Universe

जेम्स वेब टेलीस्कोप ने खोजी ब्रह्मांड की सबसे अनोखी गैलेक्सीस

इन गैलेक्सी को इनसाइड-आउट (inside-out galaxies) कहा जाता है।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने हाल ही में ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों (बिग-बैंग के आस-पास) में बनी एक अजीब और अनोखी  गैलेक्सी की खोज की है। इस गैलेक्सी का नाम JADES-GS+53.18343−27.79097 है। यह गैलेक्सी बिग बैंग के सिर्फ 70 करोड़ साल बाद अस्तित्व में आई थी और यह हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे, से लगभग 100 गुना छोटी है। खास बात यह है कि इस गैलेक्सी के विकास का तरीका उल्टा है। आमतौर पर गैलेक्सियों में तारों का निर्माण सबसे पहले केंद्र में होता है, लेकिन इस गैलेक्सी में तारों का निर्माण पहले बाहरी हिस्से में हुआ है। इसे “इनसाइड-आउट (inside-out galaxies hindi)” गैलेक्सी कहा जा रहा है।

“इनसाइड-आउट (Inside-out Galaxies)” गैलेक्सी का रहस्य

वैज्ञानिकों का अनुमान था कि शुरुआती ब्रह्मांड में इस तरह की इनसाइड-आउट गैलेक्सियां  सामान्य हो सकती हैं, लेकिन उन्हें पहले इसे देखने का सही तरीका नहीं मिल पाया था। अब JWST की मदद से वैज्ञानिक इस गैलेक्सी को देख पाए हैं और उनके पुराने अनुमान सही साबित हुए हैं। यह खोज 11 अक्टूबर को नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।

केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र और इस अध्ययन के सह-लेखक विलियम बेकर ने कहा, “JWST हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि अब हम उन चीजों को देख सकते हैं जो पहले सिर्फ हमारे मॉडल और अनुमान थे। यह एक तरह से हमारी पढ़ाई की जांच करने जैसा है।”

गैलेक्सियों का विकास कैसे होता है?

आम तौर पर, गैलेक्सियां दो तरीकों से बढ़ती हैं:

  1. गैस खींचकर नए तारे बनाती हैं – इस प्रक्रिया में ब्रह्मांड में मौजूद गैस से तारे बनते हैं और धीरे-धीरे कई तारों से एक आकाशगंगा (inside-out galaxies hindi) का निर्माण होता है।
  2. छोटी गैलेक्सियों से मिलकर बड़ी होती हैं – इसे आप गैलेक्सी मर्जर भी कह सकते हैं, जहां गैलेक्सी दूसरी गैलेक्सी में समा जाती है और उसके तारे उसी में रहकर उसका हिस्सा बन जाते हैं। इस तरह विशाल गैलेक्सी का जन्म होता है।

लेकिन वैज्ञानिकों को यह नहीं पता कि क्या प्रारंभिक ब्रह्मांड में भी गैलेक्सियों के विकास का तरीका ऐसा ही था या कुछ और तरीके भी हो सकते हैं। यह पता लगाने के लिए JWST की मदद से बहुत गहराई में जाकर ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों की जानकारी जुटाई जा रही है।

ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों में गैलेक्सियों का विकास

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकी के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक सैंड्रो टकेला ने कहा, “गैलेक्सियों का समय के साथ विकास कैसे हुआ, यह एस्ट्रोनोमी साइंस में एक बड़ा सवाल है। हमारे पास पिछले 1 करोड़ वर्षों के बारे में काफी अच्छे डेटा हैं, लेकिन अब JWST की मदद से हम अरबों साल पहले के ब्रह्मांड का अध्ययन कर सकते हैं। यह हमारे सामने नए सवाल और चुनौतियाँ ला रहा है।”

JADES सर्वे और नई गैलेक्सी की खोज

इस सवाल का जवाब खोजने के लिए वैज्ञानिकों ने JWST के JADES (JWST Advanced Deep Extragalactic Survey) सर्वेक्षण के दौरान जमा किए गए डेटा का विश्लेषण किया। JWST जितना गहरे ब्रह्मांड में देखता है, उतना ही पुराने समय का प्रकाश वह पकड़ता है, जिससे खगोलविदों को ब्रह्मांड के प्रारंभिक समय का अध्ययन करने में मदद मिलती है।

इसी डेटा के अध्ययन के दौरान, वैज्ञानिकों को यह नई गैलेक्सी मिली। JWST के नीर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ (NIRSpec) उपकरण की मदद से वैज्ञानिक इस गैलेक्सी से आने वाले प्रकाश का अध्ययन कर सके और यह पता लगा सके कि इस गैलेक्सी के तारे कितने पुराने हैं।

गैलेक्सी की संरचना और विकास

वैज्ञानिकों ने पाया कि इस गैलेक्सी का केंद्र बहुत घना (Dense) है और इसके चारों ओर गैस और धूल का एक घेरा है, जिसमें तारे बहुत तेजी से बन रहे हैं। यह गैलेक्सी हर 1 करोड़ साल में अपने आकार को दोगुना कर रही है, जबकि हमारी मिल्की वे गैलेक्सी को ऐसा करने में लगभग 10 अरब साल लगते हैं। जब इन तारों का निर्माण हो जाता है, तो वे धीरे-धीरे गैलेक्सी के केंद्र की ओर आ जाते हैं, जिससे गैलेक्सी तेजी से घूमने लगती है। यह ठीक उसी तरह होता है जैसे कोई आइस स्केटर अपने हाथों को शरीर के करीब खींचकर तेजी से घूमने लगता है।

आगे की खोज

अब वैज्ञानिक इस तरह की और गैलेक्सियों की खोज में लगे हैं। प्रोफेसर टकेला ने कहा, “यह तो सिर्फ एक गैलेक्सी है, हमें यह जानना होगा कि उस समय की दूसरी गैलेक्सियां कैसी थीं। क्या बाकी गैलेक्सियां भी इसी तरह से विकसित हो रही थीं? हम अब अन्य गैलेक्सियों के बारे में मिले डेटा का अध्ययन कर रहे हैं। समय के साथ अलग-अलग गैलेक्सियों को देखकर हम यह पता लगा सकते हैं कि वे कैसे विकसित हुईं और आज के अपने आकार तक कैसे पहुंचीं।”

निष्कर्ष

जेम्स वेब टेलीस्कोप की यह खोज ब्रह्मांड के शुरुआती समय में गैलेक्सियों के विकास के बारे में महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने में मदद कर रही है। यह खोज विज्ञान के लिए एक नई शुरुआत है और वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले समय में इस शक्तिशाली टेलीस्कोप की मदद से ब्रह्मांड के और भी रहस्यों का पता लगाया जाएगा।

Source
nature.com

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button