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बेब ने शनि के चंद्रमा टाइटन पर बादल और एक समुद्र भी देखा – Webb’s First Titan Image

क्या ये हमारी भविष्य की पृथ्वी है? क्या मानव 5 अरब साल बाद यहां रहेगा?

अगर कोई आपसे सवाल पूछे कि पृथ्वी के अलाबा ऐसा कौन सा ग्रह हमारे सोलर सिस्टम में है जहां आपको पृथ्वी की तरह ही समुद्र, नदियों और झीलें देखने को मिलती हैं। तो आप सोच में पड़ जायेंगे और कहेंगे कि पृथ्वी के अलाबा तो कहीं जीवन है ही नहीं और तो और सौर मंडल के आठ ग्रहों में हम केवल चार ग्रहों पर ही हम जीवन को खोज सकते हैं क्योंकि ये चार ग्रह ही पत्थर औऱ चट्टानों से बने हैं और बाकीं के चार विशाल ग्रह गैस से बने हैं औऱ इनकी कोई सतह नहीं है जहां पर जीवन पनप सकें। आप अपनी जगह सही हैं पर सौर मंडल हमारी सोच से भी ज्यादा विचित्र हैं, ग्रहों पर जीवन ना हो तो जीवन उनके चंद्रमा पर भी पनप सकता है। मैं बात कर रहा हूँ शनि ग्रह (Saturn) ने सबसे विशाल मून टाइटन (Titan) (Webb’s First Titan Image) की जो कि पृथ्वी की तरह ही एक इकोसिस्टम लिये हुए है। यहां पर घना वायुमंडल (Atmosphere) है जहां आप उड़ तक सकते हैं।

1.5 अरब किलोमीटर दूर से ली गई टाइटन की इमेज

हाल में ही जेम्स बेब स्पेस टेलिस्कोप ने भी इसकी पहली बार इमेज ली है, जिसे आप देखेंगे तो हैरान रह जायेंगे, जेम्स वेब द्वारा ली गई इसकी इमेज हमें बहुत कुछ बताती है। हमने पहली बार पृथ्वी से 1.5 अरब किमी दूर किसी चंद्रमा की तस्वीर डीप स्पेस (Deep Space) में परिक्रमा कर रहे टेलीस्कोप से ली है इसलिए इसके बारे में जानाना जरूरी बन जाता है। तो सीट बेल्ट पहन लीजिए और अपने अंतरिक्ष यान में बैठकर चलिए टाइटन की ओर…

शनि के चंद्रमा टाइटन की छवियां, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप के NIRCam (Near-Infrared Camera) उपकरण द्वारा 4 नवंबर, 2022 को ली गई।
Image credit: NASA, ESA, CSA, A. Pagan (STScI). Science: Webb Titan GTO Team.

1 दिसंबर 2022 नासा ने जेम्स बेब टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) से ली गई टाइटन की इमेज रिलीज की, इस इमेज को बेब टेलीस्कोप के कई फिल्टर्स की मदद से लिया गया था। नियर इंफ्रारेड कैमरे की मदद से लाइट औऱ डार्क पैचेस देखे गये वहीं ब्राइट धब्बे इस चांद पर मंडराते बादलों को दर्शा रहे हैं। इसकी दूसरी इमेज (Image) को भी कई फिल्टर द्वारा लिया गया है, रेड, ग्रीन और ब्लू फिल्टर को मिलाकर के टाइटन (Webb’s First Titan Image) की ये इंफ्रारेड इमेज बेब टेलीस्कोप हमें प्रस्तुत कर रहा है। इस चित्र में टाइटन की सबसे विशाल झील, समुद्र, रेत के टीलों को देख पा रहें है।

बेब द्वारा ली गई ये दोनों इमेंज इंफ्रारेड वेवलेंथ पर ली गई हैं, इंफ्रारेड धूल और वातावरण के अंदर तक घूस सकता है इसलिए हम इसके ऐटमोस्फेयर के अंदर इसके सर्फेस को देख पा रहे हैं। टाइटन (Webb’s First Titan Image) को अगर आप पृथ्वी से उड़कर सीधा शनि ग्रह के पास से देखेंगे तो वो आपको नारंगी और पीले रंग जैसा दिखाई देगा, आपको लगेगा कि इस चंद्रमा पर डार्क पीले रंग की रेत है, पर वास्तव में ये मीथेन के कारण है, पृथ्वी से एकदम अलग यहां 95 परसेंट नाइट्रोजन के साथ-साथ 5 परसेंट मीथेन गैस एटमोस्फेयर में दिखाई देती है।

टाइटन पर है विशाल मिथेन की झील

टाइटन की जो इमेज आप देख रहे हैं उसमें आप ध्रूबों (Poles) पर बादलों के साथ-साथ क्रेकेन मारे (Kraken Mare) नाम की झील भी देख सकते हैं, 5 लाख किलोमीटर प्रति वर्ग में फैली ये झील भारत के राजस्थान से भी 1.5 गुना विशाल है। इसी से आप इसके आकार को समझ सकते हैं। हालांकि जेम्स बेब की ये इमेज आपको धुंधली दिखाई दे रही है और इसमें कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा है पर वास्तव में ये बहुत महत्वपुर्ण इमेज है इसी के जरिए हम पहली बार टाइटन के बादलों की मूवमेंट को देख पाये हैं।

जेम्स बेब द्वावा टाइटन की विस्तृत छवि
जेम्स बेब द्वावा टाइटन की विस्तृत छवि, इसमें आप टाइटन की विशाल झील (Kraken Mare), रेत के टीले (Belet) और हुईगन प्रोब के लैंडिग की साइट (Adiri) देख सकते हैं।
क्रेडिट: NASA, ESA, CSA, ए. पैगन (STScI)। विज्ञान: वेब टाइटन जीटीओ टीम।

बेब टेलिस्कोप की ये इमेज 4 नंबबर को ली गई थी, फिर इसे रेड़ ग्रीन और ब्लू फिल्टर के जरिए कलर किया गया और फिर इसपर मंडराते बादलों को देखा गया। नासा ने फिर पृथ्वी पर मौजूद केक औबजरबेटरी से भी यही सेम तस्वीर लेने की बात कही। केक टेलीस्कोप ने फिर अपने नियर इंफ्रारेड कैमरे से इमेज ली। इन दोनों तस्वीरों में दो दिनों का अंतर है,  यहां आप टाइटन के बादलों को अगर देखें तो वो आपको चलते हुए दिखाई देंगे।

टाइटन के बादल पृथ्वी की तरह हैं!

बादल ए (Cloud A) और बी (Cloud B) बेब टेलिस्कोप की इमेज में और यही दोनों बादल केक टेलिस्कोप की इमेज में आपको अलग अलग जगहों पर दिखाई दे रहे हैं। टाइटन बाएं से दाएं की ओर चल रहा है जिस वजह से ये दोनों बादल भी हमें चलते होते हुए दिखाई देते हैं। पर अगर आप बादल ए (Cloud A) पर गौर करेंगे तो वो एकदम टाइटन के घूर्णन (Rotation) के कारण अपनी स्थिति (Position) पर ही मूव (Move) हो रहा है पर बादल बी (Cloud B) हमें पीछे की ओर जाता दिखाई दे रहा है।

4 नवंबर और 6 नवंबर, 2022 के बीच 30 घंटों में टाइटन पर बादलों का विकास, जैसा कि वेब NIRCam (बाएं) और केके NIRC-2 (दाएं) ने देखा। Image credit: NASA, ESA, CSA, W. M. Keck Observatory, A. Pagan (STScI). Science: Webb Titan GTO Team.

केक टेलिस्कोप की इस इमेज मेें वो लगभग गायब ही है, जो बताता है कि पृथ्वी की तरह इस चंद्रमा पर भी बादल लगातार अपना आकार और स्थिति बदलते रहते हैं। टाइटन के बाहरी वायुमंडल को जानने के बाद बेब टेलिस्कोप ने अपने स्पैक्टोग्राफ यानि NIRSpec की भी मदद ली। ये टाइटन से आ रही लाइट को डिस्पर्स यानि बिखेर कर फिर एक स्पैक्ट्रम (कई रंगो) में बदल देता है। इन अलग-अलग वेवलेंथ की लाइट से वह किसी भी ग्रह, तारे, या फिर चांद (Webb’s First Titan Image) के भौतिक गुण (Physical Properties) जैसे की उसका द्रव्यमान (Mass), तापमान, और केमिकल कंपोजिशन के बारे में पता लगा पाता है।

भविष्य में बेब टेलीस्कोप और टाइटन

बेब टेलीस्कोप का स्पैक्टोग्राफ बहुत एडवांस है ये एक साथ कई चीजों के बारे में जान सकता है। अब आगे NIRSpec की मदद से ही टाइटन के और उसकी सतह के बारे में डेटा इक्टठा किया जायेगा। ये डेटा कैसिनी स्पेसक्राफ्ट के डेटा से भी ज्यादा इंपोरटेंट होगा और साथ-साथ इसके जरिए हम टाइटन के साउथ पोल पर उभर रहे ब्राइट स्पोट के बारे में भी जान सकेंगे। इसके अलाबा टाइटन की मिड इंफ्रारेड वेवलेंथ (MIRI) पर ली गई इमेज को भी डिकोड किया जायेगा इस वेवलेंथ पर हम धूल और वायुमंडल के अंदर तक जाकर के किसी भी तारे, ग्रह और टंद्रमा को देख सकते हैं। मिड इंफ्रारेड इमेज में अभी थोड़ा समय है पर जब हम हमारे पास इसकी इमेज आयेगी तो ये टाइटन की अबतक की सबसे डिटेल्ड इमेज होगी जो हमें टाइटन (Webb’s First Titan Image) पर मौजूद गैसों के बारे में से लेकर के ये भी बतायेगी क्यों टाइटन हमारे सोलर सिस्टम का अबतक का एकमात्र ऐसा मून है जिसके पास पृथ्वी से भी 4 गुना ज्यादा घना ऐमोस्फेयर है जबकि आकार मंगल ग्रह के लगभग बराबर है। 

टाइटन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण चंद्रमा है, भविष्य में मानव सभ्यता इसे अपना घर भी बना सकती है, किसी दूसरे सौर मंडल के ग्रह (Exo-planet) से बहुत कम दूरी और अपने ही सोलर सिस्टम में हमें एक हैवीटेवल ग्रह मिल सकता है।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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