हमारा ब्रह्मांड इतना विशाल है कि इसमें मौजूद खतरों को कभी भी मापा नहीं जा सकता। हमारी मिल्की वे गैलेक्सी में ही ना जाने कितने सारे पत्थर टहल रहे हैं जो कभी भी हमारे सूर्य मंडल में आकर हम इंसानों को पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, खतरा इसलिए भी है क्योंकि हमारा सूर्य पूरे सूर्य मंडल के साथ मिल्की वे गैलेक्सी का चक्कर लगा रहा है और यह ऐसे ऐसे एरिया से गुजरता है जहां पर सुपरनोवा हो सकते हैं, जो एक चुटकी में ही हम इंसानों को खत्म कर सकते हैं। विज्ञान और टेक्नोलॉजी इतनी तेज आगे बढ़ रहे हैं कि वैज्ञानिकों ने इतनी कठिन दिक्कत का भी एक उपाय निकाल लिया है और वह उपाय यह कहता है कि हम अपने सूर्य को ही नियंत्रित करके बिल्कुल एक रॉकेट की तरह ही उसकी दिशा को बदलते जाएंगे और इसके लिए हमें एक आधुनिक टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी जिसे कहा जाता है स्टेलर इंजन (Stellar Engine In Hindi)
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आखिर यह स्टेलर इंजन होता क्या है ?
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह एक ऐसे तरह का इंजन होता है जो स्टेलर लेवल (Stellar Level) पर बनाया जाएगा यानी एक ऐसे लेवल पर जिससे किसी ग्रह है या सूर्य को ही चलाया जा सके। दरअसल यह करता भी कुछ ऐसा ही है।
सबसे पहले स्टेलर इंजन का आइडिया Leonid Shkadov के द्वारा दिया गया था। इन्होंने क्लास ए स्टेलर इंजन के बारे में बताया था। दरअसल इस स्टेलर इंजन (Stellar Engine In Hindi) को भी अलग-अलग क्लास में बांटा गया है क्योंकि उनके अलग-अलग प्रकार होते हैं।
जैसे-जैसे क्लास बढ़ती जाती है वैसे-वैसे स्टेलर इंजन का मॉडल भी और ज्यादा अच्छा होता जाता है। हम आपको स्टनर इंजन से जुड़े दो सबसे सॉलिड आइडियाज के बारे में बताएंगे जिसमें से पहला है Shkadov Thruster और दूसरा है Caplan Thruster. आइए चर्चा करते हैं इनके बारे में।
सबसे पहले आता है Class A stellar Engine
इस स्टेलर इंजन में रॉकेट प्रिंसिपल का यूज किया जाता है यानी जिस तरह से एक रॉकेट मूव करता है कुछ वैसे ही यह स्टेलर इंजन भी सूर्य को मुव कराएगा।
दरअसल यह एक बहुत बड़ा सा स्ट्रक्चर होगा जो सूर्य के किसी भी नॉर्थ पोल या साउथ पोल पर इस तरह से सेट किया जाएगा कि वह सूर्य का चक्कर ना लगाएं। इस स्ट्रक्चर को बैलेंस, रेडिएशन प्रेशर और गुरुत्वाकर्षण की मदद से किया जाएगा, कुछ उसी तरह जिस तरह तारे बैलेंस में रहते हैं।
सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा या कह सकते हैं रेडिएशन प्रेशर इस स्ट्रक्चर को बाहर कि ओर ढकेलेगा, वहीं सूर्य का गुरुत्वाकर्षण इसे अंदर की तरफ खींचेगा जिसकी वजह से यह अपनी जगह पर टिका रहेगा।
इस बात से यह भी बात हमें जान लेनी चाहिए कि जिस भी मटेरियल से यह स्ट्रक्चर बनाया जाएगा वह काफी ज्यादा हल्का और मजबूत होना चाहिए जैसे अल्युमिनियम का कोई एलॉय (Alloy)। इस स्ट्रक्चर को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि सूर्य से निकलने वाला रेडिएशन प्रेशर इस शीशे जैसी दिखने वाली चीज से टकराकर वापस से सूर्य की तरफ चला जाए जिससे सूर्य बहुत धीरे-धीरे शीशे की उलटी दिशा में चलना शुरू हो जाएगा।
धीरे-धीरे सूर्य को अपनी जगह से करेगा दूर
इसके लिए स्टेलर इंजन (Stellar Engine In Hindi) को एक कटोरी के जैसा ना बनाकर एक चम्मच के ऊपरी भाग जैसा बनाया जाएगा। यह तरीका काफी धीमा होगा लेकिन शुरुआत करने के लिए इतना ही हम इंसानों के लिए बहुत है।
यहां पर हमें किसी भी ग्रह की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जो भी चीज सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधी हुई है वह अपने आप ही सूर्य के साथ बढ़ती रहेगी फिर चाहे वह हमारी धरती हो या फिर कुछ और।
जब इस स्ट्रक्चर को सूर्य के पास लगे हुए करीब लाख साल हो जाएंगे तब यह सूर्य पर इतना प्रेशर डालने के काबिल हो चुका होगा कि यह सूर्य को 20 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ा पाए।
1000000 सालों में यह सिर्फ 0.03 Light Years ही बढ़ पाया होगा. इसी के करीब एक अरब साल बाद यह गति 20 मीटर प्रति सेकंड से 20 किलोमीटर प्रति सेकंड हो जाएगी जो ब्रह्मांड की नजरों में तो कुछ नहीं है लेकिन सूर्य जैसे बड़े ऑब्जेक्ट को Move करने में अगर हम इस गति को भी प्राप्त कर लेंगे तो हम बहुत ही ज्यादा एडवांस्ड हो चुके होंगे। इस समय तक हम अंतरिक्ष में 34000 प्रकाश वर्ष (Light Years) आगे जा चुके होंगे यानी आकाशगंगा का करीब एक तिहाई हिस्सा हमने पार कर लिया होगा।
आइए अब जानते हैं Caplan Thruster के बारे में।
यह एक बहुत बड़ा स्पेस स्टेशन होगा जो Dyson Sphere की मदद से उर्जा को ले रहा होगा और इस ऊर्जा की मदद से अपने अंदर न्यूक्लियर फ्यूजन करता रहेगा। सूर्य से इतनी ऊर्जा लेने के बाद यह उस ऊर्जा को अंतरिक्ष में एक ही पॉइंट की तरफ रिलीज करेगा वह भी प्रकाश की 1% गति पर।
सूर्य से एनर्जी लेने के लिए इसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का सहारा लेना पड़ेगा और फिर यह सूर्य के द्वारा अंतरिक्ष में छोड़ी गई हाइड्रोजन और हीलियम को इंजन में ले पाएगा और खुद को पावर कर पाएगा। लेकिन सूर्य, Solar Storm के जरिए इतने ज्यादा पार्टिकल्स नहीं छोड़ता और यहीं पर काम आएगा Dyson Sphere का।
इसकी मदद से सूर्य के एक निश्चित पॉइंट पर ज्यादा से ज्यादा एनर्जी को फोकस किया जाएगा जिससे सूर्य हाइड्रोजन और हीलियम को बहुत भारी मात्रा में बाहर फेकेगा और यह बाहर फेकी गई हाइड्रोजन और हीलियम स्टेलर इंजन में जाएगी जिससे वह तेजी से काम करने लगेगा।
क्या स्टेलर इंजन (Stellar Engine In Hindi) सूर्य की उम्र कम कर देगा?
इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि स्टेलर इंजन सूर्य के गुरुत्वाकर्षण की वजह से उसमे ही ना चला जाए और इसीलिए स्टेलर इंजन के पीछे से भी एक Jet को निकाला जाएगा जो बेसिकली इसे बैलेंस में रखेगा।
कई लोगों के दिमाग में यह सवाल आ सकता है कि सूर्य से एनर्जी लेने पर कहीं उसकी लाइफ स्पैन तो कम नहीं हो जाएगी यानी वह जितने साल जीने वाला है वह साल कम तो नहीं हो जाएंगे ?
खैर हम आपको बता दें इससे सूर्य की उम्र कम नहीं बल्कि और ज्यादा बढ़ जाएगी क्योंकि एक तारा जितना धीरे-धीरे जलेगा वह उतने ही साल जिएगा। इससे हम इंसानों को भी ब्रह्मांड में और ग्रहों को ढूंढने का समय मिल जाएगा या ऐसा भी हो सकता है कि हम तब तक पृथ्वी को छोड़कर कहीं किसी और ग्रह पर जा चुके हों। Caplan Thruster के जैसे एक megastructure की मदद से हम अपने सूर्यमंडल को ही एक स्पेसशिप बना देंगे।
निष्कर्ष – Conclusion
खैर यह था स्टेलर इंजन (Stellar Engine In Hindi) का आईडिया जो फिलहाल तो हम इंसानों की पहुँच से दूर है लेकिन आने वाले समय में बढ़ती टेक्नोलॉजी की मदद से शायद हम कभी ऐसी भी चीज को असलियत में बना पाए और सच में अपने सूर्य को ही कंट्रोल करके ब्रह्मांड के किसी और कोने में ले जाएं।
अगर हम ऐसा करने में सक्षम होते हैं तो हम शायद इस ब्रह्मांड की पहली ऐसी प्रजाति होंगे जिन्होंने ऐसा कर दिखाया होगा। इन्ही छोटी छोटी सीढ़ियों को चढते हुए शायद एक दिन हम पूरे ब्रह्मांड को ही अपने कब्जे में कर चुके होंगे।