इंसानों को कई तरह की बीमारियां होती हैं, जिनमें से ज़्यादातर बीमारियां जानवरों से ही आती हैं। कहने का तात्पर्य यह है की, इंसानी शरीर में जीतने भी रोग संक्रमित हो कर आती हैं उन में से ज़्यादातर रोग चमगादड़ (why bats contain lots of viruses) या ऐसे ही कई अजीबो-गरीब जानवरों से आती हैं। हालांकि, ऐसा देखा गया हैं की इन जानवरों से आने वाली बीमारियों के बारे में हमें आज भी बहुत कम जानकारी हैं। इसके विपरीत सीधे तौर पर किसी बैक्टीरिया या वायरस से होने वाली बीमारियों के बारे में हमें थोड़ा अधिक अवश्य ही जानकारी होती हैं। वैसे बता दूँ की, प्लेग और शायद नॉवेल कोरोना जैसी महामारियां इन्हीं जानवरों से ही इंसानों को संक्रमित होती हैं।
तो, मित्रों आज के इस लेख में हम लोग चमगादड़ (why bats contain lots of viruses) और इनसे जुड़ी कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानेंगे। जिसके अंदर मेँ आपको बताऊंगा की आखिर क्यों, चमगादड़ के अंदर बहुत सारे वायरस अपना घर कर के बैठे हुए होते हैं और कैसे यह इंसानों को संक्रमित करते हैं!
इसके अलावा दोस्तों हम लोग आखिर चमगादड़ से जुड़ी कुछ बहुत ही खास वायरस के बारे में भी बात करेंगे। इसलिए इस लेख को आप आरंभ से लेकर आखिर तक पढ़ते रहिएगा, क्योंकि यह लेख आपके लिए काफी फायदेमंद भी साबित हो सकता हैं।
आखिर क्यों चमगादड़ बनते हैं वायरस के वाहक ? – Why Bats Contain Lots Of Viruses ? :-
मूल रूप से चमगादड़ ऐसे जीव होते हैं जो की, अपने अनोखी शारीरिक संरचना के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा इन्हें जानवर और पक्षियों के बीच का ब्रिज भी माना जाता हैं। अब तक वैज्ञानिकों ने चमगादडों के अंदर लगभग 137 अलग-अलग प्रकार के वायरस को ढूंढ कर निकाला हैं।
चमगादड़ (why bats contain lots of viruses) से होने वाली बीमारियां इंसानों के लिए समय-समय पर काफी खतरनाक भी साबित हुई हैं। भारत में कुछ समय फैली Nipah Virus के कारण लोगों की मरने की औसत 90% से भी अधिक था। इसके चमगादड़ से जुड़ी कई ऐसी भी बीमारियां है, जिसका की आज भी कोई इलाज या दवा नहीं हैं। शोध से पता चला है की, चमगादडों के अंदर प्राथमिक तौर पर 60 से अधिक Zoonotic Virus होते हैं जो की बहुत ही सरल तरीके से इंसानों को बीमार कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार हर एक चमगादड़ के अंदर कम से कम 1.8 (2 Zoonotic Virus) वायरस होती ही हैं, जो की इंसानों को गंभीर रूप से बीमार कर सकती हैं। आज के समय में आप चमगादड़ों को ज़्यादातर उष्णकटिबंधीय इलाकों में ही देखने को पाएंगे और विडंबना की बात तो यह हैं की, पृथ्वी की कुल आबादी का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा इसी उष्णकटिबंधीय इलाकों में ही रहता हैं। भारी आबादी के कारण अकसर चमगादड़ और इंसानों का आपसी संपर्क बैठ ही जाता हैं जिससे कई सारे वायरस हमारे अंदर आखिर में फैल ही जाती हैं।
वायरस के फैलने की वजह कई हद तक हम भी हैं ! :-
हम लोग जितना भी किसी अन्य जीव को दोष ही क्यों न दें ! परंतु इसके फैलने की असली कारण कहीं न कहीं हम ही हैं। कहने का तात्पर्य यह है की, इंसानी गतिविधियों और लापरवाही के कारण अकसर कई प्रकार के रोग हम को चपेट में ले लेती हैं। उदाहरण के लिए आप मलेशिया को ले लीजिए।
वहाँ पर सूअरों को चमगादड़ रहने वाले जंगलों के पास रखा जाता हैं। जिससे सूअर और खुद इंसान इन चमगादडों के निशाने पर होते हैं। Nipah Virus इसी लापरवाही से सुअरों के कारोबार से ही तो फैला था। इसके अलावा चमगादड़ हमेशा एक दल बना कर रहते हैं, जिसके कारण अगर एक भी चमगादड़ को वायरस ने पकड़ा तो उसके चलते बाद में पूरा चमगादड़ का दल ही वायरस से संक्रमित हो जाएगा।
इतने जानलेवा वायरस के वाहक बनने वाले चमगादड़ आखिर खुद कैसे इतने सुरक्षित हैं ! :-
यहाँ पर आप सभी लोगों के मन में यह सवाल अवश्य ही उठा होगा की, इतने सारे वायरस को लोगों के अंदर फैलाने वाले चमगादड़ (why bats contain lots of viruses) खुद इतने सुरक्षित रहते हैं? तो, मित्रों बता दूँ की चमगादड़ों की रहने की शैली उनको इन वायरस से बचाता हैं।
वैज्ञानिक कहते हैं की, चमगादड़ अपने खुराक की तलाश में अकसर बहुत लंबे-लंबे सफर भी करते हैं जिसके कारण उनके शरीर में मौजूद ऊर्जा का एक बहुत बड़ा हिस्सा इसी उड़ने के काम के लिए खर्च हो जाता हैं। इसके अलावा ज्यादा शारीरिक काम के चलते इनके शरीर के अंदर होने वाली जैवीक क्रिया काफी तेज हो जाता हैं। जिससे इनका प्रतिरक्षा तंत्र भी काफी तत्पर और ताकतवर बन जाता हैं। इसी कारण से उनको वायरस कभी बीमार बना ही नहीं पाते हैं।
और यही वजह हैं की चमगादड़ों को बहुत प्रकार के वायरस अपना घर बनाते हैं, क्योंकि इस में न ही चमगादड़ को कोई हानी होती हैं और न ही वायरस चाह कर भी उनके प्रतिरक्षा तंत्र को बिगाड़ सकता हैं। चमगादड़ के शरीर में वायरस का तो सिर्फ एक की काम होता हैं, सेल्फ रेप्लीकेशन के जरिए अपना विस्तार करना जो की अन्य किसी जीव में इतने तेजी से नहीं हो सकता हैं। वायरस एक बार किसी चमगादड़ के अंदर प्रवेश करने के बाद वह वहाँ पर कई समय तक अपना विस्तार भी कर सकता हैं।
चमगादड़ का प्रतिरक्षा तंत्र और इंसानी प्रतिरक्षा तंत्र में यह हैं अंतर :-
अधिक शोध से यह भी पता चला है की, चमगादड़ों के अंदर STING-interferon pathway नाम का एक बहुत ही सटीक प्रतिरक्षा तंत्र भी रहता हैं। यह तंत्र मूल रूप से चमगादड़ों के अलावा अन्य किसी जीव के अंदर मौजूद नहीं रहता हैं। इस तंत्र का मूल कार्य बहुत ही खास होता हैं। अगर कोई वायरस चमगादड के अंदर बीमारी फैलानी की कोशिश भी करें तो, STING-interferon pathway उस वायरस को काफी तत्परता के साथ खत्म कर देता हैं।
वैसे STING-interferon pathway के चलते चमगादड़ के कुल प्रतिरक्षा तंत्र को वायरस को खत्म करने के लिए काम नहीं करना पड़ता, इसके विपरीत प्रतिरक्षा तंत्र के एक बहुत ही छोटे हिस्से को वायरस को खत्म करने का निर्देश खुद चमगादड़ की प्रतिरक्षा तंत्र देता हैं।
हमारे अंदर जो प्रतिरक्षा प्रणाली हैं दोस्तों, वह शरीर में फैले किसी भी वायरस या बैक्टीरिया को मारने के लिए एक साथ मिल (पूरा तंत्र काम करता हैं) कर काम करता हैं। इसलिए अगर उसी दौरान अगर कोई दूसरा वायरस शरीर के अंदर प्रवेश करता हैं तो उससे लढने के लिए हमारे शरीर के अंदर कोई भी दूसरा सक्षम साधन नहीं होता हैं।
यहाँ पर मेँ आपको और भी बता दूँ की, अगर इंसानी प्रतिरक्षा तंत्र बहुत ही ज्यादा तत्पर भी हो जाता हैं तो वह खुद हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं। इसके कारण बाद में हमें कई सारे Autoimmune बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
आज के समय में दुनिया भर में अपना कहर बरपाता नॉवेल कोरोना इसी चमगादड़ों से आया हुआ हैं, हालांकि इसके ऊपर पुष्टीकरण औपचारिक तौर पर नहीं आया हैं। Lyssavirus नाम का यह विषाणु इंसानों के अंदर रेबीस फैलाने के जिम्मेदार हैं, यह एक चमगादड़ों से फैलने वाली बीमारी हैं। इसके अलावा Hantaviruses भी चमगादड़ों से आया हुआ एक बीमारी हैं। आज के समय में यह विषाणु चमगादड़ के दो प्रजातियों के अंदर पाया जाता हैं। चमगादड़ों के अंदर यह विषाणु फैलती हैं और बाद में यह इंसानों तक संक्रमित हो जाती हैं।
Paramyxoviruses के अंदर आप लोगों को Henipavirus, Nipahvirus और Menanglevirus आदि देखने को मिल जाएंगे। वैसे कुल मिलाकर कहें तो चमगादड़ों के अंदर Paramyxoviruses के कई प्रकार हैं जिसके बारे में अभी भी वैज्ञानिकों को बेहतर जानकारी नहीं हैं। हालांकि! यह कहा जा सकता हैं की यह चमगादड़ों के अंदर पाए जाने वाले सबसे खतरनाक वायरस के श्रेणियों में से एक हैं।
हम लोग 100% तौर से किसी भी नए वायरस को इंसानों के अंदर फैलने से नहीं रोक सकते हैं और न ही बहुत ही जल्दी इससे बचने का टीका भी बना सकता हैं। इसलिए इन बीमारियों से बचने के लिए हम लोगों को सावधानी अवश्य ही बरतनी पड़ेगी। जितना हो सके उतना ही हमें चमगादड़ों से दूर रहना है तथा उनको भी रहने के लिए एक जगह देनी भी पड़ेगी। नहीं तो बार-बार यह हमारे पास आते रहेंगे और हमें बीमार बनाते रहेंगे। इसके साथ ही साथ हमें चमगादड़ों की जीवनशैली के ऊपर और अधिक शोध भी करना पड़ेगा।
Sources :- www.healthamerica.us, www.cmr.asm.org.