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मंगल की टेराफॉर्मिंग! – Terraforming of Mars in Hindi

आखिर किस हिसाब से मंगल को बनाया जा सकता है इन्सानों का दूसरा घर!

जिस तरह से इंसान अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को दूषित कर रहा है, उसs देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा की, जल्द ही ये पृथ्वी हमारे लिए रहने लायक नहीं रहेग। ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण बढ़ती हुई प्राकृतिक आपदाएँ और बीमारियाँ इंसानों को आने वाले समय में एक बहुत ही बड़े चुनौती के लिए ललकार रही हैं। ऐसे में देखा जाए तो, अब हमारे पास दो विकल्प हैं। पहला ये कि, हम फिर से पृथ्वी को हरा-भरा कर दें या फिर दूसरा ये कि, हम पृथ्वी को छोड़ कर मंगल (Terraforming of Mars in Hindi) जैसे किसी दूसरे ग्रह में बसने की तैयारी कर लें।

मंगल की टेराफॉर्मिंग! - Terraforming of Mars in Hindi!
मंगल के टेराफोर्मिंग की अलग-अलग अवस्थाएँ। | Credit: Wikimedia.

परंतु मित्रों! क्या आप जानते हैं, कई सारे चीज़ें ऐसी भी हैं, जिसके कारण आज भी हम सौर-मंडल में अकेले हैं। हमारा ब्रह्मांड आज लगभग 13 अरब प्रकाश वर्ष तक बढ़ चुका है, परंतु एक दुख की बात ये है कि, हमारे अलावा किसी और आकाशगंगा या सौर-मंडल में जीवन का कोई नामोनिशान ही नहीं है। ऐसे में आप ये भी कह सकते हैं कि, इतने बड़े ब्रह्मांड में आज हम अकेले हैं। मित्रों परंतु, यहाँ एक सवाल ये उठता है कि, फिर आखिर कैसे दूसरे ग्रहों (Terraforming of Mars in Hindi) में हम आज रहने के बारे में सोच रहें हैं?

अगर दूसरे ग्रहों में रहने का वातावरण होता तो, आज हम अकेले नहीं होते। हमारे खुद के सौर-मंडल के दूसरे ग्रहों में रहने लायक जलवायु नहीं हैं तो, आखिर कैसे उन जगहों पर हम रहने के लिए सोच सकते हैं जो कि हमसे कई अरबों प्रकाश वर्ष दूर है! खैर दोस्तों, इसी चीज़ के बारे में ही आज हम यहाँ बातें करेंगे।

मंगल की टेराफोर्मिंग! – Terraforming of Mars in Hindi! :-

आज के लेख का मुख्य विषय तो, “मंगल की टेराफोर्मिंग” (Terraforming of Mars in Hindi) ही हैं। परंतु उसके ऊपर आने से पहले, चलिये आखिर ये टेराफोर्मिंग” वाली चीज़ क्या है, उसके बारे में जान लेते हैं। अगर मैं आप लोगों को सरल भाषा में कहूँ तो, टेराफोर्मिंग एक अत्याधुनिक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत हम किसी भी बीहड़/ बंजर ग्रह को इंसानों के लिए प्राकृतिक रूप से रहने लायक बनाते हैं”। हालांकि! मैं आप लोगों को यहाँ बता दूँ कि, इसके अलावा टेराफोर्मिंग की कई और भी कई जटिल संज्ञाएँ मौजूद हैं, परंतु वो एक अलग ही मुद्दा बन जाएगा। क्योंकि आज हम खास तौर पर मंगल की टेराफोर्मिंग के बारे में चर्चा करेंगे।

मंगल की टेराफॉर्मिंग! - Terraforming of Mars in Hindi!
मंगल के ऊपर किया जा रहा हैं सर्वेक्षण। | Credit: Astronomy Magazine.

वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल की टेराफोर्मिंग के दौरान, वे लोग पृथ्वी के जैसा हूबहू जलवायु, वायुमंडल और इकोसिस्टम को वहाँ इन्स्टाल करने वाले हैं। हालांकि ये सब चीज़ें प्लानेटरी इंजीन्यरिंग” के अंतर्गत आती हैं। वैसे मंगल को ही टेराफोर्मिंग के लिए चयन करने का ख्याल वैज्ञानिकों को तब हुआ, जब उन्हें मंगल पर पहले से मौजूद पानी के स्रोत और वायुमंडल के बारे में पता चला। जी हाँ मित्रों! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना, कुछ लाखों साल पहले मंगल के ऊपर भी पृथ्वी के जैसा ही वायुमंडल मौजूद था।

हालांकि! कुछ प्रमुख असुविधाएँ भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौतियाँ बनने वाली हैं, जैसे कि वहाँ का काफी कम गुरुत्वाकर्षण बल, रोशनी की तीव्रता और चुंबकीय क्षेत्र”। वैसे आज भी टेराफोर्मिंग को लेकर कई विवाद लगे रहते हैं, जैसे कि, क्या आज की तकनीक इसे हकीकत में बदल पायेगी और इसमें आखिर कितना खर्चा होगा!

टेराफोर्मिंग के तरीके! – Terraforming Strategies and Methods! :-

मित्रों! लेख के इस भाग में मेँ आप-लोगों को टेराफोर्मिंग (Terraforming of Mars in Hindi) से जुड़ी कुछ बेहद ही हैरतअंगेज़ तरीकों के बारे में बातें करूंगा। तो, आप लोगों को अनुरोध हैं कि, लेख के इस भाग को गौर से पढ़िएगा।

1) अमोनिया को इम्पोर्ट करना :-

टेराफोर्मिंग (Terraforming of Mars in Hindi) की शुरुआत मूल-रूप से तीन चरणों में की जाती है। पहले चरण में ग्रह के अंदर मैग्नेटोस्फियर को बनाया जाता है, दूसरे चरण में ग्रह के ऊपर जलवायु को बिठाया जाता है और आखिर के चरण में ग्रह के तापमान को बढ़ाया जाता है। वैसे अब  आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि, आखिर कैसे किसी दूसरे ग्रह में वायुमंडल को बनाया जा सकता है? तो, मित्रों मैं आप लोगों को बात दूँ कि, ग्रह के वातावरण में अमोनिया” (NH3) को इम्पोर्ट कर के वहाँ वायुमंडल को बनाया जा सकता है।

Ammonia Plant.
इम्पोर्ट ऑफ अमोनिया। | Credit: Petroleum Economist.

वैज्ञानिकों के अनुसार सौर-मंडल के बाहरी क्षेत्र में सूर्य कि परिक्रमा कर रहें कुछ छोटे-छोटे ग्रह अमोनिया से भरे हुए हैं। अगर हम किसी तरह उन ग्रहों को मंगल से टक्कर करवा दें तो, वहाँ अमोनिया कि मात्रा काफी बढ़ जाएगी। वैसे एक खास बात ये हैं कि, मंगल के ऊपर अमोनिया स्टेबल हो कर नहीं रह सकता हैं। ये ही वजह हैं कि, वो कुछ ही समय बाद टूट कर नाइट्रोजन और हाइड्रोजन में बदल जाएगा। अमोनिया एक बेहद ही बेहतरीन ग्रीन हाउस गैस होने के कारण वो मंगल के सतह को गरम भी कर सकता हैं।

परंतु इस तरीके में एक उलझन ये हैं कि; अमोनिया के जरिये मंगल को गरम करने लिए लाखों वर्षों का समय भी लग सकता हैं।

2) ओर्बिटल मिरर :-

मंगल के सतह को गरम करने के लिए वैज्ञानिकों को एक बेहद ही अजीबो-गरीब तरीका सुझा हैं। उनके हिसाब से अगर हम पूरे मंगल के सतह को “PET film” से ढक दें, तब मंगल के ऊपर पड़ने वाले सूर्य की तपिश इतनी होगी कि, वो खुद व खुद मंगल को काफी गरम कर देगा। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, पीईटी फिल्म असल में एक प्लास्टिक से बनी पन्नी जैसी चीज़ हैं, जिसे अक्सर वैज्ञानिक अन्तरिक्ष में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों में इस्तेमाल करते हैं।

Orbital Mirror.
ओर्बिटल मिरर। | Credit: Next Big Future.

अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, 250 km के व्यास वाली पीईटी फिल्म से बनी अगर एक बड़े से आईने को, मंगल की और रखा जाएँ। तब हम आसानी से मंगल के सतह को गर्म कर सकते हैं। इसके अलावा ये आईना मंगल के ध्रुवीय इलाकें में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड गैस को एक्टिव कर के, वहाँ ग्रीन हाउस इफैक्ट को भी सक्रिय कर सकता है।

हालांकि! अभी हमारे पास ऐसी कोई तकनीक नहीं हैं, जिससे हम इतने बड़े आईने को अन्तरिक्ष में लाँच कर सकते हैं। इसके अलावा इतने बड़े आईने को अन्तरिक्ष में मैंटेन कर पाना भी एक चुनौती है।

3) मंगल की सतही चमक को कम करना :-

मित्रों! भौतिक विज्ञान के अनुसार जो चीज़ प्रकाश को ज्यादा रिफ़्लेक्ट करती हैं, वो रोशनी को कम रिफ़्लेक्ट करने वाली बाकी चीजों से ज्यादा ठंडी होती है। दोस्तों, अगर हम इस नियम के अनुसार देखें तो, अगर किसी तरीके से मंगल के द्वारा रिफ़्लेक्ट होने वाले सूर्य के रोशनी के मात्रा को कम कर दिया जाए तो, मंगल को गर्म किया जा सकता है। विज्ञान की भाषा में इस प्रक्रिया को “Albedo Reduction” कहते हैं।

Albedo of Mars.
मंगल की चमक। | Credit: NASA.

वैसे इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए हमें मंगल की सतह को काला बनाना होगा, जिससे मंगल की सतह लाइट को ज्यादा अपने अंदर खींच पाए और गरम हो जाए। वैज्ञानिकों ने मंगल को काला बनाने के लिए मुख्य रूप से दो प्रक्रियाओं के बारे में सुझाव दिया है, पहला ये कि, वो लोग मंगल (Terraforming of Mars in Hindi) के ऊपर काली रंग की धूल को डाल दें (जो कि उसके दोनों चंद्रमा से ली जा सकती है) और दूसरा ये कि मंगल के ऊपर काले रंग वाले शैवाल, बैक्टीरिया या लाईकेन को छोड़ दें।

वैसे इस प्रक्रिया में एक दिक्कत ये है कि, मंगल पहले से ही सौर-मंडल का दूसरा सबसे ज्यादा डार्क वाला प्लेनेट हैं और वो लगभग 70% सुरज कि रोशनी को अपने अंदर खींच लेता है। इसलिए इसे और ज्यादा काला करने कि ये प्रक्रिया शायद इतना कारगर न हो, जितना कि वैज्ञानिक सोच रहें हैं।

टेराफोर्मिंग के क्या-क्या होते हैं फायदे! – Advantages of Terraforming! :-

मित्रों! अभी तक हमनें लेख के अंदर मंगल ग्रह के ऊपर किन-किन तरीकों से टेराफोर्मिंग (Terraforming of Mars in Hindi) को अंजाम दे सकते हैं, उसके बारे में जाना है। अब चलिये टेराफोर्मिंग से जुड़ी कुछ खूबियों को भी जान लेते हैं। दोस्तों, कुछ वैज्ञानिकों के हिसाब से मंगल सौर-मण्डल के ठीक आउटर हैबिटैबल ज़ोन के रीजन में आता है। जहां एक बात तो तय है कि, अगर किसी तरीके से हम उसकी सतह के तापमान को बढ़ा भी देते हैं, तो वहाँ तरल पानी को काफी देर तक रखा नहीं जा सकता है।

मंगल की टेराफॉर्मिंग! - Terraforming of Mars in Hindi!
मंगल के ऊपर रहना क्या संभव हो पाएगा? | Credit: Crowlspace.

परंतु एक समय ऐसा भी था, जब मंगल का वायुमंडल पृथ्वी के जैसा ही मोटा था। इसी कारण से वहाँ एक कुछ लाखों साल पहले पानी बहा करता था। वर्तमान कि अगर बात करें तो, अब मंगल के भूमध्य-रेखा से ध्रुवीय इलाकों तक बर्फ के बड़े-बड़े मैदान नजर आते हैं। इसके अलावा मंगल का मिट्टी जीवन के लिए जरूरी कई सारे खनिजों को अपने अंदर समेटे हुए हैं। उदाहरण के लिए बता दूँ कि, मंगल के मिट्टी में सलफर, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सिजन, फोसफरस और कार्बन कि मात्रा काफी ज्यादा रहता हैं।

कुछ सर्वे के अनुसार ये पता चला हैं कि, काफी भारी मात्रा में ठोस बर्फ मंगल के सतह के नीचे भी मौजूद हैं, ऐसे में वैज्ञानिकों को इसके बारे में काफी सारे अलग-अलग मिशनों को अंजाम देना पड़ रहा हैं। इसके अलावा अगर हम टेराफोर्मिंग के जरिये किसी हिसाब से मंगल के सतही तापमान को बढ़ा देते हैं, तब इसके ध्रुवीय इलाकों में मौजूद बर्फ पिघल कर पूरे ग्रह के ऊपर 5-10 मीटर गहरा समंदर भी बन सकता हैं।

चुनौतियाँ – Challenges! :-

मंगल (Terraforming of Mars in Hindi) कि टेराफोर्मिंग करने से पहले, हमें कुछ बेहद ही जटिल चुनौतिओं का सामना करना पड़ेगा। मैंने आगे इन चुनौतिओं के बारे में जिक्र किया हैं, ताकि आप लोगों को इस विषय के बारे में बेहतर जानकारी मिल सके।

मंगल की टेराफॉर्मिंग! - Terraforming of Mars in Hindi!
इन्सानों का मंगल पर घर। | Credit: Scitech Daily.
  • काफी अंधेरा हैं मंगल पर (पृथ्वी के मुकाबले 60% कम रोशनी)।
  • मंगल कि ग्रैविटी हैं काफी कम (पृथ्वी के तुलना में मात्र 38%)
  • दूषित वायुमंडल।
  • हद से ज्यादा कम हैं वायुमंडलिय दबाव (पृथ्वी के वायुमंडलिय दबाव का सिर्फ 1%)
  • कॉस्मिक रेडिएशन का खतरा।
  • हड्डियाँ जमा देने वाली औसतन सतही तापमान (−63 °C)
  • ओर्गेनिक पदार्थों का काफी तेजी से टूटना।
  • ग्लोबल धूल का तूफान।
  • खाने के स्रोत का अभाव।
  • जहरीली मिट्टी।
  • ग्लोबल चुंबकीय क्षेत्र कि अनुपस्थिति।

मित्रों! मंगल के टेराफोर्मिंग के दौरान आने वाली सबसे बड़ी चुनौती ये हैं कि, इसके ऊपर कोई भी चुंबकीय क्षेत्र का कवच नहीं हैं। जिसके कारण ये हमेशा से ही सोलर विंड और कॉस्मिक रेडिएशन का शिकार बना हैं। इससे मंगल का वायुमंडल इतना खतरनाक बन जाता हैं कि, आप यहाँ एक पल भी नहीं रह सकते हैं। हालांकि! एक खास बात ये हैं कि, वैज्ञानिक मंगल पर एक विशेष तरह के प्रोटेक्टिव सूट को इस्तेमाल करने का सोच रहें हैं।

निष्कर्ष – Conclusion :-

मंगल (Terraforming of Mars in Hindi) पर घर बनाने का सपना, हम लोग तब से देख रहें हैं; जब से हमारे पृथ्वी कि जलवायु दूषित होने लगा हैं। मित्रों! सिर्फ मंगल ही नहीं परंतु चाँद जैसे कई अलग खगोलीय पिंडों के अंदर भी हम अपने घर को देख रहें हैं। परंतु कितनी अजीब बात हैं न, आज भी हम सुधरे नहीं हैं। जिस ग्रह पर रह रहें हैं, उसको ही हम जान-बुझ कर दूषित करने लग रहें हैं।

मंगल की टेराफॉर्मिंग! - Terraforming of Mars in Hindi!
मंगल की और सफर।

ऐसे में ये देखना बाकी हैं कि, आखिर कब-तक ये धरती हम लोगों को अपने ऊपर बसने देती हैं।

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Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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