वातावरण में फैल रहे प्रदूषण को देखते हुए आज पूरा विश्व बेहद चिंतित है। विश्व का हर एक राष्ट्र पृथ्वी (habitable super earth in hindi)) के प्रदूषित वातावरण को देख कर काफी ज्यादा डरे हुए हैं। इसी कराण से आज-कल प्राकृतिक आपदाएं कुछ इस तरीके से आ रहीं हैं कि, आप इनके बारे में पहले से कुछ बोल ही नहीं सकते हैं। ऐसे में हमारे लिए पृथ्वी को संरक्षित कर के रखना बेहद ही जरूरी हो जाता है, ताकि यहाँ पर हमारे आने वाले पीढ़ियाँ जीवित रह सकती हैं। बेहरहाल आज ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
विडंबना की बात ये है कि, पृथ्वी (habitable super earth in hindi) लगातार प्रदूषित हो रही है और हम अपने क्षण भर के स्वार्थ के लिए इसे प्रदूषित करते ही जा रहें हैं। ऐसे में वो दिन दूर नहीं है, जब हमें पृथ्वी पर रहने लायक कोई जगह ही नहीं मिलेगी। जीवन की संज्ञा को ब्रह्मांड में प्रदर्शित करने वाली पृथ्वी पर जीवन लुप्त हो जाएगा। तब हमें रहने के लिए एक नई पृथ्वी कि जरूरत होगी और वो भी ज्यादा दूर नहीं। इसलिए वैज्ञानिक लगातार ऐसे ही ग्रहों को ढूंढ रहें हैं, जहां हम रह पाएँ और जीवन को जीवित रख पाएँ।
तो चलिये आज के इस लेख में हम इन्हीं प्रकार के ग्रहों के बारे में बातें करते हैं, जहाँ शायद एक दिन मानव रह सकता है! इसलिए आप भी मेरे साथ इस लेख के जरिए अंत तक जुड़े रहिए और इन ग्रहों के बारे में जानते रहिए।
“सुपर अर्थ” किसे कहते हैं? – What Is Super Earth? :-
मित्रों! हाल ही में वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड में दो ऐसे ग्रह मिले हैं, जो कि हमारे पृथ्वी के जैसे हो सकते हैं। इसलिए इन्हें वैज्ञानिक “सुपर अर्थ” (habitable super earth in hindi) भी कहते हैं। तो क्यों न सबसे पहले इन्हीं सुपर अर्थ के बारे में जान लिया जाए! “मित्रों, सुपर अर्थ ग्रहों की एक श्रेणी है, जहां हमारी पृथ्वी से आकार में ज्यादा बड़े व भारी ग्रह रहते हैं। हालांकि इनका आकार और वजन गैस से बने ग्रहों जैसे नेपच्यून और यूरेनस से कम रहता है“। इसके अलावा एक खास बात ये भी है कि, सुपर अर्थ वाले ग्रहों का आकार हमारे पृथ्वी के तुलना में 2 से 10 गुना तक ज्यादा बड़ा हो सकता है।
हालांकि! कई बार सुपर अर्थ वाले ग्रहों को एक रिफेरंस के हिसाब से भी देखा जाता है, जहां इनके आकार को दूसरे एक्सो-प्लैनेट्स के साथ तुलना कर के उनके सटीक आकार के बारे में पता लगाया जाता है। इसलिए हर बार एक सुपर अर्थ हमारे लिए पृथ्वी की तरह रहने लायक ही हो, ये संभव नहीं हो पाता है। मित्रों! इसके नाम में भले ही “अर्थ” शब्द का प्रयोग क्यों न किया गया हो, परंतु हमेशा नाम से काम नहीं बनता है। वैसे एक खास बात ये है कि, हम इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं।
सुपर अर्थ की श्रेणी में आने वाले ग्रह न तो हमारे सौर-मण्डल में हैं और न ही हमारे आस-पास मौजूद किसी दूसरे सौर-मण्डल के अंदर। इस तरीके के ग्रह अकसर सुदूर आकाशगंगाओं के अंदर दिखाई देते हैं।
वैज्ञानिकों को मिले दो पृथ्वी जैसे ग्रह! – (Habitable Super Earth In Hindi) :-
हाल ही में की गए एक खोज से ये पता लगा है कि, वैज्ञानिकों को दो नए पृथ्वी (habitable super earth in hindi) जैसे ग्रह मिल गए हैं। इन दो नए ग्रहों ने एक्सो-प्लैनेट्स (Exo-planets) की सूची को और भी ज्यादा लंबा कर दिया है। मूलतः एक्सो-प्लैनेट्स हमारे सौर-मण्डल के बाहर मौजूद ग्रह आदि हैं, जो कि किसी दूसरे सौर-मण्डल का हिस्सा भी हो सकते हैं। खैर ये दोनों ही नए ग्रह बाकी एक्सो-प्ल्लैनेट्स के तुलना में काफी ज्यादा खास हैं। क्योंकि इनके अंदर कुछ ऐसे खूबियाँ हैं, जिसको देख कर वैज्ञानिक इनके प्रति खींचे चले जा रहें हैं।
एक तो ये दोनों ही ग्रह पृथ्वी से काफी ज्यादा पास हैं। वैसे सूत्रों के अनुसार ये दोनों ग्रह पृथ्वी से मात्र 100 प्रकाश वर्ष कि दूरी पर स्थित हैं। इसके अलावा एक ग्रह हूबहू पृथ्वी की तरह ही दिखाई दे रहा है। वैज्ञानिकों को लग रहा है कि, इन ग्रहों के ऊपर “Habitable Zone” हो सकता है, जहां जीवन पनप सकता है। वैसे इस जोन के अंदर पानी तरल अवस्था में रह सकता हैं और जीवन के लिए अन्य जरूरी चीज़ें भी यहाँ मौजूद रह सकती हैं। खैर संभावना हैं कि, इस जोन में उचित मात्रा में “Star Light” भी पड़ती होगी, जिससे वहाँ का तापमान भी रहने लायक हो सकता है।
आखिर कैसे ढूंढा जाता है इस तरह के ठंडे सितारों को! :-
दोस्तों! TOI-4306 के जैसे ठंडे सितारों और उसके चारों तरह घूम रहे ग्रहों (habitable super earth in hindi) को ढूंढना बिलकुल भी आसान नहीं है। इन ग्रहों को ढूँढने के लिए वैज्ञानिक “Combined Near-infrared Sensitive Ground-based Telescopes” को उपयोग में लेते हैं। इसके अलावा वैज्ञानिक मेक्सिको में लगे “SAINT-EX telescope” का भी इस्तेमाल करते हैं। वैसे आप यहाँ खुद भी देख सकते हैं कि, दो ग्रहों और एक सितारे को ढूँढने के लिए वैज्ञानिकों को कितनी ज्यादा मेहनत करनी पड़ रहीं है और कितने तरह के टेलिस्कोप्स का भी उपयोग करना पड़ रहा हैं।
खैर वैज्ञानिकों को लगता है कि, खोजे गए ये दोनों ही नए ग्रह पृथ्वी से आकार में 30-40 गुना तक बड़े हो सकते हैं और इन दोनों ही ग्रह के अंदरूनी हिस्से पत्थर से ही बने हुए होंगे। वैसे एक खास बात ये है कि, ये दोनों ही ग्रह अपने सितारे कि परिक्रमा काफी तेजी से कर लेते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार जहाँ एक ग्रह को अपने सितारे के चारों तरफ एक बार घूमने के लिए लगभग 8.5 दिनों का समय लग जाता हैं, वहीं दूसरा ग्रह मात्र 2.7 दिनों में पूरी परिक्रमा कर लेता है।
मित्रों! TOI-4306 सूर्य की तुलना में काफी ज्यादा ठंडा होने के कारण इसके पास मौजूद दो ग्रहों में से एक ग्रह के ऊपर जीवन की उत्पत्ति हो सकती है। ये ग्रह जीवन के लिए इतना अनुकूल है कि, आप शायद ही सोच सकें। ये ग्रह पृथ्वी के जितना ही सोलर रेडिएशन प्राप्त करता है, जिसका ये अर्थ हुआ कि, इसके ऊपर तरल पानी हो सकता है। जो कि जीवन का स्रोत है। वैसे वैज्ञानिक इसके बारे में अभी जानकारी जूटा रहें हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, नासा के द्वारा खोजे गए ये दोनों ग्रह “TOI-4306” नाम के सितारे के चारों तरफ चक्कर काटते हैं। खैर इस सितारे का तापमान हमारे सूर्य के मुक़ाबले आधा है और ये काफी ज्यादा रोचक बात है। वैसे रोचक इसलिए कि, ये सितारा ठंडे सितारों कि श्रेणी में आता है और इसे ढूंढ पाना अपने-आप में ही एक चुनौती है। वैज्ञानिक इस तरह के सितारों को ढूँढने के लिए “TESS” टेलिस्कोप का इस्तेमाल करते हैं।
वैसे इस ग्रह (habitable super earth in hindi) के ऊपर अभी से इतना विश्वास करना सहीं नहीं होगा, क्योंकि इससे पहले भी वैज्ञानिकों को इस प्रकार के कई ग्रह मिल चुके हैं। सिर्फ हैबिटेबल जोन के अंदर ग्रह कि मौजूदगी ग्रह को जीवन के लिए पूरे तरीके से सुरक्षित नहीं करती है। चूंकि इसके पीछे कई कारण जैसे जलवायु और उसकी बनावट, सतह का तापमान, भौगोलिक संरचना आदि जिम्मेदार होते हैं, तो इसके ऊपर गहन शोध होना बहुत ही जरूरी है। फिलहाल के लिए इस पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी ही हमारा इकलौता घर है।
इसलिए आप सभी लोगों से सविनय निवेदन है कि, जितना हो सके उतना पर्यावरण को साफ रखने का प्रयास करते रहें। ताकि आने वाले समय में हमारी अगली पीढ़ी यहाँ चैन और शांति से रह पाए, वरना यहाँ रहना भी काफी बड़ी बात हो जाएगी। इंसान को प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुंह न मोड़ते हुए, उसको ईमानदारी से निभाना चाहिए।
Sources – www.nasa.gov