हमारे ब्रह्मांड में अरबों-खरबों सितारे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस विशाल अंतरिक्ष में कई खरबों सितारे मौजूद हो सकते हैं। इन सितारों के बारे में जानना हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इनसे घिरे हुए हैं। हमारे सौर-मंडल का मौलिक आधार ही एक सितारे के ऊपर टिका हुआ है, जिसे हम “सूर्य” के नाम से भी जानते हैं। इससे स्पष्ट है कि सितारे हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सितारे (Red Dwarf Star In Hindi) हमारे जीवन के आधार हैं और हमें इनके बारे में लगातार अध्ययन करते रहना चाहिए।
रेड ड्वार्फ स्टार/ लाल बौने तारे (Red Dwarf Star In Hindi) एक प्रकार के तारे हैं, लेकिन इनमें कई अनूठी विशेषताएं होती हैं जो इन्हें अन्य तारों से अलग बनाती हैं। इनका निर्माण और कार्य करने का तरीका काफी अलग होता है। इस लेख में हम लाल बौने तारों के बारे में विस्तार से जानेंगे और देखेंगे कि क्या वे वास्तव में उतने खास हैं जितने कि इन्हें माना जाता है। साथ ही, हम इनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में भी जानेंगे।
आपसे अनुरोध है कि इस लेख को पूरा पढ़ें ताकि आपको यह विषय अच्छी तरह से समझ में आ सके। तो चलिए बिना देरी किए लाल बौने तारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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रेड ड्वार्फ स्टार क्या है? – Red Dwarf Star in Hindi
किसी विषय को बुनियादी रूप से समझने के लिए सबसे पहले हमें उसकी संज्ञा को जानना आवश्यक होता है। इसलिए चलिए, सबसे पहले हम यह समझते हैं कि रेड ड्वार्फ स्टार (Red Dwarf Star in hindi) क्या होता है।
रेड ड्वार्फ स्टार ब्रह्मांड में सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाले तारे हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। ये तारे दूसरे तारों की तुलना में कम चमकीले होते हैं, और इन्हें खुली आंखों से देख पाना काफी कठिन होता है। इस कारण इन्हें खोज पाना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
हालांकि, इनकी चमक कम होने की वजह से ये तारे औसतन अन्य तारों की तुलना में कहीं अधिक लंबे समय तक जीवित रहते हैं। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि ये तारे बहुत कम मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन (radiation) करते हैं, जिससे उनकी ऊर्जा की खपत बहुत धीमी होती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इन तारों के भीतर हाइड्रोजन की मात्रा प्रचुर होती है, जिसके कारण इन्हें कभी-कभी हाइड्रोजन स्टार भी कहा जाता है। सूर्य की तुलना में ये तारे कहीं अधिक लंबे समय तक जीवित रहते हैं, क्योंकि सूर्य एक “येलो ड्वार्फ स्टार” (Yellow Dwarf Star) है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी के निकट लगभग 20 से 30 रेड ड्वार्फ तारे स्थित हैं, और उनमें से “प्रॉक्सिमा सेंटॉरी” (Proxima Centauri) सबसे नजदीक है। जब हम रेड ड्वार्फ तारों (Red Dwarf Star In Hindi) की बात करते हैं, तो हम केवल एक प्रकार के तारे की बात नहीं कर रहे होते हैं। रेड ड्वार्फ श्रेणी में “K” और “M” प्रकार के ड्वार्फ तारे भी शामिल होते हैं। इसलिए इन तारों के बारे में विस्तार से अध्ययन करना आवश्यक है।
रेड ड्वार्फ के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ! :-
“K” और “M” श्रेणी के ड्वार्फ तारे (Red Dwarf Star In Hindi) वास्तव में ब्राउन ड्वार्फ तारे होते हैं। इसलिए इन्हें अक्सर “फेल्ड सितारे” भी कहा जाता है। अब आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि आखिर इन्हें फेल्ड सितारा क्यों कहा जाता है? मित्रों, मैं आपको बता दूं कि इन तारों के अंदर हाइड्रोजन फ्यूजन नहीं होता। इनके केंद्र में किसी भी प्रकार की हाइड्रोजन-आधारित प्रक्रिया संभव नहीं होती।
हालांकि, रेड ड्वार्फ तारों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, लेकिन यह सच है कि ये तारे स्पेक्ट्रम के सबसे ठंडे पिंडों में गिने जाते हैं। उदाहरण के लिए, “TRAPPIST-1” एक प्रमुख रेड ड्वार्फ तारा है। जानकारी के लिए बता दूं कि ज्यादातर रेड ड्वार्फ तारे “K5V” से “M5V” स्पेक्ट्रल बैंड के भीतर आते हैं।
खैर, विज्ञान के अनुसार रेड ड्वार्फ तारे (Red Dwarf Star In Hindi) भी मेन-सीक्वेंस तारों की श्रेणी में आते हैं। इनके गुण काफी हद तक दूसरे तारों जैसे ही होते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये तारे सामान्य तारों की तरह ही पैदा होते हैं, लेकिन समय के साथ इनमें कुछ विशिष्टताएं विकसित होती हैं, जो इन्हें अन्य तारों से अलग बनाती हैं।
इस तरह बनते हैं रेड ड्वार्फ सितारे (Red Dwarf Star In Hindi)
रेड ड्वार्फ सितारे (Red Dwarf Star In Hindi) मूल रूप से आम सितारों की तरह ही बनते हैं। जब ब्रह्मांड में कॉस्मिक गैस और धूल एक स्थान पर सघन (Dense) होने लगते हैं, तब इनके निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है। बताया जाता है कि यह सघनता बढ़ने के साथ इनके केंद्र का तापमान इतना अधिक हो जाता है कि फ्यूजन की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। ये तारे आकार में सबसे छोटे होते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, इनका द्रव्यमान (Mass) सूर्य के द्रव्यमान का 7.5% से लेकर 50% तक होता है। यहाँ एक विशेष बात यह है कि आकार में छोटे होने के कारण ये तारे अन्य सितारों से बेहतर माने जाते हैं। छोटे आकार के कारण ये बहुत धीमी गति से जलते हैं। मतलब यह है कि इनके भीतर हाइड्रोजन की खपत बहुत कम होती है। इसके अलावा ये अपेक्षाकृत कम तापमान पर भी जल उठते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इनका जलने का तापमान लगभग 3,500 डिग्री सेल्सियस होता है, जबकि सूर्य का सतही तापमान लगभग 5,500 डिग्री सेल्सियस तक होता है।
कम तापमान के कारण ये तारे सूर्य की तुलना में काफी कम चमकीले होते हैं। एक और दिलचस्प बात यह है कि रेड ड्वार्फ तारे अपने कोर और बाहरी हिस्से में मौजूद हाइड्रोजन को भी ईंधन के रूप में उपयोग कर लेते हैं, जबकि अन्य तारे केवल अपने कोर के हाइड्रोजन का ही उपयोग करते हैं। यही कारण है कि रेड ड्वार्फ तारों की आयु कई खरब वर्षों तक बढ़ जाती है।
रेड ड्वार्फ सितारे के प्रकार! – Types of Red Dwarf Star! :-
हमारे सूर्य की जीवन अवधि लगभग 10 अरब वर्ष है, लेकिन रेड ड्वार्फ सितारों (Red Dwarf Star In Hindi) की आयु खरबों वर्षों तक होती है। अक्सर ब्राउन ड्वार्फ सितारे और रेड ड्वार्फ सितारों के बीच बहुत कम अंतर होता है। ब्राउन ड्वार्फ भी रेड ड्वार्फ की तरह ही बनते हैं और उनके समान ठंडे और कम चमकीले होते हैं।
हालांकि, एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि ब्राउन ड्वार्फ सितारे कभी भी फ्यूजन प्रक्रिया में पूरी तरह भाग नहीं ले पाते। इस कारण उन्हें वास्तविक तारा (Real Star) नहीं माना जाता। मित्रों, इन सितारों के बीच रेड ड्वार्फ को पहचानना काफी मुश्किल होता है।
जब भी वैज्ञानिक किसी नए रेड ड्वार्फ सितारे के बारे में शोध करते हैं, तब उनको सटीक रूप से पता नहीं होता हैं कि; वो सितारा वाकई में रेड ड्वार्फ सितारा हैं भी या नहीं। कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, नए-नए पैदा होने वाले ब्राउन ड्वार्फ स्टार हूबहू रेड ड्वार्फ सितारे जैसे ही दिखते हैं।
जब वैज्ञानिक किसी नए रेड ड्वार्फ सितारे (Red Dwarf Star In Hindi) का अध्ययन करते हैं, तब उन्हें अक्सर सटीक रूप से यह नहीं पता होता कि वह वाकई में रेड ड्वार्फ है या नहीं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि नए-नए पैदा हुए ब्राउन ड्वार्फ सितारे देखने में बिल्कुल रेड ड्वार्फ जैसे लगते हैं।
रेड और ब्राउन ड्वार्फ में अंतर कैसे करते हैं?
रेड और ब्राउन ड्वार्फ सितारों के बीच भेद करने के लिए वैज्ञानिक सितारे की सतह का तापमान मापते हैं।
- ब्राउन ड्वार्फ सितारे, जो फ्यूजन नहीं करते, उनका तापमान लगभग 1,727°C होता है।
- वहीं, फ्यूजन प्रक्रिया करने वाले रेड ड्वार्फ सितारे अपेक्षाकृत गर्म होते हैं, जिनका तापमान लगभग 2,427°C तक पहुँचता है।
रेड ड्वार्फ सितारों का तापमान इन दोनों के बीच के स्तर पर होता है। वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि सितारे के वातावरण में पाए जाने वाले रसायन उसकी स्थिति और प्रक्रिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।
यदि किसी तारे के वातावरण में अमोनिया या मीथेन जैसे तत्व मौजूद हों, तो यह संकेत हो सकता है कि वह ब्राउन ड्वार्फ तारा है, क्योंकि ये रसायन आमतौर पर ठंडे वातावरण में पाए जाते हैं।
रेड ड्वार्फ को लेकर वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि ब्रह्मांड में कोई तारा ठंडा और कम चमकीला हो, तो उसे रेड ड्वार्फ तारा (Red Dwarf Star In Hindi) कहा जा सकता है, भले ही वह ब्राउन ड्वार्फ क्यों न हो। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि रेड ड्वार्फ तारों के चारों ओर जीवन-योग्य ग्रह हो सकते हैं, क्योंकि किसी भी तारे के बनने के बाद बचे हुए मटेरियल से ग्रहों का निर्माण होता है।
NASA ने रेड ड्वार्फ तारों के आसपास कई ऐसे ग्रहों के होने के प्रमाण पाए हैं, जो पृथ्वी जैसे हो सकते हैं। पहले वैज्ञानिकों का विचार था कि रेड ड्वार्फ तारों के पास जीवन की संभावना बेहद कम है। लेकिन 2016 में एक नए ग्रह की खोज ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया।
रेड ड्वार्फ (Red Dwarf Star In Hindi): भविष्य का संभावित घर
मित्रों, यह भी संभव है कि रेड ड्वार्फ सितारों के पास ऐसे ग्रह हों, जहां तरल पानी और जीवन के लिए आवश्यक अन्य संसाधन मौजूद हों। हालांकि, हमारे पास इन ग्रहों के बारे में अभी पर्याप्त जानकारी नहीं है।
ये तारे वास्तव में बहुत ही विचित्र हैं, लेकिन तमाम खतरनाक कारणों के बावजूद रेड ड्वार्फ हमें भविष्य में आवास देने का मौका दे सकते हैं। खरबों सालों तक जीवित रहने वाले ये रेड ड्वार्फ धीरे-धीरे अपनी गतिविधि कम कर देते हैं, जिससे इनके आसपास के ग्रहों पर जीवन पनपने की संभावना बढ़ जाती है। यदि किसी ग्रह पर अथाह समुद्र हों, तो वह रेड ड्वार्फ से आने वाली ऊर्जा को पानी के माध्यम से नियंत्रित करके सामान्य तापमान बनाए रख सकता है, जहाँ इंसान भविष्य में रह सकते हैं।
खरबों वर्ष तक अनंत जीवन
यदि हमें पृथ्वी जैसे आकार वाले ग्रहों के साथ सही परिस्थितियों वाला कोई रेड ड्वार्फ सिस्टम मिल जाए, तो इंसान वहाँ खरबों वर्षों तक अपनी सभ्यता बसा कर रह सकते हैं। यहाँ तक कि अगर ब्रह्मांड में विशालकाय तारे और आकाशगंगाएँ भी समाप्त होने लगें, तब भी हम इंसान इन तारों के आसपास मौजूद रहेंगे।
पूरी गैलेक्सी में रेड ड्वार्फ तारों की भरमार है, और इनमें से लगभग 5 प्रतिशत रेड ड्वार्फ (Red Dwarf Star In Hindi) ऐसे हैं जिनके हेबिटेबल ज़ोन में पृथ्वी जैसे ग्रह मौजूद हो सकते हैं, जहाँ जीवन पनपने की संभावना हो। यदि ऐसा हुआ, तो हमें कम से कम 4 अरब रेड ड्वार्फ तारे ऐसे मिल सकते हैं जो भविष्य में हमारा घर बन सकते हैं।
निष्कर्ष:
रेड ड्वार्फ स्टार/ लाल बौने तारे (Red Dwarf Star In Hindi) ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमयी और रोचक खगोलीय पिंडों में से एक हैं। इनके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। भविष्य में होने वाले अध्ययनों से हमें लाल बौने तारों के बारे में और अधिक जानकारी मिलेगी और शायद हम यह भी जान पाएंगे कि इन तारों के चारों ओर जीवन संभव है या नहीं।