![भारत के अनोखे व रहस्यमयी मंदिर - Temples Of India In Hindi.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/Webp.net-compress-image-780x470.jpg)
प्राचीन काल से ही भारत अपने धर्म, संस्कृति और मंदिरों (temples of India in hindi) के लिए प्रसिद्ध रहा है। पृथ्वी की सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म ने भारत को विश्व गुरु की मान्यता इसलिए दी थी की, हमारा ये महान देश उस समय मनुष्य के सभ्यता को शिष्टता और मर्यादा के मूल्यों से परिचित करवाया था। इस देश के मिट्टी में ही श्रद्धा और विश्वास की महक मिलता है। जहां देखों यहाँ पवित्रता का भाव अनुभव होता है। हमारे देश के लोगों में ईश्वर के प्रति जो भक्ति भावना दिखाई पड़ता है वो शायद ही किसी दूसरे देश में दिखाई देता होगा।
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हमारे देश में लगभग 79.80% लोग हिन्दू धर्मावलंबी है। इसलिए हमारे देश में आपको हर एक जगह मंदिर और देव भूमि आदि दिखाई पड़ता होगा। इसलिए कई बार भारत को मंदिरों का देश में कहा जाता है। आपके जानकारी के लिए बता दूँ की, भारत में लगभग 20 लाख या इससे भी ज्यादा मंदिर है और हर एक मंदिर की अपनी खुद की विशेषताएँ तथा मान्यताएँ है। तो, आज के इस लेख में हम इन्हीं में से कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में जानेंगे जिसे की पढ़ कर यकीनन दंग ही रह जाएंगे।
तो, आगे बढ्ने से पहले बता दूँ की लेख को जितना हो सके अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिएगा ताकि ये जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास पहुँच सके और लोग इन मंदिरों के बारे में जान पाएं।
विषय - सूची
भारत के कुछ प्राचीन व रहस्यमयी मंदिरों के अनसुलझे रहस्य – Enigmatic Temples Of India In Hindi :-
मित्रों! लेख के इस भाग में मेँ आप लोगों को भारत में स्थित कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताऊंगा जिसके बारे में आप लोगों ने शायद ही कुछ सुना होगा, क्योंकि इन मंदिरों के रीति-रिवाज और मान्यताएँ भी कुछ हट कर हैं। तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए इन मंदिरों (temples of India in hindi) के बारे में जानते है।
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1.अपने अनंत गलियारे (Infinity Corridor) से सब को मोहित करने वाला “रामेश्वरम का मंदिर” :-
इस सूची में स्थित सबसे पहले मंदिर को देख कर आप खुद व खुद मोहित हो जाएंगे। क्योंकि इस मंदिर में मौजूद है एक भव्य गलियारा जिसे की “Infinity Corridor” भी कहा जाता है। तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित ये मंदिर देवों के देव “महादेव” जी को समर्पित है। इस मंदिर की सबसे खास बात इसके लंबे-लंबे तथा अनुपम कलाकारी से पूर्ण गलियारों में है।
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इसके एक गलियारे में 1212 स्तंभ मौजूद है और हर एक स्तंभ इतने बारीकी से बनाया गया है की हर एक स्तंभ हूबहू एक समान ही दिखते है। बता दूँ की हर एक स्तंभ 30 फिट ऊंचा है और पूरे गलियारे की लंबाई लगभग 1.1 km है। तो, आप अंदाजा लगा ही सकते हैं की उस समय इस मंदिर को बनाने के लिए कितने कुशल कारीगर लगे होंगे।
इसके अलावा रामेश्वरम का ये मंदिर चार धामों में से एक है इसलिए इसकी महत्व और अधिक है। शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी ये एक है।
2. “कामाख्या मंदिर”, देवी के मासिक धर्म के कारण हर साल 3 दिनों के लिए बंद रहता है मंदिर! :-
आसाम के नीलाचल पहाड़ी के ऊपर स्थित देवी कामाख्या जी का मंदिर अपने-आप में एक बहुत ही विशेष मंदिर है। पूरे भारत वर्ष से श्रद्धालु देवी जी के दर्शन के लिए आते है। वैसे ये मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है जो की बहुत ही ज्यादा प्राचीन है। कहा जाता है की, देवी सती जी की योनि (लाल साडी में आवृत) यहाँ पर आ कर गिरा था इसलिए यहाँ पर देवी जी को पूजने के लिए कोई मूर्ति नहीं है।
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हर साल सावन के महीने में मासिक धर्म के कारण पूरे 3 दिनों के लिए ये मंदिर बंद रहता है। लोग कहते हैं की इसी समय मंदिर के गर्भ गृह का फर्श लाल रंग से रंगीन हो जाता है। वैसे जब तीन दिन के बाद मंदिर दुबारा खुलता है तो श्रद्धालु प्रसाद के तौर पर देवी जी को लाल रंग का कपड़ा चढ़ाते है। ये मंदिर तंत्र साधना के लिए भी काफी ज्यादा परिचित है।
3. सबसे शांत और प्राकृतिक अनुभव देने वाला मंदिर “महाबोधि मंदिर” :-
बौद्ध धर्मावलंबीयों के लिए महाबोधि मंदिर (temples of india in hindi) बहुत ही ज्यादा मायने रखता है। वैसे सनातन धर्म के लोगों के लिए भी ये एक बहुत ही पवित्र स्थान है, क्योंकि इसी जगह ही “बुद्ध” जी को प्रबोधन (Enlightment) मिला था। वैसे बता दूँ की, यहाँ पर मौजूद “महोदोधी बृक्ष” के नाम पर ही इस मंदिर का नाम पड़ा है। महाबोधि वृक्ष एक तरह से एक बहुत ही ज्यादा पवित्र पिपल का पेड़ है जिसके नीचे “बुद्ध” जी को प्रबोधन मिला था।
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मित्रों! बता दूँ की बौद्ध धर्मावलंबीयों के अनुसार ये मंदिर पृथ्वी का नाभि है जहां से जीवन की उत्पत्ति हुई है और जब तक इस संसार में जीवन है तब तक ये मंदिर ऐसा ही रहेगा। जब कल युग का अंत होगा और पुनः जीवन की सृष्टि होगी तब फिर से इसी जगह से ही जीवन इस संसार में आएगी। मंदिर के अंदर एक विशाल सोने से बना बुद्ध जी की प्रतिमा है जो की नारंगी वस्त्र से आच्छादित है। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण गुप्त काल में हुआ था।
4. शरीर से खून बहा कर देवी जी को किया जाता है पूजा, बड़ा प्रसिद्ध है ये देवी “भद्र काली जी की मंदिर”! :-
केरल में स्थित देवी भद्र काली जी की ये मंदिर इसके अनोखे रीति-रिवाजों के लिए काफी चर्चा में रहता है। हर साल यहाँ पर एक त्योहार होता है जो की देखने में काफी दिल दहला देने वाला है। मेरे ऐसा कहने का तात्पर्य ये है की, हर साल श्रद्धालु इस मंदिर में देवी जी को पूजा करने के लिए आते है और एक-एक तलवार ले कर जलसे में निकलते है। उसी दौरान ये लोग स्वतः तलवार को लेकर अपने सर-माथे या शरीर पर चोट मारते है जिससे खून की धारा निकलना स्वाभाविक है।
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ये त्योहार पूरे सात दिनों के लिए होता है और इसी दौरान पूरा मंदिर खून के धब्बे और निशानों से भर जाता है। हर तरफ खून ही खून नजर आता है। इसलिए त्योहार के खतम होते-होते ही मंदिर को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है जिससे मंदिर की साफ-सफाई की जा सके। मित्रों! अगर आपको मौका मिले तो क्या आप इस त्योहार को देखने के लिए जाएंगे? कमेंट कर के जरूर बताइएगा।
5. औरंगाबाद का ये “कैलास मंदिर” बना हुआ है सिर्फ एक चट्टान से, लोगों के अनुसार परग्रहीयों के द्वारा किया गया है निर्मित:-
760 ईस्वी में बना “शिव जी” का ये मंदिर पूरे भारत में इसके अभूतपूर्व बनावट के लिए काफी ज्यादा विख्यात है। राजा कृष्ण 1 जी के द्वारा बनवाया गया ये मंदिर सिर्फ और सिर्फ हाथ से ही बनाया गया है। उस समय इस मंदिर को बनाने के लिए हथोड़ा और छेनी का ही उपयोग किया गया था। वैसे बता दूँ की, पूरा का पूरा मंदिर सिर्फ एक ही चट्टान से काट कर बनाया गया है। तो, आप अंदाजा लगा सकते हैं की, इसको बनाने में कितनी मेहनत किया गया होगा। इसलिए लोग कहते हैं की, इसे कुशल परग्रहीयों के द्वारा बनाया गया है।
![Erola famous kailas temple.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/brittanica-kailas-temple.jpg)
मंदिर का अंदरूनी हिस्सा काफी ज्यादा आकर्षक है और कई उन्नति शैली के चित्रकलाओं से भरा हुआ है। इसके अलावा मंदिर में स्थित स्तंभ कई रोचक वास्तुकला को आज भी प्रदर्शित कर रहें है। “एलोरा” का ये मंदिर पूरे तरीके से हाथों से निर्मित गुफाओं के अंदर है। पुराने समय में भी भारत के इन मंदिरों के कला स्थापत्य को देख कर आज भी हैरानी होती ही है।
6. समंदर में छुपे हुए “स्तंभेश्वर मंदिर” का राज आखिर क्या है! :-
गुजरात में स्थित महादेव जी का ये “स्तंभेश्वर मंदिर” बहुत ही ज्यादा रहस्यमयी है। कहने का तात्पर्य ये है की, ये मंदिर समंदर के बीचों-बीच मौजूद है और हर दिन ये समंदर के पानी के अंदर कभी छुप जाता है तो कभी बाहर दिखाई पड़ जाता है। इसको बनाने के पीछे का रहस्य हमें हिन्दू धर्म ग्रंथों की और ले जाता है। कहा जाता है की, इसे “शिव जी” के बेटे “कार्तिकेय” जी ने ही स्थापित किया था।
![Mysteries of Sthambeswar Temple.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/you-tube-sthambeswar.jpg)
जो व्यक्ति किसी रोमांच को अनुभव करने के लिए आग्रही है वो ही ज़्यादातर इस मंदिर के पास जाने के लिए आग्रह करते है। बता दूँ की, अरब सागर में मौजूद इस मंदिर को आप भाटे के समय ही जा सकते हैं क्योंकि ज्वार के समय इस मंदिर को समंदर का पानी अपने अंदर समा लेता है। वैसे और एक बात का ध्यान रखेंगे की, इस मंदिर को देखने के लिए उपयुक्त समय में मंदिर के पास मौजूद होना जरूरी है। अपने इसी खास गुण के कारण आज ये मंदिर काफी सुर्खियों में रह रहा है।
7. भारत का सबसे रंगीन व शानदार मंदिर “मीनाक्षी अम्मा मंदिर” :-
तमिलनाडु के वैगाई नदी के किनारे स्थित “मीनाक्षी अम्मा जी का मंदिर” (temples of india in hindi) पूरे भारत में काफी ज्यादा लोकप्रिय है। आमतौर पर भारत में मौजूद जीतने भी मंदिर है वो एक ही रंग के आधार पर बनाए गए है और इनमें ज़्यादातर रंगों का भेद देखना मुश्किल है। परंतु “मीनाक्षी अम्मा” जी का मंदिर देखने न बल्कि काफी शानदार है परंतु ये काफी रंगीन भी है।
![Most colorful temple of india.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/reddit-mikashi-amman-temple.jpg)
इस मंदिर में आप लोगों को 33,000 भिन्न-भिन्न रंगों से बने कलाकृतियाँ देखने को मिलेंगे जो की मंदिर के 14 बड़े-बड़े मीनार में लगे हुए है। देखने में मंदिर काफी ज्यादा भव्य भी है। वैसे ये मंदिर “शिव जी” और “देवी पार्वती” जी को समर्पित है। बता दूँ की, किसी समय ये मंदिर और भी ज्यादा सुंदर दिखता था परंतु 13 वीं शताब्दी में मुसलमान शासकों ने इसको काफी ज्यादा हानि पहुंचाई थी, जिसके कारण इसको काफी कुछ गवाना पड़ा था।
8. दिन के हर प्रहर रंग बदलता है “रणकपुर मंदिर” :-
अगर मेँ कहूँ की भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जो की रंग बदलता है तो आपका उत्तर क्या होगा? खैर नीचे कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा। क्योंकि अभी मेँ एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसके बारे में आप लोगों ने कभी सुना नहीं होगा। ये मंदिर है “रणकपुर मंदिर” जी हाँ आप लोगों ने सही सुना सफ़ेद संगमरमर से बना ये मंदिर अपने एक खास गुण के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
![Photo of Rankpur.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/ranakpur-temple-go-ibibo-1.jpg)
मित्रों! बता दूँ की ये मंदिर दिन में कई बार अपना रंग बदलता है। वैसे इसकी वजह मंदिर में लगे संगमरमर के पत्थर है। इन्हीं के कारण ही मंदिर दिन में कभी हल्के स्वर्ण वर्ण का हो जाता है तो कभी नीले वर्ण का। वैसे और एक बात का ध्यान रखेंगे की ये मंदिर जैन धर्मवलंबियों के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। उदयपुर और जोधपुर के बीच में स्थित घाटी में मौजूद ये मंदिर अपने अनुपम नक्काशीयों के लिए भी लोगों के अंदर विशेष रूप से जाना जाता है।
9. राजसी व भव्य “जगन्नाथ जी के मंदिर” को देख कर स्वतः आपका सर झुक जायेगा, तथा यहाँ है जीवित प्रभु की प्रतिमा :-
ओड़ीशा के पूरी में स्थित “जगन्नाथ जी का मंदिर” पूरे विश्व में इसके निपुण कला स्थापत्य के लिए सुविख्यात है। मित्रों! बता दूँ की, ये मंदिर इतना सुंदर है की आप शायद ही कभी सोच सकें। इसके भव्यता को देख कर आपका खुद व खुद “जगन्नाथ जी के” सामने झुक जायेगा। चार धामों के अंदर पूरी का “जगन्नाथ धाम” बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही साथ पूरी की “रथ यात्रा” (Car Festival) के बारे में यहाँ पर बताने के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ रहें है।
![Odisha's Prabhu Jgannath Temple.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/trip-savy.jpg)
इसको राजा इंद्रद्यूम ने बनवाया था। मंदिर (tenmples of india in hindi) का परिसर इतना बड़ा है की, आप यहाँ घूमते-घूमते थक जाएंगे फिर भी शायद आप एक दिन में पूरा मंदिर को देख पाएं। बता दूँ की, ये मंदिर “प्रभु जगन्नाथ”, “देवी सुभद्रा” और “प्रभु वलभद्र” जी को समर्पित है। और एक खास बात ये हैं की, मंदिर (temples of india in hindi) में स्थित सभी के सभी प्रतिमा जीवित अवस्था में है। इसलिए प्रभु के दर्शन के लिए दुनिया भर से लोग यहाँ पर आते है।
इस मंदिर से जुड़ी बहुत सारे रहस्यमयी बातें है, जैसे की मंदिर के शीर्ष में मौजूद ध्वज हवा के विपरीत दिशा में फहराना। ध्वजा के ठीक नीचे मौजूद चक्र को आप पूरी में रह कर किसी भी जगह पर देख सकते है। इसके बाद और एक विशेष बात ये हैं की, मंदिर के ऊपर से न तो चिड़िया या न ही कोई हवाई जहाज उड़ता है। मित्रों! मंदिर की संरचना कुछ इस तरह से किया गया है की, दिन के किसी भी प्रहर में आपको मंदिर की परछाई नहीं दिखाई पड़ती है। हालांकि इसके पीछे का कारण लोगों को अभी तक पता चल नहीं पाया है।
क्या आप “प्रभु जगन्नाथ जी के मंदिर के” इस 1800 साल पुरानी अनजान रिवाज के बारे में जानते है? :-
मित्रों! जैसा की मैंने पहले ही कहा है “प्रभु जगन्नाथ जी के” बारे में जितनी भी प्रसंसा करूँ उतना ही कम है। परंतु कोशिश कर रहा हूँ जितना मेरे से हो सके आप लोगों को इस मंदिर से जुड़ी अज्ञात बातों को बता पाऊँ।
तो, “पूरी धाम” में आपको एक 1800 साल पुरानी रिवाज आज भी प्रचलित होता हुआ नजर आयेगा। बता दूँ की, ये रिवाज मंदिर में पिछले 1800 सालों से चली आ रही है। तो, इस रिवाज के अनुसार हर एक दिन मंदिर का एक विशेष पुजारी “45 मंज़िला ऊँचे” इस मंदिर के ऊपर चढ़ता है और इसके शीर्ष में लगे ध्वज को बदलता है। गौर से पढ़िएगा की, अगर किसी भी एक दिन ये रिवाज अगर नहीं किया जाएगा तो आने वाले 18 सालों के लिए मंदिर पूर्ण रूप से बंद रखना पड़ेगा। ऐसे में आप कह सकते हैं की, मंदिर के रीति-रिवाजों को कितनी अनुशासन के साथ भक्ति भाव से पालन किया जाता है।
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मंदिर से जुड़े कुछ विशेष बातें :-
मित्रों! क्या अभी तक आपने एक बार भी पूरी धाम नहीं आया हैं? अगर नहीं तो एक बार अवश्य ही आइएगा आपको अवश्य ही अच्छा लगेगा। रथ यात्रा के दौरान पूरा का पूरा ओड़ीशा अपने प्रभु के रथ यात्रा के लिए पूरे तरीके से मग्न हो जाता है। मंदिर (temples of india in hindi) का परिसर दैवीय महिमाओं से भी भरा हुआ है। यहाँ पर आप लोगों को “सूर्य देव जी की” प्रतिमा भी दिखाई पड़ेगा।
अगर आपको “कोणार्क मंदिर” के बारे में पता होगा तो, आप इस प्रतिमा के बारे में भी जानते होंगे क्योंकि इस प्रतिमा को कोणार्क मंदिर से ही लाया गया है। इसके पीछे की वजह ये हैं की, मंदिर बनाते समय “धर्मपद” नाम के एक छोटे से बालक के बलिदान से ही ये मंदिर आखिर में पूरा हो पाया था।
पूरी के प्रसाद का दैवीय महिमा! :-
“पूरी धाम” की और एक विशेषता ये हैं की, यहाँ जो आता है वो कभी भी खाली पेट नहीं लौटता है। “प्रभु जगन्नाथ” हमेशा हर एक भक्त को एक समान दृष्टि से देखते हैं तथा अपने प्रसाद को चखने का मौका भी देते है। मंदिर के प्रसाद को “अवढ़ा” कहा जाता है और हर एक दिन एक समान मात्रा में इसे बनाया जाता हैं परंतु हैरत की बात ये हैं की इसकी कमी कभी भी मंदिर में नहीं दिखाई देता है। चाहे मंदिर में जीतने भी श्रद्धालु क्यों न आ जाएं। “प्रभु जगन्नाथ” जी का महिमा अपरंपार है।
दोस्तों! और एक खास मेँ इस मंदिर (temples of India in hindi) के बारे में बता दूँ जिसके बारे में आप लोगों का जानना जरूरी है। यहाँ के प्रसादम को बनाने में भी एक जादू छुपी हुई है। वैसे मेँ आप लोगों से एक सवाल पूछना चाहूँगा, आप जब किसी भी चूल्हे के ऊपर एक के ऊपर एक दो बर्तनों को रखते हैं जिसके अंदर चावल रखा गया हो तो सबसे पहले कौन से वर्तन का चावल पकेगा? आप लोगों में से ज़्यादातर लोगों का उत्तर नीचे वाला होगा। विज्ञान के हिसाब से भी ये बात सत्य है।
परंतु मित्रों! बता दूँ की पूरी के मंदिर (temples of India in hindi) में ये बात लागू नहीं होता। जी हाँ! पूरी में जब “प्रभु जी” के प्रसाद को बनाया जाता है तो एक के ऊपर एक कुल 7 बर्तनों को चूल्हे के ऊपर रखा जाता है और हैरानी की बात ये है की सबसे ऊपर रखे वर्तन का ही चावल सबसे पहले पकता है। बाकी बर्तनों का चावल भी ऊपर से नीचे के क्रम में पकता हुआ चला आता है।
10. आधुनिक पहलुओं पर बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर “अक्षरधाम का मंदिर” :-
भारत की राजधानी “दिल्ली” में मौजूद “अक्षरधाम मंदिर” (temples of India in hindi) एशिया तथा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। वैसे बता दूँ की, इस मंदिर की कलाकारी प्राचीन भारत काल के कला स्थापत्य से काफी ज्यादा प्रेरित है। इसलिए ये मंदिर आधुनिक हो कर भी अपने अंदर पुरातन भारतीय कला को समाये हुए है।
![Photo of Akshar Dham.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/lonely-planet-akshar-dham.jpg)
यमुना नदी के किनारे स्थित इस मंदिर में नौका बिहार और मनोहर म्यूजिकल शो को भी आप देख सकते है। वैसे ये मंदिर “भगवान स्वामीनारायण” को समर्पित है। मित्रों! ध्यान रखेंगे की ये मंदिर भारत वर्ष की सबसे बड़ा मंदिर है। बलुआ पत्थरों से बने होने के कारण ये मंदिर देखने में किसी अभूतपूर्व मंदिर से कम नहीं है।
11. “खजुराहो मंदिर” के दीवार पर आखिर क्यों मौजूद है कामोत्तेजक कलाकृतियाँ! :-
मध्यप्रदेश का “खजुराहो मंदिर” अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाले बनावटी शैली के लिए लोगों में काफी ज्यादा लोकप्रिय है। 900 से 1130 ईस्वी में बने इस मंदिर में लगभग 84 अलग-अलग मंदिर शामिल है। वैसे मंदिर के दीवार पर मौजूद योन-क्रिया संबंधित कलाकृतियों के कारण भी ये मंदिर काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
![Patterns of khajuraho temple.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/you-tube-khajuraho.jpg)
जब आप खजुराहो जाएंगे तो आपको मंदिर के दीवार पर पुरुष-महिला तथा जानवरों से जुड़ी योन-क्रियाओं के कई सारे कलाकारी देखने को मिलेंगी। हालांकि! इन कलाकरियों के पीछे भी एक कारण है। मंदिर के निर्माता चंदेल राजा “चंद्रवर्मन” ने खुद इन कलाकृतियों को बनवाने का आदेश दिया था। उनके अनुसार वो लोगों को बताने चाहते थे की “संभोग की क्रिया” पूर्ण रूप से प्राकृतिक है और इसे हीनता के दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।
वैसे इसको ले कर कई सारे लोगों के अंदर कई सारे अलग-अलग मत है, जो की स्वाभाविक है। परंतु गौर करने वाली बात ये हैं की, कामोत्तेजक कलाकृतियाँ के अलावा भी मंदिर में अन्य कई कलाकृतियाँ मौजूद है जिसे देख कर आप विस्मित हो जाएंगे। बहरहाल मंदिर में मौजूद कामोत्तेजक कलाकृतियाँ मात्र 10% हिस्से में ही है। इसलिए इसके बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत भी नहीं है।
12. विश्व में स्थित प्रभु ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर “पुष्कर मंदिर” :-
अगर अपने ध्यान से देखा होगा तो, भारत में “प्रभु ब्रह्मा जी” का मंदिर (temples of India in hindi) सिवाय पुष्कर के कहीं और नहीं दिखाई देगा। हालांकि! इसके पीछे भी कई प्राचीन कारण है। मित्रों! क्या आप इसके पीछे का कारण बता सकते हैं? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
![भारत के अनोखे व रहस्यमयी मंदिर - Temples Of India In Hindi.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/holiday-iq-pushkar.jpg)
वैसे मार्बल से बने इस मंदिर में आपको भीड़ ज़्यादातर समय में मिलेगा, क्योंकि इसके अलावा “ब्रह्मा जी का” मंदिर (temples of india in hindi) कहीं नहीं है। मंदिर का अंदरूनी हिस्सा चांदी के सिक्कों से जड़ा हुआ है। ये सिक्के श्रद्धालुओं के द्वारा ही चढ़ाया जाता है। इसलिए सिक्कों के ऊपर आपको चढ़ाने वाले का नाम भी दिखाई देगा।
वैसे हिन्दी धर्म में “प्रभु ब्रह्मा जी” भी तीन देवों में से एक हैं, परंतु उनका सिर्फ एक मंदिर (temples of India in hindi) होना; वाकई में काफी चौंकने वाला है। पुष्कर का ये मंदिर नीले वर्ण का है। इसमें कई सारे कलकारियाँ भी देखने को मिलेगा। मित्रों! पुष्कर में इस मंदिर के अलावा भी कई सारे मंदिर थे परंतु जाहांगीर के क्रूरता के कारण इस मंदिर के व्यतीत दूसरा कोई मंदिर बच नहीं पाया।
13. “काल भैरव नाथ जी के मंदिर” में चढ़ाया जाता है “शराब” का प्रसाद! :-
वाराणसी में स्थित “काल भैरव नाथ जी के मंदिर” में आप लोगों को एक बहुत ही अद्भुत चीज़ देखने को मिलेगा। यहाँ प्रसाद में प्रभु को शराब चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद में आप व्हिस्की या वाइन भी चढ़ा सकते है। वैसे लोगों के अनुसार जब प्रभु को शराब का प्रसाद चढ़ाते है तो वो खुद उस प्रसाद को ग्रहण कर लेते है।
![Photo of kal Vairav.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/masala-box-travel-kaal-vairav.jpeg)
जब भी आप चढ़ावे के लिए मंदिर के पास स्थित दुकानों पर जाते है तो आपको चढ़ावे के तौर पर दुकानों में शराब के बोतलें देखने को मिलेंगी। वैसे जब भी प्रभु को चढ़ावा दिया जाता है तो वो सीधे प्रभु के मुख के पास रखा जाता है जिससे प्रभु चढ़ावे को ग्रहण कर सकें। आप लोगों एक बार जरूर कमेंट करिएगा की, क्या आपने पहले कभी इस तरह के चढ़ावे के बारे में सुना था? जरूर ही बताइएगा।
14. “देवरागट्टू के मंदिर” में किया जाता है लाठी चार्ज, खेला जाता है मौत का खेल! :-
आंध्रप्रदेश के देवरागट्टू में स्थित “देवरागट्टू का मंदिर” अपने अनोखे रीति-रिवाजों के लिए काफी विख्यात है। यहाँ पर श्रद्धालुओं के ऊपर लाठी चार्ज किया जाता हैं, हालांकि ये दूसरे श्रध्द्धालुओं के द्वारा ही किया जाता है जो की स्वेच्छया से इस रिवाज में भाग लेते है। लाठी चार्ज के इस त्योहार को “बानी” कहा जाता है। इस त्योहार में ज़्यादातर कृषक समुदाय के लोग होते है।
![Playing Bani at Andhrapradesh.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/the-news-minute-devarigattu.jpg)
त्योहार के अनुसार रिवाज में भाग लेने वाला श्रद्धालु दूसरे श्रद्धालु को लाठी के जरिये मारता है, इसी तरह दूसरा श्रद्धालु भी लाठी के जरिये उसको मार रहे श्रद्धालु को मारता है और इसी तरह से ये त्योहार मनाया जाता है। हर साल दशहरा के दिन ये त्योहार मनाया जाता है जो की मध्य रात्रि तक चलता है।
वैसे ध्यान रखेंगे की, इस त्योहार में लाठी को अपने प्रतिद्वंदी के सर में मारना होता है, हालांकि इसमें जिगर वाले लोग ही ज्यादा भाग लेते है। इसी कारण कई बार ऐसी परिस्थिति भी हो जाती हैं की, लोग खून से भीग जाते है परंतु ये त्योहार खेलना नहीं छोड़ते है। 100 साल पुरानी इस त्योहार में हर साल कई सारे लोग गंभीर रूप से जख्मी होने के साथ-साथ कई सारे लोग मर भी जाते है। साल 2014 में लगभग 56 लोगों की मौत इसी त्योहार के चलते हुआ था। साल 2019 में इससे 50 लोग गंभीर रूप से आहत भी हुए थे।
15. दुनिया की सबसे धनी मंदिर “तिरुपति वेंकेटेश्वर मंदिर” :-
इस मंदिर के बारे में शायद हर कोई जानता है, क्योंकि आंध्रप्रदेश का ये मंदिर न बल्कि दक्षिण भारत परंतु पूरे विश्व में अपनी एक महान परिचय बना कर रखा है। यहाँ पर जो भी आता है उसकी इच्छा पूर्ण होती है। वैसे आप इस मंदिर को दुनिया की सबसे धनी मंदिर भी कह सकते है, क्योंकि दिन भर में इसका आय बहुत ही अधिक है। एक दिन में मंदिर लगभग 47 से 48 करोड़ रूपय अपने भक्तों से प्राप्त करता है।
![भारत के अनोखे व रहस्यमयी मंदिर - Temples Of India In Hindi.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/the-states-man-tirupat.jpg)
यहाँ जीतने भी श्रद्धालु आते हैं वो अपने बालों को “प्रभु विष्णु जी” को समर्पित कर देते है। इसलिए हर एक दिन लगभग 75 टन इंसानी बाल इक्कठे हो जाता है। बाद में इनको पश्चिमी देशों में भेजा जाता है और इसके बदले मंदिर के लिए अर्थ संग्रह भी किया जाता है। वैसे इसके अलावा भी भक्त “प्रभु जी” को कई सारे चढ़ावे चढाते है। इसी से भी मंदिर के लिए अर्थ संगृहीत हो जाता है।
16. “वीरभद्र के मंदिर” में मौजूद है हवा में झूलता स्तंभ, आपके भी होश उड़ जाएंगे! :-
आंध्रप्रदेश के मंदिरों (temples of India in hindi) में कुछ तो खास बात अवश्य ही है। 16 वीं शताब्दी में बने “वीरभद्र मंदिर” आज हर किसी का होश उड़ाने में सक्षम है। इस मंदिर (temples of India in hindi) में एक ऐसी चमत्कार की घटना घट रहा है जिसे की सुनने के बाद होश ही उड़ जाएगा। मैंने भी जब पहली बार सुना था तो मुझे भी एक झटका लगा था की, आखिर ये कैसे संभव है! तो चलिये आगे उसी के विषय में जानते हैं।
“विजयनगर शैली” में बनाया गए इस मंदिर में कुल 70 विशालकाय स्तंभ है। आकार में ये स्तंभ काफी बड़े और वजनी है, इसलिए इसको किसी तरह से एक से दूसरे जगह ले पाना नामुमकिन सा है। परंतु दोस्तों! मंदिर के एक स्तंभ में एक विशेषता दिखाई पड़ता है। ये एक जो स्तंभ है ये हवा में झूल रहा है। जी हाँ! आपने अभी-अभी जो सुना वो बिलकुल सही सुना।
![भारत के अनोखे व रहस्यमयी मंदिर - Temples Of India In Hindi.](https://vigyanam.com/wp-content/images/2020/09/impressions-of-india-hanging-pillar.jpg)
बात ये है की, ये एक स्तंभ जमीन से कुछ ऊंचाई पर स्थिर मौजूद है। इसलिए इसे झूलता हुआ स्तंभ भी कहा जाता है। गौरतलब बात ये हैं की, आप इस स्तंभ के नीचे (यानी स्तंभ और जमीन के बीच मौजूद पतली सी जगह) एक कपड़े को इधर से उधर रख सकते है। वैसे ये जो स्तंभ है ये छत से लटका हुआ है। परंतु इतना विशाल स्तंभ आखिर कैसे ऐसे लटक कर रह सकता है वो भी इतना वजनी।
वाकई में इस तरह के मंदिर (temples of India in hindi) हमें शायद ही कहीं देखने वो पढ़ने को मिल सकेगा।
Sources :- www.traveltriangle.com, www.indiantimes.com, www.touropia.com, www.beyonder.travel, www.tourmyindia.com.
Aaj yeh post temple of india in hindi ko padhkar bahut he acchi jankari mili..nice work