ब्रह्मांड की हर एक चीज़ कुछ मौलिक कणों से बनी हुई है। ये मौलिक कण हर एक जगह मौजूद होते हैं, जैसे की हमारे शरीर से लेकर सुदूर आकाशगंगाओं तक! इसलिए कई बार इन्हें इस ब्रह्मांड का आधार भी कहा जाता है। खैर आप लोगों ने प्रोटोन (protons have more charm) के बारे में सुना ही होगा। बचपन में हमें इनके बारे में काफी कुछ चीज़ें बताए जाती हैं और उन सभी चीजों को हम अकसर सच मान लेते हैं। हमें लगता है जितना स्कूल में पढ़ाया जा रहा है, उतना ही सब कुछ है। परंतु मित्रों! ऐसा नहीं है। हमें काफी कुछ चीज़ें स्कूल में नहीं बताएं जाती हैं।
इसलिए अधिकतर मैं आप लोगों को मेरे लेख में इस तरह की बातों को बताता हूँ, जिसके बारे में आप लोगों को कदाचित् ही पता हो। प्रोटोन (protons have more charm) के बारे में आज मैं इस लेख के अंदर कुछ ऐसी बातों को आपके सामने रखने वाला हूँ, जिन्हें वैज्ञानिकों ने हाल ही में ढूंढ कर निकाला है। मित्रों! यकीन मानिए ये लेख काफी ज्यादा रोचक होने वाला है, तो आप लोगों से निवेदन हैं की, लेख को अंत तक जरूर ही पढ़िएगा। खैर चलिये अब लेख को आगे बढ़ाते हुए, मुख्य विषय पर आते हैं।
विषय - सूची
बेहद ही खास है “प्रोटोन”! – Protons Have More “Charm”! :-
पहले के मुक़ाबले प्रोटोन (protons have more charm) हमारे लिए काफी ज्यादा खास हो सकता है! ऐसा मैं नहीं बल्कि हाल ही में हुए कुछ शोध के परिणाम कह रहें हैं। बता दूँ कि, प्रोटोन एक सबअटॉमिक पार्टिकल (Subatomic Particle) है, जो कि किसी भी पदार्थ के न्यूक्लियस (Nucleus) के अंदर होता हैं। हालांकि! प्रोटोन भी कुछ और ज्यादा छोटे-छोटे पार्टिकल्स से बने हुए होते हैं, जिन्हें हम “Quarks” कहते हैं। खैर ये क्वार्क्स कई तरह के होते हैं, जैसे “Up, Down, Top, Bottom, Strange, Charm” आदि। वैज्ञानिकों के हिसाब से, प्रोटोन दो अप क्वार्क्स और एक डाउन क्वार्क से बने हुये होते हैं।
परंतु अभी जो प्रयोग हुये हैं, उसके परिणाम प्रोटोन की आंतरिक संरचना को पहले से काफी ज्यादा मुश्किल बना देते हैं। प्रोटोन के पास दो अप क्वार्क्स (Up-Quarks) और एक डाउन क्वार्क के साथ एक और भी क्वार्क है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्वार्क को “Charm” क्वार्क कहते हैं। मित्रों! इस क्वार्क के बारे में ये खास बात है कि, इसका वजन खुद प्रोटोन के वजन से 1.5 गुना ज्यादा है। इसके अलावा एक अजीब बात ये भी है कि, प्रोटोन के अंदर मौजूद सबसे भारी पार्टिकल का वजन प्रोटोन के कुल वजन का आधा है। अब आप ये सोचिए कि, आखिर ये कैसे संभव हो सकता है!
ये खोज एक बहुत ही अनोखी और भविष्यवादी खोज है। क्योंकि इस खोज से क्वान्टम फ़िज़िक्स में हल-चल मचने वाली है। हालांकि! शोध के रिजल्ट्स ये बताते हैं कि, प्रोटोन के अंदर चार्म क्वार्क मौजूद है, परंतु वास्तव में ये होने कि संभावना काफी ज्यादा कम है। ये ही वजह है कि, इस क्वार्क का भारी वजन और इसके होने की कम संभावना एक-दूसरे के होने को रद्द कर देती हैं। सुनने में काफी ज्यादा अटपटा लग रहा है न!
प्रोटोन की संरचना है काफी ज्यादा जटिल! :-
जितना हमें प्रोटोन (protons have more charm) सरल दिखता है, वास्तव में वो उतना है नहीं। कहने का मतलब ये है कि, प्रोटोन कि आंतरिक संरचना काफी ज्यादा जटिल है। क्वांटम फ़िज़िक्स के दृष्टिकोण से देखें तो, प्रोटोन के अंदर चार्म क्वार्क तो मौजूद है, परंतु सबसे दुर्लभ बात ये है कि, प्रोटोन के द्वारा चार्म क्वार्क का वजन नहीं उठाया जाता है। मतलब ये कि, प्रोटोन के अंदर हो कर भी, चार्म क्वार्क का वजन प्रोटोन के वजन के ऊपर कोई असर नहीं डालता है। इसलिए आज तक भी, फ़िज़िक्स प्रोटोन के संरचना को समझ नहीं पाई है।
खैर वैज्ञानिकों का एक दल ये कहता है कि, प्रोटोन के अंदर अप और डाउन क्वार्क्स तो मौजूद होते ही हैं, परंतु साथ ही कई अलग तरह के क्वार्क्स भी समय के साथ इससे जुडते व इससे अलग होते रहते हैं। यानी आप ये कह सकते हैं कि, प्रोटोन की आंतरिक संरचना समय के साथ बदलती रहती हैं और इसकी कोई स्थायी संरचना नहीं हैं। अभी तक हमें 6 अलग-अलग तरह के क्वार्क्स के बारे में पता है।
इनमें से 3 क्वार्क्स प्रोटोन से भारी है और 3 क्वार्क्स ऐसे हैं जो कि प्रोटोन से हल्के हैं। बता दूँ कि, प्रोटोन से 3 ज्यादा भारी क्वार्क्स में चार्म क्वार्क सबसे ज्यादा हल्का है। इसलिए वैज्ञानिक एक नतीजे पे पहुंचे हैं कि, अगर ये पता लगा लिया जाता है कि, आखिर किस अवस्था में प्रोटोन अपने से ज्यादा भारी क्वार्क को अपने अंदर समा लेता है? तब सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। वैसे वैज्ञानिकों ने ये 35 सालों के डैटा को विश्लेषित कर के कर भी लिया है।
आखिर क्या ढूंढ चुके हैं वैज्ञानिक? :-
प्रोटोन (protons have more charm) जैसे सबअटॉमिक पार्टिकल्स की आंतरिक संरचना को समझने के लिए, वैज्ञानिक विश्व के सबसे बड़े अटॉमिक स्मैशर मशीन “Large Hadron Collider” का प्रयोग कर रहें हैं। इस मशीन के अंदर वैज्ञानिक काफी तेजी से सबअटॉमिक पार्टिकल्स की एक-दूसरे से टक्कर करवाते हैं, जिससे इन पार्टिकल्स के बारे में काफी अहम जानकारियाँ मिलती हैं। खैर इस मशीन से लिए गए डेटा और कुछ अलग साइंस एजेंसियों से ली गई डेटा जो कि 1980 के दशक में निकाले गए थे, उन सभी को वैज्ञानिकों ने विश्लेषित किया है। वैसे ये डेटा प्रोटोन, इलेक्ट्रॉन, म्यूओंस, न्यूट्रीनोस से जुड़े प्रयोगों से लिए गए हैं।
खैर जब वैज्ञानिकों ने प्रोटोन की खुद प्रोटोन से टक्कर करवाई, तब टक्कर से निकलने वाला मलवा पार्टिकल की असल संरचना को प्रदर्शित करता है। वैसे वैज्ञानिकों ने टक्कर के रेकॉर्ड किए गए सभी डैटा को एक एल्गोरिदम (Algorithm) के जरिये Analysis (विश्लेषण) करना चालू कर दिया है। वैसे खास बात ये है कि, इस आनालाईसिस के दौरान पहले से कम्प्युटर को कुछ भी कमांड नहीं दिये गए हैं। जिससे कम्प्युटर को प्रोटोन के संरचना के बारे में कुछ भी पता नहीं है। अब ये डेटा को आनालाईसिस कर के नए पैटर्न्स को ढूँढने लग रहा है।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि, कम्प्युटर उन्हें कुछ नए पैटर्न्स के जरिये प्रोटोन की एक नई संरचना देगा। देखते हैं, आखिर ये शोध कितना सफल होता है। वैसे एक खास बात ये है कि, जो पैटर्न्स एल्गोरिदम खोज कर वैज्ञानिकों को देगा, वो असल में हो भी सकते हैं और नहीं भी। माने ये शोध आखिर कितना सफल होगा, ये सिर्फ समय ही बता सकता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! हाल ही में वैज्ञानिकों ने प्रोटोन (protons have more charm) के कुछ चार्म क्वार्क्स को ढूँढने में सक्षम हो गए है। तो आप कह सकते हैं कि, भविष्य में इनकी उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि! अभी भी पूरे तरीके से इन क्वार्क्स को ढूंढा जाना बाकी है, परंतु फिर भी इनके होने कि कुछ-कुछ संभावनाएं हमें मिलती रहीं हैं। हमारे लिए प्रोटोन की संरचना काफी ज्यादा जरूरी है, क्योंकि ये एक मौलिक कण की श्रेणी में आता है और अगर इसके बारे में और ज्यादा जानकारी हमें मिल जाती हैं, तब ब्रह्मांड के कई रहस्यों से भी पर्दा उठ सकता है।
खैर प्रोटोन जैसे सबअटॉमिक पार्टिकल्स की संरचना को समझने के लिए काफी ज्यादा महीन डिटेल और सटीकता की जरूरत पड़ती है। इसलिए ये काम थोड़ा समय तो लेता है। सिद्धांत और वास्तविकता के अंदर काफी ज्यादा अंतर होता है और वैज्ञानिक इसी अंतर को समझने में लगे हैं। अभी के लिए वैज्ञानिकों को प्रोटोन के चार्म की और भी ज्यादा डेटा कि जरूरत है, जिससे हमें इसकी आंतरिक संरचना को समझने में मदद मिल सकती है। आशा है कि, भविष्य में होने वाले शोध शायद हमें कुछ और बेहतर जानकारी देने में सक्षम हो सकेंगे।
Source – www.livescience.com