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पेड़-पौधों में भी जान होती है, पर उन्हें काटकर खाने में हम नहीं हिचकिचाते, ऐसा क्यों?

मासाहार और शाकाहार की अगर कोई डिबेट हो रही हो तो हर मासाहारी का ये  सवाल बहुत अच्छा लगता है, वे भी अपने बचाव में इसी सवाल को सभी शाकाहारियों के सामने रखकर डिबेट को खत्म करने की कोशिश करते हैं।   कई बार लोग इस मुद्दे पर तर्क वितर्क करते हैं और सही जानकारी ना होने के अभाव में  इसका उत्तर नहीं दे पाते हैं । पर आज हम इस लेख में आपको इसका उत्तर देने की कोशिश करेंगे जो कि शुचि अग्रवाल  ने बहुत ही सही ढ़ग से समझाया है वे वनस्पति शास्त्र में स्नातकोत्तर भी कर चुकी हैं… आइये जानते हैं उन्हीं के शब्दो  में..

विज्ञान के अनुसार भी यह बात बिल्कुल सच है कि पेड़ पौधों में भी जान है. जैसे जीवों में श्वसन तंत्र, विकास, पुनरुत्पत्ति, प्रजनन तंत्र, विकास,रक्षात्मक प्रतिक्रिया आदि हैं वैसे ही वनस्पति में भी यह सब कुछ है।

ऐसा माना जाता है कि शाकाहारी लोग जीव हत्या में विश्वास नहीं करते इसलिए वह शाकाहार करते हैं।  शाकाहार यानि कि शाक का आहार। शाकाहारी जो भी खाना खाते हैं वो सभी पेड़ पौधों से ही आता है।

यह सच है कि पेड़ पौधों में भी जान है. लेकिन अगर आप बड़े फलों को देखें तो ज्यादातर फल खुद ही पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं, उदाहरण के तौर पर सेब, अनार, आम, इत्यादि. अगर फलों को पेड़ पर लगे छोड़ भी दें तो भी पक कर वे नीचे गिर ही जायेंगें और पेड़ से गिरते ही उनका विकास रुक जाएगा।

हरी सब्जियों को लें तो ज्यादातर पत्तियां जैसे कि धनिया, मेथी, पालक आदि सभी वार्षिक पौधे हैं और बढ़ने के 15-20 दिनों के अन्दर ही वो पीली होनी शुरू हो जायेगीं. इसका मतलब अब उनमें नयी वृद्धि नहीं है; इसके बाद आप उन्हें काटें या ना काटें, खाए या ना खाएं, वो सूखकर झड जायेंगीं।

इसी प्रकार बीज, दाने, अनाज सभी का इस्तेमाल उनका विकास चक्र पूरा हो जाने पर ही किया जाता है. आप खाएं या न खाएं यह सूखकर झड जायेंगें और ख़त्म हो जायेंगें।

इसी बात को दूसरी तरह से भी समझा जा सकता है – पेड़ पौधे कई तरह के हैं . कुछ पेड़ सालों साल बढ़ते हैं. कुछ पेड़ों का जीवन दो वर्ष का है, और कुछ का एकवर्षीय. ज्यादातर फलों के पेड़ बहु वर्षीय होते हैं जैसे कि आम, अमरुद, अनार, सेब, संतरा आदि. अब देखते हैं इनका जीवन. यह पेड़ हर साल समय के अनुसार फल देते हैं. हमने पेड़ का कौन सा हिस्सा खाया?

हमने सिर्फ फल खाए जबकि पेड़ अपनी जगह सुरक्षित है. अगले साल इसमें फिर फल आयेंगें जिन्हें हम जमीन से उठाकर या फिर तोड़कर खायेंगें और पेड़ वहीँ सुरक्षित रहेगा. और देखिये फल खाकर अगर बीज बो दें तो और पेड़ उगेंगें और इस तरह यह जीवन चक्र चल रहा है. हमने किसी को काटा कहाँ, हमने तो जीवन दिया।

तो मुझे नहीं लगता कि शाकाहारी होने के लिए आप किसी भी रूप में किसी भी बढती हुई जान का विकास रोकते हैं.

मैं खुद शाकाहारी हूँ लेकिन मैं सबका सम्मान करती हूँ. इस प्रश्न के उत्तर से मैं किसी की भी भावनाओं को आहत नहीं कर रही हूँ – सिर्फ शाकाहार का अर्थ लिख रही हूँ अपनी राय के अनुसार।

साभार – शुचि अग्रवाल (क्योरा)

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काला अंब- एक विचित्र आम का पेड़ जिसको काटने से निकलता था खून

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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