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मूरे का अनोखा नियम जो बताता है कंप्युटर प्रोसेसिंग की अंतिम सीमा – Moore’s law In Hindi

क्या भविष्य में हम कंप्यूटर कभी भी ज्यादा तेज और ताकतवर नहीं बना पायेंगे ?

साल 1965 इंटेल (Intel) के को फाउंडर  Gordon E. Moore ने अपने एक नई थ्योरी दुनिया के सामने रखी जिसमें उन्होंने भविष्य में बनने वाले कंप्यूटर मशीन, स्मार्टफोन्स और हाईटेक गैजेट्स के लिए एक ऐसी बात कही थी जो 56 साल बाद यानि 2021 में भी सही मानी जाती है, जितने भी कंप्यूटर और स्मार्टफोन आजतक बने हैं वो सभी मूरे के इस नियम पर काम करते हैं। मूरे (Moore’s law In Hindi) के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स यानि कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाले ट्रांजिस्टर (Transistors) जो फास्ट प्रोसेसिंग (Processing)  के लिए जिम्मेदार होते हैं हर दो सालों में अपनी तय सीमा से दुगने हो जाते हैं जिससे आने वाले नये कंप्यूटर जो पहले से दो गुना ट्रांजिस्टर इस्तेमाल कर रहे हैं पिछली कंप्यूटर मशीन से बहुत ज्यादा फास्ट स्पीड से प्रोसेसिंग करते हैं, स्पीड के साथ-साथ इन कंप्यूटर की कीमत भी पहले से कम हो जाती है। मूरे के इस नियम को मूरे लाॅ (Moore’s law In Hindi) कहा जाता है जो कंप्यूटर और आज के स्मार्टफोन वर्ल्ड में भी एकदम सही बैठता है।

iPhone Smartphone, Credit: Pixabay

अगर आपने पिछले 10 सालों में यूज किये गये कंप्यूटर्स और स्मार्टफोन को देखा होगा तो फिर आपने मूरे ला को जरूर काम करते देखा है, साल 2010 में आया iPhone 4 केवल 512 MB RAM और सिंगल कोर प्रोसेसर (Single-core processor) पर चलने वाला स्मार्टफोन था, पर आज के समय में आने वाला iPhone 12 4 GB RAM और Hexa-core यानि 6 कोर के प्रोसेसर के साथ आता है, 10 सालो में ही आईफोन स्मार्टफोन 8 गुना ज्यादा रैम और हेक्स कोर की सूपरफास्ट प्रोसेसिंग के साथ बहुत बदल चुका है।

Computers की बात करें तो 10 साल पहले आने वाला Intel Core 2 Duo प्रोसेसर और 4 GB RAM को बेहतरीन डेस्कटोप माना जाता था, पर आज के समय में 10 Core Processor Intel Core i9-10900K के और 32 GB RAM के combination के कंप्यूटर को बेहतरीन कंप्यूटर माना जाता है। आईफोन स्मार्टफोन की तरह ही कंप्यूटर की दुनिया में भी 10 सालों में 8 गुना ज्यादा रैम और 10 कोर तक के बेसिक हाई एंड प्रोसेसर बन चुके हैं जो आज बहुत से घरो में देखने को मिलते हैं। मूरे लाॅ (Moore’s law In Hindi) इन दोनों ही गैजेट्स पर सटीक काम करता है, प्रोसेसिंग के साथ-साथ इन गैजेट्स की कीमत भी लगभग काफी कम हो चूकी है, 10 साल पहले आज के समय के हाई ऐंड कंप्युटर को खरीदना बहुत ज्यादा खर्चीला होता था पर आज इन्हीं गैजेट्स को काफी कम दाम में आसानी से खरीद सकते हो। 

पर अबतक इन गैजेट्स पर सटीक बैठता ये मूरे लाॅ (Moore’s law In Hindi) क्या आगे भी इसी तरह काम करता रहेगा, क्या हम आगे भी इसी तरह इन स्मार्टफोन और कंप्युट्रस में हर 1 या दो सालों में जबरदस्त तरक्की को देखते रहेंगे, दूसरे शब्दों में कहें तो क्या कोई ऐसी लिमिट इस पृथ्वी और ब्रह्मांड में मौजूद है जिससे आगे हम ना तो कोई हार्डवेयर बना सकते हैं और ना ही कोई सुपर कंप्यूटर डिजाइन कर सकते हैं जो पहले बने सुपर कंप्यूटर से ज्यादा फास्ट और ताकतवर हो, तो आइये इन्हीं सभी सवालों को जानने के लिए मैं आज आपको कंप्यूटर और स्मार्टफोन की एक ऐसी दुनिया में ले के जाऊँगा जो आपने इससे पहले कभी सोची भी नहीं होगी।

हर साल कंप्युटर्स और स्मार्टफोन लगातार अपग्रेड होते रहते हैं, बेहतर Integrated Circuits और उनमें लगें लाखों Transistor (ट्रांजिस्टर) उन्हें बहुत ज्यादा तेज और ताकतवर बनाते हैं, पर क्या आपको पता है इन इंटीग्रेटिड सर्किट और ट्रांजिस्टर की भी एक लिमिट है जिससे ज्यादा छोटा इन्हें कभी भी नहीं बनाया जा सकता है।.

Transistors, Credit : electronicdesign.com

इस समय इंटेल द्वारा बनाये गये प्रोसेसर में 14 नैनोमीटर के सिलिकॉन ट्रांजिस्टर (silicon transistors) का यूज होता है, जो कि आपके डीएनए से 14 गुना चौड़ा है, अगर इस आकार की तुलना 1 सेमी से की जाये तो आप 1 सेंमी लाइन में ही 14 नैनोमीटर के 7 लाख ट्रांजिस्टर फिट कर सकते हो, इससे ही आप अंदाजा लगा सकते हो कि एक ट्रांजिस्टर कितना छोटा होता है पर फिलहाल वैज्ञानिकों का मानना है कि हम जल्द ही इस लिमिट पर पहुँचने वाले हैं जब ट्रांजिस्टर का आकार Atomic Level पर आ जाएगा और हम फिर उनसे छोटा ट्रांजिस्टर चाह कर भी नहीं बना पाएं.

इस समय इस्तेमाल होने वाले ट्रांजिस्टर फिलहाल 70 सिलिकॉन एटम के बराबर साइज रखते हैं, वही सिलिकॉन एटम का साइज खुद 0.2 नैनोमीटर है तो इसी से आप समझ सकते हो कि हम 14 नैनोमीटर के ट्रांजिस्टर को अगर ज्यादा से ज्यादा छोटा करें तो उसे 0.2 नैनोमीटर से छोटा कभी नहीं कर सकते हैं.  ये ट्रांजिस्टर की फंडामेंटल लिमिट (Fundamental Limit) है जिसे हम आने वाले 10 से 20 सालों में छू लेंगे, इस लिमिट को छूते ही हम और ज्यादा छोटे और फास्ट स्मार्टफोन और कंप्युटर्स नहीं बना पाएंगे जिससे हमारी टेक्नोलॉजी की रेस को एक लगाम भी लग सकती है

हमारे गैजेट्स भले ही इस फंडामेंटल लिमिट पर पहुँच जायें पर टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने में वैज्ञानिक बिलकुल भी पीछे नहीं रहते हैं, ट्रांजिस्टर को और छोटा तो नहीं किया जा सकता है पर अगर उनमें मौजूद इलेक्ट्रॉन पार्टिकल्स जो करंट के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें फोटोन पार्टिकल से बदल दिया जाये तो आप इन्हीं छोटे ट्रांजिस्टर से बनी चिप के गैजेट्स में 20 परसेंट तक फास्ट प्रोसेसिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

इलेक्ट्रॉन्स से तेज फोटोन्स मूव करते हैं ऐसे में अगर वैज्ञानिक Photonic Chip बनायें तो आने वाले समय में हमें ट्रांजिस्टर के साइज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। हालांकि इस समय इस तरह की चिप्स को बनाना बहुत मुश्किल है पर अगर ये बन जाते हैं तो आने वाले समय में आप लाइट वेस्ड लैपटॉप, स्मार्टफोन देख सकते हो जो आज के स्मार्टफोन से भी हजारों गुना फास्ट और पावरफुल होंगे। 

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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