![वैज्ञानिकों ने ढूंढा खांसने वाला "ब्लैक होल"! - Hiccupping Black hole in Hindi!](https://vigyanam.com/wp-content/images/2024/03/esa-featured-780x470.jpg)
मानव के लिए ये ब्रह्मांड किसी अनंत पहेली से कम नहीं है। हमारा वजूद इसके सामने कुछ भी नहीं है। शायद ये ही वजह है कि, लगातार हम हमारे आस-पास मौजूद ब्रह्मांड को समझने में लगे हुए हैं। हमारे द्वारा की गई हर एक खोज हमारे इस ब्रह्मांड को और भी ज्यादा दिलचस्प और पहले से कई गुना रोचक बना देती हैं। ऐसे में इस विषय के ऊपर जितना भी लिखा जाए, वो हमेशा ही कम होने वाला है। क्योंकि हम एक सीमाहीन विषय के बारे में बात कर रहें हैं। वैसे देखा जाए तो, ब्रह्मांड में एक ऐसी चीज़ भी है जिसकी सीमा के बारे में हम आज भी नहीं जानते हैं और वो चीज़ है “ब्लैक होल” (Hiccupping Black hole in Hindi)।
![वैज्ञानिकों ने ढूंढा खांसने वाला "ब्लैक होल"! -](https://vigyanam.com/wp-content/images/2024/03/max-planck-1.jpg)
मैंने अचानक से ब्लैक होल (Hiccupping Black hole in Hindi) के बारे में इसलिए जिक्र करना शुरू किया, क्योंकि ये एक ऐसी चीज़ है; जो की दुनिया भर के वैज्ञानिकों को आज भी उलझन में डाले हुए हैं। जब से ब्लैक होल के असल अस्तित्व के बारे में पुष्टि करण मिला है, तब से ही लगातार इसके बारे में कई सारे बेहतरीन जानकारियाँ मिल रही हैं। मित्रों! ब्लैक होल के बारे में इस तरह की जानकारियाँ शायद ही हमें पहले कभी सुनने को मिलती होंगी।
तो, क्या आप आज तैयार हैं ब्लैक होल से जुड़ी और एक बेहतरीन घटना के बारे में जानने के लिए? क्योंकि आज हम एक बहुत ही खास और दिलचस्प ब्लैक होल के बारे में चर्चा करने वाले हैं, जिसके बारे में आप लोगों ने शायद ही पहले कभी सुना होगा।
वैज्ञानिकों को मिला खांसने वाला “ब्लैक होल”! – Hiccupping Black hole in Hindi :-
इस भाग के शीर्षक को पढ़ कर शायद आप भी हैरान हो गए होंगे! परंतु, मित्रों आप लोगों को मेँ बता दूँ कि; ये बात बिलकुल सच हैं। जो की नियमित समय के अंतराल में खांसता रहता हैं। जी हाँ! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना एक ऐसा ब्लैक होल (Hiccupping Black hole in Hindi) जो की एक फिक्स टाइम गैप में खासंता हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये ब्लैक होल हर “8.5 दिनों” में एक बार जरूर खासंता हैं। अब इसके खांसने की वजह आखिर क्या हैं, ये तो आप लोगों को आगे लेख को पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ते रहिएगा।
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जैसा की मैंने आप लोगों को पहले ही बता रखा हैं कि, ये ब्लैक होल हर 8.5 दिनों के एक बार जरूर खांसता हैं। तो, सवाल उठता हैं कि; आखिर इस घटना के पीछे का कारण क्या हैं? तो, आप लोगों को मेँ बता दूँ कि; इसके पीछे का कारण एक और ब्लैक होल हैं। जी हाँ! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना, एक बड़े से ब्लैक होल के पास मौजूद एक और छोटा सा ब्लैक होल ही खांसने वाली घटना को पॉसिबल कर पा रहा हैं। मित्रों! यकीन मानिए इस तरह कि घटनाएँ हमें अकसर ब्रह्मांड में देखने को नहीं मिलते हैं।
क्योंकि एक ही जगह पर दो-दो ब्लैक होल्स का होना कोई साधारण बात नहीं हैं। क्योंकि आम तौर पर एक ही जगह पर दो ब्लैक होल्स एक साथ नहीं रह पाते हैं। आप लोगों को क्या लगता हैं, क्या ये दोनों ही ब्लैक होल आपस में मिल-जुल कर रह रहे होंगे या ये सिर्फ एक इल्यूजन हैं! कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
आखिर क्यों खास हैं ये ब्लैक होल? :-
आप लोगों को जानकर हैरानी होगा कि, ब्लैक होल (Hiccupping Black hole in Hindi) के खांसने वाली ये बात पहली घटना हैं। इससे पहले इतिहास में कभी भी इसके बारे में किसी भी तरह की कोई बात नहीं मिलते हैं। वैज्ञानिकों को लगता हैं कि, जिस जगह से ये घटना घटित हो रहीं हैं, वो जगह काफी सघन कॉस्मिक डस्ट और गैस से भरा हुआ हैं। कई वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि, ये जगह किसी जमाने में काफी बड़े ब्लैक होल का घर होगा।
![Artist's concept illustrates a quasar, or feeding black hole, similar to APM 08279+5255, where astronomers discovered huge amounts of water vapor. Gas and dust likely form a torus around the central black hole, with clouds of charged gas above and below.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2024/03/live-science-3.jpg)
परंतु आप लोगों को अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, पृथ्वी से लगभग 80 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर एक बहुत ही बड़ा ब्लैक होल ब्रह्मांड में खांसते हुए नजर आ रहा हैं। दरअसल बात ये हैं कि, ये ब्लैक होल हमारे सूर्य से लगभग 5 करोड़ गुना ज्यादा वजनी हैं और हर 8.5 दिनों में एक बार जरूर खांसते हुए ब्रह्मांड में भारी मात्रा में कॉस्मिक गैस को उत्सर्जित करता हैं। वैसे खांसने के बाद ये कुछ दिनों के लिए फिर से चुप हो जाता हैं। इसलिए ये एक बहुत ही खास चीज़ हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार ये जो खांसने वाली घटना घटित हो रहीं हैं, ये असल में ब्लैक होल की “Accretion Disk” के कारण होता हैं। मित्रों! ये डिस्क काफी गरम कॉस्मिक गैस से बने हुए होते हैं, जो की हमेशा एक खास ऑब्जेक्ट के चारों तरफ़ घूम रहें होते हैं। वैसे एक बात ये भी हैं कि, इस तरह के चीजों को हम अपने पास भी देख सकते हैं। आपको क्या लगता हैं?
क्या कह रहें हैं वैज्ञानिक! :-
मित्रों! दुनिया के कुछ वैज्ञानिक इस ब्लैक होल (Hiccupping Black hole in Hindi) को काफी ज्यादा अभूतपूर्व मान रहें हैं। क्योंकि इस के पास और एक छोटा ब्लैक होल भी मौजूद हैं। कहने का मतलब ये हैं कि, बड़े ब्लैक होल के डिस्क से निकलने वाले गरम कॉस्मिक गैस को ये छोटा सा ब्लैक होल और भी ज्यादा एक्साइट कर के ब्रह्मांड में उत्सर्जित कर देता हैं। इसके अलावा ये ब्लैक होल बड़े ब्लैक होल के आस-पास भी चक्कर काटता रहता हैं। ऐसे में ये दोनों ही ब्लैक होल हमारे लिए काफी ज्यादा दिलचस्प बन जाते हैं।
![Black hole ejjecting cosmic material.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2024/03/news-week-4.jpg)
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक होल का खांसना बहुत ही ज्यादा अजीब हैं। क्योंकि ब्लैक होल का एक्रेशन डिस्क ही अपने-आप में एक बहुत ही रहस्यमयी चीज़ हैं। इसके अंदर कई तरह के चीज़ें जैसे सितारे और अलग-अलग ब्लैक होल्स भी मौजूद हो सकते हैं। ऐसे में इसके बारे में हमारे पास कोई भी ठोस जानकारी अभी तक नहीं हैं। इसलिए उन्हें ब्लैक होल की खांसने वाली बात बहुत ही ज्यादा अजीब लग रहा हैं। क्योंकि इस चीज़ को घटित होने के लिए कई सारे चीजों का संभव होना जरूरी हैं।
हालांकि! इसके ऊपर आज भी शोध जारी हैं। आज तक हम लोगों ने जितना भी डैटा ब्लैक होल के बारे में इक्कठा किया हैं, शायद वो ब्लैक होल को पूरे तरीके से समझने के लिए काफी कम हैं। इसलिए हमें लगातार इसके बारे में जानकारियाँ इक्कठा करते रहना चाहिए। मित्रों! ब्रह्मांड असीमित हैं और इसके बारे में जानकारियाँ भी असीमित हैं। ऐसे में लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैसे इस ब्लैक होल (Hiccupping Black hole in Hindi) को साल 2020 में सबसे पहले ढूंढा गया था। पहले डिटेक्ट होने के समय इससे प्रकाश की एक बहुत तीव्र चमक को देखा गया था, जो की वहाँ आस-पास मौजूद चीजों से लगभग 1,000 गुना ज्यादा चमकीला था। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, ये चमक लगभग 4 महीनों तक देखा गया था, जो की शायद सुपर-मैसिव ब्लैक होल के कारण हुआ होगा। यहाँ एक बात ये भी हैं कि, इसको डिटेक्ट करने के लिए वैज्ञानिकों ने X-रे को इस्तेमाल किया था।
![वैज्ञानिकों ने ढूंढा खांसने वाला "ब्लैक होल"! - Hiccupping Black hole in Hindi!](https://vigyanam.com/wp-content/images/2024/03/live-science-5.jpg)
खैर वैज्ञानिकों के माने तो, जब छोटा ब्लैक होल बड़े ब्लैक होल के एक्रेशन डिस्क को भेद कर काफी तेजी से निकल जाता हैं, तब बड़ा ब्लैक होल खांसता हैं। इसी दौरान ब्लैक होल के अंदर से भी कई तरह के मटिरियल निकलते हैं। मित्रों! अगर आप लोगों को छोटा ब्लैक होल काफी छोटा लग रहा हैं, तो मेँ आप लोगों को बता दूँ कि; ये असल में हमारे सूर्य से 10,000 गुना ज्यादा बड़ा हैं।
वैसे बड़े और छोटे ब्लैक होल के वजन में अंतर 5000 गुना का हैं। इसलिए इनके बारे में वैज्ञानिक और भी ज्यादा उत्सुक हो रहें हैं। क्योंकि इस तरह के दो ब्लैक होल्स एक-दूसरे के इतने पास देखने को बहुत ही कम मिलते हैं।
Source :- www.livescience.com