पूरे ब्रह्मांड में समय ही एक ऐसी चीज़ है, जो की किसी के लिए कभी नहीं रुकता| समय को सही तरीके से इस्तेमाल करने वाले लोग बहुत ही सफल बन जाते हैं और इसे बर्बाद करने वाले लोग अपना जीवन व्यर्थ कर बैठते हैं| इसके अलावा समय का वर्चस्व आपको पृथ्वी के साथ ही साथ पूरे अंतरिक्ष में भी देखने को मिलेगा। अंतरिक्ष में घटने वाली हर एक घटना एक सटीक समय के अंदर ही हो रहा हैं| तो, यहाँ यह सवाल उठता है की आखिर यह समय क्या हैं? इसका स्पेस टाइम (space-time and time dilation in hindi) से क्या संबंध हैं? मित्रों! आज हम लोग इस लेख के अंदर इसी तरीके के प्रश्नों के जवाबों को ढूंढेंगे।
समय का अंतराल या यूं कहें की काल अंतराल (space-time and time dilation in hindi) आज खगोल विज्ञान के नए-नए रूपों को दुनिया के सामने उजागर कर रहा हैं| उदाहरण के स्वरूप आप यहां पर समय विस्तारण (Time Dilation) को ले लीजिए| समय विस्तारण समय अंतराल (Space Time) का एक बहुत ही दिलचस्प और अनोखा पहलू हैं| इस पर आज अधिक से अधिक शोध हो रहें हैं; क्योंकि वैज्ञानिकों को यह लगता हैं की अगर वह लोग समय विस्तारण को सही से समझ लेंगे तो, शायद वह इंसानों को बूढ़े होने से रोक पाएंगे।
देखिए दोस्तों आगे आपको इस लेख के अंदर समय, समय अंतराल और समय विस्तारण (space-time and time dilation in hindi) के बारे में मूलभूत बातों से लेकर कई हैरतअंगेज बातों को विस्तृत से जानने को मिलेगा| इसलिए आप से अनुरोध है की मेरे साथ इस लेख में आरंभ से अंत तक बने रहिए, ताकि आपको यह लेख आसानी से सही तरीके से समझ में आ जाए| तो, चलिए अब बिना किसी देरी किए लेख में आगे बढ़ते हैं।
विषय - सूची
आखिर समय क्या है? – What Is Time? :-
आगे स्पेस टाइम और टाइम डाइलेशन के बारे में जानने से पहले चलिए समय के संज्ञा को ही जान लेते हैं| ज़्यादातर लोगों को समय के बारे में बहुत ही अल्प जानकारी होती है और समय के बारे में उनकी जानकारी सिर्फ मिनटों और घंटों के अंदर ही सीमित हो कर रह जाती हैं| तो, यहां पर यह सवाल उठता है की क्या किसी को समय के सही संज्ञा के बारे में पता हैं।
सरल भाषा में कहें तो समय उसे कहते है, जो की एक घड़ी आपको हमेशा दिखती (समय की माप) हैं| परंतु यह तो सिर्फ एक सरल सा संज्ञा ही हैं| समय का सटीक संज्ञा आपको भौतिक विज्ञान में देखने को मिलता हैं| भौतिक विज्ञान के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य में घटने वाली हर एक घटनाओं के समूह को ही समय कहते हैं| इसके अलावा मेँ आपको यहां और भी बता दूँ की लंबाई, घनत्व और चार्ज की ही तरह समय भी एक मौलिक मात्रा हैं। समय की उपयोगिता आपको तरह-तरह के उर्जाओं के अंदर देखने को मिल जाते हैं।
इसके अलावा समय के ही आधार पर काल-अंतराल (Space-time and time dilation in hindi) के बहुत सारे सिद्धांतों को समझाया जाता हैं| समय के हिसाब से ही इस ब्रह्मांड में हर एक चीज़ की आयु भी निर्धारित होता हैं| समय इस संसार की सबसे अमूल्य निधि है, परंतु विडंबना की बात यह है की इसके बारे में ज्यादा कोई बात ही नहीं करता हैं| आज मेँ आप लोगों को समय से जुड़ी हर एक मौलिक विचारों को बताऊंगा| समय और काल-अंतराल का राज आज हम इस लेख में खोजने की प्रयास करेंगे।
स्पेस टाइम क्या हैं? – What Is Space-time In Hindi? :-
अब जब आपने समय के संज्ञा को सही तरीके से जान ही लिया है, तो चलिए अब स्पेस-टाइम के बारे में भी जान लेते हैं| ज़्यादातर लोगों को टाइम और स्पेस-टाइम के भीतर बहुत ही ज्यादा समानता नजर आता हैं और यहां तक की कुछ-कुछ लोगों को टाइम और स्पेस-टाइम हूबहू एक समान प्रतीत होते हैं| परंतु मित्रों! यह बात पूर्ण रूप से सही नहीं हैं| टाइम और स्पेस-टाइम के अंदर भी कुछ अंतर होती हैं।
भौतिक-विज्ञानी मानते हैं की हमारा ब्रह्मांड एक क्वांटा (Quanta) से बना हुआ है जो की आकार में आपके सोच के परे हैं| यहाँ पर सोच के परे कहने का मतलब यह हैं की, क्वांटा का आकार बहुत और बहुत ही छोटा हैं जिसके बारे में आप कभी भी नहीं सोच सकते हैं| ज़्यादातर लोग सोचते है की ब्रह्मांड के बनने के बाद ही समय का अस्तित्व बना हैं| इसलिए वैज्ञानिक अंतरिक्ष और समय को हमेशा से ही एक दूसरे से जोड़ कर देखते हैं।
साल 1916 में आइन्सटाइन जी ने सापेक्षता का सिद्धांत दुनिया के सामने रखा था, जहां पर उन्होंने गुरुत्वाकर्षण बल को स्पेस-टाइम का एक मुख्य घटक के तौर पर दर्शाया था| मित्रों! वास्तव में गुरुत्वाकर्षण बल हमारे इस ब्रह्मांड को बनने व सही तरीके से काम करने के लिए बहुत ही जरूरी हैं| यहां पर आइन्सटाइन की और एक बात बहुत ही हैरत में डाल देता है जो की गुरुत्वाकर्षण बल से ही जुड़ा हुआ हैं| वह मानते थे की गुरुत्वाकर्षण एक बल नहीं है, यह खुद एक स्पेस-टाइम का ही दूसरा रूप हैं| वास्तव में अगर गुरुत्वाकर्षण बल नहीं हैं, तब हम इसे हमेशा गुरुत्वाकर्षण बल के तौर पर क्यूं पुकारते हैं! सोचने वाली बात है न| अच्छा चलिए इसे एक उदाहरण के जरिए और अच्छे से समझते हैं।
स्पेस-टाइम और गुरुत्वाकर्षण :-
स्पेस-टाइम (space-time and time dilation in hindi) और गुरुत्वाकर्षण बल को अच्छे से समझने के लिए मैंने आगे आपके लिए एक उदाहरण का प्रबंध किया हैं| तो, इसे थोड़ा गौर से पढ़िएगा।
मान लीजिए आपने एक गेंद को जमीन से आसमान के तरफ फेंक दिया| अब गुरुत्वाकर्षण के कारण वह गेंद कुछ समय हवा में रहने के बाद एक मेहराब (Arch) का आकृति के जैसे पथ बनाता हुआ नीचे जमीन पर गिर जाएगा| यहां पर गुरुत्वाकर्षण गेंद के आस पास मौजूद स्पेस-टाइम को विरूपण (Distortion) करते हुए इसके पथ को काफी ज्यादा प्रभावित करता हैं।
अब यहां पर आप समझ गए होंगे की अंतरिक्ष में मौजूद हर एक चीज़ के ऊपर कैसे गुरुत्वाकर्षण काम करता है और स्पेस-टाइम से इसका क्या संबंध हैं| खैर गुरुत्वाकर्षण के अलावा आइन्सटाइन जी ने स्पेस-टाइम को क्वांटम मेकनिक्स के साथ भी जोड़ कर देखा था| जिसके बदौलत उन्हें यह पता चला था की क्वांटम स्पेस-टाइम को विरूपण करने की जगह पूरे तरीके से विघटित ही कर देता हैं।
इसे जानकार बाद में वैज्ञानिकों को बहुत ही ज्यादा अचंभा हुआ, क्यूंकी क्वांटम एक बहुत ही छोटी और मौलिक कणिका हैं| अगर यह स्पेस-टाइम को पूर्ण तरीके से विघटित करने में सक्षम हैं तो आखिर कैसे यह अंतरिक्ष आज इतना संतुलित हैं! वाकई में स्पेस-टाइम (space-time and time dilation in hindi) के बारे में जानकर किसी का भी होश उड़ना स्वाभाविक हैं।
स्पेस-टाइम और ब्लैक होल का रिश्ता :-
अब जब अंतरिक्ष से जुड़ी एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय के बारे में चर्चा हो रही हैं, तो कैसे कोई ब्लैक होल के बारे में भूल सकता हैं| जी हाँ! आप सही सोच रहें हैं स्पेस-टाइम और ब्लैक होले के बीच में भी एक बहुत ही खास रिश्ता हैं। तो आखिर वह खास रिश्ता क्या हैं? चलिए आगे जानते हैं।
ब्लैक होल ब्रह्मांड में मौजूद एक ऐसी खगोलीय चीज़ है जहां पर भौतिक विज्ञान की कोई भी सिद्धांत काम नहीं आती हैं| मैंने ऊपर ही कहा था की गुरुत्वाकर्षण स्पेस-टाइम को काफी ज्यादा प्रभावित करता हैं| परंतु अगर एक वस्तु एक ब्लैक होल के नजदीकी आ जाए तो उस पर स्पेस-टाइम का क्या प्रभुत्व रहेगा! क्या गुरुत्वाकर्षण उस वस्तु के ऊपर प्रभाव डाल पाएगा!
मित्रों, वैज्ञानिक मानते हैं की ब्लैक होल के आस-पास के इलाकों में गुरुत्वाकर्षण का बल वस्तुओं के ऊपर जस का तस ही रहता हैं, परंतु जैसे ही कोई वस्तु ब्लैक होल के अंदर चलता ही जाता हैं उस पर उसी हिसाब से गुरुत्वाकर्षण का भी प्रभाव कम होता जाता हैं| अब उस वस्तु के ऊपर क्वांटम स्पेस-टाइम का प्रभाव पड़ता जाता हैं| जैसे ही वस्तु ब्लैक होल के इवैंट होरिजन के पार हो जाता हैं तब उसका दुबारा लौटना नामुमकिन हो जाता हैं।
शून्यता और स्पेस-टाइम :-
यहां पर वैज्ञानिक मानते है की इवैंट होरीज़ोन के पार वस्तु क्वांटम स्पेस-टाइम में विघटन के प्रक्रिया के वजह से अपूर्वता (Singularity) को प्राप्त हो जाता हैं| जहां पर हमारे द्वारा बनाया गया कोई भी सिद्धांत काम नहीं आता हैं| मेँ आपको यहां और भी बता दूँ की अपूर्वता क्या होती है और उस का वस्तु के ऊपर क्या असर पड़ता हैं उसके बारे में इंसानों को ज्यादा कुछ पता नहीं हैं| हाँ! ज़्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं की अपूर्वता को प्राप्त के बाद किसी भी वस्तु का हर एक भौतिक गुण शून्य हो जाता हैं| शायद अपूर्वता एक दूसरे ही आयाम का ही ब्रह्मांड है, जिसके बारे में हम शायद ही कभी जान पाएं।
इसके अलावा मेँ आपको यहां और भी बात दूँ की, अपूर्वता (Singularity) ही ब्रह्मांड में मौजूद है जहां समय पूर्ण तरीके से रुक जाता हैं| सरल भाषा में कहूँ तो अपूर्वता के बाद समय का अस्तित्व ही नहीं रहता हैं| इसलिए यहां समय शून्य हैं| वैज्ञानिक यह भी कहते हैं की ब्लैक होल किसी भी चीज़ या ऊर्जा सो निगलने के साथ ही साथ काफी सारे ऊर्जा को विकीरित भी करते हैं| तो, इस बात की भी पूरी संभावनाएं बनती है की कुछ मात्रा में ब्लैक होल के द्वारा पहले से निगले हुए ऊर्जा और चीजों का वहां से निकलना भी स्वाभाविक हैं।
परंतु यहां गौरतलब बात यह है की; अगर कोई चीज़ ब्लैक होल से निकलता भी है तो, वह फिर से अपने मूल रूप में नहीं आ सकता हैं क्योंकि ब्लैक होल से बाहर निकलते ही वह ताप की ऊर्जा में परिवर्तित हो कर ब्रह्मांड में मिल जाएगा।
स्पेस टाइम और परमाणु विज्ञान :-
स्पेस टाइम को और भी गहराई से समझने के लिए हमें परमाणु विज्ञान का सहारा लेना पड़ेगा| यहाँ पर मेँ ब्रह्मांड की मौलिक कणिकाओं के बारे में चर्चा करूंगा| ब्रह्मांड में मौजूद ब्लैक होल खुद ब्रह्मांड का ही एक हिस्सा हैं।
मित्रों! ब्लैक होल एक प्रकार से माइक्रो स्पेस की श्रेणी के अंदर आता हैं, जहां पर स्पेस-टाइम की मात्रा बहुत ही कम होती हैं| खैर यहाँ आपको याद रखना पड़ेगा की ब्लैक होल के इवैंट होरिजन के बाद किसी भी प्रकार से समय का कोई अस्तित्व नहीं रहता हैं, इसलिए यहाँ पर स्पेस की एक बहुत ही छोटी सी मात्रा (करीब-करीब 10^-35 मीटर)देखने को मिलता हैं| वैज्ञानिकों का कहना है की यह माइक्रो स्पेस एक बहुत ही छोटी सी सत रंज की बोर्ड के ही जैसा दिखता हैं| इसलिए इसको कई बार मोसाइक स्पेस भी कहते हैं।
यहाँ पर गौरतलब बात यह है की, ब्लैक होल के अंदर कोई भी परमाणु उसके अपने मूल रूप में नहीं रहता हैं| सारे के सारे परमाणु आपको शून्यता को प्राप्त होने की भांति ही दिखाई पड़ेंगे| परंतु हाँ! इवैंट होरिजन के ठीक पहले मौजूद परमाणु अपने मूल अवस्था में रह कर स्पेस-टाइम के बाकी सिद्धांतों को पालन करते हैं| खैर चलिए स्पेस-टाइम और परमाणु के बीच के रिश्ते को एक सरल उदाहरण के जरिए समझते हैं|
उदाहरण :-
मान लीजिए की, आप किसी एक गेंद के त्रिज्या (radius) को 10 गुना बढ़ा रहें हैं, तो आकार में बढ्ने के बाद उस गेंद के अंदर मौजूद परमाणुओं की संख्या उसी हिसाब से 1000 गुना बढ़ जाएगा| परंतु यहाँ पर अगर अपने किसी ब्लैक होल के त्रिज्या को 10 गुना बढ़ा रहें हैं तो उसके अंदर मौजूद परमाणुओं की संख्या सिर्फ 100 गुना ही बढ़ेगा|
ऐसे होने का कारण ब्लैक होल के अंदर मौजूद माइक्रो-स्पेस के कारण ही हैं| यहाँ पर आपको स्पेस-टाइम (space-time and time dilation in hindi) तो देखने को मिलेगा परंतु वह इतना छोटा होगा की शायद ही आप उसे पहचान पाएं|
चलिए यह तो था स्पेस-टाइम (space-time and time dilation in hindi) से जुड़ी मूल भूत बातें, अब थोड़ा इससे जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में भी जान लेते हैं|
क्या स्पेस और टाइम दो समान चीज़ हैं? :-
मैंने ऊपर कई बार स्पेस-टाइम का जिक्र किया हैं, देखने में आपको यह एक समान ही प्रतीत होते हैं | परंतु क्या सच में यह दोनों एक समान हैं? मित्रों! इस सवाल का जवाब बहुत ही अजीब हैं| स्पेस और टाइम दो समान चीज़ हो कर भी दो अलग चीज़ हैं| थोड़ा अटपटा हैं परंतु यही सच्चाई है|
मूल रूप से स्पेस-टाइम स्पेस और टाइम को गणित के सिद्धांतों के आधार पर मिलाकर बनाया गया एक नया पहलू हैं, जिसे कंटिनियम (Continuum) भी कहा जाता हैं| मित्रों! हमारा शरीर जहां मौजूद है या फिर यह पूरा ब्रह्मांड जहां पर मौजूद है उसे हम सरल भाषा में स्पेस कहेंगे| स्पेस वह है जिसके अंदर हम एक से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं|
खाली स्पेस के अंदर एक संतुलित वेग में प्रकाश के गति को टाइम कहा जाता हैं| ब्रह्मांड में मौजूद हर एक भौतिक चीज़ स्पेस के अंदर रह कर टाइम की गुण को दूसरे किसी भौतिक वस्तु के सामने प्रकट करता हैं| इसके अलावा हमारा यह भौतिक और स्थूल शरीर एक विशेष टाइम में स्पेस के साथ प्रतिक्रिया करने के कारण ही बना हुआ हैं| इसलिए स्पेस और टाइम को एक चीज़ होने के बाद भी दो आलग-अलग चीज़ माना जाता हैं, क्योंकि एक दूसरे के बिना दोनों का ही अस्तित्व बहुत सूक्ष्म हैं|
क्या स्पेस-टाइम का कोई आयाम होता हैं? :-
स्पेस-टाइम (space-time and time dilation in hindi) से जुड़ा यह सवाल लोगों के मन में अकसर आता ही रहता हैं| लोगों को लगता है की स्पेस एक जगह का एकक है और टाइम को तो घंटों तथा मिनटों के अंदर बांटा ही जाता है तो, इन दोनों का जरूर ही कोई आयाम होगा| मित्रों! आप जैसा सोच रहें हैं वह बिलकुल लाजिमी है, परंतु यहाँ पर थोड़ा अपवाद मौजूद हैं| वैज्ञानिकों का मानना है की स्पेस-टाइम का कोई आयाम नहीं होता| जी हाँ! आपने सही सुना अन्य किसी मौलिक मात्रा के विपरीत स्पेस-टाइम का कोई आयाम ही नहीं हैं|
ज़्यादातर लोग समय को चौथे आयाम की तरह देखते हैं| परंतु यहाँ मेँ आपको बता दूँ की आप कभी भी समय को माप नहीं सकते हैं| तो, आप यहाँ पूछेंगे की हम लोग जो घड़ी में समय देखते हैं आखिर वह क्या हैं? मित्रों! आप घड़ी के द्वारा किसी वस्तु के आवृत्ति और गति को मापते हैं| जी हाँ! आप अपने घड़ी के अंदर मौजूद कांटे के गति से किसी दूसरे वस्तु की आवृत्ति (Frequency) और गति को माप कर रखते हैं| देखिए अब आपको यह लग रहा हैं होगा की, अंतरिक्ष में जितने भी सारे वस्तु, जीव और निर्जीव वस्तु हैं क्या उनपर समय कुछ प्रभाव ही नहीं डालता हैं! तो, सुनिए स्पेस-टाइम यानी काल-अंतराल ब्रह्मांड को चलाने वाला एक मुख्य चक्र है जो की ब्रह्मांड में मौजूद हर एक वस्तु और जीवों के ऊपर प्रभाव डालता हैं|
क्या सच में समय नहीं होता हैं! :-
मित्रों! कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं की स्पेस-टाइम एक प्रक्रिया है जो की वस्तुओं और जीवों के ऊपर प्रभाव डाल कर उनके संरचना में बदलाव लाती हैं| वैज्ञानिकों ने समय को चौथी आयाम है या नहीं यह देखने के लिए कुलंब एक्सपरिमेंट किया था, जहां पर पूरा का पूरा एक्सपरिमेंट स्पेस के अंदर किया गया था| यहाँ पर उन्होने टाइम के बिना ही यह एक्सपरिमेंट कर डाला|
परंतु बाद में पता चला की इस एक्सपरिमेंट के अंदर ही समय को आधार मान कर ही काफी ज्यादा बदलाव देखा गया था| समय को आज भी चौथी आयाम मानने के लिए वैज्ञानिकों के अंदर काफी ज्यादा वाद-विवाद लगा ही रहता हैं| खैर हम लोग उसके अंदर ज्यादा नहीं जाएंगे परंतु इतना आप जान लीजिए की स्पेस-टाइम का कोई आयाम नहीं होता हैं|
यहाँ पर मेँ आपसे यह भी आग्रह करना चाहूँगा की आपको स्पेस-टाइम के आयाम के होने के बारे में क्या लगता हैं? क्या सच में स्पेस-टाइम का कोई आयाम होगा या नहीं! इसके बारे में आप अपना राय जरूर ही दीजिएगा|
चलिए अब स्पेस-टाइम(space-time and time dilation in hindi) के बारे में इतनी सारी बातें जानने के बाद एक बार समय विस्तारण (time dilation) की बारे में जान लेते हैं|
समय विस्तारण क्या हैं? – What is Time Dilation In Hindi? :-
देखिए मित्रों! स्पेस-टाइम (space-time and time dilation in hindi) की एक अभिन्न अंग है समय विस्तारण यानी टाइम डाइलेशन| यहाँ पर मेँ आपको ज्यादा जटिलता के और न लेकर इसके सरल संज्ञा से आपको रूबरू कराऊंगा|
तो, किसी दों घड़ियों के अंदर बीते हुए समय की अंतर को ही टाइम डाइलेशन कहते हैं| मित्रों! टाइम डाइलेशन के कई कारण हो सकते हैं जैसे की दो घड़ियों के अंदर मौजूद संवेग या उनके अंदर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल का भेद| यहाँ पर बहुत ही गज़ब की बात यह है की, जब भी कोई घड़ी एक दूसरे घड़ी से दूर जाता है तब दूर जाने वाला घड़ी पहले घड़ी के मुकाबले धीरे-धीरे धीमी होती जाती हैं| यानी वह घड़ी जितनी दूर प्रेक्षक से जाता रहेगा उसका घूमना भी उतना ही धीमा होता जाएगा|
मित्रों! अंतरिक्ष में मौजूद किसी भी बृहत खगोलीय पिंड में अगर एक घड़ी को रखा जाए और अगर किसी दूसरे घड़ी को उस खगोलीय पिंड से धीरे-धीरे उस से दूर ले कर जाएं तो, खगोलीय पिंड से दूर जाने वाले घड़ी हमारे आशा से भी काफी ज्यादा धीमा घूमता जाएगा| टाइम डाइलेशन की इस सिद्धांत को काफी समय पहले ही सापेक्षता के सिद्धांत के आधार पर सही ठहराया जा चुका हैं| इसलिए इसमें कोई दो-रह नहीं है की यह एक सटीक और वास्तविक सिद्धांत हैं|
इससे जुड़ी कुछ मूल भूत बातें :-
मूल रूप से टाइम डाइलेशन को लोरेंट्ज़ फेक्टर के जरिए मापा जाता है| खैर इस फेक्टर को एक विशेष सूत्र के आधार पर इस्तेमाल किया जाता हैं| मित्रों! यह सूत्र है √(1-v^2/c^2)| इस सूत्र को एमिल कोहन ने सबसे पहले ढूंढ कर निकाला था| मित्रों! यहाँ पर मेँ आपको बता दूँ की टाइम डाइलेशन के प्रभाव को देखने के लिए किसी भी वस्तु या चीज़ को अंतरिक्ष में बहुत ही तेजी से गति करना पड़ेगा|
यह गती लगभग प्रकाश के गति (299,792,458 m/s) के बरा-बर से थोड़ी सी कम होगी| यहाँ! पर आप मान लीजिए की यह गति प्रकाश के गति के 99.99% होगा| क्योंकि कोई भी वस्तु या चीज़ प्रकाश के गति से ज्यादा तेज नहीं जा सकता हैं| मित्रों! यहाँ पर और एक बात पर गौर कीजिएगा की, अगर कोई वस्तु प्रकाश के गति के बरा-बर ही तेजी से गति करता है, तब उस पर टाइम डाइलेशन (space-time and time dilation in hindi) का प्रभाव लग-भग शून्य होगा|
इसके अलावा मेँ आपको और भी बता दूँ की दोनों घड़ियों के अंदर सापेक्षता का वेग जितना ज्यादा होगा उतना ही टाइम डाइलेशन का प्रभाव बढ़ता जाएगा| इसके अलावा हैरत में डालने वाली बात यह है की अगर इंसानों ने प्रकाश के गति के 99.99%के रफ्तार से भी अंतरिक्ष में एक से दूसरी जगह जाने लगे तो उन पर टाइम डाइलेशन का प्रभाव काफी ला जवाब होगा| वैज्ञानिक कहते हैं की, इतने तेजी से गति करने के कारण जहां यान के अंदर एक साल बिता होगा तो वही पृथ्वी पर लगभग 10 साल बीत चुके होंगे|
गुरुत्वाकर्षण और समय का विस्तारण :-
गुरुत्वाकर्षण और समय के विस्तारण का एक बहुत खास रिश्ता हैं| गुरुत्वाकर्षण काफी ज्यादा प्रभाव डालता है टाइम डाइलेशन के ऊपर| तो, चलिए लेख के इस भाग में उस के बारे में कुछ जान लेते हैं|
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होने वाले टाइम डाइलेशन को ग्रेविटेसनाल टाइम डाइलेशन कहते हैं| इसी के कारण अंतरिक्ष में घटने वाले दो अलग-अलग घटनाओं के अंदर समय के अंतर को दो अलग-अलग जगहों पर मौजूद प्रेक्षक दो अलग-अलग समय में इसे देखते हैं| जिससे टाइम डाइलेशन के प्रभाव को आसानी से समझा जा सकता हैं| अगर आपको याद हो तो मैंने ऊपर ही कहा था की गुरुत्वाकर्षण एक बल नहीं बल्कि खुद एक स्पेस-टाइम (space-time and time dilation in hindi) का ही रूप हैं|
इसलिए जहां भी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कोई भी घटना घटती हैं, उस जगह से स्पेस-टाइम थोड़ी वक्र (Curved) के आकार में मूड जाती हैं| इससे घटना को देखने वाले व्यक्ति को लगता हैं की समय में कुछ बदलाव हुआ हैं, जो की स्पेस-टाइम के वक्र के आकार में मूड जाने के कारण होता हैं| इसके अलावा ध्यान रखने वाली बात यह हैं की जहां पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव ज्यादा होता है वहाँ पर स्वतः रूप से समय धीमे-धीमे चलता हैं|
खैर आपको में यहाँ पर एक उदाहरण और एक सरल से सूत्र के द्वारा गुरुत्वाकर्षण के कारण पैदा होने वाले टाइम डाइलेशन के बारे में बताना चाहता हूँ| सबसे पहले आप इस सूत्र को देखिए- स्पीड= डिस्टन्स/टाइम| यह शायद भौतिक विज्ञान का सबसे सरल और मूलभूत सूत्र होगा| खैर अब आगे मेरे द्वारा समझाए गए एक उदाहरण के ऊपर जरा गौर करिएगा|
उदाहरण :-
मान लीजिए दो प्रकाश के किरणें एक से दूसरे जगह तक जा रही हैं | अब यह मानिए की एक प्रकाश की किरण एक दुर्बल गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से हो कर गुजर रही है और दूसरा किरण एक बहुत ही बलवान गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से हो कर गुजर रही हैं| अब आप सोचिए इन दोनों ही किरणों के अंदर कौनसा सा किरण वक्र के आकृति में मूड कर जाएगा|
दोस्तों! मेँ आपको बता दूँ की जो किरण दुर्बल गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से होकर गुजरती है, वह किरण पहले के भांति ही एक सीध में हो कर गुजरेगी| परंतु दूसरा किरण जो की ताकतवर गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से हो कर गुजर रही हैं, वह थोड़ा वक्र के आकृति में मूड कर आगे बढ़ेगा|
यहाँ पर इसे ही गुरुत्वाकर्षण के कारण होने वाला टाइम डाइलेशन (space-time and time dilation in hindi) कहेंगे| यहाँ पर गौर करने वाली बात है की, इस टाइम डाइलेशन के कारण दुर्बल गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से हो कर गुजरने वाली प्रकाश की किरण बहुत ही तेजी सी आगे बढ़ जाएगा; परंतु वहीं ताकतवर गुरुत्वाकर्षण बल के क्षेत्र से गुजरने वाली प्रकाश की किरण थोड़ा समय ले कर देरी से आगे बढ़ेगी| क्योंकि इस क्षेत्र में यह पहले किरण के मुक़ाबले ज्यादा लंबी दूरी तय कर रही हैं|
तो, यहाँ पर और एक सवाल लोगों के मन में आएगा की, क्या हम टाइम डाइलेशन के जरिए अपने बुढ़ापे से बच सकते हैं? चलिए इस सवाल के जवाब को आगे स्पेस-टाइम और टाइम डाइलेशन (space-time and time dilation in hindi) के ऊपर आधारित इस लेख में जान लेते हैं|
क्या हम टाइम डाइलेशन के जरिए अपने बुढ़ापे को रोक सकते हैं! :-
अकसर फिल्मों को देख कर मन में यह उत्सुकता हमेशा बनी ही रहती है की, आखिर कैसे हम अंतरिक्ष में जा कर समय यात्रा करें और अपने बुढ़ापे को दूर कर दें| देखिए ! यह एक बहुत ही रोचक बात है और इस पर हम लोग यहाँ पर जरूर ही चर्चा करेंगे| तो, चलिए शुरू करते हैं|
आज के तकनीक को देखते हुए इतना तो स्पष्ट है की वर्तमान के समय में टाइम डाइलेशन को हासिल करने के लिए उतनी तेजी से हम लोग गति नहीं कर सकते हैं| इसलिए मेँ यहाँ पर आज के तकनीक को आधार नहीं मान रहा हूँ| खैर चलिए मान लेते है की भविष्य में हमने ऐसी तकनीक हासिल कर ली जिससे हम लोग टाइम डाइलेशन के लिए जरूरी वेग को हासिल कर लिया| तब क्या होगा?
मित्रों! तब भी ज्यादा कुछ अनोखी बात नहीं घटेगी| क्योंकि अगर हम लोग टाइम डाइलेशन के जरिए अपने आयु को बढ़ा भी लेते हैं तो वह 70-100 सालों के अंदर ही सीमित हो कर रह जाएगा| एक शोध से पता चला है की अगर हम मान लीजिए की पृथ्वी से दूर जा कर किसी दूसरे ग्रह (नेपच्यून) के ऊपर रह भी लें तो हमारा आयु सिर्फ कुछ मिनटों तक ही बढ़ेगा|
अब यहाँ पर विचार करने वाली बात यह है की, अगर किसी हिसाब से प्रकाश के गति के साथ ही साथ अंतरिक्ष में घूमा जाएं तो भी हमारे आयु के ऊपर वह ज्यादा कुछ प्रभाव डाल नहीं पाएगा|
क्या यह कभी संभव हो पाएगा! :-
अंतरिक्ष में हम लोग अगर किसी हिसाब से प्रकाश के गति को पार कर उस से तेजी से एक से दूसरे जगह आ-जा पाते तो शायद यह बात बनती| परंतु जैसा की मैंने आपको पहले ही बताया है, ब्रह्मांड में प्रकाश से तेज कोई भी वस्तु या पदार्थ एक से दूसरे जगह आ-जा नहीं सकता हैं| यही वजह से दोस्तों की हम लोग कभी भी अपने बुढ़ापे को टाइम डाइलेशन (space-time and time dilation in hindi) के जरिए रोक नहीं सकते हैं|
मित्रों! मेँ यहाँ पर आप सभी लोगों से यह पूछना चाहूँगा की, क्या आप कभी (अगर संभव हुआ तो) अपने बुढ़ापे को समय डाइलेशन के जरिए रोकेंगे ? जरूर ही बताइएगा|
मैंने आपको टाइम डाइलेशन से जुड़ी बहुत कुछ बात ऊपर ही बता दिया हैं| परंतु अब भी कुछ बातें बची हुई है, जिसके बारे में आप सभी लोगों को बताना बहुत ही जरूरी हैं| दोस्तों आगे हम लोग स्पेस-टाइम और टाइम डाइलेशन (space-time and time dilation in hindi) के ऊपर आधारित इस लेख में टाइम डाइलेशन से जुड़ी एक बहुत ही दिलचस्प तथ्य के बारे में जानेंगे| तो, मेरे साथ ऐसे ही आगे इस लेख में बने रहिए|
अंतरिक्ष यात्रीओं की उम्र क्या सच में अंतरिक्ष में जा कर कम हो जाती हैं? :-
मैंने ऊपर ही आप सभी लोगों को टाइम डाइलेशन (space-time and time dilation in hindi) से होने वाली उम्र के फेर बदलाव के बारे में बहुत कुछ कहा है जो की भविष्य के तकनीक को आधारित हैं | परंतु, यहाँ हम लोग अब वर्तमान के समय में अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रीओं को आधार मान कर उनके ऊपर टाइम डाइलेशन की चर्चा करेंगे|
पृथ्वी के लोवर ओर्बिट में ISS साल 1998 से ही घूम रहा हैं| यहां पर हर साल कई वैज्ञानिक पृथ्वी से आ कर रहते हैं| कुछ वैज्ञानिक साल भर तो कुछ वैज्ञानिक महीने भर रह कर यहां विज्ञान से जुड़ी हर एक पहलू को समझने की कोशिश करते हैं| खैर यहां पर गज़ब की बात यह है की ISS पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रीओं का उम्र पृथ्वी में रहने वाले इंसानों के उम्र से तुलना में मात्र 0.002 सेकंड ही ज्यादा हैं|
खैर यहाँ पर ISS से याद आया की विज्ञानम पर आपको ISS से जुड़ी एक बहुत ही रोचक लेख पढ़ने को मिलेगा| इस लेख में आपको ISS से जुड़ी हर एक अज्ञात पहलू को भी जानने को मिलेगा| खैर मेँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की ISS के अंदर वैज्ञानिकों ने स्पेस-टाइम को लेकर भी काफी सारे शोध कर चुके हैं| जहां उन्हें पता चला की स्पेस-टाइम के प्रभुत्व के चलते कुछ माइक्रो ओरगनीस्म के जेनेरेशन काफी ज्यादा जल्दी हो जाते हैं| इससे वैज्ञानिक काफी जल्दी माइक्रो ओरगनीस्म को कल्चर कर के जीव विज्ञान से जुड़ी काफी सारे तथ्यों को जुटा रहें हैं|
इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें :-
मेँ आपको यहां और भी बता दूँ की ISS पृथ्वी के सतह से 408 km ऊंचाई पर उड़ रही हैं और इतनि ऊंचाई पर उड़ने के बाद भी आयु में इतना कम का भेद बहुत ही ज्यादा अचंभे वाली बात हैं| यकीन मानिए दोस्तों टाइम डाइलेशन के कारण होने वाले इन प्रभावों के बारे में मैंने कभी भी नहीं सोचा था! क्या आप भी इन प्रभावों के बारे में अभी इस लेख में जान रहे हैं| कॉमेंट कर के जरूरी ही बताइएगा|
इसके अलावा एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात मेँ आपको यहां बता देता हूँ| आप जितना ऊपर पृथ्वी के सतह से जाएंगे उतना ही आपका आयु बढ़ता जाएगा| उसी हिसाब से अगर आप पृथ्वी के केंद्र की और जाएंगे तो आपका आयु उसी हिसाब से कम हो जाएगा| इसके अलावा टाइम डाइलेशन (space-time and time dilation in hindi) को विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र भी काफी ज्यादा प्रभावित करता हैं|
तो, चलिए इसके बारे में भी कुछ जान लेते हैं| इसके अलावा मैंने आगे विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र को टाइम-स्पेस के आधार पर बहुत ही सरल तरीके समझाया हैं| यह क्षेत्र कुछ मात्रा में गुरुत्वाकर्षण बल की ही भांति काम करता हैं| विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र में कणिकाओं का चार्ज और चुबकत्व का क्षमता बहुत ही ज्यादा स्पेस-टाइम पर प्रभाव डालता हैं|
विद्युत-कुंबकीय क्षेत्र और समय का विस्तारण :-
हमेशा से ही अंतरिक्ष में प्रकाश एक सटीक और संतुलित वेग में गति करता हैं| अगर प्रकाश के किरणें विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र के अंदर से हो कर गुजरती है, तब किरणों के ऊपर दोनों तरफ से (विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों के) दबाव पड़ता हैं| यहां गौर करने की बात यह है की यह दोनों ही क्षेत्र एक दूसरे से समकोण बना कर किरणों के ऊपर बहुत ही ज्यादा दबाव डालती हैं| मित्रों! इसी के कारण किरणें आपस में टकरा कर कुछ हद तक गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के भांति मूड जाती हैं|
इसी मुड़े हुए किरणों की वजह से ही टाइम डाइलेशन आपको देखने को मिलता हैं| मित्रों! इसे अच्छे से समझने के लिए आपको इसके बारे में और कई सारे चीजों को जानना होगा| इसलिए अगर आप चाहते हैं की इस विषय के ऊपर मेँ अलग से एक लेख बनाऊँ तो जरूर ही बताइएगा|
खैर विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र से याद आया की, मैंने इससे पहले चुंबक के बारे में बहुत ही सुंदर एक लेख लिखा हैं| जहां पर मैंने चुंबक और चुंबकीय क्षेत्र से जुड़ी बहुत ही रोचक बातों को आपको बताया हैं| तो, अगर आप चाहें तो उस लेख को अवश्य ही पढ़ सकते हैं|
निष्कर्ष – Conclusion :-
लेख के इस अंत भाग में मेँ आप लोगों से कुछ समय अंतराल और समय विस्तारण (space-time and time dilation in hindi) के बारे में जरूरी बात करना चाहूँगा| मित्रों! आप लोगों ने अपने फोन के अंदर अवश्य ही गूगल मेप्स को तो इस्तेमाल किया ही होगा| अगर आपका जवाब हाँ! है तो सुनिए आपने गूगल मेप्स को इस्तेमाल करने के दौरान टाइम डाइलेशन को भी कुछ हद तक महसूस कर लिया हैं| मित्रों! किसी भी बड़े खगोलीय वस्तु से दूर जाना या अंतरिक्ष में बहुत तेजी से गति करने को ही टाइम डाइलेशन कहते हैं|
इसी हिसाब से अंतरिक्ष में मौजूद हर एक चीज़ पर टाइम डाइलेशन का असर पड़ता हैं| पृथ्वी का चक्कर लगाने वाला उपग्रह हो या तेजी से चलने वाला धूमकेतु हर एक खगोलीय वस्तु के ऊपर टाइम डाइलेशन का ही वर्चस्व हैं| इसके अलावा स्पेस-टाइम और टाइम डाइलेशन दोनों मिलकर ही अंतरिक्ष में घटने वाली हर एक घटना को नियंत्रित करते हैं| काल का चक्र हमेशा ही चलता रहता हैं और इसके बिना यह ब्रह्मांड अस्तित्व में ही नहीं रह सकता हैं|
स्पेस-टाइम के अनुसार हमारा ब्रह्मांड एक आबद्ध सिस्टम की तरह अपने ही आयाम में फैल रहा हैं| इसी वजह से हमारे ब्रह्मांड में हर एक क्षण स्पेस-टाइम का पहलू बदल रहा हैं| भविष्य में खुद हमारा अपना आकाशगंगा स्पेस-टाइम के प्रभुत्व के चलते काफी ज्यादा बदल जाएगा| यहाँ पर गौरतलब बात यह है की, हम पूरे ब्रह्मांड की एक बहुत ही छोटे से हिस्से को जानते हैं और हमारे सोच से परे लगभग 95% ब्रह्मांड हमारे चारों तरफ मौजूद हैं| इसी 95% ब्रह्मांड में न जाने कैसे और कहां आपको कुछ हैरतअंगेज बात देखने को मिल जाएगा कोई नहीं कह सकता हैं|
Sources:- www.forbes.com, www.universetoday.com, www.space.com, www.nasa.org.