ब्रह्मांड और मानव के बीच एक अद्भुत संबंध है। सदियों से मनुष्य ब्रह्मांड को समझने का प्रयास करता रहा है। जब हम ब्रह्मांड की विशालता के सामने खुद को नगण्य पाते हैं, तो भी हमारी जिज्ञासा हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। इसी जिज्ञासा के कारण हम आज अल्फा सेंटॉरी (Will We Reach Alpha Centauri) जैसे दूरस्थ तारों तक पहुंचने के बारे में सोच रहे हैं।
अल्फा सेंटॉरी (Will We Reach Alpha Centauri) की जब भी बात आती है, तो सब के चेहरे पर एक अलग ही चमक को देखी जा सकती है। और वो इसलिए कि, ये स्टार सिस्टम हमारे पृथ्वी की सबसे करीबी स्टार सिस्टम है। मित्रों! अगर हमें भविष्य में इंटर प्लैनेटरी या इंटर गैलेक्टिक ट्रैवल करना है। तो अल्फा सेंटौरी हमारे लिए एक द्वार का काम कर सकता है। क्योंकि यहीं से ही हमारे सपने की शुरुआत होगी और ये वहीं जगह है, जहां से हम अपने मानव सभ्यता को एक अलग ही लेवल पर ले कर जा सकते हैं। इसलिए ये हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है।
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क्या हम कभी “अल्फा सेंटॉरी” के ऊपर जा सकते हैं? – Will We Reach Alpha Centauri? :-
अल्फा सेंटॉरी (Will We Reach Alpha Centauri) तक पहुँचने के लिए हमें लगभग प्रकाश की गति की जितना स्पीड चाहिए, जिसके आधार पर हम वहां पहुँच सकते हैं। हमारे महत्वाकांक्षी मिशनों ने इंसान को चाँद तक, कई रोवरों को मंगल तक और कई स्पेस-क्राफ्ट्स को आउटर सोलर सिस्टम तक पहुंचाया है। तो जाहिर सी बात है, हमारी सोच हमारे कद-काठी से काफी ज्यादा ऊंचे और बड़े है। परंतु यहाँ सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि, क्या हम कभी अल्फा सेंटौरी तक पहुँच सकते हैं? मित्रों, इस सवाल के जवाब को हम आगे विश्लेषित करने वाले हैं।
अल्फा सेंटॉरी हमसे लगभग 4.4 प्रकाश वर्ष यानी लगभग 410 खरब किलोमीटर दूर मौजूद है। वैसे अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को बता दूँ कि, इस स्टार सिस्टम मूलतः तीन सितारे मौजूद है। और उन तीन सितारों में हमसे सबसे नजदीक सितारा “Proxima Centauri” हैं। मित्रों! इस सितारे के बारे में और एक खास बात हैं, जो की शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार ये सितारा अपने पास एक अनोखे ग्रह को रखा हुआ हैं।
बताते हैं कि, वो ग्रह हूबहू हमारे पृथ्वी के जैसा हो सकता है। और उस पर पृथ्वी के जैसे ही जीवन पनप सकती है। जो कि, हम इनसानों के लिए एक ऐतिहासिक खोज से कम नहीं है। हालांकि! इस स्टार सिस्टम तक पहुँचना कोई आम या सरल बात नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार अगर हम आज के तकनीक को इस्तेमाल करें तो, हमें लगभग 1,50,000 साल लगेंगे वहाँ पहुँचने के लिए।
प्रकाश की गति के जितना जाना है अनिवार्य! :-
मित्रों! एक बात तो निश्चित है कि यह ब्रह्मांड हमारे लिए अत्यंत विशाल है। इतना विशाल कि हम इसके आकार को कल्पना भी नहीं कर सकते। अगर हम प्रकाश की गति से यात्रा कर पाते, तो अल्फा सेंटौरी तक पहुँचने में हमें केवल 4.5 वर्ष लगते। परंतु वास्तविकता इससे बहुत अलग है। भौतिकी के नियम हमें बांधे हुए हैं।
केवल द्रव्यमान (Mass) रहित कण, जैसे कि फोटॉन, ही प्रकाश की गति से यात्रा कर सकते हैं। इसलिए, वर्तमान तकनीक के अनुसार, अल्फा सेंटौरी तक पहुँच पाना लगभग असंभव प्रतीत होता है। फिर भी, कुछ विशेष अंतरिक्ष यान शायद वहां तक पहुंच सकें। प्रकाश की गति के 1/10 भाग की गति से भी हम एक मानव जीवनकाल में अल्फा सेंटौरी तक पहुँच सकते हैं, परंतु इसके लिए हमें अत्यधिक उन्नत तकनीक की आवश्यकता होगी।
नासा के कुछ वैज्ञानिक अल्फा सेंटौरी तक पहुँचने के लिए काफी उत्साहित हैं। उनके अनुसार, पिकोमीटर आकार के अंतरिक्ष यान के माध्यम से हम अल्फा सेंटौरी तक पहुँच सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि एक पिकोमीटर एक मीटर का एक खरबवाँ हिस्सा होता है। अतः हमें अत्यंत छोटे अंतरिक्ष यानों की आवश्यकता होगी।
भविष्य की तकनीक पहुंचा सकती है हमें “Alpha Centauri” तक! :-
आज के युग में तकनीक अत्यंत तेजी से विकसित हो रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हम अब बहुत छोटे अंतरिक्ष यानों का उपयोग करके बड़े-बड़े कारनामे कर सकते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि शुरुआत में छोटे अंतरिक्ष यान उतने प्रभावी न हों, लेकिन इन्हें बहुत तेजी से विकसित और बनाया जा सकता है, जो बड़े अंतरिक्ष यानों के लिए संभव नहीं है। इसके अलावा, इन्हें बनाने की लागत भी बहुत कम होती है, जिससे धन की कमी की समस्या नहीं होगी।
छोटे अंतरिक्ष यानों को चलाने के लिए बहुत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो एक महत्वपूर्ण बात है। दुनिया भर में कई निजी अंतरिक्ष कंपनियाँ बहुत छोटे अंतरिक्ष यान बनाकर अंतरिक्ष विज्ञान में क्रांति लाना चाहती हैं। अब देखना यह है कि कौन सी कंपनी इस दौड़ में सबसे पहले सफल होगी, क्योंकि हमारे पास समय बहुत कम है।
बेहरहाल नासा की और से पता चला है कि वह 2069 तक एक ऐसा नैनो-अंतरिक्ष यान बनाएगा जो अल्फा सेंटौरी (Will We Reach Alpha Centauri) तक जा सकता है। हालांकि, आज के समय में पारंपरिक ईंधन का उपयोग करके किसी भी अंतरिक्ष यान को प्रकाश की गति से लॉन्च करना संभव नहीं है, क्योंकि इन ईंधनों में इतनी क्षमता नहीं है। इसलिए हमें कुछ नए तरीकों के बारे में सोचना होगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
अल्फा सेंटौरी (Will We Reach Alpha Centauri) तक पहुँचने का सफर आसान नहीं है। किसी भी अंतरिक्ष यान को प्रकाश की गति तक पहुँचाने के लिए हमें प्रकाश ऊर्जा का ही सहारा लेना होगा। यानी, हम सौर ऊर्जा का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को गति प्रदान कर सकते हैं। प्रकाश ऊर्जा हमारे लिए द्रव्यमान रहित होती है, क्योंकि यह सीधे सौर पैनलों के माध्यम से उत्पन्न होती है। यह हमारे लिए एक बड़ा लाभ है।
इसलिए, हमें ऐसा अंतरिक्ष यान बनाना होगा जो सौर ऊर्जा या फोटॉनिक ऊर्जा से चल सके। फोटॉनिक ऊर्जा से चलने वाले यान लेजर प्रकाश का उपयोग करते हैं। यह तकनीक समुद्र में तैरने वाली नौका के समान है जो आगे बढ़ने के लिए हवा का उपयोग करती है। यहाँ केवल अंतर इतना है कि अंतरिक्ष में हवा की जगह लेजर प्रकाश की उच्च गति वाली तरंगें होती हैं और नौका की जगह एक अंतरिक्ष यान होता है।
मित्रों, क्या आपको लगता है कि हम कभी अल्फा सेंटौरी तक पहुँच पाएंगे? नीचे कमेंट करके अपने विचार साझा करें।