21 वीं सदी में चांद के बाद अंतरिक्ष में अगर कहीं इंसानों ने अपना वर्चस्व बनाया हैं तो वो मंगल हैं। मंगल से जुड़ी कई सारे मिशनों को आप आए-दिन होते हुए देख रहें होंगे। बहरहाल संयुक्त अरब अमीरात के द्वारा हाल ही में किया गया मंगल मिशन “Hope” इसी बात को ही सूचित करता हैं की, पृथ्वी का हर एक देश मंगल को लेकर कितना आशावादी है। वैसे बता दूँ की, आपके लिए मंगल से एक खुश खबरी आई हैं; जी हाँ मित्रों! वैज्ञानिकों ने निकट भूत काल में मंगल के ऊपर बर्फ के चादरों (mars ice caps in hindi) को ढूंढ कर निकाला हैं।
मंगल में मिले ये बर्फ के चादर (mars ice caps in hindi) आने वाले समय में शायद हमें कहीं जीवन के मूलभूत पहलुओं से रूबरू न करा दें। वैसे मित्रों! आपके जानकारी के लिए बता दूँ की, आज का हमारा लेख इसी बर्फ के चादरों के ऊपर आधारित हैं। जिसके अंदर हम इस अभूतपूर्व खोज से जुड़ी हर एक बात को जानने के साथ-साथ इन के पीछे छुपी अनजान तथ्यों को भी उजागर करेंगे। इसलिए आप लोगों से अनुरोध हैं की लेख को आरंभ से अंत तक पढ़िएगा, ताकि आपको पूरी बात का पता चले।
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मंगल के ऊपर मिले बर्फ के चादरों के पीछे छुपी अनजान तथ्य – Mars Ice Caps In Hindi :-
कई सारे वैज्ञानिकों का ये मानना हैं की, पृथ्वी और मंगल के बीच कई सारी समानता दिखने के बावजूद इन दोनों ही ग्रहों के जलवायु में काफी भिन्नता दिखाई देता हैं। इसलिए उनका कहना हैं की, जहां पृथ्वी के बनने के प्रारंभिक अवस्था में इसका वायुमंडल एक गरम आग का गोला था वहीं दूसरी और मंगल का वायुमंडल(जलवायु) काफी ज्यादा ठंड और शुष्क था। इसलिए वहाँ पर अतीत में बर्फ के चादरों का (mars ice caps in hindi) मिलना एक आम सी बात थी।
मित्रों! हमारे पृथ्वी में ठीक इसी प्रकार से ग्लेशियर के माध्यम से नदियों तथा बाद में घाटियों का निर्माण होता हैं, जो की मंगल पर भी मौजूद हो सकता हैं। नासा के द्वारा छोड़े गए “Mars Global Surveyor Spacecraft” से मिली तस्वीरों और नक्शों से यही पता लगता हैं की, प्राचीन काल में मंगल में तरल जल के धार बढ़ते थे जो की उस समय नदियां हुआ करती होंगी। आज भी इन नक्शों में कई गहरी व पतली लकीरों को देखा जा सकता हैं। वैसे और एक दिलचस्प बात ये हैं की, इन प्राचीन जल के प्रवाहों के पास कई सारे पहाड़ मौजूद हैं और इनके तलहटी में कई सारे घाटियों को भी देखा जा सकता हैं।
पृथ्वी और मंगल के द्वीपों में भी है समानता :-
वैसे इन बर्फ के चादरों के बारे में पता लगाने के लिए, वैज्ञानिकों ने मंगल पर मौजूद 10,000 से भी ज्यादा घाटियों के भूगोलीय इतिहास को जांचा और परखा। गौरतलब बात ये हैं की, कनाडा के पास मौजूद “डेवोन आइलेंड” के द्वारा प्रेरित हो कर वैज्ञानिकों ने ठीक इसी तरह के आइलेंड को भी मंगल के ऊपर ढूँढने का प्रयत्न कर रहें हैं। वैसे बता दूँ की, ये जो आइलेंड हैं दोस्तों ये काफी ज्यादा ठंडा और सुदूर है और शायद ही आप इसके बारे में कुछ जानते होंगे। वैसे इस आइलेंड में मौजूद जो बर्फ हैं उसके बनने का तरीका भी काफी अलग हैं।
वैज्ञानिकों को लगता हैं की, जिस तरीके से डेवोन आइलेंड में बर्फ बना हैं ठीक उसी तरीके से मंगल के घाटियों में भी बर्फ बना होगा। अगर आप पृथ्वी पर मौजूद घाटियों को सेटेलाइट के माध्यम से देखेंगे तो पता चलेगा की, ज़्यादातर घाटियां पहाड़, नदियां और ग्लेशियर के द्वारा बने हुए हैं और हर एक घाटी का बनने का तरीका भी अलग-अलग हैं। ठीक इसी आधार पर वैज्ञानिकों को भी मंगल पर मौजूद कई घाटियों मेँ बर्फ के चादरों के होने का सबूत मिला हैं। इसलिए कुल मिलाकर ये कहा जा सकता हैं की, मंगल के ऊपर भी ग्लेशियर के आकार में बर्फ (mars ice caps in hindi) मौजूद हो सकते हैं।
आखिर किस तरीके से मंगल पर बर्फ के चादर बने होंगे! :-
मित्रों! हर एक के मन में ये बात तो अवश्य ही आती होगी की, आखिर किस तरीके से मंगल पर बर्फ के चादर (mars ice caps in hindi) बने होंगे। इसलिए मेंने सोचा की, इसके बारे में भी एक चर्चा कर लिया कर लिया जाए। जो की आप आगे पढ़ने वाले हैं, इसलिए आगे गौर दे कर पढ़िएगा।
एक सिद्धांत हैं की, काफी समय पहले से ही मंगल पर बर्फ के चादर मौजूद हैं और इनके बनने के पीछे का रहस्य इन्हीं के अंदर ही हैं। कहने का तात्पर्य ये हैं की, मंगल पर जो भी बर्फ के भाग मिले हैं उनके अंदर तरल रूप से पानी के बहने का अंदेशा है। इसलिए लगातार वैज्ञानिकों का मंगल की और रुझान देखा जा रहा हैं, उन्हें लगता हैं की कहीं न कहीं मंगल पर आज भी तरल रूप से पानी बह रहा हैं। वैसे चौंकाने वाली बात तो ये हैं की,बर्फ के चादर तले बह रहें तरल पानी के इसी प्रवाह से ही बाद में इन्हीं बर्फ के चादरों का अपरदन घटता हैं और इससे पानी के नदियां भी निकलने का अनुमान है।
आपको क्या लगता हैं की? क्या कभी मंगल पर पानी बहता होगा या आने वाले समय में क्या हम बहते पानी के स्रोतों को मंगल पर ढूंढ पाएंगे? जरूर ही कमेंट करके बताइएगा।
मंगल के घाटियों में छुपी हुई हैं कई सारे अनजान बातें :-
जब भी हम मंगल में मौजूद बर्फ (mars ice caps in hindi) के बारे में बात करते हैं, तब हमें इसके घाटियों के बारे में याद आता हैं। क्योंकि मित्रों बर्फ के चादर और ये घाटियां आपस में पूरक है और इन दोनों का एक साथ होना बहुत ही ज्यादा स्वाभाविक है। वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए सर्वे से पता चला हैं की, मंगल पर कुल 66 प्राचीन जल प्रवाहों के अवशेषों को खोजा जा चुका हैं और इनमें से कुल 22 प्राचीन जल के प्रवाहों अवशेषों के पास तरल जल के होने का अनुमान है। साथ ही साथ इसलिए यहाँ पर जीवन के होने का भी आप अंदेशा लगा सकते है।
मित्रों! और एक बेहतर जानकारी आप लोगों को बता दूँ की, लगभग 14 जल के प्रवाहों के अवशेषों के पास नदियों के होने का भी अनुमान है। जो की एक बहुत बड़ी खोज है। इसके अलावा ये जो जल के प्रवाहों का अवशेष मिला है दोस्तों ये वाकई में पृथ्वी पर मौजूद घाटियों के संरचना के साथ मेल खाता हैं। जैसे यहाँ पर घाटियों से होकर नदियां निकलती हैं, ठीक उसी तरह इन जल के प्रवाहों के पास मौजूद घाटियों से भी नदियों के निकलने का अनुमान हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैसे गौरतलब बात ये है की, मंगल पर घाटियों से निकलने वाले जल के प्रवाह पूरे मंगल में मौजूद हैं; परंतु नदियों से निकलने वाले जल के प्रवाहों को आप सिर्फ मंगल के एक खास हिस्सा “Arabia Terra” पर ही देख सकते है। बर्फ के चादरों के तले बहते पानी व खुले नदियां में बहते पानी में काफी अंतर हैं और इससे आस-पास के जगह का तापमान भी प्रभावित होता है और मंगल का ज़्यादातर हिस्सा तुलनात्मक रूप से ठंडी है।
इंसानों को मंगल के घाटियों को खोजे हुए 40 साल से भी ज्यादा का वक़्त गुजर चुका हैं, परंतु आज भी हमें इन घाटियों के बारे में लगातार कई अद्भुत तथ्य मिलते आ रहें है। परंतु जो भी हो दोस्तों हमें तो पूर्ण विश्वास हैं की एक न एक दिन हमारे वैज्ञानिक इन घाटियों में छुपी हुई पहलुओं को हमारे सामने रख देंगे, बस देखना ये हैं की आखिर कब!
जहां तक मंगल पर नदियों की बहने की बात है, इसके बारे में हमें आगे बहुत बेहतर जानकारी मिलने वाली है। इसलिए धैर्य रख कर हमें इन विषयों के बारे में चर्चा करते रहना चाहिए।
Source :- www.livescience.com.