विज्ञान के बदौलत आज इंसान कई सारी बुलंदियों तक पहुँच चुका है। ऐसा लग रहा है, आने वाले समय में खुद इंसान ही दूसरे इंसान को बनायेगा। वर्तमान के समय की बात करें तो, चिकित्सा विज्ञान में आई क्रांति ने इंसान की औसतन आयु को दोगुना कर दिया है। ऐसे में वैज्ञानिक नियमित रूप से प्रयोग कर ऐसी-ऐसी चीजों को बना रहें है, जो आगे चलकर शायद हमें दीर्घायु करें। खैर खुशी की बात तो ये हैं की, निकट भूत काल में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी चीज़ को (scientists create life like material) अपने प्रयोगशाला (Lab) में बना लिया है जो की हूबहू एक जीवित प्राणी के जैसा है।
जीवित प्राणी के जैसा बर्ताव करने वाला ये चीज़ (scientists create life like material) विज्ञान के सबसे अद्भुत आविष्कारों में से एक है। वैज्ञानिक इस मटिरियल (चीज़) को ढूंढ कर काफी ज्यादा खुश है और इससे उन्हें काफी ज्यादा आत्मविश्वास भी मिला है। वैसे देखा जाये तो, इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही जीवित मशीन को ढूंढ कर निकालने/ बनाने में सक्षम रहें है।
मित्रों! आज के इस लेख का विषय ये जीवित चीज़ (life like material) है। इसी कारण से हम इसके ऊपर एक सम्यक चर्चा भी करेंगे। तो, मेरे साथ इस पूरे लेख में बने रहिएगा क्योंकि ये लेख काफी ज्यादा रोचक होने वाला है।
विषय - सूची
आखिर कैसे बनी ये सजीव चीज़? – How Scientist Create Life Like Material? :-
Cornell University के वैज्ञानिकों ने कहा हैं की, जीवन को पनपने के लिए 3 मुख्य आधारों की जरूरत पड़ती है। इसलिए अगर हमने किसी तरह उन तीन आधारों को बना लिया तो शायद हम जीवन को बना सकते है। हालांकि! ये एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। वैसे यहाँ ध्यान देने वाली बात ये हैं की, “वैज्ञानिकों का मूल लक्ष जीवन को बनाना नहीं है परंतु सजीव मशीन या उसी तरह के जीवित चीजों को बनाना है”। इसलिए कई बार अपने प्रयोगों में उन्होंने जीव विज्ञान के सिद्धांतों को आजमा कर उसी दिशा में काम करने का निर्णय लिया है।
यहाँ! अगर मेँ जीव विज्ञान की बात करूँ तो, उसके अनुसार हर एक जीवित प्राणी में एक चीज़ कॉमन पायी जाती है और वो चीज़ है D.N.A। डी.एन.ए को आप एक कोशिय जीवों से लेकर बहू कोशिय जीवों के अंदर भी देख सकते हैं। इसलिए अगर हम किसी भी मटिरियल को जीवित या जीवित प्राणी के तरह बनाना भी चाहते हैं तो, उसके अंदर हमें D.N.A को डालना पड़ेगा। बिना डीएनए के कोई भी जीवित चीज़/ प्राणी सजीव नहीं रह सकता है। क्योंकि इसी डीएनए से ही प्राणी के सभी गुरुत्वपूर्ण उपापचय (metabolism) प्रक्रिया नियंत्रित होती है। डीएनए ही वो चीज़ हैं जिससे सजीव चीज़ को जरूरत में लगने वाली हर एक जरूरी पोषक तत्व मिलता है।
इसलिए वैज्ञानिकों ने बनाए गए सजीव चीज़ (scientists create life like material) के अंदर मौजूद D.N.A को कृत्रिम तरीके से नियंत्रित कर के, उसमें जरूरी उपापचय (metabolism) के प्रक्रियाओं को अंजाम दिया। मित्रों! इसी तरह ही इस सजीव मटिरियल की उत्पत्ति हुई और आज इसके ऊपर कई सारे शोध किए जा रहें है।
आखिर कैसे काम करती हैं ये सजीव चीज़? – How This Thing Works? :-
जैसा की मैंने पहले ही बताया हैं, जीवन के तीन प्रमुख आधार हैं। वैसे इन प्रमुख आधारों के नाम है; “Metabolism, Self-Assembly और Organization”। इन्हीं तीन आधारों के कारण ही आज वैज्ञानिक इस सजीव चीज़ को (scientists create life like material) बनाने में सक्षम हुये है। वैसे इस चीज़ की अगर हम काम करने के ढंग को देखें तो पता चलता हैं की, वैज्ञानिकों ने अपने सुविधा अनुसार एक ऐसे डीएनए को चुना है जो की निर्जीव चीज़ के अंदर भी जान डाल दें। कहने का मतलब ये हैं की, ये डीएनए इस निर्जीव के अंदर सजीव प्राणी के हर एक प्रक्रियाओं को आसानी से अंजाम दे सकता है।
वैसे डीएनए के मदद के लिए वैज्ञानिकों ने कई सारे अलग-अलग तरह के “Bio Materials” को भी उपयोग में लिया हैं, ताकि कोई भी रुकावट पैदा न हो। मित्रों! अब कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी आया होगा की, “आखिर कैसे वैज्ञानिकों ने इस तरह के खास D.N.A को बना लिया”? तो, चलिये एक नजर इसके ऊपर भी डाल लेते हैं।
वैज्ञानिकों ने इस तरह के खास डीएनए को बनाने के लिए “DASH” नाम के एक प्रक्रिया की मदद ली है। यहाँ पर DASH यानी “DNA-based Assembly and Synthesis of Hierarchical” मटिरियल है। इसी मटिरियल से ही ये खास डीएनए बना है जो की खाना को हजम कर के उससे जीवन के लिए जरूरी पोषक तत्व को बाहर निकाल सके। वैसे बता दूँ की, सजीव रहने के लिए खाना में हर एक तरह के पोषक तत्वों का होना जरूरी हैं क्योंकि शरीर के अंदर होने वाली मेटाबोलिस्म के प्रक्रिया में इन्हीं पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। खाना से निकलने वाली ऊर्जा को ये डीएनए सजीव रहने के लिए इस्तेमाल करता है।
ऐसी चीज़ को बनाने का क्या है कारण? – Reasons For Making This Type Of Life Like Things! :-
कोई भी चीज़ वैज्ञानिक बिना किसी कारण के नहीं बनाते हैं और यहाँ भी इस सजीव मटिरियल (scientists create life like material) को बनाने के पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य ही रहें होंगे। तो, चलिये उन कारणों को भी जान लेते हैं।
वैज्ञानिकों ने यहाँ एक बात बहुत ही सीधे तरीके से बोला हैं की, उनका जीवन (सजीव प्राणी) को बनाने का कोई लक्ष नहीं है; क्योंकि ये वर्तमान के समय में एक तरह से असंभव ही है। परंतु वो जीवित प्राणी के जैसा ही मशीन बनाने के उद्यम में है; जो की हूबहू जीवित प्राणियों के तरह ही काम कर सके। वैसे जरा सोचिए अगर हमें इंसानों के जैसा ही मशीन मिल जाये तो क्या होगा?
मित्रों! बता दूँ की; ऐसे मशीनों को वैज्ञानिक आज Artificial Intelligence के साथ जोड़ने का सोच रहें है। ऐसे में हमें हूबहू इंसानों के जैसा ही मशीन मिल सकेगा जिससे हम कई काम इंसानों के जैसा करवा पायेंगे। इससे एक ऐसे मशीन को बनाया जा सकेगा जो इंसानों के जैसा ही सोचता होगा और इंसानों को कई क्षेत्रों में मदद भी करेगा। वैसे इन मशीनों का इस्तेमाल उद्योगों में काफी ज्यादा देखा जा सकता है। खैर आपको क्या लगता हैं, ऐसे इंसानों के जैसा ही मशीन बनाना सही हैं? क्या इससे हमें आने वाले समय में कोई असुविधा होगी? जरूर ही कमेंट कर के बताइएगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
ये जो सजीव मटिरियल (scientists create life like material) हैं, इसे इस तरह प्रोग्राम किया गया हैं की; इसे अगर हम नियमित खाना देते हैं रहें तो ये एक सजीव शरीर की तरह आकार में बढ़ता रहेगा। ऐसे में सोचने वाली बात ये भी हैं की, अगर ये सच में अपने आप सिर्फ खाना खिलाते रहने से बड़ा हो रहा है तो; क्या इससे हम आगे चलकर इंसानों के लिए कृत्रिम सजीव अंग बना पायेंगे। जिससे हमें लोगों को कम पैसों में ठीक करने का मौका भी मिलेगा।
वैसे मटिरियल में लगा डीएनए मटिरियल के अंदर नियमित रूप से नए कोशिकायों को बनाने में सक्षम बन रहा है और साथ ही साथ पुराने कोशिकायों को मटिरियल से बाहर निकालने का काम भी कर रहा है। अब देखना ये हैं की, आखिर कब तक ये पूरे तरीके से कुशल बन पाता है। वर्तमान की बात करूँ तो, अभी ये डीएनए काफी तेजी से मटिरियल के अंदर रेप्लीकेट हो कर डीएनए के नए खंडों को बना रहा है।
वैज्ञानिक कहते हैं की, अभी ये डीएनए अपने-आप ही डीएनए स्ट्रांड को बना कर उसे नियंत्रित करने को लग रहा है। हालांकि! वैज्ञानिकों को बीच-बीच में इसे देखना भी पड़ रहा है। स्ट्रांड का एक हिस्सा (front end) जहां तेजी से बढ़ रहा हैं वहीं दूसरी और स्ट्रांड का एक दूसरा हिस्सा (tail end) धीरे-धीरे अपने आप को बढ़ने से रोक रहा है। तो, आप कह सकते हैं की; ये चीज़ आगे चलकर पूरे तरीके से स्वचालित भी हो जायेगी।
Source :- www.bigthink.com.