हमारा ब्रह्मांड बहुत विशाल है और न जाने आने वाले समय में कितना और विशाल हो सकता है। परंतु, जो खास बात ब्रह्मांड में हैं वो ये हे कि, इसके आकार के अनुपात में हम इंसान बहुत ही ज्यादा छोटे हैं। इतने छोटे कि, हम जितना भी प्रयास कर लें हम इसकी उत्पत्ति और इसमें जीवन (मौजूद पृथ्वी के अलावा अन्य जगह पर मौजूद) के बारे में कुछ भी नहीं जान पाएं हैं। अब तक पृथ्वी ही है, जिस पर हम जीवित रह सकते हैं। वैसे तो, आज पृथ्वी जिस आकार में हैं उसमें तो हमें कुछ परेशानी नहीं होती, परंतु अगर ये अपना आकार बदल कर सपाट (weird life on a flat earth) हो जाए तो क्या होगा?
बचपन से भूगोल कि कक्षा में हमें बार-बार यहीं बताया जा रहा है कि, पृथ्वी का आकार एक संतरे या एक नींबू कि तरह है। यानी पूर्ण तरीके से गोलाकार तो नहीं, परंतु एक गोलाकार के जैसा ही है (ऊपर और नीचे के ध्रुवीय इलाके चपटे हैं)। इसलिए हमें यहाँ पर अमूमन एक ही जैसा जलवायु पूरे साल नियमित समय के अंतराल में महसूस होता है। पर जब पृथ्वी अपना आकार बदल कर सपाट हो जाए (weird life on a flat earth) तो, क्या हमारे जीवन में कुछ असर पड़ेगा और अगर पड़ता भी हैं तो वो कैसा होगा। उसके बारे में आज हम चर्चा करेंगे।
इसलिए निवेदन हैं कि, विषय को समझने के लिए लेख को पूरा पढ़ते रहें।.
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पृथ्वी सपाट हो जाए तो ऐसी होगी हमारी जिंदगी! – Weird Life On A Flat Earth! :-
मित्रों! लेख के इस भाग में मैंने आप लोगों को एक-एक कर के पृथ्वी सपाट होने के बाद हमारी जिंदगी (weird Life On A Flat Earth) कैसी होगी, उसके बारे में बताया हैं।
1. सपाट होने के बाद पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल काम नहीं करेगा! :-
पृथ्वी के करीब-करीब गोलाकार आकार के कारण, यहाँ पर गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) हर एक वस्तु पर समान ढंग से काम करता है। गोलाकार आकार की वजह से गुरुत्वाकर्षण बल चारों दिशाओं से वस्तु को पृथ्वी के केंद्र कि और आकर्षित करते हैं, जो कि एक समान अनुपात में प्रयोग होता है। हालांकि! जब पृथ्वी एक थाली के जैसे चपटी (weird life on a flat earth) हो जाएगी, तब इसकी सतह पर किसी प्रकार का कोई गुरुत्वाकर्षण बल काम नहीं करेगा।
क्योंकि, अगर ये बल चपटी सतह वाली पृथ्वी पर काम करेगा तब ये चपटी सतह वाली पृथ्वी बल के प्रभाव से अपने पूर्व आकार यानी फिर से गोलाकार आकार में आ जाएगी। कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, साधारण अवस्था में जहां पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल सक्रिय रहता है, उस क्षेत्र में पृथ्वी का थाली के जैसा सपाट होना लगभग असंभव ही है।
हालांकि! फिर भी अगर सपाट पृथ्वी के ऊपर गुरुत्वाकर्षण बल काम करता है, तब पृथ्वी के ऊपर तबाही आना सुनिश्चित हैं। क्योंकि, सपाट पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल काम करने से ये सभी चीजों को नॉर्थ पोल के पास खींच लेगा। जिससे पृथ्वी के केंद्र से एक बहुत ही तीव्र बल हर एक वस्तु पर पड़ेगा। इस तीव्र बल से पृथ्वी में विनाश आना तय है।
2. पृथ्वी के पास कोई वायुमंडल नहीं होगा! :-
जीवन के मूल आधारों में पृथ्वी का वायुमंडल भी शामिल है। जैसा कि हमने पहले ही देखा हैं, पृथ्वी अगर सपाट हो जाती है तो तब वह अपने गुरुत्वाकर्षण बल को खो देगी। मित्रों! इसी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही आज हमारा वायुमंडल पृथ्वी के साथ डटा हुआ है, परंतु जब गुरुत्वाकर्षण बल ही पृथ्वी पर नहीं रहेगा तो, हमारा ये ग्रह सौर-मंडल के बाकी ग्रहों के जैसा ही वायुमंडल रहित हो जाएगा। इससे पृथ्वी का आकाश घने काले रंग का दिखने लगेगा।
वायुमंडल के पृथ्वी से गायब होने के पल भर में ही, पृथ्वी के ऊपर मौजूद जीव और पेड़-पौधे विकराल अंतरिक्ष के निर्दयी वातावरण के सीधे संपर्क में आ जाएंगे। जहां पर ऑक्सिजन के अभाव से तत्काल हर एक जीवित चीज़ कि मृत्यु होना सुनिश्चित हो जाएगी। वायुमंडलीय दबाव इतना कम हो जाएगा कि, पृथ्वी पर जीवित रह पाना भी बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा बिना वायुमंडल की पृथ्वी में पानी नहीं रहेगा। ये अंतरिक्ष में उबल कर कहीं खो जाएगा।
क्योंकि, वायुमंडल के न होने से पानी का Vapour Pressure बाहर के एट्मोस्फेरिक प्रेसर की साथ समान हो जाएगा और ऐसा होने से पानी का बोइलिंग पॉइंट भी काफी कम हो जाएगा। जिससे काफी कम तापमान में भी पानी उबलने लगेगा। इसके अलावा पृथ्वी का ज़्यादातर हिस्सा ठंड से बर्फ कि तरह जम जाएगा।
3. सिर्फ तिरछी बारिश ही संभव हो पाएगी पृथ्वी पर! :-
अगर पृथ्वी पतले से थाली के आकार में चपटी हो जाएगी (weird life on a flat earth), तो हमारे ऊपर काफी सारी असुविधाएँ तो आएंगी। परंतु, जो सबसे हताश करने वाली चीज़ घटित होगी वो ये है कि, पृथ्वी के ऊपर अब साधारण ढंग से बारिश नहीं होगी। हर एक प्रकार की बारिश अब सतह से तिरछी कोण में होगी। ऐसे में पृथ्वी में अकाल आना निश्चित ही हो जाएगा।
क्योंकि, पृथ्वी के सपाट आकार के कारण इसका सेंटर ऑफ ग्रैविटी (अगर पृथ्वी के ऊपर ग्रैविटी उस समय में भी सक्रिय होगा तो) नॉर्थ पोल के ऊपर स्थानांतरित हो जाएगा। जिससे इसी अंचल में ही ज़्यादातर बारिश होने लगेगी। ये इसलिए भी होगा क्योंकि, इसी जगह पर ही पृथ्वी का ग्रैविटी सबसे अधिक होगा। ऐसे में जो भी बारिश होगा या तो वो सिर्फ नॉर्थ पोल के ऊपर होगा या बारिश होने कि दिशा नॉर्थ पोल कि और यानी तिरछी होगी।
इसके अलावा सभी नदियां नॉर्थ पोल कि और बहने लगेंगी, जिससे नॉर्थ पोल के ऊपर एक बड़े बबल के आकार में महासागर भी बनने लगेंगे। वाकई में दिखने में ये काफी ज्यादा अजीब दिखेगा।
4. हम सब पृथ्वी पर कहीं खो जाएंगे! :-
पृथ्वी के सपाट आकार के कारण, यहाँ पर नैविगेशन और सुचारु रूप से नहीं हो पाएगा। क्योंकि, एक चपटे सपाट आकार के ऊपर किसी भी सैटेलाइट का मंडराना लगभग संभव नहीं हो पाएगा। आज के समय में हमारे स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाले मैप्स से लेकर ट्रैवल इन्फॉर्मेशन इक्कठा करने तक, हर एक काम Global Navigation Satellite Systems (GNSS) के ऊपर निर्भर करता है।
इसलिए, अगर पृथ्वी चपटी हो जाती है, तो तब हमारे लिए कहीं एक जगह से दूसरे जगह तक जाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। हमारे लिए जीपीएस एक तरह से सपना ही हो जाएगा और इसके बिना पृथ्वी कि परिकल्पना करना बहुत ही ज्यादा कठिन है। हममें से ज़्यादातर लोग बीच सड़क में ही अपना रास्ता भूल कर कहीं इधर-उधर भटकने लगेंगे और पूरे पृथ्वी पर एक तरह से ट्रैफीक जाम का माहौल एक ही समय पर कई जगहों पर देखने को मिलेगा।
5. कुछ यात्राएं अब ज्यादा कठिन या कभी न खत्म होने वाली लगेंगी! :-
अगर हम जीपीएस कि घटना को अनदेखा भी कर दें तो, हमारे लिए और कई सारे बाधाएं अपना सर खड़े कर देंगे। कहने का मतलब ये हैं कि, पृथ्वी के सपाट होने के कारण (weird life on a flat earth) पृथ्वी में औसतन ट्रैवल डिस्टन्स काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। जिस जगह को हमें पहले जाने के लिए काफी कम समय लगता था, अब उसी जगह पर पहुँचने के लिए हमें काफी ज्यादा समय लगेगा।
पृथ्वी के सपाट होने के कारण, अब आर्कटिक पृथ्वी के मध्य में आ जाएगा तथा अंटार्टिका के पास के इलाके में एक बहुत ही ऊंची व लंबी बर्फ कि दीवार भी खड़ी हो जाएगी। इसी कारण से लोग आसानी से पृथ्वी में ट्रैवल नहीं कर पाएंगे और पहले के मुक़ाबले हमें इन भौगोलिक बाधाओं को पार करते हुए भ्रमण करना पड़ेगा।
इसके अलावा हमारे लिए अब अंटार्टिका पर जाना भी काफी कठिन हो जाएगा, जो कि एक खामी कि तरह हमें लग सकती है। हालांकि! हमारा औसतन समय ट्रैवल के लिए काफी बढ़ जाएगा।
Source :- www.livescience.com