हमारी पृथ्वी पर करीब 1,380 खरब करोड़ लीटर पानी मौजूद है। इसमें से 97% तो हमें विशालकाय समुद्रों में दिख जाता है। बाकी का बचा हुआ हिस्सा, नदियों, झीलों, बर्फीली चट्टानों, भूजल और वाष्प के रूप में मौजूद है। हमारी पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है, जिसकी सतह पर स्थिर जल निकायों ( water bodies ) की भारी संख्या देखने को मिलती है। पानी की वजह से ही हमारी पृथ्वी पर अरबों सालों से जीवन पनप रहा है। कहते हैं, कि जल है तो जीवन है। पर जब भी आप अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी पीते हैं , तो क्या आपने कभी उसे देखकर ये सोचा कि आखिर ये हमारे पास आया कैसे ? अरबों सालों से पानी हमारी पृथ्वी पर कैसे मौजूद है? What’s The Origin Of Water On Earth?
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4.5 अरब सालों पहले कैसे हुई पानी (Origin Of Water On Earth) के कणों की उत्पत्ति ?
करीब 4.5 अरब सालों पहले, जब धूल और गैस से भरा हुआ विशालकाय बादल (interstellar cloud), high pressure से collapse हुआ, तो हमारे सूर्य का जन्म हुआ। इस दौरान ये एकदम नया और अस्थिर था , जो अपने चारों तरफ बस आवेशित कणों (charged particles) को बाहर फेंक रहा था। आसपास मौजूद बादल में, उस वक्त तक भारी मात्रा में hydrogen मौजूद थी और कुछ मात्रा में oxygen molecules(कण) भी मौजूद थे। इस दोनों तत्त्वों की पारस्परिक क्रिया के चलते, उस बादल में काफी कम मात्रा में पानी के कण (water molecules) भी बन चुके थे। पर ये तरल रूप ( liquid form ) में नहीं थे, क्योंकि उस दौरान तापमान काफी ज्यादा था।
ये पानी के कण आमतौर पर भाप के रूप में ही मौजूद रहते थे। इसी बीच, धूल के बादलों में मौजूद छोटे-छोटे धूल के कणों (Planetesimals) ने , पानी की भाप से मिलकर अपने ऊपर एक बर्फीली सतह बनाना शुरू करदी।
ये सभी धूल के कण काफी मात्रा में मौजूद थे। थोड़े समय के बाद जब पृथ्वी अपने शुरूआती दौर में थी, तो ये सभी बर्फीले कण उसमें इकट्ठे होने लगे। उसके बाद , जब हमारी पृथ्वी का तापमान थोड़ा कम होने लगा, तो वायुमंडल भी बनने लगा और साथ ही इसकी ऊपरी तह (crust) में मौजूद पत्थरों के जरिए, और भी पानी (Origin Of Water On Earth) के कण बनने लग गए।
सौरमंडल में तुषार रेखा ( Frost Line ) का जन्म
जब हमारा सूर्य अपने शुरूआती दौर में था, तो इसके आसपास के क्षेत्र में तापमान बेहद ज्यादा था, जहां बस पानी की वाष्प (vapors) ही दिखाई पड़ते थे । यानी कि यहाँ कोई भी स्वतंत्र बर्फीली चट्टान और कण नहीं हुआ करते थे। समय बीतने पर जब हमारा सूर्य ठंडा होने लगा, तो हमारे सौरमंडल (solar system) में तुषार रेखा (Frost Line) का निर्माण हुआ।
दोस्तों ये सौरमंडल में वो सीमा होती है, जिसके बाद आमतौर पानी , ammonia, methane, carbon dioxide, carbon monoxide जैसे संयुक्त पदार्थ, ठोस बर्फ के रूप में मौजूद रहते हैं। अभी भी ऐसे पदार्थ asteroid belt के आसपास मौजूद हैं। ये frost line हमारे सूर्य से करीब 45 करोड़ किलोमीटर दूर मौजूद है। इसके बाद जाते ही वहाँ आपको, comets, asteroids और water rich meteoroids ( पानी से भरे हुए उल्का-पिंड ) देखने को मिलेंगे।
कार्बनमय उल्कापिंडों ( Carbonaceous chondrites ) से आया पृथ्वी की सतह पर पानी
सौरमंडल में मौजूद क्षुद्रग्रहों (asteroids) और उल्का-पिंडों (meteoroids) में, Carbonaceous chondrites नाम के उल्का-पिंड मौजूद होते हैं। यहाँ chondrite का मतलब ये है कि ये वो meteoroids होते हैं, जो अक्सर हमारी पृथ्वी से टकराते हैं। हालांकि दोस्तों, अब ये इसलिए नहीं टकराते क्योंकि बृहस्पति ग्रह ( Jupiter ) इनकी दिशा को बदल देता है। (Origin Of Water On Earth)
इन्हीं Carbonaceous chondrites में काफी पानी (Origin Of Water On Earth) मौजूद होता है। इनमें water molecules तो काफी मात्रा में मौजूद होते ही हैं, साथ ही इनमें carbon भी काफी होता है। इन chondrites का विश्येलेषण ये बताता है, कि इनके भारी मात्रा में टकराने की वजह से हमारी पृथ्वी की सतह पर पानी मौजूद हो पाया। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमारी पृथ्वी और इन Carbonaceous chondrites के water samples काफी हद तक एक जैसे ही होते हैं।
इसके अलावा, वैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना है, कि धूमकेतु (comets) के जरिए भी हमारी पृथ्वी पर पानी आ सकता है। पर ये बात उतनी ठोस साबित नहीं होती, क्योंकि जो hydrogen हमारे पानी में मौजूद है, वो comets में मौजूद hydrogen से काफी अलग है।
सौरमंडल के जन्म से पहले ब्रह्माण्ड में पानी (Origin Of Water On Earth) कैसे आया ?
खगोलज्ञों ( astronomers ) ने ब्रह्माण्ड में ;लगभग हर जगह पानी का पता लगाया है। इसका रूप और मात्रा भले ही अलग हो, पर पानी को ब्रह्माण्ड में हर जगह खोजा गया है।
उदाहरण के लिए, पृथ्वी से करीब 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर मौजूद है, APM 08279+5255 नाम का Quasar. ये विशालकाय वस्तु, कई बड़े बड़े black holes के जरिए पैदा होती है। इस खोजे गए quasar में हमारे सूर्य से कई खरबों गुना ज्यादा ऊर्जा मौजूद है।
हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस quasar में मौजूद जलवाष्प (water vapors) में इतना पानी मौजूद है, कि ये हमारी पृथ्वी पर मौजूद पानी से, 1400 खरब गुना ज्यादा है | ये वाकई में हमारी कल्पना से बाहर है।
हमारी आकाशगंगा में भी काफी जलवाष्प मौजूद हैं, पर इनकी मात्रा इस quasar से 4000 गुना कम है और बाकी का पानी बस बर्फ के रूप में ही है। इतनी दूर मौजूद इस quasar ने इस बात को स्पष्ट कर ही दिया है, कि वास्तव में पानी हमारे ब्रह्मांड में काफी लम्बे समय से मौजूद है।
ब्रह्माण्ड की शुरुआत यानी कि big bang के समय पर बस hydrogen ही यहाँ मौजूद थी। समय बीतने पर तारों के अन्दर जब oxygen का निर्माण हुआ, तो इन दोनों तत्त्वों से water molecules हमारे ब्रह्माण्ड में पैदा हुए।
पूरा विश्लेषण हमें ये बताता है, कि ब्रह्माण्ड का सबसे पुराना पानी करीब 12.7 अरब साल पुराना हो सकता है,जो ब्रह्माण्ड की उम्र से करीब 1 अरब साल कम है।
सो दोस्तों , इस बात तो आप ये तो समझ ही गए होंगे, कि आप जो पानी पीते हैं , उसमें मौजूद असली चीज, किसी आसपास की नदी, झील या समुद्रों से नहीं, बल्कि शुरूआती ब्रह्माण्ड से चली आ रहीं प्रक्रियाओं और बदलाव का ही एक हिस्सा है।