इंसान के अंदर कई अच्छे गुण मौजूद हैं, परंतु कई बार ऐसे परिस्थितियाँ बन जाती है की इंसान जानवर से भी खूंखार बन जाता है। ऐसे-ऐसे काम करता हैं की खुद इंसान भी सोच कर अंदर से कांप उठता हैं। जब किसी इंसान के अंदर जानवर प्रवृत्ति जाग उठता हैं तब वो दुनिया का सबसे बदकिस्मत और बदनसीब प्राणी बन जाता हैं और ऐसे ही हालातों में द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) जैसी घिनौने युद्ध को अंजाम देता हैं। मित्रों! हमेशा ध्यान रखें की लड़ाई-झगड़े और युद्ध से जितना हो सके बचें क्योंकि युद्ध में भला होने से ज्यादा विनाश होता है।
द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) सिर्फ युद्ध नहीं था ये इंसानी सभ्यता के लिए एक अभिशाप था, जिसने की पूरे पृथ्वी को अपने आक्रोश की ज्वाला में जला दिया था। इंसान-इंसान को ही मार रहा था और चारों और अराजकता और अत्याचार की खबरें सुनने को मिल रही थी। पृथ्वी टैंक के गोलों और धमाकों से निकलती हुई बारूद की गंध से भर गया था। जहां भी जाओ बस लाशों का ढेर और खून की नदियां देखने को मिलती थी। शांति और सहनशीलता जैसे हर एक के दिल में लुप्त सा हो गया था।
ऐसे में दोस्तों! द्वितीय विश्व युद्ध को हुए 75 साल बीत चूकें हैं, परंतु आज भी इस युद्ध से जुड़ी बातें हमारे रोंगटे खड़ी करवा देती हैं। इसलिए आज का विषय इसी विश्व युद्ध से जुड़ी हैं क्योंकि इसके विषय में जानकर इससे सीख लेना हर एक इंसान के लिए महत्वपूर्ण है।
द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ बहुत ही अनजान व क्रूरता से भरी बातें! – World War Two Facts In Hindi :-
मित्रों! मेंने लेख के इस भाग में धीरे-धीरे एक-एक करके द्वितीय विश्व युद्ध (wolrd war two facts in hindi) से जुड़ी कई बातों को बताया हैं तो आप लोगों से अनुरोध हैं की इसे थोड़ा धैर्य के साथ पढ़िएगा।
1. 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद भी ये जापानी सिपाही 1974 तक युद्ध लढता रहा! :-
पूरी दुनिया गवाह हैं की, द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सिपाहियों से ज्यादा क्रूर और आज्ञाकारी सिपाही शायद ही कोई हो। इंपेरियल जापानीज़ आर्मी का एक सिपाही Hiroo Onoda युद्ध विराम के बाद भी 1974 तक अपने दम पर लढता रहा है। 1945 में फिलीपींस में एक मिशन के लिए ओनोदा को भेजा गया था और कहा गया था की किसी भी हाल में वो समर्पण न करें।
अपने इसी कमांड के कारण वो 1974 तक लढता रहा पर जब उसे पता चला की युद्ध 1945 में खत्म हो चुका है तब उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। बाद में उसे उसी साल यानी 1974 में अपने भूत पूर्व कमांडिंग ऑफिसर से ऑर्डर मिला की वो अपने ड्यूटि से विराम ले जाए। तब जा कर वो अपने काम से सेवानिवृत्त हुआ था।
2. हिटलर का सबसे बड़ा दुश्मन खुद उसका भतीजा था! :-
द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) से जुड़ी ये बात आपको सबसे ज्यादा संशय में दाल देगा, क्योंकि बात ही कुछ ऐसा है। क्या आप कभी सोच सकते हैं की, हिटलर का सबसे बड़ा दुश्मन खुद उसका भतीजा William Patrick Hitler होगा। वो अपने चाचा हिटलर से काफी नफरत करता था।
इसलिए युद्ध के दौरान उसने अमेरिकी नौ सेना में अपना योग दान दे कर अपने वीरता को दिखाया। उसे अपनी वीरता के लिए कई सारे सेना मेडल भी मिला। खैर युद्ध खत्म होने के बाद उसने अमेरिका के एक शांति प्रिय जगह पर अपनी बाकी बचे जीवन को बिता दिया।
3. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान George HW Bush आदमखोरों से बाल-बाल बचें थे! :-
युद्ध के दौरान George HW Bush को जापानी सेना के ऊपर विमान के जरिये बम बरसा’ने का मिशन मिला था। खैर जापानियों के ऊपर बम गिराते-गिराते उनका विमान एक गोले से जा टकराया जिससे उनका विमान पूरे तरीके से नष्ट हो गया था। गनीमत हैं की विमान नष्ट होने के बाद उनको उनके मित्र सेना ने सबसे पहले खोज लिया था। क्योंकि उनके विमान दल के बाकी सदस्य आदमखोर जापानियों के हाथ में पड़ गए थे, जिनको की जापानियों ने बड़े ही चाव से खा लिया था।
4. एक जर्मन सिटी ने अपनी चालाकी से खुद को बचा लिया था! :-
Konstanz नाम का एक जर्मन सिटी अपने दिलेरी के वजह से बाल बाल बचा था। कहने के तात्पर्य ये हैं की, युद्ध के दौरान Air Raid से बचने के लिए अकसर नगर में लगे सारे बत्तियों को बुझा दिया जाता था, परंतु Konstanz के नागरिक उस समय नगर में लगे बत्तियों को बंद नहीं किया।
जिससे मित्र सेना ने समझा की ये कोई जर्मन नगरी नहीं है और उसके ऊपर अपना बम नहीं बरसाया। ऐसे करके एक पूरी नगरी तबाह होने से बच गया था।
5. द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे साहसी योद्धा, Adrian Carton De Wiart! :-
प्रथम विश्व युद्ध में अपने जलवे दिखा चुके Adrian Carton De Wiart के लिए द्वितीय विश्व (world war two facts in hindi) युद्ध भी अपने साहस को और एक बार दिखाने का एक अच्छा मौका था। युद्ध में उन्होंने ने अपना एक हाथ और एक आँख खो दिया था। इसके अलावा उनके सर, मुंह, पैर और जांघ पर भी गोलियां लगी थी।
6. विश्व युद्ध में एक ही जहाज दो-दो बार डूबा था! :-
SMS Wien नाम का एक Australian Navy का जहाज युद्ध में अपने बदकिस्मती को लेकर काफी असुविधा में पड़ी। 1918 के प्रथम विश्व युद्ध में ये जहाज एक बार डूब चुकी थी। इसे दुबारा पानी में से निकाला गया और Italian Navy में भर्ती किया गया। बाद में इसे मित्र सेना ने एक बार फिर नष्ट कर के डुबो दिया गया।
मित्रों! बता दूँ की ये जहाज इकलौता ऐसा जहाज है जो की दोनों ही विश्व युद्ध में डूबा था। वाकई में युद्ध के दौरान लोगों को कैसे-कैसे घटनाओं का सामना करना पड़ रहा होगा।
7. एक ऐसा गुप्तचर (Spy) जिसने नाजियों को उल्लू बनाया था! :-
Juan Pujol Gracia नाम के एक व्यक्ति ने कई सालों तक नाजियों को अपनी चालाकी से उल्लू बनाया था। वैसे बात ये हैं की, Juan एक नाजी गुप्तचर था परंतु वो गुप्त रूप से ब्रिटेन के लिए काम कर रहा था। खैर ये व्यक्ति अपने काम में इतना माहिर था की, नाजियों को कभी भनक तक नहीं पढ़ा की ये वो उन्हें ठग रहा है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान Juan ने कई गुरुत्व पूर्ण जानकारियों को ब्रिटेन के दिया और साथ-साथ नाजियों को झूठे तथ्य दे कर गुमराह करता रहता। तो, आप अंदाजा लगा सकते हैं की ब्रिटेन के गुप्तचर उस समय कितने शातिर हुये होंगे।
8. नाजियों ने अंतरिक्ष से हमला करने के लिए एक “Space Weapon” की इच्छा जताई थी! :-
आप मानो या न मानो परंतु नाजियों में कुछ तो बात थी, क्योंकि अगर हम इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो नाजी वैज्ञानिकों की अभूतपूर्व इच्छाओं को सुन कर आप चौंक जायेंगे। खैर अब मेँ जो भी बोलूँगा उसे सुनकर आप अपने कुर्सी से उठ खड़े हो जायेंगे।
1940 के दशक में नाजी युद्ध वैज्ञानिकों ने “Sun Gun” नाम के एक स्पेस वीपन को बनाने का सोचा था। इस हथियार से उनका मानना था की वो सूर्य के किरणों को एक लेंस के जरिये एक जगह पर केंद्रित कर के बड़े-बड़े सहर और महासागरों को भांप बना कर उड़ा देंगे।
हालांकि! इसे बनाने का काम बाद में काफी मुश्किल साबित हुआ।
9. “चर्चिल” की सुरक्षा के लिए एक खास “Pod” को बनाया गया था! :-
ब्रिटेन के उस समय के प्रधान मंत्री “Winston Churchil” के सुरक्षा के लिए कई लोग काफी चिंतित थे। युद्ध के दौरान अचानक उन्हें कई जगहों पर जाना पड़ता था और उस समय वो काफी बूढ़े भी हो चुके थे। लगातार काफी समय तक विमान की यात्रा उनके शरीर के लिए नुकसान दाई था, इसलिए उनके सुरक्षा के लिए एक खास “Pod” को बनाया गया था। जिसके अंदर वो आसानी से रह पायें।
वैसे इसे कभी इस्तेमाल किया नहीं गया, क्योंकि ये Pod चर्चिल के बीमान के अंदर कभी घुस नहीं पाया।
10. सबसे पहले जर्मन सिपाही की मौत एक जापानी सिपाही के हाथों हुई थी! :-
द्वितीय विश्व युद्ध में (world war two facts in hindi) जर्मनी और जापान एक दूसरे के सहयोगी थे। परंतु क्या आप जानते हैं, पहले जर्मन सिपाही की मौत एक जापानी सिपाही के हाथों ही हुआ था। वाकई में ये बात कई लोगों को पता ही नहीं होगा।
11. पहले अमेरिकी सिपाही की मौत भी रूसी सिपाही के हाथों हुई थी! :-
फिर से आपको जानकर हैरानी होगा की, पहले अमेरिकी सिपाही की मौत अपने सहयोगी सेना के रूसी सिपाहियों के द्वारा ही हुआ था।
12. पूरे यूरोप के अंदर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सबसे ज्यादा मित्र सेना के “Bomber Crewmen” मारे गए थे! :-
युद्ध में Bomber विमानों का काफी अहम हिस्सा रहा हैं। ये वो विमान थे जो की सबसे पहले दुश्मन के द्वारा कब्जे किए गए जगहों पर जा कर बॉम्ब बर्साते थे। खैर इसी कारण से इनके ऊपर अकसर काफी हमले होते थे। पूरे यूरोप में मित्र सेना के 100,000 से ज्यादा बम्बर क्रूमैन मारे गए थे।
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अमेरिकी वायु सेना के सबसे ज्यादा लोग मारे गए थे! :-
आपको जानकर हैरानी होगी की द्वितीय विश्व युद्ध मै अमेरिकी मरीन कॉर्पस से ज्यादा लोग अमेरिकी एयर कॉर्पस में मारे गए थे, जबकि युद्ध में अमेरिकी मरीन कॉर्पस ज्यादा सक्रिय थी।
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Stanisława Leszczyńska नाम की एक महिला ने 3,000 से ज्यादा बच्चों को नाजी कैंप में मरने से बचाया था! :-
Stanisława Leszczyńska नाम के महिला ने 3,000 से ज्यादा यहूदी बच्चों को Auschwitz में स्थित नाजी Concentration Camp में मरने से बचाया था। आज उनके नाम से पोलैंड में कई सारे हॉस्पिटल और क्लीनिक मौजूद हैं।
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1941 में युद्ध के दौरान पूरे अमेरिका में 30 लाख से ज्यादा कार बनीं थी! :-
1941 में अमेरिका में युद्ध के होने के बाद भी 30 लाख से ज्यादा कारें बनी थी परंतु युद्ध के चलते अमेरिका को छोड़ कर पूरे विश्व में केवल 139 कारें ही बन पायी थी।
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युद्ध में मरे हर 5 जर्मन सिपाही में से 4 सिपाही पूर्वी मोर्चे (Eastern Front) पर ही मरे थे! :-
आपको लोगों को जानकर हैरानी होगी की युद्ध के दौरान ज्यादा जर्मन सिपाही रूसीयों के द्वारा पूर्वी मोर्चे पर मारे गए थे। तो आप सोच लीजिए की कई बार हारने के बाद भी रुस कितने वीरता के साथ लढ कर जर्मन सेना को खदेड़ा था।
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1923 के सोवियत यूनियन में जन्में 20% पुरुष ही द्वितीय विश्व युद्ध में जिंदा रह पाये! :-
पुरुषों से महिलाएं इसलिए ज्यादा लंबे समय तक जिंदा रह पाते हैं, क्योंकि औसतन महिलाएं पुरुषों से कम खतरों का सामना करती हैं। यही नतीजा हैं की द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होते-होते सोवियत यूनियन के सिर्फ 20% पुरुष ही जिंदा रह पाये जो 1923 में जन्में हो।
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12 साल की उम्र में युद्ध में लढने के लिए आतुर था ये अमेरिकी सिपाही! :-
Calvin Grahman नाम का ये सिपाही द्वितीय विश्व युद्ध (world war two in hindi) में सबसे कम आयु वाला सिपाही था। केवल 12 साल की उम्र में इसने अमेरिकी सेना जॉइन कर लिया था। हालांकि! जॉइन होने के लिए उसने अपने आयु के बार में झूठ बोला था। वैसे जब वो युद्ध में जख्मी हुआ तब जा कर उसके असल आयु के बारे में पता चल पाया।
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युद्ध में “U-बोट” में काम करने वाले हर 4 मे से सिर्फ एक आदमी ही बच पाता था! :-
युद्ध इतना भयानक था की इसके बारे में सुनने के बाद लोगों की पसीने आज भी छूट जाती है। वैसे युद्ध में इस्तेमाल होने वाले “U-बोट” में जीतने भी लोग काम किया करते थे उनमें से बहुत ही कम लोग बच पाये। कहने का तात्पर्य ये हैं की, यू बोट के हर 4 आदमी में से सिर्फ एक आदमी ही जिंदा बच पाता था।
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पूरे विश्व युद्ध में सबसे ज्यादा रूसी सिपाही ही मारे गये! :-
कुल मिला कर देखा जाए तो पूरे विश्व युद्ध में सबसे ज्यादा रूसी सिपाही ही मारे गये। आंकंडे देखें तो इस युद्ध में लगभग 2.7 करोड़ से ज्यादा रूसी सिपाही जान गवाए होंगे, हालांकि! इसकी औपचारिक पुष्टि आज भी नहीं मिलती है।
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हिटलर और मशहूर कार निर्माता “Henery Ford” एक दूसरे के काफी अच्छे मित्र थे! :-
जहां! पूरी दुनिया हिटलर को पसंद नहीं करती थी वहाँ प्रसिद्ध अमेरिकी कार निर्माता “Henery Ford” हिटलर के एक खास मित्र थे।
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जापान के सबसे बड़े गुप्तचर संस्था का मुख्यालय जापान में नहीं “मेक्सिको” में था! :-
कई लोगों को सोचने में ये चीज़ मजबूर कर देगा की, द्वितीय विश्व युद्ध में (world war two facts in hindi) जापानी गुप्तचर संस्थान का मुख्यालय मेक्सिको में आखिर कैसे पहुंचा। खैर इसके बारे में अभी भी कई सारे विवाद जारी है।
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रूस में युद्धबंदियों की मरने की औसत 85% भी ज्यादा था! :-
रूस में सबसे ज्यादा युद्धबंदियों की मौतें होती थी, क्योंकि ज़्यादातर रूसी सिपाही युद्धबंदियों को साइबेरिया जैसे बीहड़ों में रखते थे जिससे इन कैंप में मरने का दर 85% से भी ज्यादा था।
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द्वितीय विश्व युद्ध का पहला बॉम्ब मित्र सेना के द्वारा गिराया गया था! :-
द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे पहला बॉम्ब मित्र सेना के द्वारा जर्मनी के “बर्लिन” में गिराया गया था जिससे एक चिड़िया घर में मौजूद एक हाथी की ही मौत हुई थी।
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अगर तीसरा परमाणु बॉम्ब गिरा होता तो उसका टार्गेट “Tokyo” होता! :-
साल 1945 में दो-दो परमाणु बॉम्ब गिराने के बाद अमेरिका अपना तीसरा परमाणु बॉम्ब “टोक्यो” में गिराने का सोच रहा था, खैर अच्छा हुआ की इस बॉम्ब को इस्तेमाल किया नहीं गया।
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पूरे विश्व युद्ध में 5 से 7 करोड़ लोगों की जान चली गई थी! :-
पूरे युद्ध में लगभग 5 से 7 करोड़ लोगों की जान चली गई थी जिसमें से ज़्यादातर नागरिक रूस, चीन, जर्मनी और पोलैंड के थे।
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नाजीयों ने बना लिया था “Plutonium” जो की परमाणु बम से भी था 1000 गुना ज्यादा खतरनाक!-
नाजीयों के मन में था की वो “Plutonium” को इस्तेमाल कर के दुनिया का सबसे खतरनाक बम बनाए, परंतु ऐसा न हो सका। जिससे दुनिया में और एक बड़ी तबाही आना संभव नहीं हो सका। मित्रों! जरा सोचिये अगर नाजियों का लक्ष पूरा हो जाता तो कितनी तबाही और होती।
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जापानियों ने बना लिया था “Death Ray” :-
नाजियों के भांति ही जापानी भी काफी क्रूर थे। उन्होंने निकोला टेसला के खोजों को आधार कर के “Death Ray” को बनाने का निर्णय लिया था। उनके मुताबिक इस हथियार को इस्तेमाल कर के वो काफी दूरी से किसी भी इंसान को बिजली के तरंगों से मार सकते थे। ये हथियार इतना खतरनाक था की अगर ये युद्ध में इस्तेमाल हो जाता तो शायद युद्ध का परिणाम भी बदला जा सकता था।
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युद्ध में सबसे ऊँचे कद के सिपाही ने सबसे कम कद के सिपाही के सामने आत्मसमर्पण किया था! :-
इतिहास गबाह हैं की, कद-काठी युद्ध में उतना मायने नहीं रखता जितना साहस रखता है, इसी कारण से तो द्वितीय युद्ध में (world war two facts in hindi) लढने वाले सबसे ऊँचे कद के जर्मन सिपाही ने मित्र सेना के सबसे कम कद के सिपाही के सामने अपना सर झुकाया था। वैसे उंचें कद के सिपाही का कद 7 फीट 6 इंच था वहाँ कम कद के सिपाही का कद 5 फीट 3 इंच का था।
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एक ऐसी लड़ाई जो आरंभ से लेकर पूरे विश्व युद्ध खत्म होने तक चला! :-
1939 से लेकर 1945 तक ब्रिटेन के नौ सेना और जर्मन के नौ सेना के बीच की लड़ाई काफी लंबा चला। इसी बीच इस लड़ाई में अमेरिकी नौ सेना और कनाडा के नौ सेना भी शामिल हुये थे। ये एक ऐसी लड़ाई थी जो की पूरे विश्व युद्ध तक लगातार चलता रहा। इस लड़ाई में जर्मन नौ सेना ब्रिटेन के जहाजों को टार्गेट कर के ब्रिटेन में रासन के सामग्रियों को पहुँचने से रोक रहे थे।
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सबसे बदकिस्मत अमेरिकी सिपाही! :-
अमेरिकी सिपाही “Charley Havlat” को सबसे द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे बदकिस्मत सिपाही कहते हैं, क्योंकि उनकी मृत्यु जर्मन आर्मी के द्वारा किए गए एक अम्बूश में हुआ था। परंतु गौर करने वाली बात ये हैं की, अम्बूश कर रहें जर्मन सिपाहियों को ये पता नहीं था की 10 मिनट पहले ही उनकी पूरी सेना ने (मई 7,1945 में) मित्र सेना के सामने घुटने टेक दिया था।
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पर्ल हार्बर पर बम बरसाने के बाद भी अमेरिकियों ने किया जापानी सिपाही का खुशी से स्वागत! :-
द्वितीय विश्व युद्ध का ये घटना (world war two facts in hindi) आपके होश जरूर ही उड़ा देगा। जापानी युद्ध विमान बेड़े के पायलट Shigenori Nishikaichi ने पर्ल हार्बर पर कई सारे बम बरसाने के बाद हवाई पर क्रैश लैंडिंग करते हैं। इस वक़्त वहाँ के स्थानीय लोग इस बात से अनजान होते हैं की, जापानियों ने पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया है।
इसी कारण उस जापानी सिपाही को स्थानीय लोग खुशी से स्वागत कर के खाना और संगीत गाने को भी देते हैं। यहाँ पर जापानी सिपाही भी खुशी से स्थानीय लोगों के साथ नाच-गाना करने लगता है।
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अमेरिकी सिपाही भी अपने बर्दि पर पहनते थे “स्वस्तिक”! :-
स्वस्तिक सिर्फ नाजियों का चिन्ह नहीं था। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले अमेरिकी सेना का “45th Infantry Division” अपने वर्दि के ऊपर स्वस्तिक चिन्ह को गुड लक के तौर पर पहनता था। हालांकि! इसे बाद में अमेरिकी सेना ने लगाना बंद कर दिया।
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पूरे विश्व युद्ध में 4 प्रमुख अमेरिकी लेफ्टिनेंट जनरल की मौतें हुई थी! :-
बता दूँ की, अमेरिकी सेना में लेफ़्टिनेंट जनरल एक उच्च श्रेणी के ऑफिसर होते हैं। इसलिए किसी भी युद्ध में इनका मरना एक बहुत ही बड़ी बात होती है। पूरे द्वितीय विश्व युद्ध में सिर्फ 4 लेफ़्टिनेंट जनरल ही शहीद हुये थे।
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राजकुमारी एलिज़ाबेथ युद्ध में मैकेनिक और ड्राईवर का काम करीं थी! :-
ब्रिटेन की राजकुमारी “Elizabeth” ने द्वितीय विश्व युद्ध में एक मैकेनिक और ड्राईवर का काम करती थी, जो की शायद ही किसी को पता हो।
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हिटलर के प्राइवेट ट्रेन का नाम “Amerika” था :-
बहुत सारे लोगों को ये बात अवश्य ही चौंका देगा क्योंकि ये बात वाकई में सोच से परे है। जो हिटलर अमेरिका को इतना घृणा करता था उसी के ही प्राइवेट ट्रेन का नाम “Amerika” था। तो, अब आप ही बताइए क्या कोई इस बात को कभी सोच पाएगा।
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हिटलर ने खुद अपने सेना के 84 जनरल को मारा था! :-
हिटलर वाकई में एक बहुत ही क्रूर शासक था और काफी स्वार्थी भी था। उसने अपने सेना के ही 84 उच्च श्रेणी के जनरल्स को मारने का आदेश दिया था। हालांकि! इनमे से ज़्यादातर जनरल हिटलर को गद्दी से उठाने की साजिश में पकड़े गए थे।
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द्वितीय विश्व युद्ध में बायो-वेपन को इस्तेमाल करने से खुद हिटलर ने ही मना किया था! :-
यहाँ पर आपको हिटलर की थोड़ी इंसानियत आपको नजर आएगी। हिटलर ने खुद द्वितीय विश्व युद्ध में (world war two facts in hindi) कोलेरा और टाइफ़ाइड जैसी किसी प्रकार के बायो-वेपन को इस्तेमाल करने से साफ-साफ मना कर दिया था क्योंकि वो खुद इसकी दुर्दशा को प्रथम विश्व युद्ध में भुगत चुका था।
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नाजियों ने इंग्लैंड पर कीड़ों के जरिये हमला करने का सोच रखा था! :-
नाजियों के मन में पता नहीं कौन सा ख्याल कब आ जाए। नाजी के वैज्ञानिक इंग्लैंड पर “Potato Beetle” से हमले करने का सोचा था, इससे पूरे इंग्लैंड में सूखा पड़ जाता और लोग बिना फसल के वैसे ही भूख से मर जाते। खैर नाजियों का ये साजिश भी नाकाम रहा।
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जर्मनी में बने Uranium से ही हिरोशिमा में गिराया गया परमाणु बम बना था! :-
1945 में हिरोशिमा के ऊपर जो परमाणु बम गिरा था उसमे इस्तेमाल होने वाला यूरानियम जर्मनी में ही बना था जो की अमेरिका ने एक लड़ाई में हासिल कर लिया था। कितना अजीब इत्तफाक हैं न दोस्तों!
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एक अमेरिकी सिपाही ने एक साथ 100 जापानी सिपाही के साथ लढा था! :-
अमेरिकी सिपाही John R. McKinney ने युद्ध के दौरान अकेले 100 से ज्यादा जापानी सिपाहियों का सामना किया था। इसी लड़ाई में उन्होंने अकेले 38 से भी ज्यादा जापानियों को मारा था।
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एक ऐसा सिपाही जो हर किसी के लिए लड़ाई करता था! :-
मित्रों! मेँ अब आपको द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) की एक ऐसी घटना के बारे में बताने वाला हूँ जो की काफी ज्यादा अजीब था। Yang Kyoungjong नाम का एक कोरियाई सिपाही पूरे युद्ध के दौरान जापान, सोवियत और जर्मनी के लिए लढा था।
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युद्ध में Coca-Cola पीना सिपाहियों के लिए बहुत ही जरूरी हो गया था! :-
युद्ध में लढ रहें सिपाहियों को Coca-Cola बहुत ही पसंद था, इसलिए कई सारे देश की सेना में इसे एक महत्वपूर्ण चीज़ की तरह देखा जा रहा था।
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द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारंभिक हिस्से में फ़्रांस की आर्मी सबसे बड़े आर्मीयों में से एक थी जो की हारी थी! :-
फ्रांस की आर्मी उस समय काफी विशाल थी, हालांकि इसके बावजूद वो जर्मनी के सामने हार मान गई थी।
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युद्ध के दौरान सबसे बड़ा लोगों का निकास (Evacuation) “Dunkirk” में हुआ था! :-
Dunkirk में किए गए निकास की प्रक्रिया में कुल 193,000 से ज्यादा ब्रिटिश और 145,000 से ज्यादा फ्रेंच सिपाहियों को निकाला गया था। इस मिशन में रॉयल नेवी की 200 से ज्यादा जहाजों की मदद ली गई थी और 600 से ज्यादा वॉलंटियर जहाज भी इसमें शामिल थे।
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Dunkirk के बाद भी हुआ था एक बहुत बड़ा Evacuation :-
डनकिर्क के बाद भी उसी साल जून में फ़्रांस से मित्र सेना के लगभग 191,000 सिपाहियों को निकाला गया था।
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जर्मन सेना के कारण 8,000,000 से ज्यादा फ्रेंच लोगों को अपने घर से भागना पड़ा था! :-
1940 के गर्मी में जब जर्मन सेना ने फ़्रांस की उत्तरी हिस्से को अपने कब्जे में लेना शुरू किया तो लगभग 8,000,000 से ज्यादा लोगों को अपने घर से दूर केंप में जाना पड़ा था।
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फ्रांस को पूरे तरीके से अपने कब्जे में लेने के लिए जर्मनी ने 33 लाख से ज्यादा सिपाहियों को भेजा था! :-
भारी संख्या में सिपाहियों को जर्मनी ने फ्रांस में भेजा था जो की तादाद में 33 लाख से भी ज्यादा थे। वैसे इसमें से 3,60,000 सिपाहियों की मौतें युद्ध के भूमि में ही हो गई थी और 19 लाख से ज्यादा सिपाहियों को युद्धबंदी बनाया गया था।
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जर्मन सशत्र बलों से जूझने के लिए ब्रिटेन ने बनाया था अपना खुद का सुरक्षा कवच “Dowding System”! :-
इस सुरक्षा कवच “Dowding Syatem” के जरिये बब्रिटेन को दुश्मन बीमान के बारे में पहले से पता चल जाता था जिससे वो आक्रमण के लिए काफी तेजी से तैयार हो पाता था।
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1949 तक ब्रिटेन ने अपने 1,960 विमानों को खो दिया था! :-
1940 होते-होते ब्रिटेन ने अपने 900 फाइटर प्लेन, 560 बंबर्स और 500 कोस्टल प्लेन को युद्ध में खो चुका था।
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द्वितीय विश्व युद्ध का पहला एयर रेड “Mannheim” पर हुआ था! :-
द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) का पहला एयर रेड 16 दिसंबर 1940 को “Mannheim” के ऊपर हुआ था।
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एक साथ 1000 बंबर प्लेन के द्वारा हमला सिर्फ “Cologne” में हुआ था! :-
एक ऐतिहासिक हमले की तौर पर 30 मई 1942 में हुआ हमला आज भी भूलना मुश्किल हैं। इस हमले में एक साथ 1000 बंबर प्लेन ने इटली के Cologne सहर पर हमला किया था।
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बर्लिन में मित्र सेना के द्वारा किए गए बमबारी में काफी नुकसान झेला था! :-
युद्ध के आखिरी हिस्से में मित्र सेना के द्वारा बर्लिन पर किए गए बमबारी में 60,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।
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पूरे युद्ध में 600,000 जर्मन नागरिकों की जान चली गई थी! :-
द्वितीय विश्व युद्ध में (world war two) कुल 600,000 जर्मन आम नागरिकों की जान चली गई थी।
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मध्य अफ्रीका में लढ़ी गई एक नामुमकिन लड़ाई! :-
मध्य अफ्रीका में एक समय ऐसा भी था जहां मित्र सेना के मात्र 36,000 सिपाही ही थे जो की 215,000 इटालियन सिपाहियों से लढ़े थे।
56. 1941 में ईराक पर भी जर्मन ने कब्जा कर लिया था! :-
अप्रैल 1941 में जर्मन के द्वारा निर्मित एक सरकार ने ईराक पर भी अपना कब्जा कर लिया था, वैसे ये बातें बहुत ही कम लोगों को पता होगा।
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एक ऐसी लड़ाई जिसमें ब्रिटेन को काफी भारी नुकसान हुआ था! :-
Operation Tiger एक ऐसी लड़ाई थी जिसमें ब्रिटेन को काफी भारी नुकसान झेलना पड़ा था, इस लड़ाई में ब्रिटेन के 91 टेंकों को जर्मन के 12 टेंकों ने नष्ट कर दिया था।
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जर्मनी और जापान के लिए बना 1941 एक विनाशक साल! :-
1941 के जनवरी से लेकर अगस्त तक जर्मनी और जापान ने कुल 90 जहाजों को खो दिया था, जो की दोनों ही देशों के लिए काफी भारी नुकसान था।
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1941 में सोवियत ने किया ईराक पर हमला! :-
25 अगस्त 1941 में सोवियत और ब्रिटेन की सेना ने ईराक पर हमला किया।
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Almein पर 1942 में हुआ मित्र सेना का एक बहुत बड़ा हमला! :-
मित्र सेना ने 1942 में Almein पर हमला कर के एक बहुत बड़े जगह को अपने कब्जे में लिया था।
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नॉर्थ अफ्रीका की लड़ाई आखिरी में ऐसे खत्म हुई! :-
12 मई 1943 में नॉर्थ अफ्रीका की लड़ाई जर्मनी के सेना के समर्पण के साथ खत्म हुआ। समर्पण के दौरान नाजी सेना की 250,000 सिपाही और 12 जनरल शामिल थे।
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नाजी सेना लोगों को तड़पा-तड़पा कर मारती थी! :-
1939 में नाजी सेना ने लोगों को कार्बन डाइऑक्साइड के गैस से मारती थी। कार्बन डाइऑक्साइड गैस को चेंबर में डाल कर लोगों को तड़पा-तड़पा कर मारा जाता था।
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जर्मन अपाहिजों को भी नाजी सेना मार देती थी! :-
1941 के अगस्त तक खुद नाजी सेना अपने ही लोगों को मारती रहीं। वैसे इन लोगों में से ज़्यादातर मानसिक या शारीरिक रूप से अपाहिज थे।
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Nazi Hunger Plan ने काफी सारे सोवियत सिपाहियों की जान ले ली थी जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते! :-
जर्मनी की सेना के द्वारा 1941 में किए गए हंगर प्लेन ने सोवियत सेना के 2000,000 सिपाहियों की जान ले ली थी।
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नाजी सेना लोगों को मार कर अपने जरूरत की सामानों को पूरा करती थी :-
द्वितीय विश्व युद्ध में (world war two facts in hindi) अपने जरूरत की सामानों को पूरा करने के लिए नाजी सेना लोगों को सारे आम मार देती थी।
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Holocaust में 6,000,000 से ज्यादा यहूदियों की मौत हुई थी! :-
नाजी सेना के द्वारा Holocaust में 6,000,000 से ज्यादा यहूदियों को मारा गया था।
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ब्रिटेन का पहला पंडुब्बी खुद मित्र सेना ने ही डुबोया था! :-
सितंबर 10 1939 को HMS Oxley नाम के पंडुब्बी को मित्र सेना के ही HMS Triton ने डुबोया था। रिपोर्ट में पता चलता हैं की HMS Oxley को यू-बोट समझ कर ही हमला किया गया था।
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जर्मन युद्ध पोत ने अमेरिकी कार्गो शिप को अपने कब्जे में ले लिया था :-
द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) की एक दिलचस्प घटना के बारे में मेँ आपको बताता हूँ। 1939 में जर्मन के युद्ध पोत ने अमेरिकी कार्गो शिप पर कब्जा कर लिया था।
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1940 में ब्रिटेन ने खोये थे अपने सबसे ज्यादा युद्ध पोतें! :-
1940 के वसंत ऋतु में जर्मन यू-बोट्स के द्वारा 27 से ज्यादा रॉयल नेवी के जहाजों को डुबोया गया था।
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लड़ाई में ब्रिटेन ने 1940 तक 2,000,000 टन से ज्यादा राशन को समंदर में खो दिया था! :-
ब्रिटेन के साथ जर्मनी की ऐसी जंगें हुई की ब्रिटेन युद्ध प्रारंभ होने के केवल एक ही वर्ष के अंदर 2,000,000 से ज्यादा टन के राशन को समंदर में खो चुका था।
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1940 में अमेरिका ने 50 युद्ध पोतें ब्रिटेन को लढने के लिए दिया था! :-
ये बात सच हैं की 1940 में अमेरिका ने ब्रिटेन को 50 से ज्यादा युद्ध पोतें दी थी, परंतु इसके बदले अमेरिका ने ब्रिटेन अधिकृत जगहों पर अपना बेस बनाने का हक लिया था।
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द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे खूंखार यू-बोट ड्राईवर “Otto Kretschmer” :-
कहा जाता हैं की, Otto Kretschmer ने अपने यू-बोट के जरिये 37 से ज्यादा जहाजों को डुबो दिया था।
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27 मई 1941 को जर्मनी के सबसे लोकप्रिय युद्ध पोत “The Bismarck” के ऊपर हुआ हमला! :-
27 मई 1941 को HMS Ark Royal जहाज के बम बरसाने वाले विमानों ने “The Bismarck” के ऊपर हमला करके उसे पूरी तरीके से ध्वस्त कर दिया था।
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1942 में जर्मनी ने अपने “Naval Enigma” को फिर से सुधारा! :-
1942 फरवरी के महीने में जर्मनी ने अपने Enigma मशीन के कोड्स को पूरे तरीके से नया करवा दिया था।
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पर्ल हार्बर में जापानियों ने मचाई ऐसी तबाही, जो की अमेरिका कभी भूल नहीं सकता! :-
पर्ल हार्बर के हमले में अमेरिकी नौ सेना के 2 युद्ध पोतें और 188 विमान ध्वस्त हुये थे जो की एक बहुत ही बड़ी बात थी।
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जापानियों का सिंगापूर पर हमला करना! :-
15 फरवरी 1942 को जापानियों ने सिंगापूर पर हमला करके सिंगापूर और सुमात्रा को अपने कब्जे में ले लिया।
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जापानियों ने खोया अपने 8 मुख्य युद्ध पोतें! :-
4 से लेकर 7 जून 1942 तक जापानियों ने अपने 8 प्रमुख युद्ध पोतों को खोने के साथ-साथ 250 विमानों को भी युद्ध में नष्ट होते देखा।
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1942 से लेकर 1943 तक जापानियों को कई सारे हार का सामना करना पड़ा! :-
जैसे-जैसे द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) आगे बढ्ने लगा वैसे-वैसे जापानियों का शक्ति कम होने लगा, जापानी सिपाहियों को खाने के लिए न तो खाना सही से मिल पाया और लढने के लिए न ही कोई गोला-बारूद।
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भूख से तड़प-तड़प कर मरे इतने जापानी सिपाही! :-
पूरे विश्व युद्ध में जीतने भी जापानी सिपाही लढ़े थे उनमें से 60% सिपाही तो भूख से ही मारे गए थे। तथ्य के अनुसार लगभग 17 लाख 50 हजार जापानी सिपाही खाना न मिलने के कारण मारे गए।
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जापानियों का पहला “Kamikaze” (आत्मघाती) आक्रमण 1944 में हुआ था! :-
जब जापानियों ने देखा की वो ये विश्व युद्ध हारने लग रहें हैं तो उन्होंने Kamikaze हमलों को अपना आखिरी रास्ता समझा। ये हमले वास्तव में आत्मघाती हमले थे जो की 25 अक्तूबर 1944 से शुरू हुआ थे।
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Kamikaze हमले सबसे पहले मित्र सेना के इस समुद्री बेड़े पर हुआ था! :-
फिलीपींस के समंदर में लढ रहें मित्र सेना के समुद्री बेड़े पर ही पहला आत्मघाती Kamikaze हमला हुआ था। वैसे यहाँ पर मित्र सेना की अमेरिकी समुद्री बेड़ा युद्ध लढ रहा था।
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एक ऐसा द्वीप जिस पर 76 दिनों तक बम बरसाया गया! :-
द्वितीय विश्व युद्ध (world war two facts in hindi) के दौरान “Iwo Jima” नाम के एक द्वीप पर लगातार 76 दिनों तक बमबारी की गई थी।
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अगस्त में अमेरिका ने किया जापान पर परमाणु हमला! :-
1945 अगस्त 6 और 9 तारीख को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागसाकी पर दो बड़े-बड़े परमाणु बम गिरा दिये थे।
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D-Day के कारण 34,000 से ज्यादा फ्रेंच लोगों की जान चली गई थी! :-
1944 जून 6 में किए गए D-Day यानी नोरमैंडी लैंडिंग्स में एक ही दिन 34,000 से ज्यादा फ्रेंच आम नागरिकों की जान चली गई थी।
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नोरमैंडी में एक ही साथ उतरे थे इतने सिपाही! :-
नोरमैंडी में मित्र सेना के 130,000 से ज्यादा सिपाही एक ही साथ समंदर के तट पर उतर कर युद्ध में हिस्सा लिए थे।
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डी-डै में इतने सिपाहियों की मौतें हुई थी! :-
नोरमैंडी लैंडिंग्स में मित्र सेना ने अपने 10,000 सिपाही खो दिये, वहीं जर्मनी ने अपने 4,000 से 9,000 तक सिपाही खो दिये। परंतु इस लड़ाई में सबसे ज्यादा फ्रेंच नागरिक ही मारे गए थे।
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महीना खत्म होते-होते मित्र सेना की 8,50,000 से ज्यादा सिपाही नोरमैंडी पहुँच चुके थे! :-
जून का महीना खत्म होते-होते मित्र सेना की 8 लाख से ज्यादा सिपाही नोरमैंडी पर पहुँच चुके थे। वैसे इसी दौरान मित्र सेना की 3,50,00 से ज्यादा सिपाही इंग्लिश चैनल को भी लांघ चुके थे।
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पूरे नोरमैंडी की लड़ाई में मित्र सेना को 200,000 से ज्यादा सिपाहियों को खोना पड़ा था! :-
नोरमैंडी की लड़ाई काफी भयानक था, इसमें मित्र सेना की 200,000 से ज्यादा सिपाही मारे गए। वहीं दूसरी और जर्मनी के भी 200,000 तक सिपाही मारे गए और साथ में 200,000 तक जर्मन सिपाहियों को युद्धबंदी में बनाया गया था।
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पेरिस को 25 अगस्त में आज़ाद किया गया! :-
फ़्रांस पर कई सारे कठिन लड़ाई लढने के बाद मित्र सेना ने आखिर में पेरिस को 25 अगस्त को आज़ाद कर ही लिया।
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पूरे विश्व युद्ध में मित्र सेना के द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती “Operation Market Garden” :-
1944 के सितंबर में नीदरलैंड्स में की गई “Operation market garden” मित्र सेना के द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती थी, क्योंकि इस असफल मिशन के चलते मित्र सेना ने अपने 15,000 से ज्यादा पारा ट्रूपर्स को खो दिया।
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राइन नदी के जरिये मित्र सेना ने जर्मनी के ऊपर की अपना आखिरी हमला! :-
द्वितीय विश्व युद्ध का (world war two facts in hindi) ये वो पड़ाव आ चुका था जहां सब कुछ बदल चुका था। धीरे-धीरे अक्ष शक्ति कमजोर पड़ने लगी थी और मित्र सेना वीरता के साथ आगे नाजी जर्मनी को कुचलते हुए बढ़ रहीं थी। 1945 के मार्च में मित्र सेना राइन नदी को चारों तरफ से घेर कर जर्मनी पर अपना आखिरी हमला करने का सोच लिया था।
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डैथ मार्च में काफी युद्धबंदियों की मौतें हुई थी! :-
पूरे युद्ध में कई सारे डैथ मार्च हुईं थी, जिनमें लगभग 350,000 से ज्यादा युद्धबंदियों की मौतें हुई थी। ऐसे में इन डैथ मार्च को एक तरह से युद्ध अपराध की तरह ही देखा जाता हैं।
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हिटलर को उकसाने के लिए अमेरिकियों ने छापी थी ये खबर! :-
जब 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति रूसवेल्ट की मौत हुई तो अमेरिकियों ने खबर कागज में हिटलर को उकसाते हुए कई अजीब-अजीब खबर छापीं थी।
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38 लाख से ज्यादा जर्मन सिपाहियों ने सोवियत यूनियन पर आक्रमण किया था! :-
1941 में जब जर्मन सिपाहियों ने सोवियत यूनियन पर आक्रमण किया तब उनकी संख्या लगभग 38 लाख था, हालांकि इनसे लढने के लिए 55 लाख से ज्यादा सोवियत सिपाही तैनात थे।
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लेनिनग्राड की लड़ाई चली कुल 880 दिनों तक जिसमें मारे गए 10 लाख से ज्यादा आम नागरिक! :-
पूरे द्वितीय विश्व युद्ध में (world war two facts in hindi) सबसे क्रूर लड़ाई थी लेनिनग्राड की, क्योंकि इसी लड़ाई में ही सबसे अधिक आम नागरिकों की मौतें हुई थी। 1941 के सितंबर से जनवरी 1944 तक चलने वाली इस लड़ाई में 10 लाख से ज्यादा रूसी आम नागरिकों ने अपनी जान खो दी थी।
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स्टेलिन ने अपने देश को एक युद्ध मशीन में बदल दिया! :-
1942 में जर्मनी में सोवियत यूनियन से 4 गुना ज्यादा स्टील और कोयले का उत्पाद हो रहा था, परंतु जब रूस के तानाशाह स्टेलिन ने देखा की अगर ऐसा ही चलता रहा तो पूरा सोवियत यूनियन जल्द ही बिखर जाएगा। तब उन्होंने ने अपने देश को ज्यादा से ज्यादा स्टील और कोयले का उत्पाद करने को कहा जिससे युद्ध के लिए हथियार और यान बन पाएँ।
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स्टेलिनग्राड की लड़ाई पूरे इंसानी सभ्यता को थर्रा कर रख दिया, कुल 20 लाख से ज्यादा सिपाहियों ने अपनी जाने गवाईं! :-
1942 से 1943 के बीच स्टेलिनग्राड में लड़ी गई लड़ाई में 20 लाख से ज्यादा सिपाहियों ने अपनी जानें गवाई। इस लड़ाई में 11 लाख 30 हजार सोवियत सिपाही शामिल थे, वहीं दूसरी और इनके विरुद्ध 8 लाख 50 हजार जर्मन सिपाही लढ रहें थे।
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सोवियत ने मांगी अमेरिका से मदद! :-
युद्ध में पूर्वी मोर्चा सबसे ज्यादा खतरनाक था, क्योंकि यहाँ पर ही सबसे ज्यादा मौतें हो रहीं थी। ऐसे में सोवियत यूनियन को किसी भी हाल में युद्ध को सफल बनाना था जिसके लिए उसे अमेरिका से खाना और गोला-बारूद की सप्लाई चाहिए थी। इसलिए उसने अमेरिका से मदद मांगी थी।
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1943 में 58 लाख सोवियत सिपाहियों ने 27 लाख जर्मन सिपाहियों के ऊपर हमला किया! :-
पूर्वी मोर्चे पर सबसे ज्यादा जर्मन सिपाहियों की मौतें होने के कारण लड़ाई जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे ही जर्मन सिपाहियों की संख्या घटकर 27 लाख तक पहुँच चूक थी।
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सोवियत यूनियन का नाजी जर्मनी पर सबसे बड़ा हमला “Operation Bagration” :-
22 जून 1944 में सोवियत यूनियन ने नाजी जर्मनी पर अपना सबसे बड़ा हमला यानी “Operation Bagration” को अंजाम दिया। इस मिशन में 1,670,000 से ज्यादा सिपाही शामिल थे। इसके अलावा इस ऑपरेशन में सोवियत यूनियन ने 6,000 से ज्यादा टैंक्स, 30 हजार से ज्यादा बंदूकें और 7,500 से ज्यादा विमानों का इस्तेमाल किया था।
Sources :- www.historyhit.com, www.businessinsider.com, www.yesterday.uktv.co.uk.