तकनीक और समय हमेशा किसी के लिए नहीं रुकता। आज मनुष्य ने विज्ञान के जरिए बहुत कुछ प्राप्त कर लिया है , परंतु आज भी वह विकास की राह में चलता ही जा रहा है | जितनी भी अच्छी तकनीक हो , परंतु वह एक न एक दिन पुरानी हो ही जाती हैं | खैर अंतरिक्ष के खोज में भी काफी मात्रा में आधुनिक तकनीक की जरूरत पड़ती ही रहती है और यही वजह है की नासा (NASA) ने भी इन्हीं भविष्य वादी तकनीक को इस्तेमाल करते हुए आने वाले समय में कुछ बहुत ही गज़ब के मिशनों (future mission’s of nasa) को अंजाम देने जा रही हैं |
अकसर मैंने लोगों को भविष्य को लेकर काफी जिज्ञासु भाव प्रकट करते हुए देखा है। इसलिए आज मैंने सोचा की , क्यों न एक लेख नासा के आने वाले मिशनों (future mission’s of nasa) पर भी लिखा जाए | मित्रों ! आपको आज इस लेख के अंदर नासा के भविषय के मिशनों के बारे में (future mission’s of nasa) तो पढ़ने को तो मिलेगा ही पर इसके साथ-साथ इन मिशनों से जुड़ी कुछ मूल भूत बातों के बारे में जानेंगे।
नासा के यह मिशन आमतौर पर काफी ज्यादा आधुनिक और उच्च-वैज्ञानिक कौशल के उपयोग से बने हुए हैं | इन मिशनों को सफल बनाने के लिए अमरीकी सरकार ने साल 2009 में ही प्रयास करना शुरू कर दिया था | आज दस साल बाद जा कर नासा ने यह मुकाम हासिल किया है की वह अब इन मिशनों को सफलता पूर्वक अंजाम दे सके | दोस्तों अब चलिए इस लेख में आगे बढ़ते हैं , परंतु रुकिए आगे मैंने मिशनों से जुड़ी कुछ मूल-भूत बातों का जिक्र किया हैं | तो , लेख के इन भागों को भी आप धैर्य के साथ पढ़ते रहिए |
विषय - सूची
नासा के भविष्यवादी मिशनों से जुड़ी कुछ मूलभूत बात – Basics Of Future Mission’s Of NASA.
तो , जैसा की मैंने पहले ही वादा किया था ; हम लोग यहाँ पर नासा के भविष्य वादी (future mission’s of nasa) मिशनों से जुड़ी कुछ मौलिक विंदुओं के ऊपर थोड़ा सा प्रकाश डालेंगे क्योंकि इन्हीं मौलिक बातों से आपको आगे इन मिशनों को समझने में काफी ज्यादा मिलेगा |
अमरीका में जब ओबामा जी राष्ट्रपति थे , तब उन्होंने ने अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा को काफी ज्यादा महत्व दिया | आपने 1960 और 1970 के दशक में नासा के लुनार मिसन के बारे में अवश्य ही कुछ न कुछ सुना होगा | मेँ यहाँ अपोलो (Apollo) प्रोग्राम के बारे में बात कर रहा हूँ , जो की अब तक का इकलौता मानव युक्त लुनार लेडिंग मिसन था।
खैर करीब-करीब 5 दशक हो गए हैं इन मिशनों के समाप्त हुए , परंतु आज तक इस के जैसा दूसरा कोई मिशन अब तक नहीं बन पाया है। इसलिए ओबामा जी के सरकार ने 2020 के दशक के अंदर दुबारा मानव युक्त लुनार मिशनों (Lunar Missions) को फिर से सफलता पूर्वक अंजाम देने का निर्णय लिया था |
मेँ आपको यहाँ और एक बात बता दूँ की इन मिशनों के लिए नासा ने अपनी “Orion” रॉकेट को फिर से एक बार इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। इसी रॉकेट के जरिए आने वाले एक दशक के अंदर इंसानों को चाँद और मंगल के सतह पर भेजा जाएगा जो की अपने आप में ही एक गज़ब की बात होगी ।
कुछ ऐसे होने वाली है इन मिशनों की तैयारी :-
दोस्तों ! आपने ऊपर नासा की आने वाली मिशनों के (future mission’s of nasa) बारे में मूलभूत बातों को जाना , परंतु अब मेँ यहाँ पर मिशनों के रूप-रंग के बारे में कुछ चर्चा करूंगा | रूप-रंग से मेरा तात्पर्य यह है की मेँ इन मिशनों के तैयारियों के बारे में चर्चा करूंगा | तो , चलिए लेख में आगे बढ़ते हैं |
आमतौर पर नासा ने भविष्य में कई सारे मिशनों को अंजाम देने का सोचा है , परंतु इन सभी मिशनों के अंदर तीन ऐसे मिशन है जो की मूल रूप से काफी ज्यादा दिलचस्प और मुख्य हैं | इन मिसनों के दिलचस्प होने का सिर्फ एक ही कारण है की , यह ज़्यादातर मानव युक्त लैंडिंग मिशन होंगे जो की चांद और मार्स की सतह पर होगें ।
नासा के द्वारा आने वाले समय में किया जाने वाला सबसे दिलचस्प मिशन होगा आर्टेमिस-1 ( Artemis 1), जी हाँ ! आर्टेमिस-1 जो की एक शोध से प्रेरित मिशन होगा | इस मिशन में आपको कोई भी मानव देखने को नहीं मिलेगा और यह मिशन चांद के ऊपर आधारित होगा। इस के बारे में आपको मेँ आगे स्वतंत्र रूप में काफी कुछ बताने जा रहा हूँ | तो , आपको चिंता करने की बिलकुल भी जरूरत नहीं हैं |
नासा के दूसरे दिलचस्प मिशन का नाम होगा आर्टेमिस-2 | जैसा की आपको नाम से ही पता चल रहा होगा , यह आर्टेमिस प्रोग्राम का दूसरा संस्करण हैं | यह मिशन आर्टेमिस-1 के दो साल के बाद किया जाएगा | यह मिशन मानव युक्त मिशन होगा और इस मिशन के जरिए नासा फिर एक बारे इतिहास को दोहराएगी | आर्टेमिस-1 की ही तरह यह एक लुनार लैंडिंग मिशन होगा | खैर इसके बारे में बहुत कुछ गज़ब की बातें आपको आगे इस लेख में मिलेगा |
चंद्रयान-2 की ही तरह होगा यह मिसन :-
तीसरा और आर्टेमिस प्रोग्राम के प्रथम संस्करण का आखिरी मिशन आर्टेमिस-3 होगा | यह मिशन काफी ज्यादा मुश्किल और अनोखा होगा , क्योंकि यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास किया जाएगा | खैर चांद के दक्षिणी ध्रुव से याद आया की हमारा चंद्रयान-2 के लेंडर विक्रम भी तो कुछ समय पहले वहीं उतरा हैं | आने वाले समय का क्या कहना शायद हमें फिर एक बार उसके तस्वीर को देखने का मौका मिल जाए |
मेरे ऐसे कहने मतलब आपको बाद में पता चलेगा क्योंकि आगे में इसके बारे मेँ आपको विस्तृत से बताऊंगा | इसके अलावा और एक बात मैंने इस से पहले चंद्रयान-2 और चंद्रयान-1 के ऊपर दो बहुत ही दिलचस्प और ज्ञानवर्धक लेख लिखा हैं | इसलिए अगर आप भी एक भारतीय है और अंतरिक्ष के क्षेत्र में रुचि रखते हैं , तो एक बार इस लेख को पढ़ना न भूलिएगा | यकीन मानिए आपको यह लेख पढ़ कर अवश्य ही बहुत गर्व और महसूस होगा |
इसके अलावा आप चाहें तो अंतरिक्ष और विज्ञान से जुड़ी और बहुत सारे रोचक लेखों को पढ़ने के लिए हमें फॉलो भी कर सकते हैं |
खैर नासा के आने वाले मिशन (future mission’s of nasa) पर आधारित इस लेख में आगे बढ़ते हुए , चलिए आर्टेमिस प्रोग्राम और इस प्रोग्राम के अंदर आने वाले हर एक मिसन के बारे में और भी ज्यादा गहराई से जानते हैं |
आर्टेमिस-1 (Artemis 1) :-
मित्रों! यहाँ पर नासा के इन भविष्य वादी (future mission’s of nasa) मिशन आर्टेमिस-1 के बारे में विस्तृत से जानेंगे | तो , चलिए बिना किसी देरी किए शुरू करते हैं |
दरअसल आर्टेमिस-1 स्पेस लॉंच सिस्टम (Space Launch System) के द्वारा अंतरिक्ष में छोड़ा गया दूसरा और आर्टेमिस प्रोग्राम का पहला मिशन हैं | इस मिशन को अंजाम कैनेडी स्पेस सेंटर से दिया जाएगा | नासा ने इस मिशन को 2020 नभंबर को स्पेस में लॉंच करने का निर्णय लिया हैं | इस मिशन का कुल अवधि 3 सप्ताह है और इन्हीं सप्ताहों के 6 दिन इस मिशन मेँ इस्तेमाल किया गया रॉकेट ओरिओन चांद के ओर्बिट पर घूम कर आएगा |
इस मिसन में इस्तेमाल किया जाने वाला रॉकेट 5 श्रेणी बूस्टर से लैस होगा और इसको RS-25D नाम के इंजन से शक्ति मिलेगा | इस रॉकेट को नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी दोनों ने ही मिल कर बनाया हैं | यह मिसन आर्टेमिस प्रोग्राम को आने वाले समय में सफल करने के लिए एक शोध की तरह इस्तेमाल किया जा रहा हैं |
आर्टेमिस-1 मिशन एक टेस्ट फ्लाइट होने के बावजूद भी यह चांद के चुंबकीय क्षेत्र , सतह की जानकारी , जैविक संरचना (अगर उपलब्ध है तो) , बर्फ का संधान , पानी के स्रोत का पता लगाना आदि कई सारे चीजों के बारे में तथ्य जुटाएगा | इसके अलावा यह मिशन स्पेक्ट्रोस्कोपी और थर्मोग्राफी के लिए भी काफी ज्यादा लाभकारी हैं |
आपको इस मिशन को ले कर क्या लगता हैं ! क्या यह सफल हो पाएगा ? क्या यह मिशन आने वाले समय में चांद के सतह पर पानी ढूँढने में कामयाब हो पाएगा ? आप इन सवालों का जबाव जरूर बताइएगा , हमें बहुत ही खुशी और प्रेरणा भी मिलेगी |
यह हैं इसके पैलोड :-
किसी भी मिशन के अंदर इस्तेमाल किए जाने वाले पैलोड उस मिशन का लक्ष और उसके महत्व को दर्शाते हैं | इसलिए मैंने सोचा की क्यों न एक बार आर्टेमिस-1 के पैलोड के ऊपर भी एक नजर डाला जाए |
यहाँ पर आपको सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है की इस मिशन के अंदर एक अलग ही प्रकार के वेस्ट को आजमाया जा रहा हैं | इस वेस्ट को इस्राइल और जर्मनी ने मिल कर बनाया हैं | अब तक अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों को जहां सूर्य के विकिरण से पूर्ण रूप सुरक्षा नहीं मिल पाती थी , वहाँ यह वेस्ट वैज्ञानिकों काफी ज्यादा सुरक्षा प्रदान करेगा |
इसके अलावा एस्ट्रोरेड रेडिएसन वेस्ट नाम के इस वेस्ट से वैज्ञानिक सोलर स्टोर्म (solar storm) से भी आसानी से बच पाएंगे | देखने में साधारण सा प्रतीत होता यह वेस्ट बड़ी की काम की चीज़ हैं | इसके अलावा आपको सुनकर थोड़ा सा अटपटा जरूर लगेगा , परंतु नासा ने इन वेस्ट को जांच करने के लिए अंतरिक्ष में महिलाओं के दो पुतलों को भेजेगा | जी हाँ ! दो पुतलों को |
यह पुतले मनुष्य शरीर को देखते हुए बनाया गया हैं , जहां इंसानी शरीर के हिसाब से इसकी टिसु संरचना और स्टेम सेल का निर्माण किया गया हैं | यह पुतले अंतरिक्ष में सोलर विंड और सोलर रेडिएसन से उत्पन्न होने वाली हानिकारक प्रभावों के सटीक तथ्यों को जुटाएगा जिस से काफी कुछ बाद में पता लगाया जा सकता हैं |
आर्टोमीस- 2 :-
नासा ने भविष्य वादी मिशनों (future mission’s of nasa) मेँ आर्टोमीस-2 की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हैं | यह मिशन फिर से एक बार चांद के सतह पर इंसानों को ले जाने में सक्षम होगा | इसको नासा 2022 को अंजाम देगी , जब आर्टोमीस-1 का सफल परीक्षण हो जाएगा | इसको अमरीकी सरकार ने स्पेस-एक्स के साथ मिल करने निर्णय लिया हैं |
इस मिशन का मूल लक्ष चांद के सतह पर इंसानों को उतार कर एक विशेष प्रकार के तथ्यों को संगृहीत करना हैं | यहाँ आपके मन में अब यह सवाल जरूर उठ रहा होगा की , आखिर वह विशेष प्रकार का तथ्य क्या हैं ? तो , मित्रों आपको मेँ बता दूँ की चांद के सतह पर स्थित एक उल्का पिंड के पत्थर से इन विशेष तथ्यों को संगृहीत किया जाएगा |
इसके अलावा चलिए एक नजर इसके पैलोड के ऊपर भी नजर डाल लेते हैं | हालाँकि नासा ने अभी तक इसके पैलोड के बारे में सटीक पुष्टीकरण नहीं किया है , परंतु फिर भी एक अनुमान के हिसाब से चलिए इसके बारे में जानते हैं | ज़्यादातर नासा के द्वारा अंतरिक्ष के खोज में छोडे जाने वाले रॉकेट या यानों के अंदर एक प्रकार का सेटैलाइट मौजूद रहता है , जिसे की “क्यूब सेट (CubeSat)” भी कहा जाता हैं | यह क्यूब सेट अपने आप में ही एक बहुत ही आधुनिक और खास उपकरण है जो की कई सारे शोध और तथ्य संगृहीत करने में सक्षम होता हैं |
यहाँ पर मेँ आपको और भी बता दूँ की आर्टेमिस-2 पर दो क्यूब सेट उपकरणों को भेजा जाएगा | इन दोनों क्यूब सेट का वजन अलग-अलग होगा | एक का क्यूब सेट का वजन जहां 12 kg होगा तो वहाँ दूसरे का वजन 20 kg तक होगा |
आर्टेमिस-2 से जुड़ी कुछ मजेदार बातें :-
मित्रों ! आपने शायद इस से पहले घूमने के लिए कहीं दर्शनीय स्थान या शैल निवास गए होंगे , परंतु एक मजेदार बात आपको यहां मेँ बताने जा रहा हूँ | 2005 में रुषि के एक संस्थान ने लोगों को अंतरिक्ष में भेजने का नया बंदोबस्त कर लिया था | हाँ ! इस के जरिए मेरे और आपके जैसे साधारण जनता अंतरिक्ष में घूमने के लिए जा सकते थे |
यह तरीका आर्टोमीस-2 मिशन की तरह था , जहां लोग 6 से 10 दिन तक चांद के ओर्बिट में रह कर फिर एक बार पृथ्वी पर लौट आते | दोस्तों यहां पर और एक बात आपको काफी ज्यादा भाने वाली है , इस अद्भुत अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक आदमी को 1062 करोड़ रूपय खर्च करने पड़ते | खैर इतना बड़ा रकम शायद ही कुछ चुनिंदा लोग ही दे पाएँ | परंतु मुझे पूर्ण विश्वास है की एक न एक दिन हम भी अंतरिक्ष में जा सकते हैं |
मित्रों! इसके अलावा स्पेस-एक्स ने भी एक इसी तरह का योजना बना लिया हैं | इस योजना के तहत साल 2023 में 8 से 10 लोग अपने खर्चो पर चांद की सैर कर पाएंगे | स्पेस-एक्स ने इस योजना का नाम डियर मून प्रोजेक्ट दिया हैं और यह अपने आप में ही एक बहुत की आकर्षक योजना हैं | आपको अगर कभी चांद पर जाने का मौका मिलता तो , क्या आप यहां जाने के लिए हाँ कहते ? दूसरों का तो पता नहीं पर मेँ तो अवश्य ही हाँ बोलता !
आर्टोमीस – 3 :-
आर्टेमिस-3 आर्टेमिस प्रोग्राम का दूसरा मानव युक्त मिशन है और यह पहला ऐसा मिशन है जहां पर इंसान सिर्फ और सिर्फ चांद के सतह पर उतर कर सतह की खोज करने के लिए जा रहा हैं | इसके अलावा इस मिशन का और एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम हैं | यह मिशन आने वाले समय में कई अन्य मिसनों का मूल आधार बनेगा |
आपने ISS का तो नाम सुना ही होगा | यह पृथ्वी के लोवर ओर्बिट में घूमता हुआ एक स्पेस स्टेशन हैं जहां वैज्ञानिक साल भर रह कर कई शोध करते रहते हैं | इसे आप पृथ्वी से खुले आँख में भी देख सकते हैं | खैर यह तो था ISS परंतु क्या आप जानते हैं नासा ने एक इसी तरह का स्टेसन चांद के पास ही बनाने का सोचा हुआ हैं |
मित्रों ! मेँ यहां बात कर रहा हूँ लुनार गेट वे की | यह एक प्रकार की विशेष स्पेस स्टेशन होगी जो की चांद के लोवर ओर्बिट में घूमता रहेगा और ISS की ही तरह यह चांद के सतह पर केंद्र भूत हो कर कई सारे तथ्यों को वैज्ञानिकों के पास पहुंचाएगा | हाल ही के एक रपर्ट से पता चला है की नासा ने आर्टोमीस-3 के साथ ही साथ आर्टोमीस-4 का भी योजना बना रही है और इसे भी जल्द से जल्द छोड़ने के कोशिश में हैं |
आर्टोमीस-3 से जुड़ी कुछ मजेदार बातें :-
दोस्तों ! नासा ने अपने आर्टोमीस-3 मिशन (future mission’s of nasa) के तहत एक बहुत ही अनोखा निर्णय लिया हैं | आर्टोमीस-3 के हिसाब से इस मिशन पर पहली बार एक महिला अंतरिक्ष यात्री को चांद के सतह पर उतारा जाएगा | इसके अलावा में आपको और भी बता दूँ की इस मिशन में सर्वाधिक दो अंतरिक्ष यात्रियों को चांद के सतह पर उतारा जाएगा |
यह अंतरिक्ष यात्री चांद के सतह पर कुल एक हफ्ते तक वहाँ रहेंगे | इसके अलावा यह मिशन काफी ज्यादा भारत के चंद्रयान-2 के मिशन की ही तरह हैं | कहने का मतलब यह है की , आर्टोमीस-3 का लैंडिंग स्पॉट भी चंद्रयान-2 के लैंडिंग स्पॉट के समान ही होगा |
यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा और वहाँ पानी की खोज करने के लिए भी यह सक्षम होगा |
साल 2019 के प्रारंभिक भाग में नासा ने 11 कंपनीयों से आर्टोमीस-3 के लैंडिंग के बारे में व लुनार स्पेस स्टेशन को बनाने के बारे में काफी ज्यादा चर्चा किया | इसी चर्चा में यह स्थिर हुआ की इस मिशन के बाद लुनार लैंडिंग के लिए बहू बार उपयोग होने वाला रॉकेटों का इस्तेमाल किया जाएगा , जो की अंतरिक्ष यात्रीयों को सुरक्षित ढंग से चांद में ले कर वापिस उन्हें पृथ्वी तक ले कर आएगा |
मेँ यहां पर और भी बता दूँ की अभी तक ऐसा कोई रॉकेट औपचारिक तौर पर किसी भी अंतरिक्ष मिसन में इस्तेमाल नहीं हुआ है जो की एक से अधिक बार इस्तेमाल किया जा सके | हालाँकि रॉकेट के बूस्टर को कई बार अब भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं | हाल ही में स्पेस-एक्स एक से अधिक बारे उपयोग में आ सकने वाले रॉकेट का निर्माण करने में लगा हुआ है और वह इसे आगे बना भी लेगा |
Source- Nasa.gov , Popular mechanics.com , Science focus.com