हमारा ब्रह्मांड आखिर कितना सुंदर हैं? हमारे ब्रह्मांड में हाल ही के समय पर क्या-क्या अद्भुत घटनाएँ चल रहें हैं? मित्रों! इस तरह के कई सारे सवाल हमारे मन में तब उठते हैं, जब हम सोचते हैं कि; हमने ब्रह्मांड को पूरी तरीके से समझ लिया हैं। नासा ने कुछ ही समय पहले अन्तरिक्ष की और अपना अब तक का सबसे उन्नत और विकसित दूरबीन जेम्स वेब (James Webb’s pandora’s cluster and latest photos) को लाँच कर दिया है और तभी से ही ये दूरबीन काफी ज्यादा सुर्खियाँ बटौर रहा हैं। ऐसे में इससे जुड़ी हर एक खोज हमारे लिए खास होती जा रही है।
मित्रों! आज के इस लेख में हम खास तौर पर जेम्स वेब (James Webb’s pandora’s cluster and latest photos) से जुड़े तीन गुरुत्वपूर्ण बातों के बारे में बातें करेंगे। पहले हम सुदूर अन्तरिक्ष के कॉस्मिक डस्ट में उछलते-कूदते हुए नवजात आकाशगंगाओं को देखेंगे, फिर जेम्स वेब के द्वारा खोजे गए पंडोरा क्लस्टर के बारे में चर्चा करेंगे और आखिर में हम लोग एक छोटे से उल्कापिंड के बारे में भी बातें करेंगे। तो आप लोगों से अनुरोध हैं कि, लेख में मेरे साथ अंत तक बने रहिए और इन सारे महत्वपूर्ण बातों को एक ही साथ एक ही लेख में पढ़ कर आनंद लीजिए।
खैर चलिये अब लेख को आरंभ करते हुए असल मुद्दे के ऊपर विवेचना करते हैं।
जेम्स वेब ने खोजीं कई छोटे-छोटे व नई आकाशगंगा! – James Webb Telescope finds Baby Galaxies Cosmic Gas and Dust! :-
अभी के समय जेम्स वेब (James Webb’s pandora’s cluster and latest photos) हमारे अन्तरिक्ष में बहुत ही अच्छा काम कर रहा है। हाल ही में उसने NGC 1433 नाम के एक चक्राकार आकाशगंगा को ढूंढ कर निकाला है। बहरहाल बात ये है कि, नए-नवेले सितारों से सजी ये आकाशगंगा अपने आस-पास के कॉस्मिक डस्ट और बादलों को भी काफी ज्यादा प्रभावित करती है। वैसे वैज्ञानिकों के अनुसार खोज के पहले चरण में जेम्स वेब 19 नई आकाशगंगाओं को खोजने वाला है।
इसके अलावा वैज्ञानिकों को NGC 1365 नाम के आकाशगंगा के बारे में पता चला है। वैज्ञानिकों के हिसाब से इस आकाशगंगा के पास मौजूद ज़्यादातर नए सितारे कॉस्मिक डस्ट के साथ मिल कर, इन्फ्रारेड तरंगों को अन्तरिक्ष में विकिरित (Radiate) कर रहें हैं। इससे अन्तरिक्ष में एक बहुत ही खास व आकर्षक “कॉस्मिक रे” पैदा हो रहीं हैं। मित्रों! जेम्स वेब के इंफ्रारेड कैमरें बड़े ही बारीकी से इन घटनाओं को कैप्चर कर रहें हैं और अन्तरिक्ष के जिन कोनों को पहले काले घने अंधेरे का किला कहा जाता आ रहा था, अब वो काले-घने कोने भी हमें साफ -साफ नजर आ रहें हैं।
मित्रों! इस खोज के जरिये वैज्ञानिकों को आकाशगंगाओं की बनावट और सितारों की सजावट के पैटर्न्स को जानने का मौका मिलेगा। एक और बात ये भी है कि, इस खोज ने ब्रह्मांड की बेहद ही जटिल संरचना के बारे में भी हमें काफी कुछ बता दिया है। इस खोज को देख कर कुल-मिला कर ये कहा जा सकता है कि, छोटे-छोटे व नवजात सितारों की भी आकाशगंगाओं के बनने में काफी बड़ा हाथ होता हैं। जिसको कि इस खोज ने साबित कर दिया है।
जेम्स वेब का “पंडोरा क्लस्टर”! – James Webb’s pandora’s cluster and latest photos! :-
अब की बार जेम्स वेब (James Webb’s pandora’s cluster and latest photos) ने पंडोरा क्लस्टर के बारे में एक बेहद ही रोचक बातों को वैज्ञानिकों के सामने रखा हैं। “Abell 2744” के नाम से लोकप्रिय अन्तरिक्ष की ये जगह अन्तरिक्ष में किसी रहस्यमयी इलाके से कम नहीं हैं। इसलिए तो इसे अन्तरिक्ष का “पंडोरा बॉक्स” भी कहते हैं। मित्रों! वैसे एक बात ये भी है कि, इस इलाके के बारे में वैज्ञानिकों को पहले कुछ भी जानकारी नहीं थी। परंतु जब से अन्तरिक्ष में जेम्स वेब आया है, तब से कई तरह के रहस्यों से पर्दा उठने लगा है।
खैर जेम्स वेब के द्वारा खींची गई तस्वीरों से ये पता चल रहा है कि, तीन बहुत ही बड़ी-बड़ी आकाशगंगाओं का गुच्छा धीरे-धीरे एक दूसरे के बेहद ही करीब आ रहें हैं। ऐसे में इन तीनों के तीनों गुच्छों का अंत में एक बहुत ही बड़े “मेगा क्लस्टर” के बनने के अंदेशा वैज्ञानिकों ने पहले ही जाता दिया है। हालांकि! सबसे खास बात ये है कि, अगर ये मेगाक्लस्टर ब्रह्मांड में बनता है, तब उस जगह का गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होगा कि, वहाँ पर “Gravitational Lens” की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
तो जब ये प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, तब इसके मदद से हम एक मैग्नीफ़ाइंग लेंस की तरह ब्रह्मांड की सुदूर इलाकों में मौजूद आकाशगंगाओं के बारे में भी काफी कुछ पता व देख सकेंगे। वैसे जब वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब से लिए गए पंडोरा क्लस्टर की तस्वीर को देखा, तब वो सब भी काफी ज्यादा हैरान रह गए। क्योंकि सिर्फ उस एक तस्वीर में 50,000 से ज्यादा इन्फ्रारेड के स्रोत मौजूद थे।
काफी सुंदर है “पंडोरा क्लस्टर”! :-
मित्रों! पंडोरा क्लस्टर के बारे में एक खास बात ये भी है कि, ये देखने में काफी ज्यादा आकर्षक है। परंतु जेम्स वेब (James Webb’s pandora’s cluster and latest photos) के द्वारा खींची गई फोटो में यहाँ के कई आकाशगंगाएँ साफ-साफ नजर नहीं आ रही हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो, जब लेंसिंग की प्रक्रिया शुरू होती है, तब वहाँ का गुरुत्वाकर्षण बल इतना बढ़ जाता है की, एक बहुत ही बड़े जगह की स्पेस-फ़ैब्रिक खुद के अंदर ही सिकुड़ कर अपने अंदर ही सिमट जाती है।
खैर लगभग 30-40 घंटों तक विश्लेषण करने के बाद, वैज्ञानिकों को पंडोरा क्लस्टर की एक साफ-साफ व बारीक तस्वीर देखने को मिली हैं। वैसे पंडोरा क्लस्टर के ऊपर शोध करने के बाद वैज्ञानिकों की मानें तो, जब भी वो इस क्लस्टर की फोटो को खींचने का प्रयास करते हैं, तब फोटो मोजाइक आकार में उठते हैं। इसके अलावा जेम्स वेब के साथ-साथ तीन अलग-अलग दूरबीनों की भी मदद ली गई हैं।
दोस्तों! आखिर में हम ये कह सकते हैं कि, चाहें जो भी हो परंतु पंडोरा क्लस्टर कि जरिये हम ग्रैविटेशनल लेंसिंग को काफी अच्छे तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। आप वाकई में इसे एक जूमिंग लेंस कि तरह इस्तेमाल करके, हमारे अनंत ब्रह्मांड की सीमाहीन छोरों को भी देख सकते हैं। मित्रों! आप लोगों को क्या लगता हैं, क्या पंडोरा क्लस्टर इन्सानों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है?
जेम्स वेब ने खोजा सबसे छोटा उल्कापिंड! :-
जेम्स वेब (James Webb’s pandora’s cluster and latest photos) को पिछले साल नासा ने अन्तरिक्ष में कैलीब्रेट कर के इस्तेमाल में लेना शुरू कर दिया था। अब वैज्ञानिक इस दूरबीन के कई अलग-अलग काबिलियतों के बारे में जांच कर रहें हैं। हाल ही में इस दूरबीन ने, एक बेहद ही छोटे आकार के उल्कापिंड को ढूंढ कर निकाला है। इस उल्कापिंड के बारे में सबसे खास बात ये है कि, ये मेन-बेल्ट उल्कापिंड में मौजूद सबसे छोटा उल्कापिंड है।
अगर हम आकार कि बात करें तो, ये चौड़ाई में सिर्फ और सिर्फ 100-200 मीटर तक ही है। वैसे अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, बेल्ट में मौजूद बाकी उल्कापिंडों का आकार कई सौ किलोमीटर से कई हजारों किलोमीटर तक भी हो सकता है। एक बात ये भी है कि, बेल्ट के अंदर लगभग 11 लाख से ज्यादा उल्कापिंड मौजूद हैं। मित्रों! 1998 BC1 नाम का ये उल्कापिंड को सन 1998 में खोजी गई था। हालांकि! कई वैज्ञानिक इसे 10920 के नाम से भी पुकारते हैं।
मित्रों! हाल ही के समय में वैज्ञानिक छोटे-छोटे उल्कापिंडों के ऊपर ज्यादा ध्यान दे रहें हैं। क्योंकि इस श्रेणी के उल्कापिंडों को पहले कभी भी इतनी बारीकी से जांचा व परखा नहीं जा रहा था। हालांकि! अभी भी जेम्स वेब जैसे उन्नत दूरबीन के जरिये भी, इन्हें ढूंढ पाना थोड़ा कठिन है, परंतु आने वाले समय में इनके ऊपर जरूर ही बहुत गहन शोध किया जाएगा। ताकि हम हमारे सौर-मण्डल के अतीत के बारे में भी काफी कुछ जान पाएँ।
Source – www.earthsky.org, www.nasagov.in, www.space.com