पिछले कई दशकों से भारत ने अंतरिक्ष में कई चुनोतियों को पूरा किया है। हर एक क्षण भारत के वैज्ञानिक कैसे और भी बेहतर तरीके से अंतरिक्ष में भारत को सफलता दे सकें उसके ऊपर ही काम करते आ रहें हैं। चंद्रयान हो या मंगलयान हर एक मिशन ने भारत को कई सारे चीजों को जानने का मौका दिया है। इस्रो(ISRO) के वैज्ञानिक जिस लगन से हर एक मिशन को पूरा करते हैं, देख कर ऐसा लगता हैं की वो दिन दूर नहीं है जब भारत पश्चिम के देशों के साथ बराबरी करने लगेगा। वैसे भारत के आने वाले मिशनों के लिए हमें PSLV और GSLV (pslv and gslv rockets in hindi) जैसे अगले पीढ़ी के रॉकेटों की जरूरत पड़ने वाली है।
अब कुछ-कुछ लोगों ने PSLV और GSLV (pslv and gslv rockets in hindi) के बारे में पहले से ही सुना होगा, परंतु मजे की बात तो ये हैं की; ज्यादातर जनता शायद इसे एक रॉकेट या कोई अंतरिक्ष यान ही मानती हैं। परंतु! मित्रों ये दोनों ही चीज़ें रॉकेट और अंतरिक्ष यान से बढ़ कर हैं। इसलिए स्वदेशी तकनीक से बनें इन दोनों ही वाहनों के बारे में जानना हर एक भारतीय विज्ञान प्रेमी के लिए अनिवार्य हो जाता हैं, क्योंकि इनके बारे में जानें बिना शायद ही कोई मिशन अंतरिक्ष में अंजाम दिया जा सकता हैं।
तो, चलिये लेख को अब शुरू करते हुये इन दोनों ही वाहनों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विषय - सूची
PSLV और GSLV रॉकेट क्या हैं? – What Is PSLV And GSLV Rockets In Hindi :-
मित्रों! आगे बढ्ने से पहले आप लोगों को बता दूँ की, मैंने इस लेख में PSLV और GSLV (pslv and gslv rockets in hindi) दोनों ही वाहनों को अलग-अलग कर के लिखा हैं। इसलिए सबसे पहले आप PSLV के बारे में और उसके ठीक बाद ही GSLV के बारे में पढ़ पायेंगे।
PSLV किसे कहते हैं? – What Is PSLV In Hindi? :-
बहुत ही सरल तरीके से कहें तो, PSLV या “Polar Satellite Launch Vehicle” एक मध्यम धरण का लौंचिंग व्हिकल (Launching Vehicle) है। इसे स्वदेशी कौशल से ISRO के द्वारा बनाया गया है तथा इसे ISRO के द्वारा इस्तेमाल किया जाता हैं। इस लौंचिंग वाहन के वजह से ही भारत “अपने Remote Sensing” उपग्रहों को अंतरिक्ष के “Sun-Synchronous Orbit” में छोड़ पाया हैं। 1993 से पहले (जब PLSV नहीं बना था) भारत को अगर Remote Sensing उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ना होता तो, वो रुष की मदद लेता था। जिसके कारण कई बार मिशन का लागत कई गुना बढ़ भी जाता था।
रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट्स के अलावा PSLV (pslv and gslv rockets in hindi) छोटे आकार के उपग्रहों को “Geostationary Transfer Orbit (GTO)” में भी पहुंचाने में सक्षम है, जो की इसे और भी ज्यादा बेहतर बनाता हैं। आपको जानकर हैरानी होगा की, भारत के सबसे प्रमुख मिशनों को इसी वाहन के द्वारा ही अंजाम दिया गया था। चंद्रयान-1, मंगलयान और भारत के प्रथम अंतरिक्ष ओबसेरवेटोरी “Astrosat” को इसी वाहन के द्वारा अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। तो, आप समझ लीजिये की ये वहाँ भारत के लिए कैसा किरदार अदा करता होगा।
इसके अलावा PSLV के जरिये भारत अपने उपग्रहों के साथ-साथ दूसरे देशों की उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम हैं। 2020, नवम्बर तक PSLV ने 34 अलग-अलग देशों से आए 328 से ज्यादा विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ चुका हैं। ऐसे में साल 2017 फ़रवरी के महीने में किया गया PSLV का लौंचिंग सबसे यादगार रहेगा, क्योंकि इस एक ही लॉंच में 104 से भी ज्यादा उपग्रहों को भारत ने अंतरिक्ष में छोड़ा था , जो उस समय एक रिकॉर्ड था।
PSLV वाहन के बारे में कुछ विशेष जानकारीयां! :-
जब हमने PSLV (pslv and gslv rockets in hindi) के बारे में मूल भूत बातों को जान ही लिया हैं तो, क्यों न इसके कुछ विशेष बातों को भी जान लें। क्या कहते हैं ? जान लें! चलिये जान ही लेते हैं।
1994 से लेकर 2017 तक PSLV ने अकेले ही लगभग 39 बहुत ही बड़े-बड़े मिशनों को सफल बनाया हैं। वैसे इस 39 मिशनों के अंदर भारत ने PSLV को इस्तेमाल कर के 48 भारतीय उपग्रह और 209 विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ा हैं। खैर ये वाहन इतना सफल होने के पीछे कई सारे कारण और किस्से हैं, जिसको की हम वाहन की खूबियां भी कह सकते हैं। तो, चलिये एक-एक करके वाहन के इन खूबियों को भी जान लेते हैं।
भारत में PSLV को “The Workhorse Of ISRO” भी कहते हैं, क्योंकि ये वाहन लगातार पृथ्वी के निचली कक्षा में उपग्रहों को छोड़ के लिए काबिल हैं। इसके अलावा ये वाहन सर्वाधिक 1,750 kg के पे-लोड को अंतरिक्ष में 600 km के ऊंचाई तक ले जा सकता है। इसके अलावा PSLV के काबिलियतों को देखते हुये इसे “Geosynchronous और Geostationary Orbit” में उपग्रहों को छोड़ने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता हैं। वैसे बता दूँ की, इन ओरबिट्स में PSLV सर्वाधिक 1,425 kg तक के पे-लोड को ले जा सकता है।
मित्रों! आगे हम PSLV के अलग-अलग चरणों के बारे में जानेंगे। इसलिए लेख के इस भाग को जरा गौर से पढ़िएगा।
PSLV के अलग-अलग चरण (Stages) :-
PSLV (pslv and gslv rockets in hindi) वहाँ के मुख्य रूप से 4 चरण होते हैं, जिन्हें की स्टेज-1, स्टेज-2, स्टेज-3 और स्टेज-4 के नामों से जाना जाता हैं।
स्टेज-4 में मुख्य रूप से वाहन के दो इंजन चालू रहते हैं। वैसे इस चरण में ईंधन के रूप में Mono Methyl Hydrazine (MMH) और Mixed Oxides Of Nitrogen (MON) को इस्तेमाल किया जाता हैं। इसलिए स्टेज में वाहन को औसतन थ्रस्ट 7.6 x 2 kN तक का मिलता हैं। ये वाहन का आखिर का स्टेज हैं।
स्टेज-3 में वाहन में लगे एक सॉलिड रॉकेट मोटर को चालू किया जाता हैं, जिससे रॉकेट को अगले चरण के लिए लगने वाला जरूरी थ्रस्ट मिलता हैं। वैसे ये स्टेज आमतौर पर पृथ्वी के वायुमंडल को पार करने के बाद भी सक्रिय किया जाता हैं। इस चरण में ईंधन के तौर पर Hydroxyl-terminated polybutadiene (HTPB) को इस्तेमाल किया जाता हैं। इसलिए इसमें सर्वाधिक थ्रस्ट 240 kN तक का बनता हैं।
मित्रों! हमने अभी तक PSLV के दो चरणों को जान लिया हैं, तो आप मुझे बताएं की आपको इन दोनों ही चरणों में से कौन सा चरण पहले होता हुआ नजर आ रहा हैं?
PSLV का स्टेज-2 और स्टेज-1! :-
PSLV के स्टेज-2 में “विकास” नाम के मेन इंजन को चालू किया जाता हैं। बता दूँ की, इस इंजन के चलने से लिकुइड ईंधन से भरा हुआ रॉकेट सक्रिय हो जाता हैं। इस स्टेज में “UDHM और N2O4″ को मिला कर ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता हैं। स्टेज-2 में लगभग 799 kN का थ्रस्ट उत्पन्न होता है।
वैसे मित्रों! PSLV (pslv and gslv rockets in hindi) का स्टेज-1 बाकी चरणों की तरह ही काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इसी चरण से ही लौंचिंग की बाकी प्रक्रिया शुरू होता है। इस स्टेज में “S139” नाम के सॉलिड रॉकेट मोटर को चलाया जाता है। वैसे मोटर के चारों तरफ 6 सॉलिड स्ट्राप-ऑन बूस्टर को भी लगाया जाता हैं। इससे लौंचिंग के टाइम बहुत ही भारी मात्रा में थ्रस्ट मिलता हैं। वैसे बता दूँ की, लौंचिंग के टाइम एक PSLV रॉकेट से लगभग 4800 kN तक का थ्रस्ट निकलता हैं। खैर इतनी भारी मात्रा में थ्रस्ट को बनाने के लिए HTPB के ईंधन को इस्तेमाल किया जाता हैं।
मित्रों! हमनें ऊपर PSLV के 4 चरणों के बारे में जाना, परंतु इसके अलावा भी इस वाहन में कई सारे अन्य उपकरण भी मौजूद रहते हैं; जैसे की स्ट्राप-ऑन मोटर्स। PSLV के अंदर कुल 6 स्ट्राप-ऑन मोटर्स लगे हुए रहते हैं, जो की HTPB ईंधन को इस्तेमाल कर के चलते हैं। ये मोटर्स लगभग 719 kN तक के थ्रस्ट को बना सकते हैं।
दोस्तों! अब हमने जब PSLV के बारे में कई बातों को जान ही लिया हैं, तो क्यों न एक बार GSLV के बारे में भी जान लिया जाए।
GSLV किसे कहते हैं? – What Is GSLV In Hindi? :-
“GSLV या Geosynchronous Satellite Launch Vehicle ” एक उन्नत धरण का लौंचिंग वाहन हैं जिसे की इस्रो के द्वारा इस्तेमाल किया जाता हैं। 2001 से 2018 तक इस वाहन को लगभग 13 मिशनों के लिए इस्तेमाल किया गया था और आने वाले समय में इससे और भी मिशन कराये जायेंगे। इस वाहन को बनाने का प्लान 1990 से शुरू हो गया था, क्योंकि उस समय में भारत के पास कोई ऐसा वाहन नहीं था जो की “Geosynchronous Satellites” को अंतरिक्ष में छोड़ सके।
PSLV और GSLV (pslv and gslv rockets in hindi) वाहन के बारे में एक खास बात ये हैं की, PSLV के ज्यादातर उपकरण GSLV के अंदर ही लगे हुये हैं। PSLV में लगा एस139 रॉकेट बूस्टर हो या विकास इंजन, दोनों ही उपकरण GSLV के अंदर लगाए गए हैं। हालांकि! GSLV को PSLV से ज्यादा थ्रस्ट की जरूरत पड़ती हैं, जिसके लिए वो अपने तीसरे चरण में “LOX/LH2” नाम के क्रायोजेनिक इंजन को इस्तेमाल करता हैं। मित्रों! बता दूँ की, GSLV वाहन को भारत ने बड़े ही मेहनत से बनाया हैं। क्योंकि इसको बनाने के वक़्त हमें कई सारे असफलतायों को भी झेलना पड़ा हैं।
भारत ने जब क्रायोजेनिक इंजन की मांग रुष से किया था, तब रुष ने इसके लिए भारत को माना कर दिया था। क्योंकि इससे अमेरिका सहमत नहीं था। ऐसे में भारत के पास और कोई रास्ता नहीं था सिवाए वो खुद का अपना क्रायोजेनिक इंजन बनाए और भारत ने इसी रास्ते को ही चुना। कई अड़चनों को पार करते हुए भारत ने काफी कम लागत में अपने क्रायोजेनिक इंजन को बना लिया था।
GSLV वाहन से जुड़ी कुछ विशेष जानकारीयां! :-
मित्रों! लेख के इस भाग में चलिये GSLV (pslv and gslv rockets in hindi) वाहन के कुछ खूबियों को जान लेते हैं। मुख्य रूप से GSLV के द्वारा INSAT उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ा जाता हैं। ये उपग्रह जियोस्टेशनरी ओर्बिट में रह कर संचार के माध्यमों को और ज्यादा सुदृढ़ और तेज बनाते हैं। इसके अलावा और एक बात पर गौर करेंगे की, जियोस्टेशनरी ओर्बिट में ये वाहन सर्वाधिक 2,500 kg तक के पे-लोड को ले जा सकता हैं।
इसके अलावा GSLV की और एक खूबी भी हैं। पृथ्वी के लो अर्थ ओर्बिट में ये वाहन लगभग 5 टन तक पे-लोड को ले कर जा सकता है। दोस्तों 5 टन का पे-लोड किसी भी अंतरिक्ष यान के लिए काफी ज्यादा होते हैं। इतने भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष तक ले जाना कोई आसान बात नहीं हैं। परंतु फिर GSLV की बात सामने आ जाती हैं, जो की इस काम को बड़े ही आसानी से सफल बना सकता है। आज भी वैज्ञानिक GSLV के खूबियों को बढ़ाने में लगे हुये हैं, जो की शायद हमें कल नजर आए।
GSLV में जीतने भी उपकरण लगे हुये होते हैं वो होता तो PSLV की तरह ही, परंतु उन सब उपकरणों की काबिलीयत PSLV से कई गुना ज्यादा होता हैं। GSLV के अंदर 4 लिकुइड स्ट्राप ऑन लगे हूए होते हैं जो की PSLV में लगे बूस्टर से काफी ज्यादा भारी और शक्तिशाली हैं। इसके अलावा ये बूस्टर 160 सेकंड के अंदर 680 kN तक का थ्रस्ट पैदा कर सकते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
PSLV और GSLV (pslv and gslv rockets in hindi) वाहन दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में काफी ज्यादा सक्षम हैं। हालांकि! हमने पाया की PSLV के तुलना में GSLV ज्यादा बेहतर हैं, परंतु अपने-अपने समय में सब एक से बड़ कर एक होते हैं। GSLV को देखें तो ये भारत का सबसे बड़ा लौंचिंग व्हिकल हैं, जो की आज के मिशनों में इस्तेमाल किया जा रहा है। थ्री स्टेज और चार लीक्विड स्ट्राप ऑन से बना ये व्हिकल आने वाले समय कई बुलंदियों को चुने वाला है।
वैसे इस व्हिकल से जुड़ी एक खास बात ये है की, इसका जो आखरी स्टेज हैं जो की क्रायोजेनिक अपर स्टेज से भी परिचित हैं वो काफी ज्यादा उन्नत हैं। वैसे इसको सबसे पहले साल 2014 में इस्तेमाल में लाया गया था। वहीं अगर हम यहाँ PSLV की बात करें तो, ये व्हिकल GSLV के लिए एक तरह से ठोस निव छोड़ कर गया हैं। इसलिए इसकी अहमियत को हम ऐसे नजरंदाज नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इसी व्हिकल ने ही हमें कई सारे सफलताओं का स्वाद दिया हैं।
खैर मित्रों! मैंने पूरे लेख में आप लोगों को PSLV और GSLV दोनों के ही बारे में काफी कुछ बताया हैं। जिससे मेँ उम्मीद करता हूँ की, आप जरूर ही कुछ न कुछ सीखा होगा। अगर आपको इसी तरह के विज्ञान से जुड़ी लेख पढ़ना पसंद है तो, आप हमारे वैबसाइट “विज्ञानम” को बूक मार्क भी कर सकते हैं।
Sources :- www.isro.gov.in, www.gao.gov