Comet In Hindi – धूमकेतु (Comet) अंतरिक्ष में विचरने वाले बर्फ से बनें पिंड हैं, जो अपने पीछे गैस और बर्फ के कण छोड़ते हैं। धूमकेतु अपने अंदर धूल, बर्फ, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया और ऐसे ही बहुत से पर्दाथ और गैस रखते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में –
सौर मंडल के अन्य छोटे पिंडो के विपरित धूमकेतुओ को प्राचिन काल से जाना जाता रहा है। चीनी सभ्यता मे हेली के धूमकेतु को 240 ईसापूर्व देखे जाने के प्रमाण है। इंग्लैड मे नारमन आक्रमण के समय 1066मे भी हेली का धूमकेतु देखा गया था।
1995 तक 878 धुमकेतुओ को सारणीबद्ध किया जा चूका था और उनकी कक्षाओ की गणना हो चूकी थी। इनमे से 184 धूमकेतुओ का परिक्रमा काल 200 वर्षो से कम है; शेष धूमकेतुओ के परिक्रमा काल की सही गणना पर्याप्त जानकारी के अभाव मे नही की जा सकी है।
धूमकेतुओ को कभी कभी गंदी या किचड़युक्त बर्फीली गेंद कहा जाता है। ये विभिन्न बर्फो(जल और अन्य गैस) और धूल ला मिश्रण होते है और किसी वजह से सौर मंडल के ग्रहो का भाग नही बन पाये पिंड है। यह हमारे लिये महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सौरमंडल के जन्म के समय से मौजूद है।
जब धूमकेतु सूर्य के समिप होते है तब उनके कुछ स्पष्ट भाग दिखायी देते है:
- केन्द्रक : ठोस और स्थायी भाग जो मुख्यत: बर्फ, धूल और अन्य ठोस पदार्थो से बना होता है।
- कोमा: जल, कार्बन डायाआक्साईड तथा अन्य गैसो का घना बादल जो केन्द्रक से उत्सर्जित होते रहता है।
- हायड्रोजन बादल: लाखो किमी चौड़ा विशालकाय हायड़्रोजन का बादलधूल भरी पुंछ : लगभग १०० लाख किमी लंबी धुंये के कणो के जैसे धूलकणो की पुंछ नुमा आकृति। यह किसी भी धूमकेतु का सबसे ज्यादा दर्शनिय भाग होता है।
- आयन पुंछ : सैकड़ो लाख किमी लंबा प्लाज्मा का प्रवाह जो कि सौर वायु के धूमकेतु की प्रतिक्रिया से बना होता है।
धूमकेतु सामान्यतः दिखायी नही देते है, वे जैसे ही सूर्य के समेप आते है दृश्य हो जाते है। अधिकतर धूमकेतुओ की कक्षा प्लूटो की कक्षा से बाहर होते हुये सौर मंडल ले अंदर तक होती है। इन धूमकेतुओ का परिक्रमाकाल लाखो वर्ष होता है। कुछ छोटे परिक्रमा काल के धूमकेतु अधिकतर समय प्लूटो की कक्षा से अंदर रहते है।
सूर्य की 500 या इसके आसपास परिक्रमाओ के बाद धूमकेतुओ की अधिकतर बर्फ और गैस खत्म हो जाती है। इसके बाद क्षुद्रग्रहो के जैसा चट्टानी भाग शेष रहता है।
पृथ्वी के पास के आधे से ज्यादा क्षुद्रग्रह शायद मृत धूमकेतु है। जिन धूमकेतुओ की कक्षा सूर्य के समिप तक जाती है उनके ग्रहो या सूर्य से टकराने की या बृहस्पति जैसे महाकाय ग्रह के गुरुत्व से सूदूर अंतरिक्ष मे फेंक दिये जाने की संभावना होती है।
सबसे ज्यादा प्रसिद्ध धूमकेतु हेली का धूमकेतु है। 1994 मे शुमेकर लेवी का धूमकेतु चर्चा मे रहा था जब वह बृहस्पति से टुकड़ो मे टूटकर जा टकराया था।
काफी सारे धूमकेतु शौकिया खगोलशास्त्रीयो ने खोजे है क्योंकि ये सूर्य के समिप आने पर आकाश मे सबसे ज्यादा चमकिले पिंडो मे होते है। पृथ्वी जब किसी धूमकेतु की कक्षा से गुजरती है तब उल्कापात होता है।
कुछ उल्कापात एक नियमित अंतराल मे होते है जैसे पर्सीड उल्कापात जो हर वर्ष 9 अगस्त और 13 अगस्त के मध्य होता है जब पृथ्वी स्विफ्ट टटल धूमकेतु की कक्षा से गुजरती है। हेली का धूमकेतु अक्टूबर मे होनेवाले ओरीयानाइड उल्कापात के लिये जिम्मेदार है।
[td_smart_list_end]Source – Navgrah
जो धुमकेतु Oort cloud से आते है उसके लिये हिलियोपॉस को पार करना कैसे सम्भव है?
It’s possible To Cross Heliosphere. It’s a magnetic field of Sun.