए इस लेख में हम लोग इस गज़ब की ग्रह (मंगल) के ऊपर गहन चर्चा करेंगे। चर्चा के अलावा हम इस ग्रह से जुड़ी मूलभूत बातों को जानेंगे व परखेंगे और समझेंगे भी। इसके साथ ही साथ मेँ आप लोगों को मंगल से जुड़ी कुछ बेहद ही रोचक तथ्यों को भी बताऊंगा।
तो, हर किसी के लिए यह लेख बेहद ही महत्वपूर्ण होने वाला है। इसलिए आप लोगों से अनुरोध हैं की, इसे आरंभ से लेकर अंत तक अवश्य ही पढ़िएगा।
विषय - सूची
मंगल से जुड़ी कुछ मूलभूत व ध्यान में रखने वाली बातें – Basic Information About Mars In Hindi :-
जैसा की हर किसी को पता हैं, मंगल हमारे सौर-मंडल में मौजूद एक ग्रह है जो की सूर्य से दूरी के आधार पर चौथा सबसे निकट ग्रह हैं। इसके अलावा यह पृथ्वी का पड़ोसी ग्रह भी हैं। इसे अकसर “लाल ग्रह” भी कहा जाता हैं, क्योंकि इसका सतह लाल रंग (आइरन ऑक्साइड के कारण) की भांति दिखाई पड़ता हैं। पृथ्वी के भांति ही मंगल (mars facts and details in hindi) पत्थरों व धातुओं से बना हुआ एक ठोस ग्रह हैं। इस ग्रह के ऊपर आपको रेगिस्तान, घाटियां, पहाड़ें और ध्रुवीय इलाकों पर जमी हुई बर्फ भी देखने को मिलेगा।
पृथ्वी के भांति ही इस ग्रह पर आपको तरह-तरह के ऋतु देखने को मिलती हैं, क्योंकि पृथ्वी और मंगल की अपने अक्ष व कक्षा में घूमने की गति लगभग एक समान ही हैं। इसके अलावा मंगल के ऊपर साल 1965 से ही वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यानों से खोज करना शुरू कर दिया था, परंतु विडंबना की बात यह है की अभी तक इसके ऊपर कोई भी इंसानी अंतरिक्ष यात्रीओं का दल उतरने में सक्षम नहीं हो पाया हैं।
आकार में मंगल पृथ्वी का आधा हैं और इसका कुल स्थल भाग का क्षेत्र फल पृथ्वी के कुल स्थल भाग (सूखा स्थल भाग) के क्षेत्र फल से सिर्फ थोड़ा ही कम हैं। घनत्व में यह पृथ्वी के कुल घनत्व का 15% है और वजन में 11% हैं। मंगल का केंद्र आइरन, निकल और सल्फर से बना हुआ हैं और इसका व्यास 1,115 मिल लंबा हैं। केंद्र के बाहर सट कर सिलिकन, अल्लुमिनिउम, कैल्सियम, पॉटेशियम की एक परत मौजूद हैं जिसे की “मेंटल” (Mantle) भी कहा जाता हैं। वैसे गौरतलब बात यह है की, पृथ्वी और मंगल का बाहरी परत यानी “क्रस्ट” (Crust) लगभग एक समान यानी 40 km तक मोटी हैं।
मंगल से जुड़ी कुछ ध्यान में रखने वाली तथ्य :- Things To Be Remembered About Mars.
मित्रों! मैंने यहाँ पर मंगल (mars facts and details in hindi) से जुड़ी कुछ बेहद ही मौलिक तथ्यों को आपको बताया हैं, इसलिए लेख के इस भाग को थोड़ा गौर से पढ़िएगा।
- Equatorial Diameter (भू-मध्य व्यास) :- 3,396 km.
- Polar Diameter (ध्रुवीय व्यास) :- 3376 km.
- Mass (द्रव्यमान) :- 6.4171 x 10^23 kg.
- Moons (चंद्रमा) :- 2.
- Orbit Distance (कक्षा):- 22.8 करोड़ km.
- Orbit Period (सूर्य का एक चक्कर) :- 687 दिन।
- Surface Temperature (सतह का तापमान) :- −63 °C से 20 °C।
मित्रों! ऊपर मैंने मंगल से जुड़े जिन तथ्यों को आपको बताया हैं, इसे आप अवश्य ही याद रखिएगा क्योंकि यह आपके अवश्य ही काम में आयेगा। खैर अब चलिये आगे मंगल से जुड़ी कुछ रोचक तथ्यों को जानते हैं।
मंगल से जुड़ी कुछ दिलचस्प तथ्य – Mars Facts And Details In Hindi :-
अकसर लोग मंगल से जुड़ी मिशनों के बारे में तरह-तरह की चर्चा करते रहते हैं, परंतु कभी भी वह मंगल से जुड़ी दिलचस्प (mars facts and details in hindi) के बारे में बात नहीं करते हैं, जिसके कारण उन्हें इस ग्रह की कई चौंका देने वाली बातों के बारे में पता नहीं चलता हैं। तो, मित्रों चलिए आज क्यों न मंगल से जुड़ी उन चौंका देने वाली बातों को ही जान लिया जाए! आपका क्या ख्याल हैं? शायद आप भी मेरी तरह उन तथ्यों को जानने के उत्सुक हैं!
1. सौर-मंडल में मौजूद सबसे ऊंचा पहाड़ मंगल पर ही हैं !:-
मित्रों! आपको जानकर हैरानी होगा की, सौर-मंडल में मौजूद सबसे ऊंचा पहाड़ पृथ्वी का “माउंट एवरेस्ट” नहीं हैं। अकसर लोगों को माउंट एवरेस्ट ही सौर-मंडल का सबसे ऊंचा पहाड़ लगता हैं, परंतु बता दूँ की हकीकत में मंगल पर मौजूद “ऑलिंपस मोन्स” (Olympus Mons) ही सौर-मंडल का सबसे ऊंचा पहाड़ हैं।
600 km क्षेत्र में फैला हुआ यह 21 km ऊंचा पहाड़ माउंट एवरेस्ट से लगभग 2.5 गुना ज्यादा ऊंचा हैं। वैसे मूल रूप से यह पहाड़ सदियों से हो रहे ज्वालामुखी के विस्फोट से बनी हुई हैं।
2.बहुत ही कठिन हैं मंगल पर मिशन को सफलता के साथ अंजाम देना :-
इंसानों ने मंगल को अपना दूसरा घर बनाने की कोशिश में अब तक 40 से ज्यादा मिशनों को अंजाम दे चुके हैं, परंतु खेद की बात तो यह हैं की, अब तक सिर्फ 18 मिशन ही ऐसे रहें हैं जो की सफलता के साथ पूर्ण हुएं हो। वैसे एक और अजीब बात यह भी है की, जब भी मंगल पर कोई नया मिशन अंजाम दिया जा रहा होता हैं, तब उसके सफल होने के बहुत ही कम आशा होती हैं।
परंतु इसका मतलब यह नहीं हैं की, मंगल के (mars facts and details in hindi) ऊपर मिशनों को अंजाम देना नामुमकिन ही हैं। मित्रों! अंतरिक्ष में किया जाने वाला कोई भी मिशन कठिन ही होता हैं।
3. सौर-मंडल की सबसे बड़ा धूल का तूफान मंगल पर ही होता हैं ! :-
अगर आप आने वाली भविष्य में मंगल पर घर बसाने की सोच रहें हैं, तो थोड़ा ठहरिए। क्योंकि मंगल पर पूरे सौर-मंडल की सबसे भयानक धूल का तूफान उठता हैं। इस तूफान के दौरान पूरा ग्रह धूल की चादर से घिरा रहता हैं। वैज्ञानिकों का कहना है की, मंगल पर होने वाले धूल के तूफान कई महीनों तक चलते ही रहते हैं।
4. पृथ्वी के तुलना में मंगल पर सूर्य आकार में आधी दिखाई पड़ता हैं :-
जब भी आप दिन में सूर्य की और देखते हैं, तो वह हमेशा आपको एक जगमगाता हुआ प्रकाश की पिंड की भांति ही प्रतीत होंगे। परंतु क्या आप जानते हैं! अगर आप मंगल पर हैं और सूर्य को देखते हैं, तो आकार में सूर्य आधी ही वहाँ दिखाई पड़ेगा। वैसे मेँ बता दूँ की, सूर्य से मंगल की दूरी ही इस की वजह हैं।
वैसे तो पृथ्वी से सूर्य की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर हैं, परंतु मंगल से सूर्य की दूरी लगभग 22.8 करोड़ किलोमीटर हैं। इसलिए सूर्य के आकार में इतनी ज्यादा बदलाव आता हैं।
5. मंगल हैं युद्ध के देवता ! :-
मित्रों! हर किसी ग्रह के नाम के पीछे कई राज छुपे होते हैं और मंगल के नाम के पीछे भी ऐसे ही कई सारे राज छुपे हुए हैं। खैर बता दूँ की, मंगल को प्राचीन रोमन साम्राज्य के लोग अपना “युद्ध के देवता” मानते थे। मंगल का रंग लाल होने के कारण उस समय के लोगों को लगता था की, यह ग्रह ही उनके युद्ध के देवता हैं।
क्योंकि युद्ध के दौरान जहां खून की होली खेली जाती हैं, उस जगह की मिट्टी जैसे लाल हो जाती हैं; ठीक उसी तरह ही मंगल (mars facts and details in hindi) के सतह की मिट्टी भी लाल रंग की ही हैं। इससे मित्रों हमें यह पता लगता हैं की, प्राचीन समय में भी लोग अंतरिक्ष के विषय में काफी कुछ जानते थे।
वैसे गौरतलब बात यह भी हैं की, प्राचीन मिश्र सभ्यता के लोगों से ही “युद्ध के देवता” जी के चयन की प्रक्रिया का आरंभ हुआ था। उस समय हर एक सभ्यता की अलग-अलग “युद्ध के देवता” होते थे।
6. मंगल पर हो सकता हैं पानी ! :-
दोस्तों पानी माने जीवन ! यह तो शायद सब को पता ही होगा। क्योंकि जहां पानी नहीं हैं वहाँ पर जीवन की संज्ञा की कल्पना भी करना हमारे सोच से परे हैं। वैसे वैज्ञानिक दिन रात पृथ्वी की भांति कई सारे ग्रहों को ढूंढते ही रहते हैं और ढूँढने में सक्षम भी रहते हैं। परंतु उन ढूँढे गए ग्रहों में से सिर्फ कुछ ग्रहों के ऊपर ही पानी का पता चल पाता हैं।
खैर इंसानों ने मंगल पर पानी का ठिकाना अब ढूंढ लिया हैं। वैज्ञानिक कहते हैं की, मंगल पर मौजूद गड्ढों और दरारों में पानी का स्रोत मिल सकता हैं। वैसे मेँ आपको याद दिला दूँ की, मंगल के ध्रुवीय इलाकों पर भी पानी बर्फ के आकार में मौजूद हैं। वैसे यहाँ ध्यान में रखने वाली बात यह है की, मंगल की औसतन वायुमंडलीय तापमान पानी को जमाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा इसलिए पानी को जमने से बचाने के लिए वहाँ का पानी खारा हैं।
वैसे कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं की, मंगल पर काफी समय पहले पानी की नदियां बहती थी जो की आज विलुप्त को चुकी हैं । वैसे आगे आने वाले मिशनों पर यह पता लगाया जा रहा हैं की, क्या सच में मंगल पर पानी की नदियां बहती थी?
7. जल्द ही मंगल पर आएगा “रिंग” :-
अगर आपने गौर से देखा होगा तो, आपको पता होगा की सौर-मंडल में सिर्फ “शनि ग्रह” के पास ही खुद का “रिंग” हैं। इसके अलावा कोई ऐसा दूसरा ग्रह नहीं है, जिसका की खुद का रिंग हैं। वैसे मेँ आपको बता दूँ की, हाल ही में वैज्ञानिकों ने पता लगाया हैं की आने वाले 4 करोड़ सालों के अंदर, मंगल का खुद का अपना “रिंग” होगा।
जी हाँ! आपने सही सुना मंगल की चाँद “फोबोस” (Phobos) आज से 4 करोड़ साल बाद जब मंगल के गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से बाहर चला जाएगा, तब वह मंगल के इर्दगिर्द एक रिंग का निर्माण करेगा। वैसे अधिक जानकारी के लिए और भी बता दूँ की, यह रिंग अस्थायी होगा जो की करीब-करीब 10 करोड़ सालों तक मंगल के इर्दगिर्द मौजूद रहेगा।
8.मंगल पर मौजूद हैं सौर-मंडल की सबसे दुर्लभ घाटी “Valles Marineris” :-
वैसे तो पृथ्वी पर आपको कई खूबसूरत घाटियां देखने को मिल जाएंगी, परंतु मंगल पर जो दुर्लभ घाटी मौजूद है न दोस्तों उसकी बात ही कुछ अलग हैं। “Valles Marineris” नाम से परिचित मंगल पर स्थित यह घाटी देखने में कोई खूबसूरत नजारे से कम नहीं हैं। वैसे मेँ और भी बता दूँ की, यह घाटी एक तरह से भूल-भुलैया ही हैं।
वैसे इसके बारे में एक गौरतलब बात यह भी है की, आकार में यह काफी ज्यादा बड़ा हैं। वैज्ञानिकों का कहना है की, यह करीब-करीब 4,200 km तक लंबा हैं और कई-कई जगह 7 km तक गहरी भी हैं। मित्रों! मंगल का जो अंदरूनी Tectonic Plate हैं न दोस्तों वह पृथ्वी की Tectonic Plate से काफी ज्यादा अलग हैं। मंगल का Tectonic Plate पृथ्वी के मुक़ाबले काफी ज्यादा सरल और आपने प्रारंभिक अवस्था में हैं। वैसे मंगल पर कुल दो टेक्टोनिक प्लेट मौजूद हैं।
9. एक जमाने पर मंगल पर भी था पृथ्वी की भांति वायुमंडल :-
शायद बहुत ही कम लोगों को पता होगा की, मंगल पर पृथ्वी की भांति ही किस जमाने में एक वायुमंडल भी हुआ करती थी। जी हाँ! दोस्तों कई लाखों साल पहले मंगल पर वायुमंडल थी, जिसके वजह से वहाँ पर पानी की नदियां भी बहा करती थी। वैसे वैज्ञानिकों का कहना है की, इस वायुमंडल के चलते मंगल (mars facts anb details in hindi) की सतह का तापमान जीवन युक्त हुआ करता था और इसी तापमान में पानी तरल अवस्था में बहती भी थी।
वैसे आज तक सटीक रूप से यह पता नहीं चल पाया हैं की, आखिर क्यों मंगल का वायुमंडल इस्तना ज्यादा बदला गया और वहाँ पर पानी कहाँ गयी। वैसे मित्रों! आपको इसके बारे में क्या लगता हैं, मंगल के सतही वायुमंडल में परिवर्तन का क्या कारण हो सकता हैं? जरूर ही बताइएगा दोस्तों ।
10. जल्द ही मंगल पर मच सकती हैं तबाही :-
आने वाले 4 से 6 करोड़ सालों के अंदर मंगल का चाँद मंगल से साथ टकराने की अवस्था में आ जाएगा, जिससे की मंगल पर भारी तबाही की आशंका किया जा रहा हैं। टक्कर इतनी भयानक हो सकती है की, मंगल का भूगोल ही इससे पूरा बदल सकता हैं।
11. पृथ्वी पर मौजूद हैं मंगल का अंश ! :-
मंगल का कमजोर गुरुत्वाकर्षण बल अकसर मंगल के सतह को उल्कापिंडों की टकराने का एक सरल स्थान बनाता हैं। प्राचीन काल से मंगल पर कई सारे उल्कापिंड टकरा चुके हैं और इससे मंगल को काफी ज्यादा नुकसान भी पहुंचा हैं। परंतु दोस्तों यहाँ पर एक अजीब बात यह है की, टक्कर के कारण पैदा होने वाला मलवा मंगल से निकल कर सीधे अंतरिक्ष में चला जाता हैं।
अंतरिक्ष में काफी समय भटकने के बाद यह उल्कापिंड आखिर में पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते हुये इसके सतह पर आ कर गिरते हैं। वैसे नासा ने मंगल से आए हुए कई सारे उल्कापिंडों को पृथ्वी पर ढूंढ कर निकाला हैं।
12. बिना अंतरिक्ष सूट के अगर आप मंगल पर जाएंगे तो आपके साथ क्या होगा ? :-
बिना किसी अंतरिक्ष सूट के साथ अगर आप मंगल पर जाते हैं, तो आपकी मृत्यु निश्चित हैं। दोस्तों! इसके पीछे मूल रूप से कई सारे कारण मौजूद हैं, परंतु यहाँ पर मेँ सिर्फ मुख्य कारणों को आपको बता रहा हूँ।
मंगल के सतह की तापमान औसतन -50 डिग्री सेल्सियस हैं, जो की इंसानों को पल भर में जमा सकती हैं। इसके अलावा मंगल पर पृथ्वी की भांति कोई वायुमंडल नहीं हैं। वैज्ञानिकों का कहना है की, मंगल पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के मुक़ाबले सिर्फ 1% ही हैं। तो इतने कम वायुमंडलीय दबाव में इंसानी शरीर एक गुब्बारे की तरह फैलने लगेगा और शरीर से जैवीक तरलों का रिसना शुरू हो जाएगा।
इसके अलावा मंगल की पतली वायुमंडल में 95% कार्बन डाइऑक्साइड और 3% नाइट्रोजन गैस मौजूद हैं जो की इंसानों के लिए बिलकुल भी सही नहीं हैं। इससे इंसानी फेफड़े काम करना बंद कर देंगे और पल भर में ही मौत आ जाएगी।
तो, अगर हमें मंगल पर जीवित बचना है तो एक विशेष प्रकार की अंतरिक्ष की सूट पहननी पड़ेगी जिससे हमारे शरीर का बचाव हो सकता हैं।
13.मंगल को समझते थे चाँद ! :-
पहले के जमाने में जब अंतरिक्ष में खोजबीन प्रारंभ हुआ था, तो उस समय के वैज्ञानिक मंगल को चाँद की भांति ही समझते थे। कहने का तात्पर्य यह है की, मंगल पर भी चाँद की भांति ही उल्कापिंडों के टकराने से बनी कई सारे निशान और गड्ढे मौजूद हैं। इसलिए वैज्ञानिक इसे दूसरा चाँद समझते थे।
परंतु बाद में जब तकनीक में विकास के चलते मंगल के वातावरण की खोज और भी ज्यादा की गई तो, पता चला की इसका वातावरण चाँद से काफी ज्यादा अलग हैं और यह एक अलग ही प्रकार का पिंड हैं।
14. आने वाले समय में इंसान बनाने वाला है मंगल पर अपना घर :-
मित्रों! सबसे अजीब बात यह है की, NASA ही सिर्फ ऐसी एक संस्थान है जो की मंगल पर अब तक सफलता पूर्वक आपने स्पेस-मॉड्यूल को लैंड कराने में सक्षम हो पाया हैं। 1976 में विकिंग लैंडर, 2004 में स्पिरिट और 2012 में रोवर क्यूरोसिटी को नासा ने छोड़ कर एक अलग ही मुकाम हासिल कर लिया हैं।
हालांकि भारत ने भी मंगलयान के जरिये मंगल पर अपना खोज चालू रखा हैं। जो की इस बात की पुष्टि करता है की, एक न एक दिन अवश्य ही मनुष्य मंगल पर अपना घर बना कर ही रहेगा।
Sources:- www.universetoday.com, www.space-facts.com, www.semanticscholar.org.