मित्रों! विज्ञान एक बहुत ही शानदार चीज़ हैं, विज्ञान के क्षेत्र में कुछ भी हमेशा के लिए स्थायी नहीं रहता है। जीवन और विज्ञान दोनों ही एक समान हैं, क्योंकि समय के साथ बदलते रहना इन दोनों का अहम गुण है। बदलाव ही जीवन की सच्चाई और विज्ञान का एक मात्र परिचय है। आज से कुछ दिनों पहले अगर आप लोगों ने विज्ञानम को बूकमार्क किया होगा तो, आपको एक लेख अवश्य ही पढ़ने को मिला होगा, जो की इंसान के अमरता से संबंधित था। उस लेख में मैंने इंसान आखिर कैसे अमर बन सकता हैं, उसके बारे में बताया है। परंतु विडंबना की बात ये हे की, आज इंसान का सर्वाधिक जीवन 150 सालों (Human Life Is Only 150 Years) तक ही सीमित है।
जी हाँ! दोस्तों, आप लोगों ने बिल कुल सहीं सुना, आज इंसान का जीवन 150 सालों (Human Life Is Only 150 Years) के अंदर ही थम कर रह गया हैं। शायद, आज की तकनीक के हिसाब से इंसान हजारों सालों के लिए बच नहीं सकता हैं। मित्रों! तो यहाँ सवाल ये उठता हे की, क्या कभी इंसान अमर नहीं बन सकता हैं? क्या अमरता के सपने सिर्फ सपनों में ही रह जाएंगे? क्या हम कभी चिरायु नहीं बन पाएंगे? दोस्तों! इसी सवालों के जवाबों को ढूँढने के लिए ही, मैंने इस लेख को आप लोगों के लिए लिखा है।
तो, आज के इस लेख में हम इन्हीं (ऊपर बताए गए) सवालों के जवाबों को ढूँढने का प्रयास करेंगे और देखेंगे की; आखिर क्या इंसान अमर बन सकता हे या नहीं!
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वैज्ञानिकों ने कहा इंसान की सर्वाधिक आयु हैं मात्र 150 साल! – Human Life Is Only 150 Years! :-
वर्तमान समय में कोरोना ने जो कहर ढाया हैं, उसको देखते हुये हम ये कह सकते हैं कि, इस महामारी के दौरान लोगों की औसतन आयु काफी कम हो गई है। वैसे महामारी से पहले भारत में लोगों की औसतन आयु लगभग 69 के आसपास थी, परंतु कोरोना ने इस औसतन आयु को काफी ठेस पहुंचाई है। महामारी की इस घड़ी में, हम ये नहीं कह सकते हैं कि कब कौन कहाँ मौत को प्राप्त हो जाए। इसलिए सबसे ज्यादा जीवन की वैल्यू हमें आज पता लग रही है। खैर वैज्ञानिकों ने इसी जीवन को लेकर एक बहुत ही बड़ी खोज की है।
वैज्ञानिकों के अनुसार एक इंसान आज के चिकित्सा विज्ञान को देखते हुये सर्वाधिक 120 सालों से 150 सालों (human life is only 150 years) तक ही जी सकता है। 150 सालों से अधिक जीने के लिए न तो हमारे पास कोई अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक है और न ही हमारा शरीर इतने लंबे समय तक जीने के लिए बना है। शोध से पता चला है की, इंसान जब 100 या इससे अधिक उम्र का हो जाता है, तब उसका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होने लगता है। दुनिया भर की बीमारियाँ उसे पकड़ने के लिए दौड़ती हैं।
मित्रों! 150 सालों के करीब पहुँचते-पहुँचते हमारा शरीर पूर्ण तरीके से, खत्म हो चुका होता है। कहने का तात्पर्य ये हे की, इस उम्र में इंसान का शरीर खुद की क्षति पहुँचने के बाद फिर से बना नहीं पाता है। यानी, अगर इस उम्र में किसी व्यक्ति को कहीं चोट लग जाये तो; उसका घाव भरने के विपरीत और भी गंभीर हो कर उसके जीवन के लिए समस्या खड़ा कर सकता है।
वर्तमान में किए गए शोध से क्या पता चला हैं? :-
मई 25 में “Nature Communications” नाम के जर्नल में ये रिपोर्ट किया गया की, इंसान का शरीर सर्वाधिक 120 सालों से 150 सालों (human life is only 150 years) तक ही जीने के लिए बना है। इससे अधिक कोई भी इंसान आज के समय में जिंदा रह ही नहीं सकता है। क्योंकि, समय के साथ ही साथ इंसान का शरीर स्ट्रैस, बीमारी और इंजूरी को सहने के लिए असमर्थ होता जाता है और आखिर में वो मृत्यु को ही प्राप्त हो जाता है। इंसान का शरीर रिकवर ही नहीं कर पाता है और यही वजह है की, वो जिंदा नहीं रह पाता हैं। हालांकि! कुछ वैज्ञानिक तर्क देते हैं की, इंसानी जीवन को कुछ खास क़िस्मों की थेरेपी से लंबा किया जा सकता है।
व्हाइट ब्लड सेल्स और एजिंग! :-
परंतु! खेद की बात ये है की, हर थेरेपी जब तक थ्योरी में होती है तब वो हमें काफी ज्यादा आकर्षित करती रहती है, पर जब वो प्राक्टिकल में यूज होती है तब वो नाकाम ही साबित होती है। इसलिए जीवन को लंबा करने की जीतनी भी थेरेपी अभी उपलब्ध हैं, वो अभी तक कुछ खास करने में असमर्थ रही हैं। आप कह सकते हैं की, ये थेरेपी पूरे तरीके से काम नहीं करती हैं। मित्रों! अमेरिका में किए गए एक सर्वे में 5 लाख लोगों के ब्लड टेस्ट रिपोर्ट को देखा गया, जिसमें वैज्ञानिकों को एक बहुत ही रोचक बात का पता लगा।
सर्वे के अंदर तीन अलग-अलग पीढ़ी के लोगों को लिया गया था। जब उन्होंने अलग-अलग पीढ़ी के लोगों से आए ब्लड सैम्प्ल्स को चेक किया तो पता लगा की, अलग-अलग पीढ़ी के लोगों के अंदर मौजूद “व्हाइट ब्लड सेल्स” (White Blood Cells) के आकार अलग-अलग हैं, तथा उनके काम करने का ढंग और बीमारी से लढने की प्रक्रिया भी बिलकुल अलग-अलग है।
ब्लड टेस्ट और इंसानी आयु का क्या रिश्ता हैं! :-
आप लोगों को जानकर हैरानी होगी की, आपके शरीर के अंदर दौड़ रहें खून से ही आप लोगों की आयु यानी आप कितने सालों तक बचेंगे उसका पता लगाया जा सकता है। सुनने में बहुत ही अजीब लगने के बाद भी ये बात पूर्ण तरीके से सत्य व प्रमाणित है, इसलिए अगर आपको इस विषय में अधिक जानकारी चाहिए तो, कृपया लेख को आगे पढ़ते रहिएगा। क्योंकि, आपको लेख के इस भाग में काफी कुछ अज्ञात बातों को जानने का मौका भी मिलेगा।
तो, वैज्ञानिक आखिर कैसे सामान्य से ब्लड टेस्ट से आपके जीवन की अवधि को बता सकते हैं! मित्रों, ब्लड टेस्ट से किसी भी व्यक्ति की आयु तथा उसके जीवन की अवधि को जानने के लिए, वैज्ञानिक “Dynamic Organism State Indicator” (DOSI) नाम के कम्प्युटर मॉडेल का इस्तेमाल करते है। इस मॉडेल के जरिए वो ब्लड टेस्ट के माध्यम से व्यक्ति के खून में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा को पहचान लेते हैं और इस मात्रा के आधार पर एक अनुमान लगाते हैं की, वो व्यक्ति किसी भी बीमारी से कितने समय में रिकवर हो पाएगा।
दोस्तों! अगर किसी व्यक्ति को 150 सालों तक (human life is only 150 years) जिंदा रहना है, तो आसान सी बात ये है की, उसके शरीर को उसका साथ देना पड़ेगा। अगर शरीर ही व्यक्ति का साथ छोड़ दे तो वो व्यक्ति कभी भी इतने लंबे समय तक जिंदा नहीं रह पाएगा। शरीर अगर किसी बीमारी या चोट से रिकवर ही नहीं हो पाएगा, तो कोई भी व्यक्ति 120 से 150 सालों तक जिंदा रह ही नहीं सकता हैं। आप लोगों का इस पर क्या राय हैं, जरूर ही कमेंट करके बताइएगा।
इंसान का बुढ़ापा ही उसे जीने नहीं देता हैं! :-
अब शीर्षक पढ़ कर कई सारे लोग ये सोचने में मजबूर हो जाएंगे की, “अगर हम बूढ़े ही नहीं होते तो क्या हम अमर बन जाते?” तो, दोस्तों सुनिए, वैज्ञानिकों के अनुसार बुढ़ापा एक बहुत ही जटिल और अपरिहार्य (unavoidable) प्रक्रिया है। हम किसी भी हाल में बुढ़ापे को टाल नहीं सकते हैं, परंतु हाँ! कुछ हद तक हम इसे धीमा जरूर कर सकते हैं। कहने का तात्पर्य ये है की, अगर हम किसी प्रकार से बुढ़ापे के प्रक्रिया को धीमा कर दें तो हाँ हम अपनी आयु को लंबा जरूर कर सकते हैं।
इसके अलावा वैज्ञानिकों को ये भी पता चला की, बूढ़े लोगों के मुक़ाबले जवान लोग शारीरिक तौर से भी काफी ज्यादा सक्रिय रहते हैं। मित्रों! जैसे-जैसे आयु बढ़ता जाता हैं, वैसे-वैसे मानसिक और शारीरिक तौर से इंसान अंदर ही अंदर कमजोर पड़ता रहता है। इससे पहले 2016 में किए गए एक शोध से पता चला था की, इंसानी जीवन काल सर्वाधिक 125 सालों तक ही है। परंतु! इसके खिलाफ कई वैज्ञानिकों ने ये मत दिया की, ये बात सत्य नहीं है और इससे अधिक भी लोग जीवित रह सकते हैं।
यहाँ पर एक और बात को गौर करना होगा कि हम कितने वर्ष तक स्वस्थ हो कर जी सकते हैं। क्योंकि, स्वस्थ जीवन ही असल जीवन हैं। बीमारी में ग्रसित लोगों का जीवन स्वस्थ जीवन से काफी ज्यादा अलग होता है और वो अपने जीवन को अच्छे तरीके से जी भी नहीं पाते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों को ये भी पता लगाना होगा की, आखिर एक इंसान ज्यादा से ज्यादा कितने आयु तक बिना किसी बीमारी के रह सकता हैं!
निष्कर्ष – Conclusion :-
पूरे लेख में हमने देखा की, इंसान ज्यादा से ज्यादा 150 सालों (human life is only 150 years) तक ही जिंदा रह सकता है। परंतु, सवाल फिर से उठता हैं की, क्या ये बात पूरे तरीके से सच है? मित्रों! व्यक्तिगत रूप से मुझे ऐसा लगता हैं की, सिर्फ इंसानी जीवन के अवधि को ही बढ़ा देने से हम अपनी बढ़ी हुई आयु को सही तरीके से उपभोग नहीं कर पाएंगे। परंतु! हाँ अगर हम किसी तरीके से अपने स्वस्थ रहने की अवधि को बढ़ा दें, तो शायद हम बढ़ी हुई आयु को सही तरीके से जीने के साथ ही साथ इसको उपभोग भी कर पाएंगे।
खैर इंसानी जीवन के अवधि के बारे में आने वाले समय में ऐसे ही कई सारे चर्चाएँ हम करते रहेंगे और देखेंगी की, क्या हम सच में लोगों के जीवन को लंबा व खुशहाल बना सकते हैं। वैसे लेख को समाप्त करते वक़्त मेँ आपको सिर्फ एक ही बात कहूँगा की, “इंसानों के लिए मौत अनिवार्य हैं और इसे किसी भी हाल में हमेशा के लिए टाला नहीं जा सकता हैं। इसलिए जीवित रहते-रहते कुछ अच्छा काम ऐसा जरूर करें की, दुनिया आपको याद रखे”।
Source:- www.livescience.com