आधुनिकता के इस दौर में हर कोई इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है और जैसे-जैसे तकनीक का विकास हो रहा हैं उसी तरह से इंटरनेट पूरी दुनिया में अपना दबदबा बढ़ा रहा है। बिना इंटरनेट के आज एक दिन भी काट पाना बहुत ही मुश्किल है और जिस तरीके से इंटरनेट का जेनेरेशन बढ़ रहा है उसी तरीके से हम इसके आदि होते जा रहें है। वर्तमान समय की बात करें तो आज हम जिस इंटरनेट को व्यापक रूप से इस्तेमाल कर रहें हैं और जिसे हम सबसे तेज मान रहें है वो आने वाले समय में शायद काफी धीमा नजर आये। क्योंकि हमारे पड़ोसी देश चीन ने हाल ही में अपना पहला 6G सेटेलाइट (china’s first 6g satellite) अंतरिक्ष में छोड़ दिया है।
भारत में साल 2016 से 4G इंटरनेट का व्यापक रूप से इस्तेमाल हो रहा हैं और इसी ने ही भारत के इंटरनेट दुनिया में एक क्रांति सी ला दी। 2015 में भारत के अंदर लगभग 30 करोड़ इंटरनेट के उपयोगकर्ता थे पर जब से 4G ने इंटरनेट की दुनिया में अपना कदम रखा हैं तब से भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रहा है और आज ये लगभग 70 करोड़ तक पहुँच चुका है। ऐसे में आने वाले समय में 5G और 6G (china’s first 6G satellite) भारत में अपना क्या प्रभाव डाल सकते हैं वो आप खुद ही सोच लीजिये।
खैर आज के लेख में हमारा विषय एक खास सेटेलाइट के ऊपर ही रहेगा, जिसे की आप जरुर जानना चाहेंगे।
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5G और 6G से जुड़ी कुछ जरूरी बातें! :-
भारत में चल रहें इंटरनेट की सेवाओं को देखें तो, आज 4G का काफी चलन हैं। परंतु विडंबना की बात ये है की, आज भी पूरे भारत में 4G की सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पायी हैं। 6G (china’s first 6g satellite) छोड़िए भारत में 5G की सेवाएं भी आने में अभी काफी वक़्त है। ऐसे में आप समझ सकते हैं की, हमें आज भी कितना काम करना बाकी हैं; क्योंकि हमारा पड़ोसी जिस तेजी से अपने-आप को विकसित कर रहा हैं वो हमारे लिए एक सबक निश्चित रूप से होनी चाहिए।
वैसे लेख में 6G के बारे में कुछ भी जानने से पहले क्यों न एक बार 5G के बारे में भी चर्चा कर लें, क्योंकि इसे अगर जान लिया तो 6G के सेटेलाइट के बारे में भी जानना बहुत ही आसान होगा। 5G यानी इंटरनेट का पांचवा पीढ़ी आज अपने प्रारंभिक अवस्था में है। वैसे इंटरनेट का ये पीढ़ी अपने पिछले पीढ़ी यानी 4G से लगभग 100 गुना ज्यादा तेज है। 5G देखा जाए तो हर मायने में 4G से काफी विकसित और आधुनिक है तथा इसके काम करने का ढंग भी इससे कई गुना कुशल है।
आपके जानकारी के लिए बता दूँ की, 5G मूल रूप से 30 से लेकर 300 Gigahertz वेव फ्रिक्वेन्सी में काम करता है जो की 4G के वेब फ्रिक्वेन्सी से 10 से 100 गुना अधिक है। वैसे गौर करने वाली बात ये भी हैं की, कभी भी 4G 5G के फ्रिक्वेन्सी पर काम नहीं कर सकता हैं। परंतु कई स्मार्टफोन की कंपनियाँ 4G Spectrum के Upper End को दे कर इसे 5G का नाम दे देती हैं जो की गलत है।
चीन के द्वारा छोड़े गए इस 6G सेटेलाइट के बारे में कुछ बातें! – China’s First 6G Satellite In Hindi! :-
इस साल के नवंबर 6 तारीख को चीन ने पृथ्वी का पहला 6G सेटेलाइट (china’s first 6g satellite) अंतरिक्ष में छोड़ा। कहा जा रहा हैं की, इस मिशन को Long March 6 नाम के एक रॉकेट के द्वारा अंजाम दिया गया था। ये मिशन वाकई में दुनिया के हर एक देश को चौंकाने के लिए काफी था, क्योंकि आज भी कई सारे देशों ने 6G के अस्तित्व के बारे में भी नहीं सुना है। तो, ऐसे में चीन के द्वारा किया गया ये मिशन आने वाले समय में पूरे पृथ्वी के लिए कितना महत्वपूर्ण होने वाला हैं ये आप समझ ही सकते हैं।
मित्रों! क्या आप जानते हैं, ये जो बार-बार 4G,5G और 6G की बातें हो रहीं हैं उमसे लगे इस “G/Generation” के बारे में नियम निर्धारण कौन करता है। कहने का तात्पर्य ये हैं की, ये “G” शब्द कहाँ से और किसने दिया हैं? तो दोस्तों बता दूँ की, ये “G” शब्द एक ग्लोबल पार्टनर्शिप “3GPP” के द्वारा दिया जाता है। वैसे गौरतलब बात ये भी हैं की, अभी भी 3GPP के द्वारा 6G के बारे में औपचारिक तौर से कोई भी पुष्टीकरण नहीं आया है। हालांकि! इतना को पक्का हैं की; आने वाले समय में 5G किसी नए 6G के द्वारा बदल दिया जायेगा परंतु वो 6G आखिर कौन से तरीके का नेटवर्क होगा वो अभी हमें जानना बाकी है।
6G सेटेलाइट में हैं ये सुविधाएं! :-
खैर चीन के द्वारा जिस 6G सेटेलाइट को छोड़ा गया हैं उसका नाम “Tianyan-5” हैं और इसे University of Electronic Science And Technology Of China, Chengdu Guoxing Aerospace Technology और Beijing Weina Xingkong Technology ने मिल कर बनाया हैं। वैसे ये सेटेलाइट एक रिमोट सेन्सिंग सेटेलाइट हैं। मित्रों! ये सेटेलाइट अंतरिक्ष से पृथ्वी की निगरानी करने के साथ-साथ High-Frequency Tetrahertz संचार व्यवस्था को भी सक्रिय करेगा। जिससे काफी तेजी से एक जगह से दूसरे जगह तक योगयोग किया जा सकता है।
मित्रों! 6G का ये सेटेलाइट (china’s First 6G Satellite) 5G से कई गुना तेज डेटा को ट्रांस्फर कर सकता हैं, जिससे हम कई गुना तेज इंटरनेट को भी चला पायेंगे। जैसे-जैसे लोगों के अंदर स्मार्टफोन की खपत बढ़ रहा है ठीक उसी हिसाब से मोबाइल नेटवर्क में धीरे-धीरे ट्रेफिक भी बढ़ रहा हैं। इसी कारण से हमें आने वाले समय में कई सारे Higher Bandwidths की जरूरत पड़ेगी, जिससे इस बढ़ते ट्रेफिक को नियंत्रण में लिया जा सकता है। इसी कारण से 6G की सेवा अगर जल्दी ही बन जाए तो हमें भविष्य में काफी तेजी से डिजिटल कामों को अंजाम देने का मौका भी मिलेगा।
एक और खास बात ये भी हैं की, COVID-19 के दौरान लोगों के मन में ये संदेह बैठा हुआ हैं की 5G के टावर से कोरोना फैलता है। इसी संदेह के चलते ब्रिटेन में 80 से ज्यादा 5G के टावरों को लोगों ने आग लगा कर जला दिया।
क्या 5G और 6G को विकसित करना सरल हैं? :-
दुनिया में किसी चीज़ को नए तरीके से बनाना कोई आसान काम नहीं है और 5G तथा 6G (china’s first 6g satellite) को भी तैयार करना कोई सरल काम नहीं है। इन अत्याधुनिक नेटवर्क को विकसित करने के लिए Terahertz Waves (THz) का इस्तेमाल किया जाता है जो की स्पेक्ट्रम में माइक्रोवेब और इन्फ्रारेड वेब के बीच में आते हैं। वैसे ये वेब काफी ज्यादा सूक्ष्म होती हैं और तेज भी हैं।
मित्रों! इसी कारण ही 5G और 6G को विकसित करना बहुत ही ज्यादा कठिन है, क्योंकि THz जो है वो पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद जल के कणों से बाधित होता है। जल के कण THz के अच्छे अब्सॉर्बर होते हैं और इसी कारण से THz का रेंज काफी हद तक कम हो जाता है। दोस्तों! अभी तक 5G के विकास की प्रक्रिया में वैज्ञानिक इसी असुविधा से जूझ रहें हैं की, आखिर कैसे THz को जल के कणों से बाधित न होने दें।
खैर ऐसे में ये कहा जा सकता हैं की, 5G और 6G के सेटेलाइट को विकास करना कोई बच्चों का खेल नहीं हैं। वैसे मैंने नीचे एक विडियो दे रखा हैं जिसमें आपको दुनिया के सबसे पहले 6G सेटेलाइट की लौंचिंग का विडियो देखने को मिल जायेगा।
दोस्तों आपको क्या लगता हैं, हमारे भारत में 6G का नेटवर्क कब तक आ जायेगा और अगर आ भी जाता हैं तो क्या आप इसे इस्तेमाल करने के लिए इच्छुक होंगे? क्योंकि जैसा की आपने देखा की ये तकनीक चीन से ही बनी हुई है।
Source :- www.popularmechanics.com.