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हम कभी भी वर्तमान में नहीं देख सकते हैं तो भविष्य की बात ही छोड़ दें

Speed of light limitation in Hindi  – दोस्तो, जब हम बात ब्रह्माण्ड की करते हैं, तो उसे देखने के लिए हमें एक टेलिस्कोप की जरूरत तो पड़ती ही है, ऐसे में जितना शक्तिशाली टेलिस्कोप होगा उतना ही बेहतर आप ब्रह्मांड में मौजूद तारों, ग्रहों और आकाशगंगायों  को देख पायेंगे। पर टेलिस्कोप में भी एक दिक्कत होती है, वे फिलहाल केवल बहुत बड़े Objects जैसे की Galaxies, Nebula और उनके समूहों को ही देख सकते हैं, ऐसे में अगर आपको दूर स्थित किसी ग्रह को देखना हो तो हमारे आज के सभी Telescope ऐसा करने में सझम नहीं है।

प्रकाश की गति

Source – Shutterstock

ये तो आप जानते ही हैं कि इस ब्रह्मांड में जो सबसे तेज स्पीड है वह लाइट की स्पीड ही है, ये एक सेकेंड में करीब 3 लाख किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। कमाल की बात तो यह है कि इस स्पीड को केवल वही Objects हासिल कर सकते हैं जिनके पास अपना कोई Mass नही है या कहें जिनका Mass जीरो है, भौतिक रूप में देखे तो ऐसी कोई भी चीज़ नहीं है जिसका मास जीरो हो सकता है।

पृथ्वी के एक सेकेंड 7.5 चक्कर

ये केवल लाइट की किरणों, जिसमें रेडियो वेव्स, माइक्रोवेव्स इंफ्रारेड, ऐक्स-रे और गामा रे आती हैं जीरो मास की होती हैं। हमारे ब्रह्मांड में यही एक मात्र लिमिट है कोई भी चीज़ लाइट की स्पीड से तेज नहीं चल सकती है। ये स्पीड हमें देखने में तो बहुत ज्यादा लगती है क्योंकि  3 लाख किलोमीटर का मतलब है कि पृथ्वी के एक सेकेंड 7.5 चक्कर लगाना पर ब्रह्मांड के स्केल पर ये भी बहुत छोटी पड़ जाती है।

प्रकाश और भूतकाल

दो दोस्त एक मीटर की दूरी से बात करें तो उनमें 3.3 नैनोसेंकेड का अंतर होता है

अगर आप इस स्पीड पर गौर करें तो पायेंगे कि जो भी चीज़ हम देखते हैं या कोई संदेश भेजते हैं वह सब इसी स्पीड से बंधे हुए हैं, जैसे की अगर आप आपने दोस्त को एक मीटर की दूर से देख रहे हों तो आपके देखने की क्षमता लाइट की सपीड से ही टिकी हुई है तो ऐसे में आपके दोस्त से जो लाइट टकराकर आपकी आँखो में गई उसे आप तक पहुँचने में 3.3 नैनोसेंकेड का समय लगा जिसका मतलब है की आपका दोस्त आपको एक अरबें हिस्से में दिखाई दिया दूसरे शब्दों में कहें तो उसे देखने में आपको 3.3 नैनौसकेंड भूतकाल में जाना पड़ा।

– प्रकाश की गति और सापेक्षतावाद : Speed Of Light And Theory Of Relativity

हम हमेशा भूतकाल में ही देखते हैं

इसे और अच्छे से समझने के लए हम चांद का उदाहरण लेते हैं, पृथ्वी से चांद की दूरी  3 लाख 86 हजार किलोमीटर है और यहां तक लाइट को पहुँचने में करीब 1.3 सेकेंड लगेंगे यानि की अगर आप चांद को टेलिस्कोप से धरती से देख रहे तो यह आपको 1.3 सेकेंड पुराना दिखाई देगा क्योंकि लाइट को वहां से आपतक पहुँचने में 1.3 सेकेंड का समय लगता है। इसलिए वैज्ञानिक कहते हैं कि इस ब्रह्मांड में आप जो भी चीज़ या वस्तू देखते हैं वह आप पास्ट यानि की भूतकाल में ही देखते हैं, आप कभी भी वर्तमान , प्रसेंट में नहीं देख सकते हैं क्योंकि लाइट को आप तक पहुँचने में हर बार कुछ ना कुछ समये जरूर लगेगा और इसी वजह से वह चीज़ आपको पास्ट में दिखाई देगी।

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Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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