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क्या होगा जब चंद्रमा पृथ्वी से बस 100 Km दूर हो ? | What If Moon Moved Closer To Earth ?

जब चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब होगा

हमारी पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा है, कि ये हमारे पास मौजूद चंद्रमा की सतह पर , एक छोटा सा उभार भी पैदा कर सकता है |पृथ्वी और चंद्रमा के बीच मौजूद गुरुत्वाकर्षण, इतना प्रभावशाली है, कि ये दोनों ही खगोलीय पिंडों में, खिंचाव भी शुरू कर सकता है |

इसकी वजह से किसी एक जगह पर, इन दोनों ही bodies की shape में अंतर देखा जा सकता है |ऐसा भी संभव है कि खुद पृथ्वी और चंद्रमा काफी करीब आने लगे ( What If Moon Moved Closer To Earth ? ). क्या होगा जब चंद्रमा पृथ्वी से बस 100 Km दूर हो ?

आखिर क्यों चंद्रमा हमारे लिए जरूरी है ?

पृथ्वी पर ये खिंचाव या फैलाव, आमतौर पर आपको tides यानी समुद्र में पैदा होने वाले ज्वार – भाटे के रूप में देखने को मिलते हैं , जहां समुद्र का स्तर, घटता और बढ़ता हुआ नजर आता है |  हमारे चंद्रमा पर भी पृथ्वी द्वारा तनाव पैदा होता है , जिसे अक्सर  lunar body tide कहा जाता है , जिसे आमतौर पर चंद्रमा की सतह की वजह से देख पाना , बेहद मुश्किल होता है |

हमारी पृथ्वी और चंद्रमा का आकार ही इतना बड़ा है, कि इस गुरुत्वाकर्षण तनाव को देख पाना और मापना काफी चुनौती भरा होता है |नियमित दूरी पर होने की वजह से , हमारी पृथ्वी पर चंद्रमा द्वारा tides एक नियंत्रित तरीके से पैदा होते हैं , जिसकी वजह से उसमें मौजूद जीव जंतुओं का जीवन संतुलित रहता है |

पृथ्वी का समय और मौसम तय करता है चंद्रमा 

ये तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी के घूमने और सूर्य की वजह से हमारी पृथ्वी पर मौसम बदलते रहते हैं , पर ध्यान देने वाली बात ये है कि हमारा  मौसम काफी हद तक हमारे चन्द्रमा की ही वजह से स्थिर बना रहता है | चंद्रमा की ही वजह से हमारी पृथ्वी की धुरी, लगभग 23.4 degrees के angle पे झुकी हुई है  ,जिसकी वजह से सालों से हमारी climate cycle , maintained है |

वैज्ञानिकों की मानें , तो चंद्रमा न होने की वजह से , हमारी पृथ्वी का एक दिन , महज 8 से 12 घन्टे ही लंबा होता और इसे एक revolution complete करने में 1,000 से भी ज्यादा दिन लगते !

NASA के Lunar Reconnaissance Orbiter satellite के जारी वैज्ञानिकों ने lunar body tide का पता लगाया था | वैज्ञानिकों का मानना था कि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा है कि हमारे चंद्रमा की सामने की सतह  पर ये 20 इंच तक का भी उभार पैदा कर सकता है!

इस बात से ये स्पष्ट होता है कि हमारे चन्द्रमा और हमारी पृथ्वी के बीच , ये गुरुत्वाकर्षण (gravitation) बहुत बड़ी भूमिका निभाता है !

जब चंद्रमा पृथ्वी की ओर बढ़ने लगेगा

पृथ्वी से हमारे चन्द्रमा की औसतन दूरी ,  लगभग 384,400 km है और पृथ्वी के चारों तरफ इसका orbit, elliptical है ! , पर इस बात में भी कोई शक नहीं है कि, ब्रह्माण्ड में होने वाली किसी भी घटना की वजह से, इसका orbit कभी भी unstableहो सकता है और इसकी trajectory भी बदल सकती है !

Astronomers, आकाश में मौजूद objects के size, यानी आकार को नापने के लिए angular diameter का इस्तेमाल करते हैं,जिसका मतलब ये है कि, हमारी आँखों से उस object के opposite points ,कितना angle बना रहे हैं | अभी जहां हमारा चंद्रमा मौजूद है , वहाँ से इसका angular diameter या size लगभग 0.5 degrees है , जो काफी कम है |

कैसा होगा नजारा ?

जैसे जैसे हमारा चंद्रमा पृथ्वी की ओर बढ़ने लगेगा , वैसे ही इसका angular size भी बढ़ने लगेगा | लगभग 400 km की दूरी पर ही इसका angular size, 100 degrees से अधिक पहुँच जाएगा , जो लगभग आधे से ज्यादा आसमान को ही ढक लेगा | यानी काफी लम्बे समय तक हमें अपना  sun यानी सूर्य भी देखने को नहीं मिलेगा !

इस समय चाँद का नजारा, अजीब सा और बेहद डरावना नजर आएगा !

पृथ्वी का दिन और समय ही बदल जाएगा

हमारे चंद्रमा को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में लगभग 27 दिन लगते हैं | जब पृथ्वी से इसकी दूरी , सीधा 400 km की होगी , तो एक चक्कर लगाने में इसे मात्र 90 मिनट का ही समय लगेगा | सम्भावना है , कि tidal locking की वजह से हमें तब भी चंद्रमा का सिर्फ सामने वाला हिस्सा ही नजर आएगा , बस फर्क अब इतना होगा कि ये बहुत विशाल और साफ़ साफ़ नजर आएगा |

Tidal locking वो condition होती है , जब किसी orbiting object की rotation period और orbital period same होते हैं , जिसकी वजह से उसका सिर्फ सामने का हिस्सा ही नजर आता है , जैसा कि हमारे चंद्रमा के साथ होता है !चंद्रमा के हमारे पास आने की वजह से, हमारी पृथ्वी का rotation period भी बढ़ चुका होगा , यानी पृथ्वी का एक दिन ,अब 24 घंटे से कम का होगा !

1000 Km पर चंद्रमा की चमक

पूर्णचंद्र , यानी full moon की brightness , हमारे सूर्य से लगभग 4 लाख गुना कम होती है , जिसका असर हमारी आँखों पर नहीं पड़ता | पर जैसा कि किसी भी light source की brightness, उसके distance पर depend करती है , तो पास आने की वजह से चंद्रमा की चमक बेहद ज्यादा बढ़ चुकी होगी |

महज 1000 km की दूरी पर ही, चंद्रमा की चमक , लगभग 18 लाख गुना ज्यादा बढ़ चुकी होगी | अब इससे आप इतना अंदाजा तो लगा ही सकते हैं, कि आपकी आँखों का क्या हाल होगा ! और हमारे atmosphere यानी वायुमंडल की भी क्या स्थिति होगी !

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण हो जाएगा गड़बड़ 

किसी भी वस्तु द्वारा लगाया जाने वाला गुरुत्वाकर्षण बल, यानी force of gravity , उसके mass यानी भार और distance यानी दूरी पर निर्भर करता है ! जितना ज्यादा mass और जितनी कम दूरी , उतनी ही ज्यादा gravitational force !

हमारी earth का mass , हमारे moon से 80 गुना ज्यादा है , जिसका मतलब ये है कि अगर आप ठीक पृथ्वी और चंद्रमा के बीच में होंगे , तो आप पर पृथ्वी से लगने वाली force of gravity यानी खिंचाव , चंद्रमा के मुकाबले 80 गुना ज्यादा लगेगा !

जैसा कि gravitational force , distance के square पर depend करती है , यानी दूरी में थोड़ा सा बदलाव भी, इसे काफी हद तक कम कर सकता है |  अभी अगर आप पृथ्वी की सतह पर खड़े होंगे , तो इसका center आपसे लगभग 6,400 km नीचे होगा और चंद्रमा का center ठीक आपसे लगभग 3,80,000 km ऊपर होगा |

ऐसे में अगर आप पृथ्वी और चंद्रमा की gravitational force का ratio लेंगे , तो आपको पता चलेगा कि पृथ्वी से लगने वाल गुरुत्वाकर्षण बल , चंद्रमा के मुकाबले 3,500 गुना ज्यादा होगा | और अगर इनके mass यानी भार को भी शामिल किया जाए , तो आप पर पृथ्वी द्वारा लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल, चंद्रमा के मुकाबले 300,000 गुना ज्यादा होगा |

आपका वजन हो जाएगा कम 

यही वजह है कि दूर होने के कारण , चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल आपको महसूस नहीं होता क्योंकि पृथ्वी के मुकाबले इसका बल केवल , 0.0003 percent है | पर जैसे ही चंद्रमा पृथ्वी के पास आने लगेगा , आपको पृथ्वी से लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल, कम महसूस होगा |

मात्र 400 km की दूरी पर चंद्रमा होने की वजह से , उसकी force of gravity , पृथ्वी का 1/10th यानी 0.1 % होगी | यानी अब आपका वजन , पहले के मुकाबले , 0.1 % कम हो चुका होगा |

गुरुत्वाकर्षण में इतनी सी कमी भी , पृथ्वी पर काफी गंभीर प्रभाव डाल सकती है | आम जीवन पर इसका असर तो पड़ेगा ही , साथ ही climate और atmosphere भी इसके प्रभाव से नहीं बचेंगे ! यानी अगर चंद्रमा और पास आएगा , तो पृथ्वी पर मौजूद जन जीवन ही अस्त व्यस्त हो जाएगा !

इस तरह से हो जाएगा पृथ्वी का अंत

जैसा कि आपको बताया गया है कि हमारी earth और moon के बीच tidal force काम करती है , जिसकी वजह से, हमें इनकी सतह पर उभार और खिंचाव नजर आता है |

Current situation में तो , moon की tidal force की वजह से , हमें कुछ मीटर लम्बे ही tides यानी ज्वार भाटे नजर आते हैं | पर जैसे जैसे चंद्रमा पृथ्वी की ओर बढ़ने लगेगा , तो इन tides की लम्बाई भी 1 लाख गुना बढ़ चुकी होगी | यानी कि अब कई kilometer लम्बी समुद्री लहरें, पूरी पृथ्वी को जलमग्न करने की कगार पर होंगी |

चंद्रमा की वजह से लगने वाला खिंचाव , पृथ्वी की सतह को गरम भी कर सकता है , क्योंकि इसका असर पृथ्वी के अन्दर मौजूद layers पर पड़ेगा जहाँ से magma या lava इसकी सतह पर भी आ सकते हैं | यानी कि पृथ्वी का महाविनाश होना लगभग तय होगा !

आखिर चंद्रमा का क्या होगा ?

Celestial mechanism में एक term आती है , Roche Limit,  जो अक्सर हर celestial body पर लागू होती है | ये roche limit , वो दूरी होती है , जिसके बाद से , किसी भी object पर लगने वाली दूसरे object की tidal force, उस object की खुद की gravity से ही ज्यादा हो जाए | यानी कि इस limit के बाद , उस object पर खिंचाव की मात्रा इतनी बढ़ जाती है कि वो उसे तहस नहस ही कर डाले |

पृथ्वी और चंद्रमा के बीच मौजूद roche limit का माप है लगभग 18,000 Km | यानी किअगर चंद्रमा पृथ्वी से 18,000 km से कम की दूरी पर आने लगेगा , तो पृथ्वी की tidal force इसे नष्ट कर डालेंगी ! यानी खुद चंद्रमा भी अपना वजूद खो बैठेगा !

फिलहाल तो दोस्तों ! वैज्ञानिकों को ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है , जो इस बात को justify कर सके| और हो सकता है कि भविष्य में हमें ऐसा देखने को भी न मिले , पर चंद्रमा का असली रूप जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है | क्योंकि शुरूआती दौर में तो ये वाकई में पृथ्वी के काफी पास ही था |

 

Shubham

शुभम विज्ञानम के लेखक हैं, जिन्हें विज्ञान, गैजेट्स, रहस्य और पौराणिक विषयों में रूचि है। इसके अलावा ये पढ़ाई करते हैं।

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