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प्राचीन ब्लैक होल्स: ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमयी और विनाशकारी बम – Primordial Black Holes

क्या ये आज भी जीवित हैं? क्या होगा अगर ये पृथ्वी के पास आ जाये?

साल 1971 — महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में अपना एक क्रांतिकारी शोधपत्र प्रकाशित किया। इस पेपर में उन्होंने पहली बार ऐसे बेहद छोटे द्रव्यमान (mass) वाले वस्तुओं (low-mass objects) की चर्चा की, जो अपनी ही गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण स्वयं ही संकुचित होकर ब्लैक होल्स में बदल जाते हैं।

🔥 शुरुआत में कैसे बने ये विनाशकारी ब्लैक होल?

हॉकिंग के अनुसार, ये रहस्यमयी ब्लैक होल्स बिग बैंग के दौरान ब्रह्मांड की अत्यधिक गर्म और सघन स्थिति में बने थे। इस अति-चरम अवस्था में कुछ वस्तुएँ अपनी अनंत घनता (infinite density) के कारण स्वयं ही संकुचित होकर प्रीमोर्डियल ब्लैक होल्स (Primordial Black Holes) में तब्दील हो गईं।

इनका आकार एक हाइड्रोजन परमाणु से भी छोटा हो सकता है, लेकिन इनका द्रव्यमान लाखों टन से भी अधिक होता है।
कल्पना कीजिए — एक ऐसा ब्लैक होल जो आकार में एक परमाणु से भी 1 अरब गुना छोटा है, परंतु उसमें एक जंबो जेट जितना भार समाया हुआ है।

और यदि वह थोड़ा भी बड़ा हो जाए, तो तबाही की कल्पना कर पाना भी मुश्किल है।


🌀 हॉकिंग के अनुसार, ये ब्लैक होल्स हैं चलती-फिरती तबाही

ये प्राचीन ब्लैक होल्स बाल के एक अरबवें हिस्से से भी छोटे हो सकते हैं, लेकिन इनका भार एक क्षुद्रग्रह (asteroid) के बराबर हो सकता है।
ये बेहद तेज़ गति से ब्रह्मांड में घूमते रहते हैं और किसी भी तारे (star) से टकरा सकते हैं।

कल्पना कीजिए — कोई वस्तु 10,000 किमी/सेकंड की रफ्तार से सीधे किसी तारे से टकरा जाए।
परिणाम?
ये ब्लैक होल तारे को चीरे की तरह चीरकर निकल जाता है। चूंकि तारे स्वयं विशाल और भारी होते हैं, इसलिए अक्सर उन पर तुरंत असर नहीं होता। लेकिन…


🧠 विज्ञान के लिए सबसे रहस्यमयी हथियार?

प्रीमोर्डियल ब्लैक होल्स को कभी-कभी “ब्लैक होल बम” भी कहा जाता है। कल्पना कीजिए, कोई उन्नत सभ्यता (advanced civilization) इनका पता लगा ले और उन्हें किसी तारे या ग्रह प्रणाली पर फेंके — तो परिणाम क्या होगा?

इस वीडियो में विस्तार से इसके ऊपर जानकारी दी गई है – आप इसे जरूर देखें


🤔 क्या आज भी मौजूद हैं ये ब्लैक होल्स?

यह एक बड़ा सवाल है: क्या ये ब्लैक होल्स आज भी ब्रह्मांड में मौजूद हैं?
या फिर हॉकिंग रेडिएशन के कारण ये धीरे-धीरे खत्म हो चुके हैं?

हालांकि हॉकिंग रेडिएशन एक बहुत धीमी प्रक्रिया है, लेकिन हॉकिंग का मानना था कि छोटे ब्लैक होल्स इस रेडिएशन के चलते अंततः वाष्पित हो सकते हैं।


🌌 क्या ये डार्क मैटर के असली रूप हैं?

साल 1965 में वैज्ञानिक Yakov Zeldovich और Igor Novikov ने सबसे पहले प्रीमोर्डियल ब्लैक होल्स की अवधारणा दी थी, लेकिन इसे विस्तार से स्टीफन हॉकिंग ने प्रस्तुत किया।
उनके अनुसार, ये ब्लैक होल्स ही संभवतः डार्क मैटर के असली रूप हैं।

क्योंकि ये बिग बैंग के एक सेकंड से भी कम समय में बने थे और आज तक ब्रह्मांड में मौजूद रह सकते हैं — इसीलिए इन्हें गैलेक्सी की रचना और संरचना में अहम माना जाता है।


🔍 निष्कर्ष

प्रीमोर्डियल ब्लैक होल्स विज्ञान की सबसे रहस्यमयी और खतरनाक खोजों में से एक हैं।
अगर ये आज भी ब्रह्मांड में मौजूद हैं और किसी एडवांस्ड सभ्यता के हाथ लग जाएं, तो उन्हें ब्लैक होल बम में बदलना कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक भयानक हकीकत बन सकती है।

अब सवाल यह है —
क्या हम इनका अस्तित्व कभी प्रमाणित कर पाएंगे?
क्या ब्रह्मांड के विनाश का बटन पहले से ही कहीं तैर रहा है?

तो चलिए, तैयार हो जाइए एक और रोमांचक ब्रह्मांडीय यात्रा के लिए — क्योंकि विज्ञान यहीं से शुरू होता है, जहाँ कल्पना खत्म होती है।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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