ब्रह्मांड की कोई सीमा नहीं है। विश्व के हर एक वैज्ञानिक को पता हैं कि, हमारे ब्रह्मांड में अनगिनत चीज़ें और घटनाएँ घटित होती है, जिसके बारे में हम अपने सपने में भी कभी नहीं सोच सकते हैं। मैंने कुछ समय पहले आप लोगों को “नेब्यूला” (Crab Nebula In Hindi) के बारे में काफी बातें बताई थीं और आज के हमारे इस लेख का विषय भी उसी नेब्यूला के ऊपर ही है। नेब्यूला की अगर हम बात करें तो, इसे ब्रह्मांड की सबसे चमकीले चीजों के अंदर गिना जाता है। इसलिए कई बार इसके ऊपर काफी ज्यादा चर्चा भी होती रहती हैं।
खैर आज हम जिस नेब्यूला (Crab Nebula In Hindi) के बारे में बातें करने जा रहें हैं, वो वाकई में काफी ज्यादा खास है, क्योंकि ये कोई आम नेब्यूला नहीं है! हम आज बात करने वाले हैं “क्रैब नेब्यूला” के बारे में। जी हाँ! आप लोगों ने बिलकुल सुना, हम आज क्रैब नेब्यूला के बारे में चर्चा करेंगे, जिसे की ब्रह्मांड के सबसे चमकीले नेब्यूलास में से एक का दर्जा भी दिया गया है। इसके अलावा हम इस नेब्यूला को जेम्स वेब और हब्बल के नजरिए से भी देखने का प्रयास करेंगे, ताकि आप लोगों को भी इसके बारे में काफी बेहतर जानकारी मिल सके।
तो, चलिये अब बिना किसी देरी के लेख में आगे बढ़ते हैं और इस नेब्यूला के ऊपर गहन चर्चा आरंभ करते हैं।
क्रैब नेब्यूला क्या है? – What is Crab Nebula In Hindi ? :-
बहुत ही सरल भाषा में कहूँ तो, क्रैब नेब्यूला (Crab Nebula In Hindi) एक तरह का “Pulsar Wind Nebula” है, जो की “Taurus” तारा-मण्डल में मौजूद है। इसको कई वैज्ञानिक “सुपरनोवा से निकलने वाले मलवे” के रूप में भी देखते हैं। इसे सबसे पहले 1731 में “John Bevis” के द्वारा ढूंढा गया था। आप लोगों को मैं बता दूँ कि, इस नेब्यूला को सुपरनोवा से जुड़ी सबसे पहली चीज़ के रूप में आविष्कार किया गया था। इसे वैज्ञानिक “Messier 1 (M1)” के नाम से भी पहचानते हैं।
मित्रों! ये नेब्यूला सुपरनोवा धमाके से निकलने वाले मलवे के जैसा हैं और ये किसी एक सितारे के मौत के बाद ही बना हुआ हैं। अगर आप लोगों को सुपरनोवा के बारे में और जानना हैं तो, आप हमारे सुपरनोवा वाले लेख को पढ़ सकते हैं। आज हम जिस क्रैब नेब्यूला को देख रहें हैं, वो ज़्यादातर हाइड्रोजन से बना हुआ है। आप लोगों को बता दूँ कि, ये हाइड्रोजन किसी एक सितारे के अंतिम समय में उसके “Core” से निकलने वाला गैस है। नेब्यूला आमतौर पर ब्रह्मांड में मौजूद वो चमकीले बादल होते हैं, जो कि सुपरनोवा के बाद बने मलवे से तैयार होते हैं।
एक खास बात ये भी है कि, क्रैब नेब्यूला के केंद्र में एक बहुत ही अजीब सी चीज़ “Pulsar” मौजूद है। पल्सार एक काफी सघन न्यूट्रान स्टार होता हैं, जिसके पास काफी शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड होता है। ये चीज़ ब्रह्मांड में इतनी तेजी से घूमती है कि, इससे निकलने वाली “कॉस्मिक जेट” काफी दूर तक एक लाइट हाउस की तरह ब्रह्मांड को चमक प्रदान करती हैं।
खुली आखों से भी आप देख सकते हैं “क्रैब नेब्यूला” को! :-
नासा के अनुसार क्रैब नेब्यूला (Crab Nebula In Hindi) लगभग 10 प्रकाश वर्ष चौड़ा है और ये लगातार आकार में बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रह्मांड में ये लगभग 600 मील/ सेकंड के रफ्तार से फैल रहा है। कहा जाता हैं कि, क्रैब नेब्यूला को बनाने वाला सितारा साल “1054” में फटा था, जिसे वैज्ञानिकों ने “Guest Star” का भी नाम दिया है। कहा जाता है कि, गेस्ट स्टार का सुपरनोवा इतना चमकीला था कि, उस समय ये किसी “Full Moon” से कम नहीं था। मित्रों! इतिहासकार बताते हैं कि, ये सुपरनोवा उस समय इतना तेज था कि, इसकी चमक पृथ्वी पर दिन में भी एक महीने तक देखा गया था।
हालांकि! काफी समय बाद कुछ यूरोपीय वैज्ञानिकों ने इस नेब्यूला को उसके “केंकड़े” जैसे आकार के लिए “Crab Nebula” का नाम दिया। आप इस नेब्यूला को पृथ्वी से साल के किसी भी महीने देख सकते हैं, हालांकि आपको इसके लिए एक छोटे से टेलिस्कोप की जरूरत पड़ेगी। आप लोगों को अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, ये काफी ज्यादा चमकीला नेब्यूला हैं और इसकी दूरी पृथ्वी से लगभग 6,500 प्रकाश वर्ष है।
मित्रों! अगर आप इस नेब्यूला को पृथ्वी से देखना चाहते हैं, तब आपको “जनवरी” महीने (उत्तरी गोलार्ध के लिए) का इंतजार करना होगा। अगर आप दक्षिण गोलार्ध में रहते हैं, तब आप इसे गर्मियों के दिन देख सकते हैं। हालांकि! अच्छे से देखने के लिए आप कोई भी बैनॉकुलर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
“क्रैब नेब्यूला” इतना क्यों खास है ? :-
कुछ लोग ये सोच रहें होंगे कि, आखिर ये क्रैब नेब्यूला (Crab Nebula In Hindi) इतना खास क्यों है? तो, मित्रों आप लोगों को मेँ बता दूँ कि; ये ब्रह्मांड से आने वाले सबसे शक्तिशाली रेडियो सिग्नल का स्रोत है। इसके अलावा ये पृथ्वी पर रिसीव होने वाला सबसे चमकीला रेडियो स्रोत भी है। मित्रों! कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, ये सबसे तेज रेडियो सिग्नल के स्रोत के रूप में भी गिना जाता है। हालांकि! एक खास बात ये भी है कि, इस नेब्यूला से निकलने वाला सिग्नल पूरे विजीवल स्पेक्ट्रम में दिखाई पड़ता है। कहने का मतलब ये है कि, इसे हम रेडियो से लेकर गामा रे तक डिटेक्ट कर सकते हैं।
ये नेब्यूला इतना सुंदर और भव्य है कि, इसकी तस्वीर देख कर एक बार को आप भी हैरान रह जाएंगे। इस नेब्यूला में मौजूद इसके फ़िलामेंट्स काफी ज्यादा आकर्षक और दुर्लभ नजर आते हैं। इसके आकार में लगातार बढ़ोतरी, इस नेब्यूला को और भी ज्यादा अद्भुत बना देती हैं। मित्रों! आप लोगों को क्या लगता हैं, क्या ये नेब्यूला ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत नेब्यूला का दर्जा ले सकती हैं? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा। इसके अलावा एक और खास बात ये भी हैं कि, इस नेब्यूला का रिश्ता हमारे इतिहास के साथ भी काफी ज्यादा गहरा हैं।
पुरातत्ववितों के अनुसार, प्राचीन काल में जब इस नेब्यूला की उत्पत्ति हुई थी; तब इसकी चमक उस समय पृथ्वी पर रह रहे इन्सानों को काफी ज्यादा हैरानी में डाल दी थी। ये ही वजह हैं कि, कई प्राचीन गुफाओं के दीवारों में इसकी तस्वीर आज भी हमें देखने को मिलते हैं।
हब्बल और क्रैब नेब्यूला! :-
हब्बल और क्रैब नेब्यूला (Crab Nebula In Hindi) का रिश्ता काफी अनूठा हैं। हब्बल के “Wide Field and Planetary Camera 2 (WPFC2)” के जरिये क्रैब नेब्यूला की खींची गई तस्वीरें आज तक स्पेस में खींची तस्वीरों में सबसे भव्य और सुंदर तस्वीर हैं। इस तस्वीर की बारीकी को देख कर, कोई भी इंसान बिना हैरान हुए रह नहीं पाएगा। काफी तेज घूमने वाले इस नेब्यूला के केंद्र में कई सारे न्यूट्रान स्टार मौजूद हैं जो कि, इस नेब्यूला को केंद्र से ऊर्जा और चमक प्रदान कर रहे हैं।
बता दूँ कि, नेब्यूला के केंद्र में मौजूद इलेक्ट्रॉन लगभग प्रकाश के रफ्तार के जितना ही ट्रैवल कर रहीं हैं और इससे एक दुर्लभ नीले रंग की प्रकाश की किरण निकल रहीं हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके केंद्र से निकलने वाली प्रकाश की किरण हर एक सेकंड में 30 से भी ज्यादा बार धड़कता हैं। मित्रों! अगर हम इस तस्वीर को गौर से देखेंगे तो, हमें पता लगेगा की; नेब्यूला के अंदर से निकलने वाले अलग-अलग पदर्थों के अलग-अलग रंग हैं। “नीले रंग” का पदार्थ “न्यूट्रल ऑक्सिजन” को, “हरे रंग” का पदार्थ “आईओएनाइज़्ड़ सल्फर” को और “लाल रंग” का पदार्थ “डबल आईओएनाइज्ड़ ऑक्सिजन” को दर्शाता हैं।
मित्रों! हब्बल की ये तस्वीर कई सालों तक दुनिया भर के कई हजारों वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं। इसलिए एक बार तो इसके लिए एक लाइक तो बनता ही हैं।
जेम्स वेब और क्रैब नेब्यूला! :-
सुपरनोवा से जुड़ी कुछ सवालों के जवाबों को ढूँढने के लिए, वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब के जरिये क्रैब नेब्यूला (Crab Nebula In Hindi) को काफी गहराई से जाँचने का प्रयास किया हैं। जेम्स वेब के इन्फ्रारेड उपकरण इस नेब्यूला से जुड़ी कुछ बेहद ही रोचक तथ्यों का खुलासा किया हैं। इस तस्वीर में हमें क्रैब नेब्यूला कॉस्मिक गैस की एक केज लाइक स्ट्रक्चर में नारंगी रंग के फ़िलामेंट के आकार में नजर आ रहीं हैं, जो की डबल आईओनाइज्ड़ सल्फर से बना हुआ है। इसके अलावा इसके अंदरूनी हिस्से में पीले व हरे रंग के लूप-लाइक स्ट्रक्चर भी देखने को मिलते हैं।
बता दूँ कि, ये स्ट्रक्चर उन इलाकों में देखने को मिलते हैं; जहां कॉस्मिक डस्ट की भरमार होती हैं। हालांकि! इसके आस-पास का इलाका, सफ़ेद दूध जैसे रंग से दिखाई पड़ता हैं; जिसमें से “synchrotron radiation” निकलता हुआ नजर आता हैं। वैसे जेम्स-वेब के अत्याधुनिक व सेंसिटिव उपकरण के कारण, हमें क्रैब नेब्यूला की कई बारीक डीटेल के बारे में पता चल रहा हैं। इसके अलावा मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, इसके केंद्र में मौजूद न्यूट्रान सितारे से बाहर की और “Whisp” जैसे स्ट्रक्चर बनते हुए नजर आते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार ये व्हिस्प जैसे स्ट्रक्चर न्यूट्रान सितारे के मैग्नेटिक फील्ड को दर्शाता हैं। हालांकि! वैज्ञानिकों को इसके व्हिस्प के बनने के पैटर्न में कई अलग-अलग खूबियाँ और खासियत देखने को मिले हैं। एक रोचक बात ये भी हैं कि, कुछ व्हिस्प देखने में ज्यादा नीले नजर आ रहें हैं; जो की शायद वहाँ ज्यादा मात्रा में मौजूद आईयोनाइज्ड़ आइरन की निशानी हैं।
Source :- www.esawebb.org, www.esahubble.org, www.space.com