
दुनिया में एक ही सत्य सर्वत्र प्रचलित है और वो सत्य ये है की जीवन चिर स्थायी नहीं है। जब तक शरीर के अंदर प्राण निहित होता है, तब तक हम कई सारे कर्म करते है। जीवन भर कई सारे संघर्षों से जुझते हुए कई कामयाबियों को हासिल करते हैं। कभी दुख से मुरझा कर विचलित हो जाते है तो कभी खुशी से झूम उठते है। परंतु आखिर में जीवन के अंतिम अवस्था में हम सब को इस पार्थिव शरीर को त्यागना ही पड़ता है। परंतु मित्रों! शरीर को त्यागने से पहले हर एक इंसान चाहे तो एक बहुत ही पुण्य का काम कर सकता हैं और वो काम है अंगदान का (what happens when you are an organ donor)।

अंगदान (what happens when you are an organ donor) यानी एक तरीके से प्राण दान के समान ही है। जरा सोचिए अगर कोई इंसान अपने जीवन के आखिरी पलों को बिस्तर पर लेटे हुए गिन रहा होगा और किसी प्रकार से आपके अंगों के जरिये उस व्यक्ति के जीवन को बचा लिया जाए तो आप कितने पुण्य कमा सकते है। हालांकि! अंगदान करने का निर्णय व्यक्ति विशेष के ऊपर ही निर्भर करता है और मेँ यहाँ पर किसी भी व्यक्ति विशेष के भावनाओं को बिलकुल भी ठेस नहीं पहुंचाना चाहता हूँ।
खैर दोस्तों! आज के इस लेख में हम अंगदान से जुड़ी एक बहुत ही बड़े तथ्य के बारे में जानेंगे, जो की आपके लिए बहुत ही ज्यादा रोचक रहेगा। तो, लेख को शेयर करने के साथ ही साथ आगे पढ़ते रहिए।
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अंगदान के बाद अंगदाता के शरीर के साथ क्या होता हैं? – What Happens When You Are An Organ Donor? :-
मित्रों! आपने लोगों को मरने से पहले अंगदान (what happens when you are an organ donor) करते हुए सुना होगा। परंतु क्या कभी आपने सोचा है की, आखिर कैसे डॉक्टर अंगों को अंग दाता के शरीर से निकालते होंगे और अंग दाता के शरीर के साथ क्या-क्या किया जा रहा होगा? नहीं! परंतु चिंता न कीजिए मेँ इन सभी चीजों के बारे में इस लेख में आप लोगों को अवश्य ही बताऊंगा।

वैसे मित्रों! अंगदान हर कोई नहीं कर सकता है। इसके लिए कई सारे मापदंड होते है। इसलिए सबसे पहले मेँ आप लोगों को इन मापदंडों के बारे में बताऊंगा। तो, अगर किसी को अंगदान करना है तो सबसे पहले उसे गंभीर रूप से घायल हो कर अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा, जिसमें उसके बचने की संभावना क्षीण हो। इसके साथ ही साथ जो व्यक्ति वेंटिलेटर पर होंगे उनको ही अंगदान करने की अनुमति दी जाती है।
अंगदान में एक बहुत ही जरूरी बात ये होती हैं की, अंग दाता का अंग (जो वो दान कर रहा हैं) वो स्वस्थ होना चाहिए। इसलिए इसके प्रति गहन रूप से निरीक्षण किया जाता हैं, क्योंकि बाद में चलकर वो अंग किसी दूसरे पीड़ित व्यक्ति के अंदर रोपण किया जाने वाला होता है। खैर गौरतलब बात ये है की, अंगदान की जो प्रक्रिया होती है वो पूर्ण रूप से स्वईच्छा से की जाती है। इसमें किसी भी प्रकार की ज़ोर-जबरदस्ती नहीं किया जाता और इससे डरने की भी कोई जरूरत नहीं है।
आमतौर पर अंगदान की प्रक्रिया इन परिस्थितिओं में शुरू की जाती है :-
किसी भी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए एक निर्धारित समय का प्रावधान होता है और अंगदान (what happens when you are an organ donor) के लिए भी एक समय को निर्धारित किया है, जिसके बारे में हम अभी जानेंगे।

तो, आमतौर पर दो स्थितिओं में अंगदान की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। पहले स्थिति में जब किसी व्यक्ति का दिमाग काम करना बंद कर देता है तब उस समय अंगदान की प्रक्रिया शुरू की जाती है। फिर जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर दे तो तब भी अंगदान की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है।
अंगदान की मुख्य दो स्थितियां :-
मित्रों! ध्यान रखेंगे की जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता हैं तब भी दिमाग में कुछ गतिविधियां होती रहती है परंतु ऐसे में हम ये नहीं कह सकते हैं की वो व्यक्ति जीवित है। औपचारिक तौर पर उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। हालांकि! पीड़ित व्यक्ति को इस समय में भी वेंटिलेटर पर रखा जाता है जब तक उसके परिवार के लोग मना न कर दें क्योंकि अंत में उस व्यक्ति का बचना लगभग न के बराबर ही है। जब व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर दें तो वो व्यक्ति मृत घोषित हो जाता है।

अंगदान से जुड़ी एक बहुत ही रोचक बात ये हैं की, पूरे पृथ्वी में जीतने भी अंगदान किए जाते हैं उनमें से ज़्यादातर अंगदान व्यक्ति के दिमाग के निष्क्रियता के बाद ही होता है। कहने का तात्पर्य ये हैं की, जब किसी व्यक्ति के दिमाग में किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं होती है तब डॉक्टर उस व्यक्ति के दिमाग को “Brain Dead” घोषित कर देते है। मित्रों! ध्यान रखेंगे की जब दिमाग को पुनः किसी भी प्रकार से एक्टिव नहीं किया जा सके तब ही उसके दिमाग को ब्रेन डैड घोषित किया जाता है।
Brain Dead होने के बाद अंगदाता के शरीर के साथ ये होता है! :-
जब व्यक्ति का दिमाग बंद पड़ जाता है, तब डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति के परिवार को सूचित करते हैं की अब वो व्यक्ति किसी हालात में नहीं बचाया जा सकता है। तब ही अंगदान की प्रक्रिया शुरू होता है। ध्यान रखेंगे की, अंगदान करने का निर्णय व्यक्ति अपने जीवन के किसी भी अवस्था में ले सकता है और जब उसके जीवन का आखिरी पल करीब होता है तब वो अपने अंगों को दान में दे सकता है।
वैसे अंगदान की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए स्वतंत्र रूप से एक टिम मौजूद रहती है जो की अंग दाता के अंगों का जांच करती है। मित्रों! इस समय अंग दाता वेंटिलेटर पर होता है जो की उसे कुछ समय के लिए जीवित रखता है। गौरतलब बात ये है की, अगर किसी व्यक्ति को कैंसर या कोविड-19 जैसे बीमारी है तो उसके अंगों को बाद में रोपण के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

अंगदान के लिए किए जाने वाले जांच की प्रक्रिया में व्यक्ति के खून तथा उसके यकृत और गुर्दे को जांचा जाता है। इसके बाद व्यक्ति के दिल के अंदर एक पतली व छोटी सी ट्यूब को डाल कर देखा जाता हैं की दिल के अंदर कोई रुकावट या संक्रमण तो नहीं है! दिल को जाँचने के बाद फेफड़ों को भी ट्यूब के माध्यम से जांचा जाता हैं, कई क्षेत्र में एक्स-रे के माध्यम से भी व्यक्ति के अंगों को बारीकी से निरीक्षण किया जाता है। ब्रेन डैड के स्थिति में दिमाग को छोड़ कर बाकी सारे अंग और दिल बंद पड़ने के स्थिति में दिल को छोड़ कर बाकी सारे अंगों को रोपित किया जा सकता है। मित्रों! ध्यान रखेंगे की अभी तक इंसानी दिमाग को रोपित नहीं किया गया है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
जब अंगों को सफलता पूर्वक जांच कर निश्चित कर लिया जाता है की, वो अंगदान (what happens when you are organ donor) के लिए उपयुक्त है तब डॉक्टर अंगों को निकालने के लिए दो प्रक्रियाओं की मदद लेते है। जब व्यक्ति का दिमाग बंद पड़ा होता है तब डॉक्टर वेंटिलेटर से व्यक्ति के संचार प्रणाली को अलग कर देते है तथा जब व्यक्ति का दिल बंद पड़ा होता है तब उसे सीधे वेंटिलेटर से उतार कर लगभग 1-2 घंटे तक दिल के पूर्ण तरीके से निष्क्रिय होने की प्रतीक्षा करते है।

जब व्यक्ति के दिल या दिमाग में किसी भी प्रकार की गतिविधि दिखाई नहीं पड़ती है तब डॉक्टर व्यक्ति के शरीर से अंगों को ऑपरेशन के जरिये निकालते हैं। इस दौरान अंगों में से खून को पूरे तरीके से बाहर निकाल लिया जाता है और अंगों के अंदर परिरक्षक तरल पदार्थों (Preservatives) को डाल दिया जाता है।
ध्यान रखेंगे की शरीर से अंगों को निकालने के बाद एक निर्धारित समय के अंदर ही उन अंगों को रोपित किया जा सकता है। शरीर से बाहर निकालने के 4 से 6 घंटों के अंदर दिल और फेफड़ों को रोपण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं अग्न्याशय को 12 से 24 घंटों के अंदर इस्तेमाल किया जा सकता है। यकृत को 24 घंटे और गुर्दे (किडनी) को 48 से 72 घंटों के अंदर रोपण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
Source :- www.livescience.com.