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अंतरिक्ष में होने वाली थी यह दुर्घटना! आखिर कैसे बची इससे पृथ्वी, जाने इस रिपोर्ट में

52,000 प्रति घंटे की रफ्तार से हो सकती थी भयंकर टक्कर ! मच सकती थी भारी तबाही

पृथ्वी पर कब, क्या हो जाए इसके बारे में कोई कुछ भी नहीं कह सकता हैं | चाहे वह ऑस्ट्रेलिया में लगने वाला दावानल हो या ग्लोबल वार्मिंग के कारण धीरे-धीरे पिघलता हुआ ध्रुवीय बर्फ की चादर दोनों ही क्षेत्र में यह दो घटना आकस्मिक तौर पर इंसान की नियंत्रण के बाहर घट रही हैं | वैसे आप इन घटनाओं को दुर्घटना भी कह सकते हैं, परंतु क्या सच में पृथ्वी के अंदर ही सिर्फ ऐसे दुर्घटनाएं घटती हैं ! या इसके बाहर भी यह घटती हैं ? खैर इस सवाल का जवाब आज आपको दो उपग्रहों के ऊपर (2 satellites nearly missed colliding ) आधारित इस लेख में मिल जाएगा।

वैसे आगे बढ्ने से पहले बता दूँ की, इंसान अब तक अंतरिक्ष में लगभग 3,600 से ज्यादा उपग्रह (2 satellites nearly missed colliding) छोड़ चुका हैं | उन में से 1,100 उपग्रह अब कार्यक्षम हैं, परंतु बाकी बचे दो हजार से ज्यादा उपग्रह अंतरिक्ष में अक्षम हो कर पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर काट रही हैं | वैसे देखा जाए तो इन उपग्रहों का पृथ्वी पर ज्यादा कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं, परंतु समय के चलते कभी-कभार यही कृत्रिम उपग्रह हमारे बरबादी का कारण बन सकती है |

ठीक इसी कारण के लिए वैज्ञानिक अकसर इन पर नजर भी रखते हैं | परंतु मित्रों! हाल ही में घटी घटना दुर्घटना के रूप में परिवर्तित हो कर पृथ्वी को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता था | खैर यहाँ सवाल यह उठता है की यह घटना क्या था ? तो, इसके जवाब में बता दूँ की इसी के बारे में ही आज हम लेख के अंदर चर्चा करेंगे | तो आप सभी लोगों से अनुरोध है की लेख के आरंभ से लेकर अंत तक बने रहिएगा |

बाल-बाल बचा पृथ्वी ! घट सकती थी यह दुर्घटना – 2 Satellites Nearly Missed Colliding :-

जनवरी 29 तारीख को अमेरिकी सहर पिट्टसबर्ग (Pittsburgh) के ऊपर दो अक्षम उपग्रह आपस में टकराने (2 satellites nearly missed colliding) से बाल-बाल बचे हैं | यह दो उपग्रह दो गहन खतरे की तरह पृथ्वी के वातावरण के पास आ पहुंची थी जो की एक बहुत ही बड़ा खतरा बन सकता हैं |

इसके अलावा में आपको बता दूँ की, यह दो उपग्रह 52,000 प्रति घंटे के हिसाब से गति कर रहें थे | अगर इतने तेज रफ्तार से टक्कर हो जाती तो परिणाम बहुत ही भयंकर हो सकती थी | वैसे वैज्ञानिकों का यह कहना है की, इस टक्कर के होने का संभावना बहुत ही कम था परंतु बीतते समय के साथ ही साथ यह संभावना और भी बढ़ता गया | इसके अलावा कई वैज्ञानिकों का यह भी कहना है की, अगर टक्कर वास्तव में होता तो इससे इससे परिवहन तंत्र को काफी ज्यादा मुश्किल झेलना पड़ता |

एक अंतरिक्ष की खोज करने वाली कंपनी के हिसाब से यह टक्कर बहुत ही कम व्यवधान से बच गया हैं | उनका कहना है की, टक्कर होने की सर्वाधिक संभावना के दौरान दोनों उपग्रह एक दूसरे से केवल 40 फिट के दूरी पर थे | मित्रों! मेँ आपको बता दूँ की अंतरिक्ष में इतनी कम दूरी से टक्कर न होना एक करिश्मा ही हैं क्योंकि ऐसा कभी-कभार होता हैं और एक तरह से यह एक दुर्लभ संयोग भी हैं | जहां हजारों प्रकाश वर्षों के दूरी से भी टक्कर हो जाति हैं, वहाँ 40 फिट के दूरी से टक्कर होने से बच जाना कोई चमत्कार ही हैं |

इस घटना से जुड़ी कुछ रोचक बातें :-

टक्कर से बचने वाली दो उपग्रहों में से (2 satellites nearly missed colliding) एक उपग्रह अमेरिकी प्रयोगिकी संस्थान “जेट प्रोपलशन लैब” के द्वारा साल 1983 में छोड़ा गया था | उस समय इस उपग्रह कोइंफ्रारेड एस्ट्रोनोमिकल सेटैलाइट” कहा जाता था | वैसे अधिक जानकारी के लिए बता दूँ की यह उपग्रह दुनिया का सर्वप्रथम इंफ्रारेड तकनीक पर काम करने वाला उपग्रह था | जिसको की सिर्फ 1 साल के अवधि के लिए ही इस्तेमाल किया गया था | जो की एक दिलचस्प बात हैं |

वैसे यहाँ पर अगर में दूसरे उपग्रह के बारे में बात करूँ तो, यह अमेरिकी वायु सेना के द्वारा अपने विमानों की बेहतर परीक्षण के लिए छोड़ा गया उपग्रह था | वैसे इस उपग्रह का नाम  जीजीएसई-4 हैं | यह एक तरीके से काफी पुराना उपग्रह हैं | इसको अक्षम होने के कई समय बीत चुके हैं | इसके अलावा मेँ आपको बता दूँ की इसे साल 1967 में अंतरिक्ष में छोड़ा गया था | वैसे NASA के अनुसार यह दो उपग्रह एक-दूसरे से काफी ज्यादा दूरी पर मौजूद थे, परंतु आकस्मिक रूप से इन दोनों के अंदर धीरे-धीरे दूरी कमती गई | इसके कारण दोनों के अंदर टक्कर होने का खतरा भी बढ़ता गया |

Path of the two satellites.
दो उपग्रहों का अंतरिक्ष में पथ (टकराने के कगार पर ) | Credit: Space.com.

टक्कर का पृथ्वी पर प्रभाव :-

अगर यह दो उपग्रह आपस में टकरा जाते तो (2 satellites nearly missed colliding) इसका हानिकारक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ना पूर्ण रूप से स्वाभाविक हैं | जैसा की मैंने पहले भी कहा हैं, अगर यह टक्कर दुर्घटना के रूप में परिवर्तित हो जाता तो इससे निकलने वाले छोटे-छोटे परंतु बहुत सारे डेब्रीस के टुकड़े पृथ्वी के वातावरण में फैल जाते | मित्रों ! अंतरिक्ष में मौजूद छोटे से कुछ इंचों का ही डेब्रीस का टुकड़ा किसी भी अंतरिक्ष में कई बड़े छेद करने में सक्षम होते हैं |

इसके अलावा ध्यान में रखने वाली बात यह भी है की, इस टक्कर से निकलने वाला मलवा पृथ्वी के वातावरण के अन्य-अन्य स्तरों के अंदर फैल जाता जिससे पृथ्वी के वायुमंडल के निचली स्तर में चलने वाले वायु परिवहन का व्यवस्था काफी ज्यादा प्रभावित होता | क्योंकि मलबे के टुकड़ों से हवाई जहाजों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता हैं |

वैज्ञानिक कहते हैं, अंतरिक्ष में अगर कोई भी चीज़ जाती है तो वह बहुत ही लंबे समय तक वह मौजूद रहती हैं | टक्कर से पैदा होने वाला मलवा आने वाले कई दशकों तक अंतरिक्ष में मौजूद रहता और आने वाले अंतरिक्ष के मिसनों को प्रभावित करता | वैसे गौरतलब बात यह भी है की, ज़्यादातर उपग्रह टक्कर के बाद में होने वाले खतरों का कारण नहीं बनते हैं | परंतु उन ऊपग्रहों के अंदर मौजूद खतरनाक और पुराने पैलोड इसका मूल कारण बनते हैं |

आमतौर पर पूरे अंतरिक्ष के अंदर मौजूद पैलोड धातुओं और कई इलेक्ट्रोनिक पुर्जों से बनी हुई होती हैं | जिसमें समय के चलते काफी सारे प्रतिक्रिया होती रहती हैं | इसी कारण से कौन सा पुर्जा कब इन अक्षम उपग्रहों से बाहर की और निकल पड़े इसके बारे में कोई भी कुछ नहीं कह सकता हैं | बहरहाल है की अब की बार यह खतरा टल गया हैं |

निष्कर्ष – Conclusion :-

वैसे और एक बात इस लेख में आपको जान लेनी चाहिए और वह यह है की, टक्कर से बाल-बाल बचे दोनों ही उपग्रहों का आकार लगभग एक ट्रक के आकार के समान ही हैं | इसका आकार लगभग 11.8 फीट x 10.6 फीट x 6.7 फीट हैं | तो, आप इससे अब बेहतर ढंग से अंदाजा लगा ही सकते है की, इस टक्कर से कितने सारे छोटे-छोटे मलबे के तुकड़ें निकल सकती हैं | खेर एक अनुमान से यह पूरे पृथ्वी के आकाश में फैलने के लिए काफी हैं | अगर यह अमेरिका के सहर के ऊपर भी फटता है तो इसका प्रभाव भारत के ऊपर भी पड़ेगा |

वैज्ञानिकों का यह भी कहना है की, आने वाले समय इस तरीके से खतरे आते रहेंगे क्योंकि अंतरिक्ष विज्ञान की आधुनिकता के साथ ही साथ अंतरिक्ष में अक्षम उपग्रहों (2 satellites nearly missed colliding)  तथा अन्य वैज्ञानिक उपकरणों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा हैं | अगर इसके बारे में अभी से कुछ नहीं किया गया तो आगे इसके घातक परिणामों के लिए हमें तैयार रहना पड़ेगा | आपका इसके बारे में क्या कहना हैं ? जरूर ही बताइएगा |

वैसे मेँ आपको और भी बता दूँ की, पृथ्वी के भांति ही अंतरिक्ष में फैलने वाली इस प्रदूषण का मूल कारण इंसान की स्वार्थी चाहत हैं | हमें अब समझना होगा की अब हमें इसके लिए समय रहते ही कुछ करना पड़ना पड़ेगा | नहीं तो बाद में इसी तरह के उपग्रह कब हमारे सर के ऊपर फटेंगे और हमारी इंसानी सभ्यता को ही नष्ट कर डालेंगे यह तो शायद ही समय ही जानता होगा |

Source :- www.livescience.com.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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