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प्रकृति में नीला रंग आखिर क्यों दुर्लभ है, नीले रंग के जीव हमें क्यों नहीं दिखाई देते! – Why Blue Things In Nature Are So Rare!

नीले वर्ण वाले कुत्ते, बिल्ली हमें इस वजह से दिखाई नहीं पड़ते हैं, जाने इससे जुड़ी आश्चर्यजनक बातें।

जब भी मेँ प्रकृति को मैं इन आँखों से देखता हूँ तो, हमेशा एक रोमांच की अनुभूति से पूरा शरीर खिल उठता है। ऐसा प्रतीत होता है की, प्रकृति ने कुछ जादू ही कर दिया हो। यूं तो प्रकृति और संसार में कई सारी आश्चर्यजनक चीज़े मौजूद हैं, परंतु हम इंसानों ने अभी तक उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जाना है। जब भी जीव-जंतु और पेड़-पौधों की बात आती है तो सबसे पहले भूरे और हरे रंगों की कई सारे छवियाँ हमारे मन में आती हैं। परंतु क्या कभी आपके मन में नीले रंग (blue things in nature) की कोई छवि आयी है। हाँ! जी भाई मेँ नीले रंग की ही बात कर रहा हूँ।

आखिर नीला रंग क्यों दुर्लभ है - Blue Things In Nature Is So Rare.
नीले रंग की पक्षी | Credit: Word Press.

शायद आप सभी लोगों का जवाब नहीं ही आयेगा। परंतु आखिर क्यों? मित्रों! इसी क्यों के जवाब पर आज का हमारा लेख आधारित है। कहने का तात्पर्य ये है की, आज के इस लेख में हम जानेंगे को आखिर क्यों हमारे प्रकृति में नीले रंग (blue things in nature) के जानवर दिखाई नहीं देते है? आखिर क्यों नीला रंग प्रकृति में इतना दुर्लभ है? दोस्तों! नीला रंग हमारे प्रकृति का एक छुपी हुई पहली है, जिसके बारे में जानना आप लोगों के लिए बहुत ही जरूरी है। इससे आप लोगों को प्रकृति की नैसर्गिक गुणों को और बेहतर से जानने का मौका मिलेगा।

तो, अब चलिये इस लेख को आगे बढ़ते है और नीले रंग के पीछे छुपी मार्मिक बातों को जानते है।

प्राकृतिक नीले रंग को ढूँढना हैं बहुत ही मुश्किल! – Blue Color Is Difficult To Find In Nature! :-

अगर आप थोड़ा गौर से अपने आस-पास मौजूद जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों को देखेंगे तो पाएंगे की, नीले वर्ण वाली कोई भी जीवित चीज़ आपके पास मौजूद ही नहीं है। सरल भाषा में कहूँ तो, क्या कभी आपने नीले वर्ण का कुत्ता, बिल्ली या भेड़-बकरी को देखा है। नहीं न! मैंने भी नहीं देखा है। तो, सवाल उठता हैं की नीले वर्ण के जीव क्या सच में विरल है। जवाब हैं, हाँ! नीले वर्ण के जीव प्रकृति में बहुत ही कम है।

आखिर नीला रंग क्यों दुर्लभ है - Blue Things In Nature Is So Rare.
नीले रंग की किट | Credit: You Tube.

अगर मेँ कहूँ तो, प्रकृति में शायद दो या तीन ऐसे जीव होंगे जिनका वर्ण नीला है। इन जीवों के अंदर में से मेंढक और कुछ विशेष प्रजाति के तितली शामिल है। जो की दिखने में नीले वर्ण के हैं। खैर जो भी हो नीले वर्ण को धारण करना संसार में बहुत ही ज्यादा आकर्षक दिखता है। इसके अलावा मेँ और भी बता दूँ की, आपको शायद ऐसे भी पक्षियाँ नजर आएंगी जिनका वर्ण भी लगभग नीला होगा। हालांकि ऐसे भी कई पक्षियां मौजूद हैं जिनके पंखों का रंग आंशिक रूप से नीला होता है।

मित्रों! जो भी हो परंतु आप इस बात को ठुकरा नहीं सकते की, प्रकृति में नीला रंग बहुत ही दुर्लभ है। अगर हम जीव जगत में अपनी नजर डालें तो, इस बात की मार्मिकता का बोध आप लोगों को चंद सेकंड में मिल जाएगा। नीले रंग (blue things in nature) को प्रकृति ने बहुत ही विशेष जगहों पर इस्तेमाल किया है। वैसे हरे और भूरे रंग को प्रकृति ने बहुत ही भारी मात्रा में हर जीवों के अंदर इस्तेमाल किया है।

आखिर क्यों प्रकृति में नीले रंग के जीव दिखाई नहीं देते हैं, क्या है इसके पीछे की छुपी हुई पहली – Why Blue Things In Nature Are So Rare! :-

प्रकृति में जो भी चीज़ मौजूद हैं या हो रहा है, उन सभी चीजों के पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य ही है। इसलिए नीले रंग के (blue things in nature) दुर्लभता के पीछे का कारण भी अवश्य ही कुछ न कुछ है। आमतौर पर रंग जीवों के वर्ण खान-पान और जलवायु के ऊपर निर्भर करता है। जिस तरह का खाना जीव खाएगा ठीक उसी हिसाब से उसके शरीर का रंग होगा। इसलिए खाने के आधार पर शरीर के वर्णों के बारे में पता लगाया जा सकता है।

आखिर नीला रंग क्यों दुर्लभ है - Blue Things In Nature Is So Rare.
फ्लेमिंगो की तस्वीर | Credit: Phys.

मित्रों! उदाहरण के तौर पर आप फ्लेमिंगो (Flamingo) पक्षियों को ही देख लीजिये। जन्म से ही इन पक्षियों का वर्ण “ग्रे” (Gray) होता है और ये इनका प्राकृतिक रंग है। परंतु जब ये बड़े होते है तो अपने खान-पान के चलते इनका रंग गुलाबी हो जाता है। गुलाबी रंग में परिवर्तित होने के बाद ये काफी आकर्षक और खूबसूरत दिखते है। बता दूँ की, खाने में ये ज़्यादातर नीले-हरे शैवाल” (Blue-green Algae) और ब्राइन” झींगा (Brine-Shrimp) खाते है। ब्राइन झींगा देखने में चटख गुलाबी रंग का होता है, इसलिए जब फ्लेमिंगो पक्षियां इन्हें बहुत ज्यादा मात्रा में खाती है तो उनका रंग भी गुलाबी हो जाता है। आशा करता हूँ की, इस उदाहरण के जरिये आप समझ गए होंगे की जीवों के वर्ण का रंग कैसे निर्धारित होता है।

हमारे त्वचा के रंग को भी बदला जा सकता है इस अद्भुत तकनीक के जरिये:-

वैसे एक बहुत ही गज़ब की बात जानना चाहेंगे? चलिये बता ही देता हूँ। अगर आप दिन में 10 से ज्यादा गाजर खाएंगे तो आपके त्वचा का रंग कुछ हफ्तों में हल्के नारंगी रंग में बादल जाएगा। इसके पीछे का कारण भी मेँ आप लोगों को बता देता हूँ। दरअसल बात ये हैं की, प्रत्येक गाजर के अंदर लगभग 20 से 50 मिलीग्राम बीटा-केरोटीन (Beta-Carotenes) रहता है। जिसको खाने के बाद आपके शरीर का रंग हल्के नारंगी में बदल जाएगा।

आखिर नीला रंग क्यों दुर्लभ है - Blue Things In Nature Is So Rare.
गाजर को खा कर आप भी बदल सकते हैं अपने त्वचा का रंग | Credit: Better Me.

नीले रंग में छुपी हुई हैं कई सारे अनजान बातें – Blue Is The New Strange Puzzle! :-

अब जब मैंने आप लोगों को केरोटीन पिग्मेंट के बारे में बताया तो, आप लोगों को अवश्य ही थोड़ी जानकारी हो चुकी होगी की संसार में जीतने भी वर्ण के जीव हैं सब की अपनी-अपनी पिग्मेंट है। जो की सत्य है। वैज्ञानिक कहते हैं की, जीवों में रंगों का प्रदर्शन उनके अंदर मौजूद रंगों के पिग्मेंट से निर्धारित होता है। परंतु क्या ये बात नीले रंग (blue things in nature) वाले जीवों में भी यथार्थ है। मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी की ये बात नीले रंग वाले जीवों के क्षेत्र में सही नहीं है।

आखिर नीला रंग क्यों दुर्लभ है
तितली के पंख की माईक्रोस्कोपिक दृश्य | Credit: KQED.

जी हाँ! नीले रंग वाले जीतने जीव है उनके अंदर नीले रंग का पिग्मेंट नहीं होता है। यह रंग एक विशेष प्रक्रिया के जरिये हमें दिखाई देती है। मेँ आगे इसके बारे में विस्तृत रूप में बताऊंगा, परंतु अब के लिए इतना ही जान लीजिए की नीले वर्ण वाले जीतने जीव है उन सभी के अंदर एक विशेष संरचना होती है जो की नीले रंग को प्रतिबिंबित (Reflect) करता है।

पक्षियों के जगत में अगर हम नीले रंग को देखें तो, कई सारे माइक्रोस्कोपिक संरचनाओं के बारे में हमें पता चलता है। जी हाँ! आप लोगों को नीले रंग का कोई मौलिक पिग्मेंट देखने को नहीं मिलता है। हर एक पक्षियों के पंख में आप लोगों को अलग-अलग तरह के संरचना देखने को मिलती है जो की अलग-अलग तरीकों से नीले रंग को प्रतिबिंबित करता है। कुछ-कुछ पक्षियों के अंदर मोतियों से जैसी संरचना देखने को मिलती हैं तो कुछ-कुछ में क्रिस्टल” जैसी। इसलिए हर एक पक्षी के बारे में शोध करना बहुत ही जरूरी हो जाता है।

पंखों की संरचना और नीला रंग! :-

मैंने ऊपर ही कहा है की, संरचनाओं के अंधार पर नीले (blue things in nature) को हम पक्षियों के अंदर देख सकते है। इसलिए मैंने लेख के इस भाग में एक उदाहरण के जरिये इस वाक्य को आप लोगों को समझाना चाहा है, तो आप लोगों से आशा है की इसे थोड़ा धैर्य के साथ पढ़ेंगे।

Blue Jay Bird Photo.
ब्लू जे पक्षी | Credit: Kz Rv.

हम लोग यहाँ पर उदाहरण के तौर पर ब्लू-जे” (Bluejay) पंख को ही ले लेते हैं। देखने में ये पंख बहुत ही सुंदर और नीले रंग का है। परंतु अगर हम माइक्रोस्कोप के जरिये इसके सूक्ष्म संरचना को गौर से देखते हैं, तो पता चलता है की इसके अंदर मोती जैसे कुछ बहुत ही छोटी-छोटी चीज़ मौजूद है। मित्रों! इसी छोटी-छोटी चीजों के वजह से ये पंख हमें नीला दिखता है।

मित्रों! ब्लू-जे पंख में बनी मोतियों जैसी इन संरचनाओं के ऊपर जब प्रकाश के किरणें पड़ती हैं तब ये संरचना कुछ इस तरह से काम करता है की सिर्फ नीला रंग ही यहाँ से प्रतिबिंबित हो पाता है। बाकी के सारे रंग इन्हीं मोतियों जैसी संरचना के अंदर फंस कर रह जाती है। वैसे अगर हम यहाँ पर मोर की पंखों के बारे में बात करें तो, पता चलता हैं की मोर के पंख में “Microscopic Lamallae” जैसे संरचना देखने को मिलती है। यह संरचना प्रकाश के किरणों में “Interference” करता है, जिससे पंखों का रंग नीले रंग का दिखाई पड़ता है।

प्रकृति की अजब सी माया! :-

वैसे इंसानों के अंदर जो नीली-नीली आँखें होती है वो भी इन्हीं संरचनाओं के कारण ही संभव है। कुल मिलाकर इतना कहा जा सकता हैं की, नीले रंग का कोई पिग्मेंट किसी भी जीवित चीज़ को नीला रंग नहीं दे सकता हैं। हालांकि! नीले रंग के जैसा कोई पिग्मेंट होता ही नहीं है। मित्रों! प्रकृति वाकई में बहुत ही अनोखी चीजों को बनाती है, जहां एक तरफ कई मिल गहरी महासागर का रंग नीला है वहीं दूसरे तरफ जीव जगत में नीले रंग वाले जीव लगभग न के बराबर ही हैं।

Blue color in Plant kingdom.
पेड़-पौधों की जगत में नीला रंग | Credit:Blueplants.

पता चलता है की, संसार में प्रति 10 में से मात्र एक ही पौधे पर नीला फूल खिलता हैं। आप लोगों को क्या लगता हैं दोस्तों, क्या नीला रंग प्रकृति में ढूँढना मुश्किल हैं? क्या आपने कभी नीले रंग का फूल या जीव देखा है। हमें आप अपने कमेंट्स के जरिये बता जरूर ही सकते है। हमें खुशी होगी।

नीले वर्णों वाले जीवों के नीले रंग होने के पीछे का विज्ञान! –

मित्रों! लेख के इस भाग में हम नीले (blue things in nature) रंगों वाली जीवों को विज्ञान के नजर से देखते है। वैसे पहले बता दूँ की, ये प्रक्रिया भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें बहुत ही सूक्ष्म संरचनाओं का इस्तेमाल होता है।

आखिर नीला रंग क्यों दुर्लभ है
नीले रंग कैसे बनता है जीवों के अंदर | Credit: Research Gate.

मूल रूप से अगर दो प्रकाश की किरणें आपस में टकराती हैं, तब दोनों ही किरणों के अंदर “Interference” बनता हैं। Interference बनने के कारण जिस वस्तु पर किरणें पड़ती है, उस वस्तु से केवल एक ही प्रकाश की किरण (जिसका तरंग दैर्ध्य) निकल पाती हैं। इस प्रक्रिया को विज्ञान में “Constructive Interference (CI)” कहते हैं। हालांकि कुछ-कुछ क्षेत्र में दोनों ही किरणें वस्तु के द्वारा सोख ली जाती हैं जिसे की “Destructive Interference (DI)” कहा जाता है। मित्रों! प्रकाश एक तरह से तरंग ही हैं जिस के अंदर आप लोगों को “Crests” और “Troughs” देखने को मिलती हैं।

जब भी CI घटित होता हैं तो दोनों ही तरंगों के Crests और Troughs आपस में औवरलैप कर जाती हैं जिससे अधिक तरंग दैर्ध्य वाली किरण ही वस्तु से प्रतिबिंबित हो पाती है। इस अवस्था को “In Phase” के नाम से पुकारा जाता हैं, वैसे जब DI घटित होता हैं तब “Out of Phase” हुआ है बोला जाता है।

तो जब भी हम नीले रंगों वाली पंखों के ऊपर माइक्रोस्कोप के जरिये प्रकाश के किरणें डालते हैं, तब इसके अंदर मौजूद बहुत ही सूक्ष्म धार-दार लकीरें (पंखों में मौजूद) प्रकाश के किरणों को प्रतिबिंबित करते है। वैसे यहाँ ध्यान रहे की प्रकाश में कुल 7 रंग होते हैं, परंतु नीले रंगे को छोड़ कर बाकी सारे रंग इन धार-दार लकीरों के अंदर घुस जाती हैं और बाहर निकल ही नहीं पाती हैं। इसलिए ये हमें नीले रंग का दिखता है।

नीला रंग हमें इसलिए दिखाई देता है! :-

मित्रों! जब प्रकाश की किरणें तितली के सूक्ष्म पंखों के ऊपर पड़ती है, तो इसके अंदर मौजूद बेहद ही बारीक धार-दार लकीरें नीले (blue things in nature) रंग को छोड़ कर बाकी रंगों के किरणों को “Out Of Phase” कर के विस्तृत कर देती हैं। परंतु नीले रंग के क्षेत्र में ऐसा नहीं है, जब नीला रंग पंखों की बारीक लकीरों पर पड़ता है तब ये “In Phase” की अवस्था में चला जाता है। इससे जब पंखों से रोशनी हमारे आँखों पर पड़ती है तब कुल दो समान तरंग दैर्ध्य और आवृत्ति के किरण हमें देखने को मिलती है।

Interference of light in feather.
पंख के ऊपर प्रकाश के किरणों का प्रभाव | Credit: Scienceabc.

इसलिए हमें पंखों का रंग नीला दिखाई देता है। वैसे और एक बात पर मेँ आप लोगों का ध्यान खींचना चाहता हूँ, अगर अपने गौर किया होगा तो पता चलेगा की; बिना सूक्ष्म संरचना के ये पंख नीले रंग को प्रतिबिंबित नहीं कर सकते है। इसलिए अगर इन संरचनाओं के अंदर हवा के अलावा कोई अलग द्रव्य (एल्कोहौल) डाल दिया जाता है तो ये नीले रंग को प्रतिबिंबित करने में सक्षम नहीं हो पाते है।

हालांकि! सूक्ष्म धार-दार लकीरों के अलावा प्रकाश के प्रसंग किरण की इन संरचनाओं के साथ बनने वाला कोण भी नीले रंग को प्रदर्शित करने के लिए बहुत ही जरूरी है। बिना उचित कोण के आप नीला रंग देख ही नहीं पाएंगे।

क्या पेड़-पौधों में भी नीला रंग दुर्लभ हैं! :-

मैंने लेख में हर बार जीव जगत के विषय में ही कहा है। परंतु इसी दौरान हमने पेड़-पौधों के दुनिया के बारे में कुछ भी जिक्र नहीं किया है। तो, चलिये एक नजर इनके ऊपर भी डाल लेते है और जानने का प्रयास करते है की; क्या सच में इनके जगत में भी नीला रंग दुर्लभ है।

Blue flower is the most beautiful colored flower.
नीला फूल | Credit: Pintrest.

मित्रों! ठीक जीवों के भांति ही पेड़-पौधों के दुनिया में भी नीला (blue things in nature) रंग बहुत ही दुर्लभ है। या यूं कहें की, यहाँ पर भी कोई प्राकृतिक नीले रंग का पिग्मेंट हैं ही नहीं। इसलिए हमको ज़्यादातर नीले रंग के फूल या पौधे देखने को नहीं मिलता है। वैज्ञानिकों का माने तो पौधे एक लाल रंग के पिग्मेंट जिसे की “Anthocyanin” कहा जाता है उसे नीला रंग बनाने के लिए इस्तेमाल करते है। पौधे इस पिग्मेंट को दूसरे पिग्मेंट के साथ मिला कर नीले रंग को बनाते है। इनके पास भी स्वतंत्र रूप से कोई नीला पिग्मेंट नहीं है। तो आप इसी से ही अंदाजा लगा सकते है की, आखिर नीले रंग की दुर्लभता कितनी ज्यादा है।

कुछ जीव विज्ञानी ये भी कहते है की, pH स्केल में परिवर्तन ला कर पौधे अपने फूलों का रंग नीला कर लेते है। वैसे इसके ऊपर वैज्ञानिकों का गहन शोध चल रहा है और इसके बारे में और भी ज्यादा तथ्य आना बाकी है। पौधों की आनुवंशिक विज्ञान को पढ़ कर भी इस नीले रंग के पीछे के कारण को समझा जा सकता है। क्योंकि पौधों में सिर्फ रंग का पिग्मेंट न होना एक बहुत ही चौंकाने वाली बात है। हमें आशा हैं की इसके बारे में जल्द ही कई सारे जानकारियां दुनिया के सामने आने वाली है।

निष्कर्ष – Conclusion :-

मित्रों! क्रमागत विकास (Evolution) के दौरान प्रकृति ने किसी भी जीव या पेड़-पौधे को नीले रंग का पिग्मेंट नहीं दिया है। हालांकि इसमें एक अपवाद “Nessaea obrinus” है जिसके की “Obrina olivewing” भी कहते है। दोस्तों बता दूँ की ये एक तरह की तितली है जो की, बहुत ही दुर्लभ है। देखने में ये जैतून के फल के रंग का है (Olive Color) परंतु सबसे बात ये है की, इसके पंखों में हल्के नीले रंग के आकृति देखने को मिलती है। बता दूँ की, यह हल्का नीला रंग पंखों में मौजूद नीले पिग्मेंट के कारण आया है। जो की बहुत ही विरल है।

Photo of Olivewing.
ऑलिव विंग की फोटो | Credit: Wikiwand.

खैर मित्रों! हमने आज इस लेख के अंदर नीले रंग के विषय में जितना हमारे द्वारा संभव है उतना जाना। नीले (blue things in nature) रंग की दुर्लभता के बारे में हमने दोनों ही जीव और पेड़-पौधों की जगत में झांक कर देखा। बाकी रंगों की तरह नीला भी एक रंग है, परंतु इस लेख से ये प्रमाणित हुआ की ये सिर्फ एक रंग नहीं है ये एक तरह से एक पहली है। आशा करता हूँ की, इस लेख से आप लोगों को कुछ नई बातें सीखने को मिला होगा।

Sources :- www.scienceabc.com, www.wordpress.com, www.adelaide.edu.au, YouTube (It’s Ok To Be Smart)

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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