Sci-fi फिल्मों में अकसर हम जादुई चीजों को देखते आ रहें हैं। कई बार ये फिल्में हमें हमारे उज्ज्वल भविष्य के साथ सामना करवाते हैं। हममें से ज्यादातर लोगों को लगता है कि, फिल्मों में दिखाया जाने वाला विज्ञान हमारी असल जिंदगी से कोई रिश्ता ही नहीं रखता है। परंतु ये कथन सत्य नहीं है, मुख्य तौर पर अन्तरिक्ष विज्ञान में तो नहीं! वैज्ञानिकों ने आज के समय में कुछ ऐसा कर के दिखा दिया है कि, जिसे सुनकर आपके मुंह से भी “अद्भुत(Wow)” निकल जाएगा। नासा के वैज्ञानिकों ने अन्तरिक्ष में एक जादुई डॉक्टर (holographic doctor in space) को भेज दिया है, क्योंकि ये कोई आम डॉक्टर नहीं है।
पृथ्वी पर इंसानों को ठीक करने के लिए डॉक्टर (holographic doctor in space) हमेशा तत्पर हो कर खुद मरीजों को देखते हैं। पर अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्रीओं की देखभाल के लिए हमेशा एक डॉक्टर को उपलब्ध रखना आसान काम नहीं है। कई बार “International Space Station” (ISS) में ऐसी-ऐसी घटनाएँ हो जाती है, जिसमें एक डॉक्टर कि जरूरत बहुत ही ज्यादा रहती है। मित्रों! नासा के वैज्ञानिकों ने इसी असुविधा का समाधान ढूंढ लिया है। उन्होंने एक जादुई डॉक्टर को ISS पर भेज दिया है। ये डॉक्टर कोई आम डॉक्टर नहीं!
तो लोगों के मन में अब ये सवाल आ रहा होगा कि, आखिर इस डॉक्टर के बारे में ऐसी कौन सी खास बात है जो, आज एक बड़ी बात बन चुकी है? तो मित्रों! इसी सवाल के जवाब के बारे में आज हम इस लेख में जानने वाले हैं।
विषय - सूची
नासा ने अन्तरिक्ष में भेजा एक जादुई डॉक्टर! – Holographic Doctor In Space! :-
अन्तरिक्ष में नासा हमेशा कुछ न कुछ करता ही रहता है। इस बार इसनें एक ऐसा काम कर डाला है, जिसे सुनकर शायद आप भी यकीन न कर पाएं। नासा ने ISS में एक जादुई यानी “होलोग्रैफिक डॉक्टर” (Holographic Doctor in Space) को भेज दिया है। नासा के द्वारा दिए गए एक रिसेंट रिपोर्ट में कहा गया है कि, साल 2021 में पृथ्वी से एक डॉक्टर कि टीम ISS के अंदर गई थी। ये डॉक्टर की टीम पहली ऐसी टीम थी, जो कि पृथ्वी से अन्तरिक्ष में “Holoported” हो कर गई थी। इसलिए आप ये भी कह सकते हैं कि, ये डॉक्टर्स पहले ऐसे इंसान थे जो कि अन्तरिक्ष में “Holoported” हुए थे।
ISS पर होलोग्राफ की कहानी! :-
बता दूँ कि, इस टिम में नासा के फ्लाइट सर्जन “Dr.Josef Schmid” और “Fernando De La Peña Llaca” शामिल थे। Schmid के अनुसार ये होलोग्रैफिक अनुभव उनके लिए काफी ज्यादा नया था। उन्होंने जिक्र किया कि, इस तरीके से काफी दूर बैठ कर लोगों के साथ संपर्क करने का ये तरीका काफी ज्यादा अच्छा व नया हैं। इसके अलावा इस तकनीक के बारे में ये खास बात हैं कि, आप अन्तरिक्ष में इसके माध्यम से घर बैठे-बैठे कहीं भी जा सकते हैं। भले कि आपकी फ़िज़िकल बॉडी अन्तरिक्ष में न पहुँच पाएं, परंतु आपकी इंसानी आकृति वहाँ जरूर पहुँच जाएगी। इस तरह से आप किसी भी जगह वास्तव में न हो कर भी वहाँ हो सकेंगे।
सुनने में ये तकनीक जितनी अब्बल दर्जे कि लग रहीं हैं, हकीकत में भी ये उससे भी ज्यादा बेहतर हैं। पृथ्वी के सतह से 400 km ऊपर ISS 28,000 km/h के रफ्तार से भले ही क्यों न घूम रहा हो, होलोग्रैफिक के जरिए ये टिम पल भर में अन्तरिक्ष में मौजूद (ISS के अंदर) हो सकते हैं। मित्रों! ये किसी चमत्कार से कम नहीं हैं।
आखिर कैसे संभव हुआ ये जादू? :-
मित्रों! आप लोगों को मैंने अन्तरिक्ष में हुए इस जादू (holographic doctor in space) के बारे में काफी कुछ बता दिया हैं, परंतु अभी भी एक बहुत ही बड़ी चीज़ आप लोगों को जानना बाकी हैं। इस अद्भुत तकनीक को आखिर कैसे वैज्ञानिकों ने सही तरीके से अंजाम दिया हैं! चलिए एक नजर हम इसी के ऊपर भी डाल लेते हैं। अक्टूबर 8, 2021 ये वो दिन था जब डॉक्टर्स कि टिम “Microsoft Hololens Kinect Camera”, एक पर्सनल कम्प्युटरऔर “Aexa Software” के जरिए ISS में होलोपोर्टेड हुए थे। उस समय ISS पर यूरोपीय अन्तरिक्ष यात्री “Thomas Pesquet” मौजूद थे।
होलोग्राफ के जरिए डॉक्टर की टीम ने थॉमस से बात भी की। मित्रों! बता दूँ कि, होलोग्रैफिक के जरिए किसी से बातें करना बहुत ही ज्यादा गज़ब होता है। इसके जरिए बातें करने से मानों ऐसा लगता है कि, वो इंसान सच में वहाँ पर मौजूद है। जिस चीज़ को हमने अब तक किसी मूवी में देखा था, अब वो सच हो रहा है। इसलिए कहते हैं कि, सपने देखने चाहिए, क्योंकि वो सच में पूरे होते हैं। जैसे कि आज ये होलोग्रैफिक वाला सपना पूरा हुआ है। खैर “Holoportation” कि तकनीक काफी ज्यादा अत्याधुनिक है।
इस तकनीक के जरिए लोगों की 3D तस्वीरें पहले रीकंस्ट्रट होती हैं, बाद में कंप्रेस हो कर दूसरी जगह पर टेलिकास्ट होती हैं। काफी उन्नत इमैज कैप्चरिंग तकनीक के द्वारा इस पूरी प्रक्रिया को संपूर्ण किया जाता है। इसके साथ-साथ इस तकनीक में “HoloLens” का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये लेंस एक “Mixed Reality Headset” है; जहां कई सारे सेंसर्स, ओप्टिक्स और होलोग्राफिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
काफी अनोखी है ये तकनीक! :-
होलोग्राफिक (holographic doctor in space) वाली ये तकनीक वर्चुअल वर्ल्ड में एक बहुत ही बड़ी सफलता है। क्योंकि ये तकनीक दोनों ही असल और वर्चुअल वर्ल्ड को आपस में जोड़ कर एक गज़ब का संतुलन बनाती है। खैर इस तकनीक के जरिए ISS के अन्तरिक्ष यात्री न केवल डॉक्टरों की टीम को देख सकते हैं, बल्कि उन की बातों को सुनकर उनसे बातें भी कर सकते हैं। मित्रों! एक विशेष बात ये भी हैं कि, ये तकनीक नई नहीं हैं।
ये एक काफी समय से इस्तेमाल होने वाली तकनीक है, परंतु इससे पहले कभी भी इसे इन परीस्थितिओं में इस्तेमाल नहीं किया गया था और वो भी इतनी दूरी तक संपर्क साधने के लिए। पहली बार इस तकनीक को अन्तरिक्ष में इस्तेमाल करने के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि अन्तरिक्ष में कोई भी मिशन कभी भी आसान नहीं रहता है। नासा के अनुसार ये होलोग्राफिक वाला सिस्टम भविष्य में काफी आगे जाना वाला है। कहने का मतलब ये है कि, नासा इसको आगे आने वाले मिशनों में इस्तेमाल करने वाला है।
इसके साथ ही साथ नासा “Two-way Hologram” वाले सिस्टम के ऊपर भी काम कर रहा है। इससे दोनों ही जगहों पर होलोग्राम के जरिए दो अलग-अलग टीमों/ पार्टियों के बीच बातचीत हो सकेगी। अगर ये सिस्टम काम कर गया, तो ये एक बहुत ही बड़ी सफलता होगी। क्योंकि इससे मिशनों के ऊपर काफी बारीकी से पृथ्वी पर बैठ कर ही नजर रखी जा सकती है। वैसे इस होलोग्राम वाले सिस्टम को कई महत्वपूर्ण कामों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। क्योंकि ये सिस्टम काफी जटिल है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
नासा इस होलोग्राम (holographic doctor in space) वाले तकनीक को प्राइवेट मेडिकल मीटिंग्स, प्राइवेट सैकाट्रिक कॉन्फ्रेंस, प्राइवेट फॅमिली कॉल्स और कई मशहूर व वीआईपी लोगों को अन्तरिक्ष में लाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इससे लोग काफी अच्छे तरीके से ISS के अन्तरिक्ष यात्रीओं से मिल जुल सकते हैं और उनके जीवन के बारे में भी जान सकते हैं। टू-वे कम्युनिकेशन के जरिए हम केवल पृथ्वी से ISS तक ही नहीं, परंतु इससे काफी दूर और शायद दूसरे ग्रहों तक भी संपर्क साध सकते हैं।
इस तकनीक के जरिए किसी को भी किसी जगह पर किसी भी समय बुलाया जा सकता है। ये एक काफी बड़ी बात है और इसके बारे में जितनी तारीफ करें उतना ही कम है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तकनीक को और भी ज्यादा विकसित कर के इसमें “Haptic Sensor” को भी इस्तेमाल किया जाएगा। बता दूँ कि, इस सेंसर के इस्तेमाल से आप काफी दूर रह कर भी दूसरे व्यक्ति के आपको छूने के एहसास को भी आप महसूस कर सकते हैं।