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AI ने बनाया दुनिया का पहला मानव निर्मित “प्रोटीन”! – AI Invented Glowing Molecule

AI के जरिये हुए एक नया खोज! क्या आपने इसके बारे में जान लिया हैं?

हम मानव दुनिया के सर्व-श्रेष्ठ प्राणियों में गिने जाते हैं। क्योंकि हमारे दिमाग से ही कई सारे चीज़ें बने हैं, जिसके जरिये आज हम इस दुनिया पर अपनी दावेदारी पेश कर रहें हैं। कहा जाता हैं कि, इनसान का दिमाग किसी जादुई पिटारे से कम नहीं हैं। क्योंकि इससे कब और क्या निकल सकता हैं; ये खुद इन्सानों को भी पता नहीं होता है। उदाहरण के तौर पर आप आज AI (AI Invented Glowing Molecule) को ही देख लीजिए। ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि, ये चीज़ मानव दिमाग का सबसे बेहतरीन उपज है। इसी के ऊपर हमारी आगे की जिंदगी जुड़ी हुई है।

AI ने बनाया दुनिया का पहला मानव निर्मित "प्रोटीन"! - AI Invented Glowing Molecule.
ESM3 AI का फोटो। | Credit: Business Wire.

AI (AI Invented Glowing Molecule) की जब भी बात आती है, सबसे पहले हमारे मन में काफी सारे अत्याधुनिक तकनीकों की तस्वीरें घूमने लगती हैं। क्योंकि एआई हमारे आने वाले पीढ़ियों के लिए किसी अच्छे मार्गदर्शक का काम करने वाली है। और शायद ये ही वजह है कि, हमारे लिए ये कितनी ज्यादा अहम हो जाती हैं। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, हमारे आज के इस लेख का विषय इसी एआई के ऊपर ही हैं। और हम आज इस विषय के ऊपर काफी गहन तरीके से चर्चा भी करेंगे।

तो, चलिये अब बिना किसी देरी के इस लेख में आगे बढ़ते हैं और इसके असल विषय के ऊपर आते हैं। वैसे आप लोगों से अनुरोध हैं कि, इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करिएगा; ताकि ये जानकारी काफी लोगों तक पहुँच सके।

AI ने बनाया एक खास प्रोटीन! – AI Invented Glowing Molecule! :-

इंसानी शरीर काफी सारे अहम जैविक कणों से बना हुआ होता हैं। जिसमें प्रोटीन (AI Invented Glowing Molecule) भी शामिल हैं। आम तौर पर ये प्रोटीन हमारे शरीर के अंदर विकास के प्रक्रिया में भाग लेते हैं। परंतु क्या आपको पता हैं, ज़्यादातर हमारे शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन हमें अपने खाने के जरिये पूरा करना होता हैं। यानी आप ये कह सकते हैं कि, हमारा शरीर इन्हें बनाने में समर्थ नहीं हैं। जिससे हमें इनकी जरूरत काफी ज्यादा होती हैं। साथ ही ये हमारे शरीर के लिए जरूरी कई अहम जैविक प्रक्रियाओं के लिए भी जरूरी हैं।

AI ने बनाया दुनिया का पहला मानव निर्मित "प्रोटीन"! - AI Invented Glowing Molecule.
प्रोटीन। | Credit: Chemistry.

और शायद ये ही वजह हैं कि, आज वैज्ञानिक इस मौलिक कण के पीछे इतने ज्यादा आकर्षित हैं। वैसे आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, आज के समय AI के जरिए भी इन कणों को बनाया जा सकता हैं। दरअसल बात ये हैं कि, हाल ही में एक AI मॉडेल ने एक बहुत ही खास तरीके के प्रोटीन को बनाया हैं, जो की साधारण प्राकृतिक हालातों में 500 सालों तक विकसित हो सकता हैं। या सरल भाषा में कहूँ तो, इसे विकसित होने के लिए लगभग 500 सालों का समय लग सकता हैं। हालांकि! इस प्रोटीन को विकसित होने के लिए सही वातावरण की जरूरत पड़ने वाली हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार AI ने आज से लगभग 0.5 अरब साल तक प्रोटीन कणों में होने वाले क्रमागत विकास का अनुमान लगाकर एक बहुत ही खास और नए प्रोटीन का खोज किया हैं। और इस प्रोटीन के बारे में एक खास बात ये हैं कि, ये काफी ज्यादा चमकीला भी हैं। जो की आमतौर पर जेली फिश” या कोरल” में पाये जाते हैं। और ये बिलकुल भी आम नहीं हैं।

आखिर क्यों खास है ये प्रोटीन? :-

अब काफी सारे लोगों के मन में ये सवाल जरूर ही आ रहा होगा कि, आखिर ये प्रोटीन (AI Invented Glowing Molecule) इतना खास क्यों हैं? तो मित्रों, मेँ आप लोगों को बता दूँ कि; इस प्रोटीन के जरिये हम काफी सारे बीमारियों के ईलाज को ढूंढ सकते हैं। जी हाँ! मित्रों आप लोगों ने बिलकुल सही सुना इस प्रोटीन के जरिये हम काफी बड़े-बड़े दबाईओं के बारे में खोज कर सकते हैं; जिसके बारे में शायद ही कभी हम लोगों ने सोचा भी होगा। “esmGFP” नाम का ये प्रोटीन हम इन्सानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं।

AI ने बनाया दुनिया का पहला मानव निर्मित "प्रोटीन"! - AI Invented Glowing Molecule.
AI बना रहा हैं प्रोटीन। | Credit: Lockheed Martin.

क्योंकि ये प्रोटीन हम लोगों को बाहरी बीमारियों से लढने के लिए शक्ति प्रदान करता हैं। और आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, प्रोटीन का मूल काम ही होता हैं शरीर में विकास और बीमारी से लढने के लिए शक्ति प्रदान करना। वैसे यहाँ एक बात ये भी हैं कि, अभी तक ये प्रोटीन कम्प्युटर के अंदर एक कोड के रूप में हैं और ये प्रकृति में काफी ज्यादा दुर्लभ माना जाता हैं। बताते हैं कि, ये प्रोटीन हरे रंग का हैं और काफी ज्यादा चमकीला हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार जेली फिश और हरे कोरल्स को रंग इन्हीं प्रोटीन के जरिये ही मिलता हैं। साथ ही साथ एक बात मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, इन प्रोटीन के जरिये रात में इन जीवों को चमक भी मिलती हैं। वैसे रिपोर्ट्स ये भी बताते हैं कि, अभी तक इस प्रोटीन को बनाने के लिए जरूरी कोडिंग 58% तक मैच हो पाया हैं।

आखिर कैसे विकसित हो सकता है ये प्रोटीन! :-

प्रकृति में किसी भी जैविक कण को विकसित होने में समय लगता हैं और ये समय कभी-कभी काफी ज्यादा लंबा भी हो सकता हैं। उदाहरण के लिए आप इसी प्रोटीन (AI Invented Glowing Molecule) को ही देख लीजिए। बताते हैं कि, इस प्रोटीन का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा इन्सानों के द्वारा बदला गया हैं और इसे पूरे तरीके से विकसित होने के लिए लगभग 500 साल का समय भी लग सकता हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रोटीन को अपने असली रूप में आने के लिए लगभग 96 प्रकार के अलग-अलग जैविक बदलावों से गुजरना होगा।

Green Jelly Fish.
हरे जेली फिश जिस पर हैं वो प्रोटीन। | Credit: Unsplash.

जिसका सीधा सा मतलब ये हैं कि, इसमें काफी ज्यादा समय लग सकता हैं। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, हाल ही में AI ने “ESM3” नाम के एक अलग ही प्रोटीन के कोडिंग का काम शुरू कर दिया हैं। जो की फिलहाल वैज्ञानिकों के द्वारा काफी बारीक तरीके से जांचा और परखा जाएगा। AI का ये नया रूप वाकई में किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। क्योंकि इसी के जरिये ही हम आगे चल कर कई सारे बड़े-बड़े आविष्कारों को सफल कर सकते हैं। वैसे आप लोगों का इसको ले कर क्या राय हैं, कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।

खैर एक बात ये भी हैं कि, ESM3 AI का एक ऐसा खास रूप हैं; जो की केवल और केवल बायोलॉजी के लिए इस्तेमाल हो सकता हैं। तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि, ये प्रोग्राम वाकई में कितनी ज्यादा शक्तिशाली होगा। किसी भी प्रोटीन को बनाने के लिए उसके अंदर खास तरह के अमीनो एसीड्स को सीक्वेंस करवाना पड़ता हैं।

निष्कर्ष – Conclusion :-

एक बार प्रोटीन (AI Invented Glowing Molecule) के अंदर जरूरी एमिनो एसीड्स के सिक्वेसिंग का पूरा हो गया तो, हम आसानी से किसी भी प्रोटीन को बना सकते हैं। और इसी सीक्वेंसिंग के प्रक्रिया को बहुत ही सटीक तरीके से सफलता के साथ अंजाम देने के लिए ESM3 को ट्रेन किया जा रहा हैं। मित्रों! यहाँ मेँ आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, AI को प्रोटीन के बारे में अच्छे तरीके से जानकारी देने के लिए; प्रकृति में मिलने वाले लगभग 2.78 अरब प्रोटीन के अलग-अलग प्रकारों के बारे में इनपुट दे दिया हैं।

Green Corals.
हरे कोरल्स का फोटो। | Credit: Coral Magazine.

जिससे ये उपकरण काफी ज्यादा सक्षम और उन्नत बन जाता हैं। वैसे आज के जमाने में हम आसानी से किसी भी प्रोटीन के अंदर फेर-बदल कर के अपने जरूरत के अनुसार इसे इस्तेमाल में ले सकते हैं। और हमें ऐसा करते हुए काफी समय भी हो चुका हैं। यहाँ अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, DNA सीक्वेंसिंग में किसी भी हिस्से को मर्किंग के लिए हम इन्हीं चमकीले प्रोटिन्स का इस्तेमाल करते हैं।

इससे आसानी से DNA में मौजूद जरूरी भागों को पहचाना जा सकता हैं। तो, हाँ! हमारे लिए इन प्रोटिन्स की अहमियत काफी ज्यादा बढ़ चुका हैं।

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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