ब्रह्मांड एक ऐसी जगह है, जहां पर हर वक़्त कुछ न कुछ चीज़ें होते रहती हैं। सौर-मंडल हो या अन्य कोई तारा मंडल, इन सभी खगोलीय संरचनाओं के अंदर सक्रियता को आप बखूबी देख सकते हैं। वैसे कई बार इस सक्रियता के चलते हमें कुछ बहुत ही अद्भुत चीजें देखने को मिल जाती हैं। जैसे की रेडियो सिगनल्स (radio signal from center of milky way)। आमतौर पर ब्रह्मांड में रेडियो सिगनल्स ही ऐसी तरंगें हैं, जो की हम इंसानों के पास अकसर काफी सुदूर इलाकों से पहुंचते हैं। ये सिगनल्स हमें काफी कुछ जानकारी देते हैं। इसलिए इनके बारे में जानना एक तरह से अनिवार्य ही हो जाता है।
इस बार वैज्ञानिकों को हमारी मिल्की वे से रेडियो सिगनल्स (radio signal from center of milky way) मिले हैं। वैसे वैज्ञानिकों को इससे पहले भी कई बार ब्रह्मांड से रेडियो सिगनल्स मिले हैं। परंतु, रेडियो सिगनल्स के मिलने की ये घटना बाकी घटनाओं से काफी ज्यादा अलग है, क्योंकि इस घटना में हमारा मिल्की वे शामिल है। तो आज के इस लेख में हम इन्हीं रेडियो सिग्नल के बारे में जानने का प्रयास करेंगे और देखेंगे की ये सिग्नल्स आखिर कहाँ से आए होंगे।
तो मित्रों! मेरे साथ इस लेख में आखिर तक बने रह कर, रेडियो सिग्नल्स से जुड़ी इस गुत्थी को साथ सुलझाने में मदद करें।
विषय - सूची
मिल्की वे के अंदर से आया है ये रेडियो सिग्नल! – Radio Signal From Center Of Milky Way! :-
वर्तमान में ही वैज्ञानिकों को मिल्की वे के केंद्र के पास से कुछ रेडियो सिगनल्स (radio signal from center of milky way) मिले हैं। ध्यान देने वाली बात ये भी हैं कि, ये Signals काफी ज्यादा रिपिट (दोहरा रहें हैं) हो रहें हैं। हालांकि! इससे पहले मिले रेडियो तरंगों (सिग्नल) से ये रेडियो तरंगें काफी ज्यादा भिन्न हैं। क्योंकि, इन तरंगों के मूल स्रोत के बारे में वेज्ञानिक सही तरीके से कुछ भी पता नहीं लगा पा रहें हैं। वैसे तरंगों के मूल स्रोत के बारे में पता न लगा पाना, खुद वैज्ञानिकों को भी काफी ज्यादा अजीब लग रहा हैं।
विज्ञान से संबन्धित एक मैगजीन में इन तरंगों के स्रोत के बारे में ये छपा हैं कि, इन रेडियो सिगनल्स का स्रोत काफी ज्यादा अजीब तरीके से बर्ताव कर रहा है। कई बार रेडियो स्पेक्ट्रम में तरंगों का स्रोत कई हफ्तों तक काफी चमकीला नजर आता है तो बाद में कुछ ही दिनों में ये स्रोत बिलकुल ही क्षीण हो कर गायब ही हो जा रहा है। मित्रों! बता दूँ कि, इस तरह का बर्ताव किसी भी खगोलीय पिंड के लिए सही नहीं बैठता है और ऐसा बर्ताव वैज्ञानिकों ने पहली बार ही देखा है।
यहीं कारण है कि, ज़्यादातर वैज्ञानिकों को ये लगता है कि, उन्होंने इस रेडियो इमैजिंग (Radio Imaging) की तकनीक से कुछ नया ही खोज लिया है। यहाँ पर नया माने, कुछ अलग ही प्रकार का खगोलीय पिंड जो कि इससे पहले कहीं देखा गया था। मित्रों! आप लोगों को इसके बारे में क्या लगता हैं, क्या ये एक नए तरह का पिंड हो सकता हैं? या ये सिर्फ हमारा भ्रम हैं!
आखिर कैसे ढूंढा गया इन रेडियो तरंगों (Signals) को? :-
अब यहाँ पर लोगों के मन दूसरा सबसे बड़ा सवाल ये होगा कि, आखिर किस तरह इन रेडियो तरंगों (radio signal from center of milky way) को ढूंढा गया होगा? तो, चलिये एक नजर इस सवाल के जवाब के ऊपर भी डाल लेते हैं। मित्रों! खोजे गए इस रेडियो सिग्नल का नाम “ASKAP J173608.2−321635” रखा गया है। इसे ऑस्ट्रेलिया के एक स्पेस टेलिस्कोप “Australian Square Kilometre Array Pathfinder (ASKAP)” से ढूंढा गया है। मित्रों! ये एक तरह का रेडियो टेलिस्कोप है जो कि ब्रह्मांड से आने वाली रेडियो तरंगों को डिटेक्ट करता है।
ये टेलिस्कोप ऑस्ट्रेलिया के एक बहुत ही सुदूर इलाके में स्थित है और इसे काफी सालों से ब्रह्मांड में रेडियो तरंगों को ढूँढने के काम में उपयोग किया जाता है। हालांकि! वर्तमान के समय में खोजा गया रेडियो तरंग सबसे पहले 2019 में पृथ्वी के पास पहुंचा था। अप्रैल 2019 से लेकर अगस्त 2020 तक ये सिग्नल कुल 13 बार आसमान में प्रकट हो चुका है। हालांकि! गौरतलब बात ये है कि, प्रकट होने के कुछ ही हफ्तों बाद ये सिग्नल स्वतः गायब हो जाता है। जो कि बहुत ही अजीब और आश्चर्यचकित कर देने वाली बात है। इसके अलावा आपको मालूम होना चाहिए कि, ये रेडियो सिग्नल कभी भी प्रकट हो कर कभी भी अदृश्य हो जाता है।
ये रेडियो तरंग क्या वाकई में अजीब और डरावनी हैं? :-
जैसा कि मैंने पहले ही कहा है ASKAP के द्वारा खोजा गया ये रेडियो तरंग (radio signal from center of milky way) वाकई में काफी ज्यादा अजीब है। तो ये बात स्पष्ट हो जाता है कि, ये तरंग अजीब तो है। परंतु एक सवाल यहाँ और उठता है कि, क्या ये तरंग डरावनी भी है? मित्रों! खास इसी सवाल के लिए ही मैंने इस भाग को लेख में यहाँ दर्ज किया है। कई वैज्ञानिक कहते हैं कि, ये रेडियो तरंग कोई आम तरंग नहीं है। ये ऐसी तरंगें हो सकती हैं, जो कि किसी परग्रही सभ्यता के द्वारा हमारे पास भेजी जा रहीं हो। परंतु दूरी काफी होने के कारण ये तरंग बार-बार टूट जा रही है।
इसके अलावा कुछ वैज्ञानिकों का यहाँ तक कहना हैं कि, ये तरंग किसी दूसरे ही आयाम से आ रही है। यानी ये तरंग हमारे लिए डर का कारण भी बन सकती हैं। क्योंकि न ही हम इसके अस्तित्व और स्रोत के बारे में कुछ भी जानते हैं। वैसे तो, आए दिन हमें अंतरिक्ष से तरह-तरह के सिग्नल मिलते रहते हैं; परंतु इस खास सिग्नल को हम स्पेक्ट्रम के अंदर दाखिल करके विश्लेषित भी नहीं कर पा रहें हैं। सर्वे से पता चलता है कि, ये सिग्नल कई कम वजनी सितारों के द्वारा छोड़े जा सकते हैं। परंतु, बाद में किए गए रिसर्च में इस बात को गलत पाया गया है। बता दूँ कि, ये सिग्नल रेडियो सिग्नल के वजाए एक्स-रे होते है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! ASKAP के अलावा अन्य किसी रेडियो टेलिस्कोप के सर्वे में इस रेडियो तरंग के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिलती है। जो कि फिर से एक बहुत ही असाधारण बात है। जब भी वैज्ञानिक ASKAP से ढूँढे गई इन रेडियो तरंगों को दूसरे रेडियो टेलिस्कोप के जरिये खोजने का प्रयास करते हैं, तब अचानक से ये तरंग कहीं विलीन हो जाता है। ऐसा लगता हैं जैसे ये तरंग वैज्ञानिकों से लुका छिपी खेल रहा हो।
वैज्ञानिकों का एक गुट कहता है कि, ये रेडियो तरंग (radio signal from center of milky way) “पल्सर्स(Pulsars)” या “मैग्नेटार्स(Magnetars)” से उत्पन्न हो सकते हैं। वैज्ञानिक तर्क देते हैं कि, पल्सर्स सीधे तरीके से पृथ्वी कि और काफी चमकीले रेडियो लाइट को भेज सकते हैं। इसलिए संभव हैं कि, ये तरगें भी इन्हीं पल्सर्स से आए हो। इसके अलावा मैग्नेटार्स भी इस प्रकार के तरंगों को भेजने में सक्षम हैं, परंतु ज़्यादातर वो एक्स-रे को ही अंतरिक्ष में छोड़ते हैं। इसके अलावा पल्सर्स और मैग्नेटार्स से निकलने वाले तरंगें सुनियंत्रित और नियमित होते हैं। इनमें किसी प्रकार से कोई भी अव्यवस्था नहीं दिखाई पड़ती हैं।
खैर हाल ही में पता चला है कि, इन तरंगों की उत्पत्ति स्थल “Galactic Center Radio Transient (GCRT)” हो सकती हैं। ये जगह ब्रह्मांड में सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक है। इसके बारे में न ही किसी को ज्यादा पता हैं और न ही हम इसको खोजने में समर्थ हो पाये हैं। हालांकि! बता दूँ कि, मिल्की वे के ठीक केंद्र में स्थित ये जगह एक बहुत ही चमकीला स्थान है। यहाँ पर हर वक़्त काफी तीव्र से रेडियो तरंगें उत्पन्न होते हैं और कुछ ही घंटों में वापस खत्म हो जाते हैं।
Source:- www.livescience.com.