ब्लैक होल के बाद अगर कोई चीज़ स्पेस में हमें अपनी और आकर्षित करती है, तो वो एलियन (Aliens In a Single Grain of Ice) हैं। जब से इंसान इस धरती पर रहने आया है, तभी से ही परग्रही और उनसे जुड़े किस्से हमें सुनने व देखने को मिलते हैं। मित्रों! प्राचीन मिश्र की सभ्यता से ले कर आज के अमेरिका का एरिया-51, हर एक जगह पर हमें परग्रहीओं के होने की सबूत मिलते रहते हैं। इसलिए कहा जाता है कि, ये ब्रह्मांड अनंत हैं और साथ ही अनंत हैं इसमें परग्रहीओं के मिलने कr संभावना। एलियन के अस्तित्व को ले कर वैज्ञानिकों के दो गुट बने हुए हैं।
वैज्ञानिकों का एक गुट जहां एलियन (Aliens In a Single Grain of Ice) के अस्तित्व को मानने में हिचक दिखाता है, वहीं दूसरी और वैज्ञानिकों का एक ऐसा भी दल है, जो की एलियन्स के अस्तित्व को सच मानता है। और मित्रों! आज हम उसी गुट के बारे में चर्चा करेंगे। दरअसल बात ये है कि, आज के हमारे लेख का विषय एलियन्स के अस्तित्व और इनको ढूँढने के ऊपर है। इसलिए आज का लेख आपके लिए भी काफी ज्यादा रोचक और ज्ञान-वर्धक होने वाला है। इसमें आप लोगों को तरह-तरह के बातों को जानने का मौका भी मिलेगा।
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बर्फ के छोटे से कण से खोजा जा सकता है एलियन! – Aliens In a Single Grain of Ice :-
शीर्षक पढ़ कर शायद आप लोगों को हैरानी जरूर हुई होगी कि, आखिर कैसे एक बर्फ के छोटे से टुकड़े से एलियन्स (Aliens In a Single Grain of Ice) के बारे में पता लगाया जा सकता है। तो, मैं आप लोगों को बता दूँ कि; बृहस्पति और शनि के चंद्रमाओं में शायद एलियन्स छुपे हुए हो सकते हैं। मेरे कहने का ये मतलब है कि, इन ग्रहों के चंद्रमाओं से अन्तरिक्ष की और निकलने वाली कॉस्मिक गिजर्स (Cosmic Geysers) में जीवन के सबूत छुपे हुए हो सकते हैं। वैसे इसके लिए नासा को केवल इन कॉस्मिक गिजर्स में से कुछ बर्फ के कणों को हासिल करना ही हैं। बाद में इनके ऊपर शोध कर के हम जीवन के उत्पत्ति के बारे में काफी कुछ पता लगा सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को बता दूँ कि, शनि के चंद्रमा “Enceladus” के ऊपर अधिक शोध करने की जरूरत है। क्योंकि शायद इसी से ही हमें आने वाले समय में परग्रहियों के बारे में पता चल सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर कोई स्पेस-क्राफ्ट इन चंद्रमाओं के पास से हो कर गुजरता है, तो वह जीवन के बहुत ही छोटे से छोटे सबूत को भी आसानी से डिटेक्ट कर सकता है। जिससे हमें काफी कुछ पता चल सकता है। अगर हमारे सौर-मंडल में एलियन रहते हैं, तो वो शायद बृहस्पति के चंद्रमा “Europa” या शनि के चंद्रमा “Enceladus” के ऊपर देखे जा सकते हैं।
इसलिए हमें इनके ऊपर खास ध्यान देना होगा। मित्रों! आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इन चंद्रमाओं की सतह के नीचे मौजूद समुद्र से अगर कोई परग्रही सभ्यता अपना अस्तित्व बताना करना चाहती हैं, तब ये कॉस्मिक गिजर्स सबसे अच्छे विकल्प हैं। क्योंकि अकसर पानी से ही जीवन पनपता है।
आखिर कैसे बर्फ के अंदर छुपे हुए हो सकते हैं एलियन! :-
अब काफी सारे लोगों के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि, आखिर कैसे एक छोटे से बर्फ के अंदर भला एलियन्स (Aliens In a Single Grain of Ice) छुपे हुए हो सकते हैं? तो, मित्रों! मैं आप लोगों को बता देना चाहता हूँ कि, हर परग्रही जीवन जरूरी नहीं है की काफी ज्यादा विकसित हो। कहने का मतलब ये है कि, ग्रहों के चंद्रमाओं पर मौजूद समुद्र में मौजूद हर एक सिंगल सेल जीवन, हमारे लिए परग्रही के समान है। बर्फ के टुकड़े में मौजूद ओर्गानिक मोलिक्युल और बैक्टीरिया हमारे लिए किसी एलियन से कम नहीं हैं। क्योंकि ये पृथ्वी के बाहर से आए हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का ये मानना है कि, इन चंद्रमाओं के ऊपर एलियन काफी संभव हैं की मौजूद हो। क्योंकि इनके ऊपर आज भी हम उतने अच्छे तरीके से शोध कर नहीं पाए हैं, जो की हमें किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा दे।
खैर स्पेस में किसी भी चीज़ को ढूंढना कोई आसान बात नहीं हैं। आज भी वैज्ञानिक इसमें लगे हुए हैं कि, आखिर कैसे वो माइक्रोस्कोपिक लाइफ फॉर्म को सफलता के साथ डिटेक्ट कर पाएँ। क्योंकि इतनी छोटी सी छोटी चीज़ को वो भी स्पेस में ढूँढना काफी चुनौतीयों से भरा हुई होता है। इसमें काफी समय और पैसे लगते हैं।
किस तरीके से ढूंढ सकते हैं हम एलियन! :-
अब दूसरा सवाल जो कई सारे लोगों के मन में आ रहा होगा वो ये है कि, आखिर कैसे हम इन परग्रही (Aliens In a Single Grain of Ice) जीवन को ढूंढ सकते हैं? तो, मित्रों मेँ आप लोगों को बता दूँ कि; एनसेलाडस और यूरोपा से निकलने वाले कॉस्मिक गिजर्स में से सैंपल इक्कठा करके हमें इन्हें बारी-बारी से विश्लेषित करना होगा। तब जा कर हमें एलियन लाइफ के बारे में कुछ पता लग सकता है। हालांकि! ये बात भी संभव है कि, बर्फ के हर एक कण में ऐसा जरूरी नहीं है कि; परग्रही जीवन मौजूद हो।
इसलिए लगातार रूप से काफी सारे सैंपल्स को विश्लेषित करना बहुत ही जरूरी है। मित्रों! आप लोगों को अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, अभी से ही वैज्ञानिकों ने इसके ऊपर काम करना शुरू कर दिया है। ऊन्होंने पृथ्वी पर ही इस स्थिति को सिमुलेट करने कि कोशिश शुरू कर दी है, ताकि स्पेस में शोध के वक़्त कोई भी बड़ी समस्या न आए। खैर कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, सिंगल सेल्यूलर माइक्रो-ओर्गानिज़्म काफी अच्छे तरीके से अपने-आप को बर्फ में छुपा कर रख सकते हैं।
इसलिए सही समय पर इन्हें डिटेक्ट करने के लिए सही उपकरण का होना बहुत ही जरूरी है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की वॉटर ड्रॉपलेट्स को वैक्युम चैंबर में डाल कर इनके ऊपर मौजूद सिंगल सेल ओर्गानिज़्म को ढूँढने का तरीका निकाल लिया है। हालांकि! ये बात भी है कि, यहाँ के वॉटर ड्रॉपलेट्स का आकार स्पेस के ड्रॉपलेट्स से बड़ा है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, एलियन जीवन (Aliens In a Single Grain of Ice) को ढूँढने के लिए वैज्ञानिक “Mass Spectroscopy” का इस्तेमाल कर रहें हैं। इसमें वैज्ञानिक किसी खास वॉटर सैंपल को लेजर बीम के जरिये एक्साइट (Excite) कर देते हैं। इससे वॉटर ड्रॉपलेट तो एक्साइट होता ही है, साथ ही उसके अंदर मौजूद सिंगल सेल ओर्गानिज़्म भी काफी मात्रा में चार्ज हो जाता है। बाद में स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिये सैंपल के अंदर मौजूद हर एक चीज़ कि मौलिक संरचना को आसानी से पता लगाया जा सकता है।
आप लोगों को जानकर हैरानी होगा कि, ये प्रक्रिया स्पेस सैक्टर में काफी ज्यादा प्रचलित है। क्योंकि इसे हर एक स्पेसक्राफ्ट आसानी से अंजाम दे सकते हैं। इसके अलावा ये काफी ज्यादा सटीक और सरल रहता है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार अगर बर्फ के सैंपल में 1% भी परग्रही जीवन कि सबूत मौजूद हैं, तो भी हम आसानी से इसके बारे में पता लगा सकते हैं। तो, कुल मिला कर हम ये भी कह सकते हैं कि; आने वाले समय में शायद हमें काफी बड़े-बड़े न्यूज एलियन्स के बारे में मिल सकते हैं।