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नासा ने आखिर कार चाँद पर ढूंढ लिया है पानी, एक बेहद ही ऐतिहासिक खोज! – Water On The Moon In Hindi

नासा के वैज्ञानिकों को चाँद पर आखिर इतना पानी (0.3L) कैसे मिला? जानें एक विशेष रिपोर्ट।

जीवन के लिए कुछ मूलभूत आधारों की जरूरत पड़ती हैं और उन आधारों में से एक है पानी”। इसके बिना ना ही जीवन संभव हैं और ना ही इसकी कल्पना की जा सकती है। वैसे जीवन के लिए बाकी कई सारे चीजों की भी जरूरत है, परंतु पानी की विशेषता सर्वोपरि है। मित्रों! पानी के बारे में अगर हम एक वाक्य में कुछ कहें तो वो वाक्य होगा जल ही जीवन है”। जहां! पृथ्वी पर जल संकट अपनी चरम सीमा पर पहुँच रहा हैं वहीं दूसरी तरफ नासा ने हाल फ़िलहाल में चाँद पर जल (water on the moon in hindi) को खोज लिया है।

वैज्ञानिकों ने ढूंढा चाँद पर पानी ! - Water On The Moon In Hindi.
चाँद पर पानी, एक ऐतिहासिक खोज! | Credit: Business Insider.

जी हाँ दोस्तों! आप लोगों ने सही सुना नासा ने चाँद की एक सतह पर जल के होने की पुष्टि कर दी है (water on the moon in hindi) जो की एक बहुत ही बड़ी खोज है। क्योंकि इस तरह के आविष्कारों को हम कभी कभार ही देखते है। वैसे और एक बात मेँ आप लोगों को बता दूँ की, आज के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और देखेंगे की; आखिर कैसे नासा ने इतने बड़े खोज को अंजाम दिया।

खैर आगे बढ्ने से पहले और एक बात पर गौर करेंगे की, मैंने इस लेख से पहले ही चाँद के सतह पर मौजूद धूल के कणों से कैसे पानी को बनाया जा सकता है” उसके बारे में भी आप लोगों को बताया है। तो, अगर आपने उस लेख को अभी तक नहीं पढ़ा है तो एक बार उस लेख को भी अवश्य ही देख लीजिएगा।

आखिर कैसे हुई चाँद की सतह पर पानी का खोज? – Water On The Moon In Hindi :-

तो, चाँद पर पानी की खोज (water on the moon in hindi) नासा के सोफिया” (SOFIA) ने की है। SOFIA यानी “Stratospheric Observatory For Infrared Astronomy” जो की नासा की खास प्रयोगशाला है। अब आप लोगों में से कुछ लोग ये सोच रहे होंगे की, आखिर इसमें ऐसी कौन सी खास बात है। तो, मित्रों मेँ आप लोगों को बता दूँ की; “SOFIA” एक साधारण प्रयोगशाला नहीं है। ये एक उड़ता हुआ प्रयोग शाला है, जो की एक विमान के अंदर मौजूद है। इसे “नासा और जर्मन ऐरोस्पेस सेंटर” ने मिल कर बनाया है। अगर में इसके बारे में और ज्यादा बातें करूँ तो, ये बोईंग 747″ विमान के अंदर स्थित है और इसका मूल काम वायुमंडल केस्ट्राटोंस्फियर” में रह कर खगोलीय गतिविधियों पर नजर रखना है।

Nasa's Sofia Observatory
सोफिया की तस्वीर | Credit: NASA.

वैसे सोफिया के लेजर नियंत्रित उपकरण चाँद के सतह पर होने वाली छोटी सी छोटी घटनाओं पर भी नजर रखने में सक्षम हैं। वैसे वर्तमान की खोज से ये पता चला है की, चाँद के जिस सतह पर सूर्य का प्रकाश पड़ता हैं उसी सतह पर पानी के कण मौजूद है। वैसे गौरतलब बात ये भी हैं की, इस खोज से ये भी अनुमान लगाया जा रहा हैं की; चाँद के सबसे ठंड और अंधरे से घिरे हुए इलाकों के अलावा भी कई अन्य कई जगहों पर भी जल के कण हो सकते है।

इस खोज से आखिर चाँद पर कितना पानी के होने का अनुमान है? :-

सोफिया ने अभी चाँद के “Clavius Crater” में जल के होने की पुष्टि की है जो की चाँद के दक्षिण गोलार्ध में मौजूद है। इससे पहले वैज्ञानिकों को सिर्फहाइड्रोजन के कणों” की होने के बारे में पता था। परंतु इस खोज के बाद ये बात तो पक्की हो गई हैं की, चाँद पर पानी मौजूद है। मित्रों! वैज्ञानिकों के अनुसार चाँद के दक्षिणी गोलार्ध को काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता हैं, क्योंकि इसी हिस्से में ही पानी के होनी की ज्यादा संभावनाएं बनती है।

वैज्ञानिकों ने ढूंढा चाँद पर पानी ! - Water On The Moon In Hindi.
चाँद के साथ पर मिले पानी के कणों की जगह | Credit: Luna Society.

मित्रों! चलिये अब चाँद के पानी के विषय में (water on the moon in hindi) थोड़ा और जान लेते है। इस खोज के दौरान सोफिया को चाँद पर अभी तक “0.3 लीटर” पानी के होने का अनुमान है। मित्रों! इतनी मात्रा में चाँद पर पानी का होना कोई साधारण बात नहीं है और वो भी पूरे तरीके से शुद्ध अवस्था में। वैसे जिस जगह पर पानी को खोजा गया है, उस जगह पर पानी के कणों का संकेंद्रण (Concentration)  “100 से 412 पार्टिकल पर मिलियन” है। ये पहली घटना है जिसमें इतनी मात्रा में पानी के कणों का एक साथ एक ही जगह पर मिलना हुआ है। वैसे ये पानी चाँद के एक घन मीटर के इलाके में फैली मिट्टी में पाई गई है।

मेँ मानता हूँ की, इस खोज में मिलने वाले पानी की मात्रा बहुत ही कम है; परंतु इस खोज को हम ऐसे ही नजर अंदाज नहीं कर सकते है। एक विशेष बात ये भी हैं की, खोज में मिलने वाले पानी की मात्रा सहारा के रेगिस्तान” में मौजूद पानी की मात्रा के 1/100 हिस्से बराबर है। तो, ये मात्रा इतना भी कम नहीं है। आपको इसके बारे में क्या लगता हैं? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।

इस खोज का प्रभाव भविष्य में कैसा होगा? :-

हम वर्षों से चाँद (water on the moon in hindi) तथा मंगल पर पानी के सबूतों को ढूंढते आए है और इस उम्मीद में भी हैं की आखिर एक दिन हमें जीवन के पनपने लायक पानी अंतरिक्ष में मिल जायेगा। ये खोज उसी दिशा में एक पहल हैं और ये आने वाले निकट भविष्य में होने वाले अन्य खोजों पर काफी सकारात्मक प्रभाव भी डालेगा। इससे वैज्ञानिकों का मनोबल भी काफी बढ़ेगा और हम उन्हें अंतरिक्ष में कई मुकाम हासिल करते हुए भी देख सकते है।

नासा ने साल 2024 तक चाँद पर पहली महिला और अगले पुरुष अंतरिक्ष यात्री को भेजने का निर्णय लिया है। इस मिशन को नासा ने “Artemis” मिशन का नाम दिया है। ऐसे में हम इस बात को भी नकार नहीं सकते हैं की, “Artemis” मिशन के बाद नासा का अगला कदम शायद चाँद पर इंसानों के लिए रहने लायक “स्पेस बेस” बनाना हो। तो, चाँद पर पानी का खोज हमारे लिए बहुत ही ज्यादा अच्छी बात है। फिर भारत भी अपने अंतरिक्ष यात्रियों को शायद चाँद पर भेजने का प्रयास भी करें। तो, आप समझ रहें होंगे की ये खोज कितनी खास और ऐतिहासिक है।

Most lunar water particles on southern hemisphere.
दक्षिणी गोलार्ध में मिले पानी के कण | Credit: Mt Technology.

भारत की चंद्रयान-1″ मिशन भी इस खोज के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण था। क्योंकि इस मिशन से वैज्ञानिकों को चाँद पर हाइड्रोजन के कणों के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला था। मित्रों! 1960 के दशक से ही वैज्ञानिकों को लगता था की, चाँद एक बिलकुल सुखी और बंजर इलाका है। परंतु जब कई सारे देशों ने चाँद पर अपना प्रोब छोड़ा तो पता लगा की, चाँद के ध्रुवीय इलाकों में पानी मौजूद है।

निष्कर्ष – Conclusion :-

पृथ्वी के सतह से 45,000 फिट के ऊंचाई पर उड़ रही सोफिया ने चाँद को देखने की हमारे नजरिया को ही बदल दिया है। सोफिया के अंदर एक 106 इंच व्यास का टेलिस्कोप लगा हुआ हैं जो की वायुमंडल में ही रह कर हमारे ब्रह्मांड को काफी अच्छे तरीके से देख सकता है। बता दूँ की, इस टेलिस्कोप से आप काफी दूर मौजूद ग्रहों तथा उप-ग्रहों के वातावरण में स्थित “6.1 माइक्रोन” आकार के कण को भी आसानी से देख सकते है।

वैज्ञानिकों ने ढूंढा चाँद पर पानी ! - Water On The Moon In Hindi.
सोफिया के टेलिस्कोप की तस्वीर (नारंगी रंग में) | Credit: Kn Aviation.

नासा के वैज्ञानिक कहते हैं की, ये पहली बार हैं जब सोफिया ने चाँद की और इतने बारीकी से देखा हो। आमतौर पर ये दूर ब्रह्मांड में स्थित आकाशगंगाओं और ग्रहों को देखने में व्यस्त रहती है। वैसे नासा ने अपने “Lunar Reconnaissance Orbiter” से भी पता लगाया है की, चाँद के अंधेरे इलाकों में बर्फ के रूप में पानी मौजूद है और जहां तापमान काफी ज्यादा कम होता है।

वैसे मित्रों! अंतरिक्ष में किसी ग्रह या उप-ग्रह के पास अगर अपना स्थायी वातावरण न हो तो वहाँ पर मौजूद पानी भाँप हो कर उड़ सकता है। इसलिए ये भी माना जा रहा हैं की, चाँद के जिस जगह पर हमें पानी (water on the moon in hindi) मिला है ठीक उसी जगह पर शायद एक पतली सी वातावरण भी मौजूद हो।

Sources :- www.nasa.gov.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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