![वैज्ञानिकों ने ढूंढा 7 ग्रहों वाले एलियन सौर-मंडल! - Alien Solar System with 7Planets!](https://vigyanam.com/wp-content/images/2023/11/ts2-space-featured-780x470.jpg)
इस ब्रह्मांड में कई अरबों आकाशगंगाएँ मौजूद हैं और उनके अंदर स्थित हैं कई खरबों सौर-मंडल। अगर आप लोगों को लगता है कि, हमारा सौर-मंडल (Alien Solar-System of 7 Planets) इस पूरे ब्रह्मांड में इकलौता सौर-मंडल है, तो आप गलत हैं। क्योंकि लगातार पृथ्वी के वैज्ञानिक अलग-अलग प्रकार के सौर-मंडलों को ढूँढने में लगे हुए हैं। मित्रों! भले ही इन सौर-मंडलों में हमारे जैसे जीवन न हो, परंतु इसके अंदर कई तरह के अलग-अलग खास चीज़ें मौजूद हैं। इसलिए इनके बारे में एक बार तो चर्चा करना बनता हैं। एलियन सौर-मंडलों के बारे में कई दुर्लभ व रोचक बातें हैं।
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इसलिए आज हम पूरे तरीके से इन एलियन सौर-मंडलों (Alien Solar-System of 7Planets) के ऊपर ही बातें करेंगे। आज के इस लेख में हम हाल ही में खोजे गए एक ऐसे सौर-मंडल के बारे में बातें करेंगे, जिसको लेकर कई वैज्ञानिक हैरानी में पड़ गए हैं। क्योंकि ये कोई आम सौर-मंडल नहीं हैं और इसके बारे में अभी तक जांच जारी है। इसलिए आप लोगों से मैं आग्रह करना चाहूँगा कि, इस लेख को आरंभ से लेकर अंत तक जरूर पढ़िएगा, ताकि आपको ये विषय सही से समझ में आ जाए।
तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए इसे शुरू करते हैं और देखते हैं आखिर कैसे ये सौर-मंडल इतना खास है।
विषय - सूची
सात ग्रहों वाला एलियन सौर-मंडल! – Alien Solar-System of 7 Planets! :-
हाल ही में खोजा गया ये एलियन सौर-मंडल (Alien Solar-System of 7Planets) अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ी खोज है। ये “Kepler Catalogue” में सबसे खास सौर-मंडलों में से एक है। आप लोगों को बता दूँ कि, इस कैटालॉग में लगभग 4,400 से अधिक प्लैनेट्स मौजूद हैं। जिसके अंदर 700 से ज्यादा सौर-मंडलों के बारे में जानकारी है। खैर सरल भाषा में कहूँ तो, हाल ही में खोजे गए इस सौर-मंडल का नाम “Kepler-385” है। खास बात ये है कि, इस सौर-मंडल में 7 अलग-अलग तरह के ग्रह हैं, जिनका आकार पृथ्वी से बड़ा है।
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इस सौर-मंडल के केंद्र में हमारे सूर्य की तरह ही एक काफी चमकीला सितारा मौजूद है। इस सौर-मंडल को देख कर सबसे बड़ा सवाल मन में ये आता है कि, क्या हम इतने बड़े ब्रह्मांड में अकेले हैं? क्योंकि इस तरह के एलियन सौर-मंडलों के आविष्कारों से हमारी जिज्ञासा और भी ज्यादा बढ्ने लगती है। नासा के रिटायर्ड हो चुके केप्लर टेलिस्कोप से ऐसे-ऐसे आविष्कार हुए हैं कि, हम चाह कर भी इन सौर-मंडलों के बारे में जानना बंद नहीं कर सकते हैं। क्योंकि ये हैं ही इतने रहस्यमयी और आकर्षक।
खैर अगर मैं इस एलियन सौर-मंडल की बात करूँ तो, इसके जो सात प्लैनेट्स हैं, ये अपने सूर्य के ताप से काफी ज्यादा गरम हैं। कहने का मतलब ये है कि, इस सौर-मंडल के सात के सात ग्रह अपने सूर्य की किरणों से लगभग तप कर फ्राई (fry) हो चुके हैं। तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि, इस सौर-मंडल में मौजूद ग्रहों के ऊपर उनके सूर्य का प्रभाव कितना ज्यादा तीव्र होगा। शायद ये ही वजह है कि, अभी इसके अंदर जीवन की खोज जारी है।
इस सौर-मंडल के बारे में कुछ खास जानकारियाँ! :-
मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, ये सौर-मंडल (Alien Solar-System of 7 Planets) अपने-आप में ही काफी ज्यादा खास हैं। इसके अंदर मौजूद सभी ग्रह आकार में तो पृथ्वी से बड़े हैं, परंतु नेपच्यून से छोटे हैं। इसके अलावा एक बात ये भी है कि, केप्लर-385 उन खास सौर-मंडलों में से एक है, जिसके अंदर 6 या 6 से अधिक वेरिफाइड प्लैनेट्स मौजूद हैं। वर्तमान में वैज्ञानिक इस सौर-मंडल में मौजूद प्लैनेट्स के अंदरूनी संरचना को समझने का प्रयास कर रहें हैं। वैसे वैज्ञानिकों ने इन सात ग्रहों को एक्सो-प्लैनेट्स का दर्जा दिया है।
![Kelper photo.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2023/11/youtube-3.jpg)
वैसे इस सौर-मंडल के केंद्र में मौजूद सितारा सूर्य के तुलना में आकार में 10% ज्यादा बड़ा और 5% ज्यादा गरम हैं। सौर-मंडल के दो अंदरूनी ग्रह पथरीले हैं और माना जाता हैं कि, इन दोनों ही ग्रहों के ऊपर जलवायु मौजूद है। हालांकि! वैज्ञानिकों के अनुसार ये दोनों ही ग्रहों का जलवायु काफी ज्यादा पतले हैं। अगर मेँ बाकी बचे 5 ग्रहों की बात करूँ तो, आकार में ये पृथ्वी से काफी ज्यादा बड़े हैं। एक अनुमान के अनुसार इनका आकार पृथ्वी से लगभग 4 गुना ज्यादा बड़ा हैं। वैसे इन ग्रहों के ऊपर काफी सघन जलवायु देखने को मिलते हैं।
आप लोग अब ये सोच रहें होंगे कि, आखिर इन एक्सो-प्लैनेट्स के बारे में इतनी सटीक जानकारी हमारे पास कैसे हैं तो; मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, केप्लर कैटालॉग के ऊपर लगातार काम हो रहा हैं। जिससे ये समय के साथ-साथ और भी ज्यादा विकसित होता जा रहा हैं। ये ही वजह हैं कि, आज हम पहले के मुक़ाबले एक्सो-प्लैनेट्स के बारे में इतना कुछ जान पा रहें हैं। आप लोगों को ये एक्सो-प्लैनेट्स कैसे लगे; कमेंट कर के जरूर बताइएगा।
केप्लर कैटालॉग और एक्सो-प्लैनेट्स! :-
मित्रों! जब भी एलियन सौर-मंडल (Alien Solar System with 7 Planets) की बात उठती हैं तो, एक्सो-प्लैनेट्स के बारे में चर्चा होना लाजिमी हैं। आप लोगों को जानकर हैरानी होगा कि, आज तक खोजे गए हर एक एक्सो-प्लैनेट्स की डीटेल जानकारी केप्लर कैटालॉग में मौजूद हैं। इसलिए हमारे लिए इसके बारे में जानना बहुत ही जरूरी हो जाता हैं। पहले के तुलना में आज केप्लर कैटालॉग काफी ज्यादा उन्नत हो चुका हैं। इसके अंदर ग्रहों की काफी बारीक ट्रांसिट हिस्ट्री और सटीक खगोलीय डैटा मौजूद हैं। साथ ही साथ होस्ट स्टार के बारे में भी जानकारी इस कैटालॉग में मौजूद होता हैं।
![Kepler-385 Photo.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2023/11/ts2-space-4-1.jpg)
यहाँ एक खास बात ये हैं कि, जब एक एलियन सौर-मंडल में दो से अधिक ग्रह मौजूद होते हैं; तब उन ग्रहों का ओर्बिट काफी ज्यादा सर्कुलर हो जाता हैं। वैसे आप लोगों को बता दूँ की, केप्लर का मिशन साल 2013 में ही समाप्त हो गया था; परंतु इसका एक्स्टेंडेड मिशन “K2” साल 2018 तक चला था। केप्लर के द्वारा किए गए आविष्कार हमारे आकाशगंगा मिल्की-वे के बारे में काफी कुछ चीज़ बताते हैं। आप एक तरह से कह सकते हैं कि, हमारे आकाशगंगा कि हर एक मूलभूत बातों के बारे में ये बताता हैं।
खैर आप लोगों को बता दूँ कि, एलियन सौर-मंडल केप्लर-385 हमारे पृथ्वी से लगभग 5000 प्रकाश वर्ष के दूरी पर मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस सौर-मंडल के अंदर मौजूद हर एक ग्रह उनके सितारे से हमारे सौर-मंडल में मौजूद हर एक ग्रह के तुलना में बहुत ही ज्यादा रेडिएंट एनर्जि सोखता हैं, जो की एक काफी दुर्लभ बात हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! इस सौर-मंडल (Alien Solar System with 7 Planets) के आविष्कार से पहले भी कई प्रकार के अलग-अलग एलियन सौर-मंडलों की खोज हो चुका था। परंतु केप्लर-385 जितना खास सौर-मंडल आज तक कभी खोजा नहीं गया था। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार इस सौर-मंडल में मौजूद हर एक संभव प्लैनेट के बारे में काफी बारीक और सटीक डैटा इक्कठा किया जा रहा हैं, जो की हमेशा संभव नहीं हो पाता हैं। इसके अलावा प्लैनेट्स के बनावट और उनके खगोलीय डैटा को भी अपडेट किया जा रहा हैं।
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आप लोगों को जानकर हैरानी होगा कि, इन एक्सो-प्लैनेट्स के बारे में मिली बारीक जानकारियों से हम इन प्लेनेट्स के जलवायु के बारे में भी काफी कुछ जान सकते हैं। जिससे हमें यहाँ पहले से अगर जीवन मौजूद होती, तो उसके बारे में पता चल सकता हैं। हालांकि! ज़्यादातर वैज्ञानिकों का ये मानना हैं कि, इन ग्रहों पर गर्मी इतनी हैं कि; यहाँ का जलवायु भाँप बनकर उड़ चुका हैं। क्योंकि इस सौर-मंडल के ज़्यादातर ग्रह उनके सूर्य के बहुत ही पास हैं।
हालांकि! इसके ऊपर भी अभी काफी शोध होना बाकी हैं, इसलिए आगे चल कर हमें इस सौर-मंडल के बारे में काफी कुछ रोचक तथ्य मिलने वाले हैं। खैर जो भी हो, परंतु शायद हम इस ब्रह्मांड में अकेले तो नहीं हो सकते हैं!
सर रोज एक आर्टिकल पोस्ट करे आपके आर्टिकल रोज पढता हूँ