Shiva temple science Hindi – भारत की पहचान मंदिर और हिन्दू धर्म से है, और सनातन हिन्दू धर्म में भगवान शिव की बहुत महत्ता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव ने ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी। उन्हीं की माया से यह चराचर जगत हमें दिखाई देता है। इनकी पूजा कई अलग-अलग रूपों में की जाती है. लिंग, शिव प्रतिमा, काल भैरव. अर्धनारी रूप भी भगवान शिव का ही प्रतीक है।
भगवान शिव के मंदिर देश हर हिस्से में मिल जाएंगे. लेकिन इन मंदिरों में से कुछ ऐसे हैं, जिनका विवरण आपको पुराणों और हिन्दू धर्म ग्रंथों में मिलेगा. इसका मतलब है कि ये मंदिर कई हज़ार साल पुराने हैं. केदारनाथ से रामेश्वरम तक करीब 5 ऐसे मंदिर हैं, जिनका महत्व हिन्दू धर्म में काफ़ी ज़्यादा है. लेकिन मान्यताओं से अलग इन मंदिरों में एक ख़ास बात और है. ये पांचों मंदिर एक ही सीधी रेखा में बने हैं. मतलब समझने के लिए एक बार तस्वीर पर गौर कीजिए।
धरती के भौगोलिक आधार पर बने ये पांच मंदिर पंचतत्व पर आधारीत हैं. Thiruvanaikaval जल को दर्शाता है, ये बगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर है जो तमिलनाडु में आता है।
Kalahasti हवा को.
ऐसे ही भगवान शिव का मंदिर Kailasanathar जो Kanchipuram में है धरती को दर्शाता है, ये भी भारत के दक्षिण में स्थित तमिलनाडु राज्य में स्थित है, इस मंदिर को 8 वीं सदी के आसापासस बनाया गया था।
Chidambaram शहर में स्थित मंदिर भगवान आदिदेव शिव का नजराज मंदिर है जो कि आकाश को दर्शाता है।
वहीं Thiruvannamalai आग का प्रतीक माना जाता है.
इन मंदिरों को योगिक विज्ञान के आधार पर कुछ इस तरह बनाया गया कि सारे मंदिर एक सीधी रेखा में बनें.
इन मंदिरों को निर्माण हज़ारों साल पहले हुआ था. बिना सैटलाइट्स की मदद के इन मंदिरों को एक सीधी रेखा कैसे बनाया गया होगा? कैसे इन दूरियों को सही मापा गया होगा? इन सवालों के जवाब ढूंढ़ना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन हम उस वक़्त इन मंदिरों को बनाने वालों को दाद ज़रूर दे सकते हैं।..
साभार – गजबपोस्ट.कॅाम
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