जिस ढंग से अंतरिक्ष पर इंसानों ने धावा बोला है, उसे देख कर सिर्फ यहीं प्रतीत होता है कि, हम हमारr पृथ्वी को छोड़ कर जाने के लिए बहुत ही ज्यादा व्याकुल हैं। पिछले कुछ सालों में या कुछ दशकों में इंसानों ने मंगल और अन्य ग्रहों पर जीवन के संधान के उद्देश्य से काफी सारे मिशनों को अंजाम दिया है। इन्हीं मिशनों के अंदर जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय मिशन होता हैं, वो हैं मंगल का। जी हाँ! मित्रों मंगल का मिशन हमेशा से ही इंसानों के लिए काफी ज्यादा महत्वाकांक्षी रहा है और उन मंगल के मिशनों के अंदर एक मिशन “इंजेनुइटी” (nasa’s ingenuity mission in hindi) भी शामिल है।
मित्रों! “इंजेनुइटी” (nasa’s ingenuity mission in hindi) का जो मिशन है, ये हमारे लिए यानी पूरे इंसानी सभ्यता के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस मिशन के जो मूल लक्ष्य हैं, इन्हें देख कर किसी भी इंसान को ये पता लग जाएगा कि, ये मिशन आगे चलकर मानवों की आने वाले पीढ़ियों के लिए एक हिसाब से पथ-प्रदर्शक का ही काम करेगा। पथ-प्रदर्शक इसलिए कि, ये मिशन काफी ज्यादा भविष्यवाणी चिंताधाराओं पर आधारित हैं। तो, इस मिशन के बारे में भी जानना हमारे लिए एक हिसाब से जरूरी ही बन जाता है।
तो, चलिये आने वाले कुछ मिनटों में नासा के इस “उड़न खटोला” वाले मिशन के बारे में जान लेते हैं।
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आखिर नासा का ये मिशन क्या है? – What Is Nasa’s Ingenuity Mission In Hindi! :-
लोगों के मन में अब ये उत्सुकता होगी कि, नासा का ये उड़न फ्लाइंग मिशन आखिर क्या है? (what is nasa’s ingenuity mission in hindi!)। सही बोलूँ तो, मेरे मन में भी ये सवाल था कि,मैं भी इस मिशन के बारे में हर छोटी सी छोटी बातों को जानूँ। तो, चलिये सबसे पहले इस फ्लाइंग मिशन के मूलभूत बात से शुरुआत करते हैं।
2020 में नासा मंगल पर अपने एक नए मिशन को अंजाम देने के लिए आगे बढ़ रहा था, जिसे आज हम “Nasa’s Mars Mission 2020” के बारे में भी जानते हैं। मित्रों! नासा का उड़न खटोला यानी नासा का स्पेस-हेलीकाप्टर “इंजेनुइटी” भी इसी मिशन का हिस्सा था। बता दूँ कि, नासा का ये उड़न खटोला यानी “इंजेनुइटी” एक हिसाब से एक बहुत ही छोटा व सक्षम “रोबोटिक स्पेस-हेलीकाप्टर” है। इसलिए मैंने इसको एक हिसाब से उड़न खटोला का ही नाम दिया है।
इसके अलावा आप लोगों को जानकर ये आश्चर्य होगा कि, इंजेनुइटी अपने आप में ही एक बहुत ही खास उपकरण है। क्योंकि, पूरे मानव इतिहास में अभी तक इंसानों ने इससे पहले ऐसा कोई उपकरण नहीं बनाया था, जो कि एक दूसरे ग्रह के आंतरिक वायुमंडल में उड़ सके। यानी! आप अब विचार कर सकते हैं कि, केवल नासा के लिए ही नहीं परंतु पूरी दुनिया के लिए ये मिशन कितना अनोखा होगा। खैर आपका इस विषय पर क्या राय हैं, कमेंट कर के जरूर बताइएगा; हमें खुशी होगी।
आखिर कैसे दिया गया इस मिशन को अंजाम! :-
30 जुलाई 2020, ये वो दिन था जब नासा के इस उड़न खटोले (nasa’s ingenuity mission in hindi) को अंतरिक्ष में लौंच किया गया। मित्रों! ये एक ऐसा स्पेसक्राफ्ट था जो कि, पृथ्वी से वर्टिकली लौंच हो कर मंगल पर भी वर्टिकली लैंड कर सकता था। 18 फरवरी 2021 में मंगल पर लैंड होने के बाद इस उड़न खटोले ने कई सारे महत्वपूर्ण जानकारियां नासा को दिया हैं। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, 19 अप्रैल 2021 में इसका पहला सफल उड़ान मंगल पर किया गया था, तथा 21 जून 2021 में इसका आखिरी उड़ान भी समाप्त हो चुका हैं।
मित्रों! इस मिशन को अंजाम देने के पीछे जो मूल उद्देश्य था वो यही हैं कि; आने वाले समय में नासा इंजेनुइटी से भी बहुत बड़े आकार के स्पेस-हेलीकाप्टर या यानों को मंगल पर उतारने का सोच रहा हैं। इसलिए, एक हिसाब से ये इंजेनुइटी मिशन एक शोध यानी एक्सपेरिमेंट ही था। खैर कुल मिला कर देखा जाए तो, नासा के लिए ये मिशन काफी ज्यादा सफल रहा। क्योंकि, अपने पूरे सर्विस पीरियड में इंजेनुइटी ने लगभग 8 सफल उड़ानों को अंजाम दिया था। जो कि एक बहुत ही बड़ी बात हैं।
इंजेनुइटी को नासा के “जेट प्रॉपल्शन लबोरोटरी” (Jet Propulsion Laborotary, JPL) ने बनाया था। मिशन के हिसाब से इंजेनुइटी को 30 दिनों के अंदर मंगल के सतह पर कई बार उड़ान भरना था और प्रत्येक उड़ान कि अवधि लगभग 90 सेकंड के अंदर ही सीमित था। इसके अलावा मंगल के सतह से ये उड़न खटोला 10 से 16 फीट कि ऊंचाई तक ही उड़ सकता था।
उड़न खटोले के बारे में कुछ कुछ खास बातें! :-
वैसे जो खास बात इंजेनुइटी (nasa’s ingenuity mission in hindi) के बारे में हैं वो ये हैं कि, ये उड़न खटोला एक बार में कुल 50 मीटर कि दूरी को तय कर सकता था। जो कि, प्रथम पीढ़ी के स्पेस-हेलीकाप्टर के लिए एक बहुत ही अच्छी बात हैं। मित्रों! ये जो उड़न खटोला हैं ये रोवर “पर्सिवेरंस” के साथ भी डायरेक्ट कांटैक्ट में रहता हैं और इसी रोवर के माध्यम से ही नासा को डैटा ट्रांस्फर करता हैं। आपके अधिक जानकारी के लिए ये भी बता दूँ कि, इंजेनुइटी को रोवर “पर्सिवेरंस” के साथ ही भेजा गया था।
लैंडिंग के टाइम ये मंगल के “Jezero” क्रैटर पर उतरा था। पहले रोवर को लैंडिंग साइट से 100 मीटर पहले छोड़ कर ये इस खटोले ने अपना पहला उड़ान भरा था। हालांकि! इसके पहले उड़ान के बारे में पुष्टीकरण नासा को लैंडिंग के 3 घंटों के बाद ही पता चला था। मित्रों! इसके पहले उड़ान में ये उड़न खटोला लगभग 30 सेकंड के लिए मंगल के सतह से 3 मीटर ऊँचाई तक पहुंचा था। वैसे और एक रोचक जानकारी आप लोगों में यहाँ देना चाहता हूँ।
1903 में राइट ब्रदर्स ने अपने पहले जहाज “Wright Flyer” को पृथ्वी के सतह से ऊपर उड़ाया था। उस समय ये पृथ्वी का पहला ऐसा जहाज था जो की, हवा से वजनी हो कर भी आसमान में उड़ सकता था। इसलिए एक तरह से राइट ब्रदर्स को सम्मान देने के हिसाब से नासा ने “इंजेनुइटी” के अंदर “राइट फ्लायर” के पंखों के कुछ मटिरियल रखा था। क्योंकि, नासा का ये उड़न खटोला एक हिसाब से बाहरी ग्रह में उड़ने वाला पहला जहाज ही हैं।
जानिए इस उड़न खटोले की बेहद ही अत्याधुनिक डिज़ाइन के बारे में! :-
अकसर हमारे मन में ये जिज्ञासा भरी रहती हैं की, हम ज्यादा से ज्यादा स्पेस-मिशन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों और यानों के बारे में जानें; क्योंकि इंटरनेट के ऊपर भी इन सभी के बारे में काफी कम जानकारी हमें मिलती हैं। इसलिए चलिये एक बार हम इंजेनुइटी (nasa’s ingenuity mission in hindi) के डिज़ाइन के बारे में भी चर्चा कर लेते हैं। क्योंकि, यकीन मानिए आप इस के डिज़ाइन के बारे में जरूर चौंक जाएंगे।
मित्रों! मंगल के ऊपर किसी भी यान को उड़ान भरने के लिए कई सारे कठिनाईओं का सामना करना पड़ता हैं। पृथ्वी के भांति आप यहाँ पर सरलता के साथ यानों को उड़ान भरवा नहीं सकते हैं। तो, आखिर कौन सी वजहें हैं जो की मंगल पर उड़ान भरने में दिक्कत पैदा करते हैं? देखिये, इस सवाल का जवाब बहुत ही सरल और साथ ही साथ बहुत ही जटिल हैं। क्योंकि, मंगल का जलवायु और वातावरण पृथ्वी से बहुत ही ज्यादा समान होने के बाद भी काफी असमान हैं। खैर अब ज्यादा पहेलियाँ न बुझा कर अब मुद्दे पर आते हैं।
मंगल का वायुमंडल पृथ्वी के मुक़ाबले काफी ज्यादा पतला हैं, लगभग 1/100 हिस्सा। इसलिए यहाँ पर किसी भी यान को उड़ान भरने के लिए काफी दिक्कत होती हैं। पतले वायुमंडल के कारण यान को वो ऊपरी थ्रस्ट नहीं मिल पाता, जिससे वो टेक-ऑफ कर पाये। इसके अलावा मंगल का गुरुत्वाकर्षण बल भी काफी कम हैं, जिससे इसका वायुमंडल हर जगह अलग-अलग रहता हैं।
उड़न खटोले की ये खूबियाँ आपको हैरान कर देंगी! :-
ऊपर दिये गए वजहों के कारण, JPL ने इंजेनुइटी (nasa’s ingenuity mission in hindi) को कुछ इस तरह डिज़ाइन किया हैं कि; ये आसानी से मंगल पर उड़ान भर के मिशन कमांड को सही तरीके कि जानकारी प्रदान कर सके। उड़न खटोले में लगे 1.4 m लंबे रोटोर्स एक बहुत ही खास किस्म के तकनीक के ऊपर काम करते हैं, जो की पतले वायुमंडल में इसे उड़ान भरने में मदद करते है।
इसमें जो सबसे मुख्य पैलोड हैं वो हैं, एक “कैमरा”। ये कैमरा इंजेनुइटी के सबसे निचले हिस्से में लगा हुआ हैं, जो की मंगल के सतह की सर्वे करने के साथ-साथ मैपिंग तथा यान के नैविगेशन में भी इस्तेमाल होता हैं। मित्रों! इस कैमरे के जरिये इंजेनुइटी ने कई हाइ डेफ़िनेशन तस्वीरें ली हैं, जो की मंगल के कई छुपे रहस्यों को हमारे सामने दर्शाता हैं। मित्रों! इस उड़न खटोले के अंदर अगले पीढ़ी का डैटा कम्युनिकेशन ट्रांस्फर डिवाइस भी लगा हुआ हैं।
क्वाल्कम स्नैप ड्रैगन 801 प्रोसेसर और लिनक्स सिस्टम पर काम करने वाले इस उड़न खटोले ने वैज्ञानिकों को मंगल को देखना का एक नया नजरिया दिया हैं। शायद यहीं वजह हैं की, नासा ने इस तरह के और भी आधुनिक यानों को आने वाले समय में बनाने का लक्ष रखा हैं। अब ये देखने की देरी हैं कि, आखिर कब ये संभव हो पाएगा।
Source :- www.nasa.gov.