बड़े-बूढ़े कह के गए हैं कि, दिमाग ठंडा (our brain is hotter than you think) और पैर गरम रहे तो, आपको कोई बीमारी छू भी नहीं सकती है। अक्सर हम देखते हैं कि, हर जगह दिमाग को ठंडा रखने कि सीख दी जाती है। गरम दिमाग से किसी भी काम को करने से मना किया गया है। क्योंकि गरम दिमाग में रह कर काम करने से, वो काम न तो सही समय पर खत्म हो पाता है और न ही अच्छे से हो पाता है। गुस्से में यानी दिमाग गर्म रख कर काम करना तो दूर, यहाँ तक कि आपको किसी से बात भी नहीं करनी चाहिए।
बातें हो या काम, ठंडे दिमाग (our brain is hotter than you think) से हर कुछ सही हो जाता है। परंतु जहां दिमाग को हम ठंडा रहने के बारे में बातें करते हैं, वहाँ एक बात बहुत विचित्र लगती है कि, आखिर हमारे मस्तिष्क का सही तापमान क्या है? जी हाँ! मित्रो, वैज्ञानिकों ने हाल ही में हमारे मस्तिष्क के तापमान को ढूंढ कर बाहर निकाल लिया है और इसलिए हम आज इसी के ऊपर इतना ध्यान दे रहें हैं। आज के लेख का मूल विषय ही हमारे दिमाग के तापमान से ही जुड़ा है।
तो मैं आशा करता हूँ कि, आज आप लोग मेरे साथ इस लेख के जरिए अंत तक रह कर दिमाग से जुड़ी इस अद्भुत विषय को जानकर काफी आनंद लेंगे।
विषय - सूची
आपकी उम्मीद से भी काफी ज्यादा गरम होता है आपका दिमाग! – Our Brain Is Hotter Than You Think! :-
जब ये बात बोली जाती है कि, दिमाग को ठंडा करो (our brain is hotter than you think), तब हमारे मन में कहीं न कहीं ऐसा लगने लगता हैं कि दिमाग बर्फ या शीतल पानी जैसा ठंडा होगा। परंतु दोस्तों मैं आप लोगों को बता दूँ कि, आपका ऐसा सोचना काफी गलत भी हो सकता है। बहरहाल कुछ शोध ऐसे भी हुए हैं, जहां पर दिमाग के तापमान को काफी ज्यादा पाया गया है। ये तापमान इतना ज्यादा था कि, आप लोगों को जानकर काफी ज्यादा हैरानी हो सकती है। हमारा दिमाग उतना भी ठंडा नहीं रहता हैं, जितना कि हम सोचते हैं।
औसतन इंसानी शरीर का तापमान लगभग 37°C तक होता हैं। इस तापमान से थोडा सा भी ऊपर-नीचे होने का मतलब है कि, शरीर में कुछ तो गड़बड़ है। क्योंकि हमारे शरीर का तापमान हमेशा स्थिर रहता है। हालांकि! ये बात हम हमारे दिमाग के लिए नहीं कह सकते हैं। अभी-अभी किए गए शोधों से पता चल रहा हैं कि, हमारे शरीर के मुकाबले हमारे दिमाग का तापमान ज्यादा होता है। कई वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, शरीर की तुलना में दिमाग कि तापमान 1.5°C-3°C ज्यादा गरम होता है।
एक सर्वे से पता चलता है कि, औसतन हमारे दिमाग का तापमान शरीर के औसतन तापमान से लगभग 1.5°C यानी 38.5°C के आसपास ही रहता है। बता दूँ कि, ये तापमान हमारे मुंह के अंदरूनी भाग के औसतन तापमान से लगभग 2.5°C ज्यादा गरम है। खैर एक काफी चौंका देने वाली बात ये भी हैं कि, दिमाग के कुछ अंदरूनी हिस्सों का औसतन इतना बढ़ जाता हैं कि, आप सोच भी नहीं सकते हैं।
इतना होता हैं इंसानी दिमाग का सर्वाधिक तापमान! :-
मित्रों! अब मैं जो कहने जा रहा हूँ, शायद उस बात को सुनकर आप अपने कानों पर यकीन ही नहीं कर पाएंगे। क्योंकि ये बात ही कुछ ऐसी हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इंसानी दिमाग (our brain is hotter than you think) का तापमान 40°C तक पहुँच जाता है, वैसे सिर्फ इतना ही नहीं कई अंदरूनी हिस्सों में इस तापमान को 40°C को भी पार करते हुए देखा गया है। मित्रों! बता दूँ की, शरीर के औसतन तापमान से ये तापमान काफी ज्यादा अधिक है और ये शरीर के लिए एक साधारण सी बात हैं।
खैर अभी के लिए किसी भी इंसान के दिमाग का सर्वाधिक तापमान को 40.9°C तक रिकॉर्ड किया गया है। जरा सोचिए जहां गर्मिओं के दिन हमारे देश में औसतन तापमान 40°C तक बढ़ जाता है, तब हमको कैसा लगता हैं और यहाँ तो 40°C से ऊपर का तापमान हमारे खुद के दिमाग के अंदर हैं। इसलिए शायद गर्मियों के अंदर काफी सारे लोगों को “सन स्ट्रोक” जैसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। वैसे इस शोध से ये भी पता चला है कि, इंसानों के दिमाग का तापमान काफी ज्यादा बदलता रहता है।
जी हाँ दोस्तों! उम्र, लिंग और दिन के समय के अनुसार इंसानों के दिमाग का तापमान काफी ज्यादा ऊपर-नीचे होता रहता है। परंतु एक खास बात जो वैज्ञानिकों को काफी ज्यादा अजीब लग रही हैं वो ये हैं कि, हमारे दिमाग का तापमान आखिर इतना ज्यादा कैसे हो सकता हैं। 37°C से 1°C अगर हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता हैं, तब हमको बुखार हो जाता है। और यहाँ तो दिमाग का तापमान लगभग 4°C तक बढ़ चुका है।
आखिर कैसे हो सकता है ये संभव! :-
इस सर्वे से पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि, ज़्यादातर दिमाग (our brain is hotter than you think) के अंदर का इतना अधिक तापमान तभी संभव हैं जब दिमाग को कोई चोट पहुंची हो। परंतु आज इस नए सर्वे ने वैज्ञानिकों के उन पुराने ख़यालों को बदल कर रख दिया है। इस सर्वे ने मेडिकल साइंस के इतिहास में एक अलग व स्वर्णिम पन्ना जोड़ दिया है जिसे काफी लंबे समय तक याद रखा जाएगा। इससे पहले इंसानी दिमाग का तापमान हर किसी में स्थिर माना जाता था।
ये ही वजह है कि, इंसानी दिमाग का कोई अलग से तापमान नहीं मापा जाता था। इसे शरीर के तापमान से एक समान ही माना जाता था। केवल और केवल ब्रेन हेमोरेज या दिमाग में चोट लगने वाले लोगों के ही दिमाग के तापमान को मापा जाता है। आज के दौर में इंसानों के दिमाग का तापमान “Magnetic Resonance Spectroscopy (MRS)” के जरिए मापा जाता है। वैज्ञानिकों के हिसाब से दिमाग की सतह दिमाग के अंदरूनी जगहों से काफी ज्यादा ठंडी होती है, इसलिए दिमाग के अंदरूनी जगहों को सही से विश्लेषण करना जरूरी है।
रोचक बात ये है कि, दिमाग के “थालामस” (Thalamus) नाम की अंदरूनी जगह पर सबसे अधिक तापमान को रिकॉर्ड किया गया हैं। इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का दिमाग 0.36°C ज्यादा गरम होता है। खैर एक बात ध्यान देने वाली ये भी हैं कि, हर किसी का दिमाग पूरे दिन में कम से कम 1°C ज्यादा गरम या ठंडा होता ही है। यानी दिमाग के अंदर तापमान में बदलाव निश्चित है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! आप लोगों से आखिर में मेरा एक सवाल हैं, आपको क्या लगता है, दिन के किस समय में आपका दिमाग सबसे ठंडा या गरम रहता होगा? कमेंट कर के जरूर बताइएगा। परंतु बता दूँ कि, वैज्ञानिकों ने विज्ञान के आधार पर इसका जवाब ढूंढ लिया है। उनके अनुसार हमारा दिमाग (our brain is hotter than you think) सबसे ज्यादा गरम दो-पहर को और सबसे ज्यादा ठंडा रात को होता है। इसलिए रात को हम ज्यादा बेहतर ढंग से सोच पाते हैं, यहाँ तक की सबसे ज्यादा गहन सोच हमें रात को सोने से पहले ही आती है।
खैर दिमाग के तापमान में ऐसा बदलाव हमारे लिए काफी ज्यादा अच्छा है। क्योंकि इससे हमारा दिमाग काफी ज्यादा एक्टिव रहता है, जिससे ये सही समय पर ठीक काम कर पाता है। वैसे ब्रेन पर किए गए इस सर्वे के जरिये वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसानी दिमाग के तापमान का 4D मैप बना लिया है। इस मैप के जरिए आप काफी अच्छे तरीके से अलग-अलग जगहों पर दिमाग के तापमान को देख सकते हैं।
इस मैप को इस्तेमाल कर के डॉक्टर अपने मरीजों की हालातों को भी काफी अच्छे तरीके से समझ सकते हैं। रोज़मर्रा दिमाग के तापमान में होने वाले बदलाव में उल्लंघन यानी मरीज की जान को दूसरे स्वस्थ मरीजों के तुलना में (सामान्य दिमाग के तापमान में बदलाव होने वाले मरीज) 21 गुना खतरा है।
Nice Information