विश्व में बहुत सी तकनीक अब आ चुकी हैं। आज के समय में इंसान बिना खाना और पानी के रह सकता है, परंतु बिना इंटरनेट (What is Fiber Optics and its Types) के शायद ही वो जिंदा रह पाए। वैसे मेरे कहने का ये मतलब है कि, हमारे लिए आज इंटरनेट किसी अहम चीज़ से कम नहीं है । खैर यही वजह है कि, इंटरनेट को काफी दूर तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग तकनीकों को इस्तेमाल में लिया जा रहा है। हम लोगों को इंटरनेट इस्तेमाल करते हुए काफी समय हो चुका है और शायद ये समय है कि, अब हमें इसे और भी बेहतर बनाना चाहिए।
आज कल अगर 4G और 5G को छोड़ दिया जाए तब इंटरनेट को एक्सैस करने के लिए ज़्यादातर घरों में ब्रॉड बैंड का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे पहले के जमाने में ब्रॉड बैंड आम तौर पर केबल (Cable) के जरिए घरों तक पहुंचाए जाते थे, परंतु आज-कल तो फाइबर ओप्टिक (What is Fiber Optics and its Types) का जमाना है। इस तकनीक के जरिए इंटरनेट आज काफी तेजी से एक से दूसरी जगह फैल रहा है। मित्रों! आज का हमारा ये लेख इसी फाइबर ओप्टिक के ऊपर होने वाला है।
वैसे लेख में आगे बढ्ने से पहले आप लोगों से अनुरोध है कि, इसे आरंभ से लेकर अंत तक जरूर पढ़िएगा। ताकि ये विषय आप लोगों को अच्छे से समझ में आ जाए।
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आखिर ये फाइबर ओप्टिक क्या है? – What is Fiber Optics and its Types ? :-
अब लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल ये होगा कि, आखिर ये फाइबर ओप्टिक (What is Fiber Optics and its Types) क्या है? मुझे भी ये सवाल काफी समय तक मेरे मन में रह कर उलझन में डाले हुए था। तो चलिए सबसे पहले इसी के बारे में ही बात कर लेते हैं। अगर में सरल शब्दों में बात करूँ तो, फाइबर ओप्टिक एक तरीके से कई सारे नेटवर्क के गुच्छे होते हैं। वैसे देखा जाए तो, ये फाइबर ओप्टिक आकार में काफी ज्यादा पतले होते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार इसकी मोटाई इंसानी बाल से भी कम होती है।
वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, इन ओप्टिकल फाइबर के अंदर डैटा लाइट के रूप में ट्रैवल करती है। इंसानी आँखों के लिए लाइट देखने में सफ़ेद रंग की होती है। परंतु टेक्निकल लाइट सात अलग-अलग रंगो से बने हुई होती है और हर एक रंग के लिए अलग-अलग रास्ते (डैटा के रास्ते) मौजूद होते हैं। मित्रों! आप लोगों को अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इन्हीं रस्तों से होकर ही डैटा ट्रैवल करता है। फाइबर ओप्टिक आम तौर पर सिलिका से बना हुआ होता है, क्योंकि ये काफी ज्यादा साफ होते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार सिलिका के अंदर, “Total Internal Refraction (T.I.R)” भी काफी ज्यादा अच्छा होता है। आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, ऑप्टिकल फाइबर कम्युनिकेशन का आधार ही, टोटल इंटरनल रीफ्लेकशन है। इसलिए इसका महत्व यहाँ और भी ज्यादा बढ़ जाता है। आप लोगों को क्या लगता है, क्या सच में ऑप्टिकल फाइबर सबसे बेहतरीन कम्युनिकेशन की तकनीक है?
ऑप्टिकल फाइबर के प्रकार! :-
चलिये अब लेख के इस भाग में हम ऑप्टिकल फाइबर (What is Fiber Optics and its Types) के प्रकारों के बारे में जानते हैं, इसलिए आप लोगों से अनुरोध है की, लेख के इस भाग को जरा गौर से पढ़िएगा।
1. Multimode Optical Fiber :-
मित्रों! फाइबर का ये प्रकार काफी ज्यादा लोकप्रिय है। मल्टीमोड ऑप्टिकल फाइबर में काफी बड़े सेंट्रल कोर होते हैं और इसके अंदर कई तरह के फाइबर पाथ मौजूद होते हैं। आम तौर पर मल्टी मोड फाइबर का कोटिंग डाइमीटर 250 µm, क्लैंडिंग डाइमीटर 125 µm और कोर डाइमीटर 50 µm से लेकर 62.5 µm तक के होता है। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, मल्टीमोड ऑप्टिकल फाइबर के अंदर लाइट के जाने के लिए कई तरह के पैथ मौजूद होते हैं। ये ही वजह है कि, इस के अंदर काफी अच्छा टोटल इंटरनल रिफ्रेकशन देखा जा सकता है।
वैसे इस फाइबर ओप्टिक का सबसे बड़ा फायदा ये है कि, इसे इंस्टाल करने में काफी ज्यादा कम खर्चा होता है। तो अब आप समझ ही सकते हैं कि, इसके मेंटेनेंस का खर्चा भी काफी ज्यादा कम आता है। वैसे एक बात ये भी है कि, इस फाइबर ओप्टिक के केंद्र में काफी ज्यादा स्पेस होने के कारण इसमें लाइट काफी ज्यादा बाउंस होते हैं, जो की नेटवर्क क्वालिटी को काफी ज्यादा कम कर देता है। इसके अलावा इसके सिग्नल को ज्यादा एम्प्लीफाइ भी नहीं किया जा सकता है, जिसके कारण इसे सुदूर इलाकों तक डैटा ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल में नहीं लिया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार 200 से 300 मीटर की दूरी तक इसे इस्तेमाल में लिया जा सकता है। इससे ज्यादा दूरी के लिए इस ऑप्टिकल फाइबर को इस्तेमाल में नहीं लिया जा सकता है। वैसे इसका सबसे अच्छा उदाहरण, “OM4 Fiber” है। ये फाइबर 100 मीटर के दूरी तक डैटा को 100G के स्पीड से ट्रांस्फर करवा सकता है।
2. Single-Mode Optical Fiber:-
ऑप्टिकल फाइबर (What is Fiber Optics and its Types) का ये प्रकार काफी ज्यादा अलग और खास है। जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है, इस ऑप्टिकल फाइबर के अंदर सिर्फ एक लाइट का पैथ मौजूद होता है। सरल भाषा में कहूँ तो, इसके अंदर एक ही समय पर सिर्फ एक लाइट की बीम ट्रैवल कर सकती है। वैसे इसका सेंटर मल्टीमॉडल ऑप्टिकल फाइबर के सेंटर से काफी ज्यादा पतला होता है। ये ही वजह है कि, इसके अंदर स्पेस कम होने के कारण लाइट ज्यादा बाउन्स नहीं हो पाता है; जिससे सिग्नल की क्वालिटी काफी ज्यादा अच्छी रहती है।
इसमें आसानी से हम डैटा को काफी दूर तक ट्रैवल करवा सकते हैं। तो शायद येही वजह है कि, इस फाइबर ऑप्टिकल को काफी ज्यादा इस्तेमाल में लिया जाता है। इसके अलावा इसका बैंड-विड्थ भी काफी ज्यादा होता है। वैसे मित्रों! आप लोगों से मेरा एक सवाल हैं, हमारे घरों में लगने वाले ऑप्टिकल फाइबर आखिर किस प्रकार की ऑप्टिकल फाइबर हो सकती है; कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
खैर ऑप्टिकल फाइबर के कई अलग-अलग प्रकार के बैंड भी होते हैं। क्योंकि हर एक बैंड के अलग-अलग काम और गुणवत्ता होते हैं। मित्रों! आगे हम इसके बारे में काफी ज्यादा बारीकी से बातें करेंगे, तो आप इसे अंत तक पढ़ते रहिएगा। इसके अलावा ये बातें आपको शायद ही कहीं और इंटरनेट पर पढ़ने को मिलें।
ऑप्टिकल फाइबर के अलग-अलग बैंड्स! :-
मित्रों! ऑप्टिकल फाइबर (What is Fiber Optics and its Types) के अलग-अलग प्रकारों के साथ ही साथ इसके अलग-अलग बैंड्स भी होते हैं। मूलतः ये बैंड्स दूसरे और तीसरे टेलीकॉम विंडो के अंदर आते हैं। इन अलग-अलग बैंड्स के वेवलेंथ अलग-अलग होते हैं, जिन्हें की अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल में लिया जाता है। तो चलिये क्यों न एक नजर इन्हीं के ऊपर ही डाल लिया जाए!
1) O बैंड = Original बैंड = 1260-1360 nm का वेवलेंथ।
2) E बैंड = Extended बैंड = 1360-1460 nm का वेवलेंथ।
3) S बैंड = Short वेभलैंग्थ = 1460-1530 nm का वेवलेंथ।
4) C बैंड = Conventional (“erbium window”) = 1530-1565 nm का वेवलेंथ।
5) L बैंड = Long वेभलैंग्थ = 1565-1625 nm का वेवलेंथ।
6) U बैंड = Ultralong वेभलैंग्थ = 1625-1675 nm का वेवलेंथ।
इंटरनेट की स्पीड होने वाली है 301 Tbps, आपके इंटरनेट की स्पीड से 12 लाख गुना ज्यादा की स्पीड! :-
आज के समय में इंटरनेट (What is Fiber Optics and its Types) को काफी व्यापक रूप से इस्तेमाल में लिया जा रहा है। इसलिए इनकी स्पीड हमारे लिए काफी ज्यादा मायने रखती है। वैसे आम तौर पर आज के इंटरनेट की स्पीड फाइबर ओप्टिक के जरिये ज्यादा से ज्यादा 1 Gbps तक ही सीमित है। जिसे की आम जनता आसानी से एक्सैस कर सकती है। परंतु अगर मैं कहूँ कि, इंटरनेट की ये स्पीड काफी ज्यादा स्लो है तो; क्या आप मेरी बातों पर यकीन करेंगे?
मित्रों! एक शोध से वैज्ञानिकों को फाइबर ओप्टिक के जरिये 301 Tbps की डैटा ट्रांसफर का रेट मिला है। जो की आज हम इस्तेमाल कर रहें इंटरनेट से लगभग 12 लाख गुना ज्यादा तेज है और इसके जरिये सिर्फ एक सेकंड में 1800 से ज्यादा 4K फिल्म्स ट्रान्सफर की जा सकती हैं। वैसे इस तकनीक के अनुसार वैज्ञानिक इंफ्रारेड रोशनी को फाइबर ओप्टिक के अंदर डाल देते हैं और इसी से ही हाइ-स्पीड इंटरनेट की शुरुआत होती है। वैसे हमारे घर में लगने वाले फाइबर ओप्टिक C और L बैंड के अंदर आते हैं, क्योंकि ये बैंड्स काफी ज्यादा स्टैबल होते हैं।
वैसे वैज्ञानिक इंटरनेट पर भविष्य में बढ़ने वाले ट्रैफिक को देखते हुए, S और E बैंड में भी फाइबर ओप्टिक को इस्तेमाल करने के लिए रैडी हो रहें हैं। हालांकि! बता दूँ की; इन बैंड्स में डैटा का लॉस काफी ज्यादा होता हैं। एक खास बात ये भी हैं कि, E बैंड को “Water Peak” बैंड भी कहा जाता हैं, क्योंकि इसमें डैटा ट्रांसमिशन का लॉस ज्यादा होता हैं और वो भी OH मोलिक्युल के जरिये।
निष्कर्ष – Conclusion :-
दोस्तों! हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे सिस्टम को बनाने में सफल हुए हैं, जिसके जरिये भविष्य में हम E बैंड के जरिये डैटा आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं और इसमें किसी भी प्रकार का कोई डैटा लॉस भी नहीं होगा। वैसे इस सिस्टम के जरिये S बैंड के ऊपर भी सफलता पूर्वक डैटा ट्रांसफर किया जा सकता है। खैर इन बैंड्स के ऊपर एक स्टैबल सिस्टम बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने दो उपकरणों को इस्तेमाल में लिया हुआ है, पहला है “Optical Amplifiers” और दूसरा है “Optical Gain Equalizers”।
ऑप्टिकल एंपलीफायर सिग्नल को अंप्लिफ़ाई करने का काम करता है तो ऑप्टिकल गेन इक्वालाइजर सिग्नल के वेवलेंथ को मॉनिटर कर के उसे स्टैबल करने में मदद करता है। खैर इन दोनों उपकरणों को अगर फाइबर ओप्टिक में स्थापित कर दिया जाए तो, ये आसनी से बैंड्स को स्टैबल बना कर डैटा ट्रांसफर को काफी ज्यादा स्मूथ कर देते हैं। इससे हम बहुत ही ज्यादा तेज इंटरनेट को इस्तेमाल में ले सकते हैं।
वैसे एक बात ये भी है कि, काफी समय से तेज इंटरनेट के स्पीड के लिए कई सारे शोध चलते हुए आ रहें हैं और इसको असलियत बनाने के लिए अभी काफी समय बाकी हैं।
Sources :- www.livescience.com, www.rp-photonics.com, www.smartoptics.com